“झुके नहीं हैं, झुकेंगे नहीं“, जनपदों में फिर गरजा विरोध
निजीकरण नहीं, जनविरोध है यह! : संघर्ष समिति
का एलान, हर ज़िले में आंदोलन जारी रहेगा
244 दिन से जारी विरोध
ने
पकड़ा
तेज़
मोड़,
कर्मचारियों
ने
कहा,
अब
नहीं
झुकेंगे,
अब
होगी
आर-पार
की
लड़ाई
अगर सरकार
ने
बात
नहीं
मानी,
तो
अंधकार
सिर्फ
घरों
में
नहीं,
सत्ता
के
गलियारों
में
भी
पसरेगा
: अंकुर पांडेय
सुरेश गांधी
वाराणसी.
उत्तर प्रदेश की विद्युत व्यवस्था
में निजीकरण की कोशिशों के
खिलाफ संघर्ष अब निर्णायक मोड़
पर पहुंचता दिख रहा है।
मंगलवार को विद्युत कर्मचारी
संयुक्त संघर्ष समिति की ऑनलाइन आमसभा
में सर्वसम्मति से तय हुआ
कि जब तक निजीकरण
की नीति और उत्पीड़नात्मक
कार्रवाइयां पूरी तरह से
वापस नहीं ली जातीं,
तब तक आंदोलन और
आक्रामक रूप से जारी
रहेगा। संघर्ष समिति ने स्पष्ट कहा
कि बिजली कर्मचारियों को लड़ना पसंद
नहीं, लेकिन लड़ाई थोप दी
गई है। निजीकरण के
खिलाफ यह विरोध अब
244 दिन पूरे कर चुका
है, और प्रदेशभर के
बिजली कर्मी अब आर-पार
की मुद्रा में आ चुके
हैं। आमसभा के समानांतर प्रदेश
के हर जिले और
परियोजना स्थल पर बिजली
कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन
जारी रखा। संघर्ष समिति के मीडिया सचिव व प्रभारी अंकुर पांडेय
ने कहा कि संघर्ष समिति ने एलान किया
कि आंदोलन अब और तेज़
होगा। “अगर सरकार ने
बात नहीं मानी, तो
अंधकार सिर्फ घरों में नहीं,
सत्ता के गलियारों में
भी पसरेगा।“
मुनाफे की भूखी कंपनियों को जनता की सेवा नहीं चाहिए
संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों
ने दो टूक कहा
कि जिन जिलों में
जनता सबसे गरीब है.
पूर्वांचल व दक्षिणांचल के 42 जनपदकृउनकी बिजली व्यवस्था को पूंजीपतियों के
हवाले करना जनहित के
विरुद्ध है। उन्होंने चेतावनी
दी कि निजी हाथों
में जाने के बाद
बिजली दरों में बेतहाशा
बढ़ोतरी होगी, जिससे आम जनता पर
आर्थिक मार पड़ेगी। “बिजली
सेवा है, व्यापार नहीं।
इसे बेचने की साज़िश बर्दाश्त
नहीं की जाएगी।“
ऊर्जा मंत्री अपने ही वादे से पलटे, वार्ता से भी कतरा रहे
संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री
पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते
हुए कहा कि 19 मार्च
2023 को लिखित समझौता होने के बावजूद
अब तक न तो
समझौते की शर्तें लागू
हुईं और न ही
मंत्री संवाद के लिए तैयार
हैं। इससे कर्मचारियों में
गहरा आक्रोश है।
उत्पीड़न की हर हद पार कर चुकी सरकार
आमसभा में बताया गया
कि पहले संविदा कर्मियों
को हटाया गया, फिर वेतन
रोका गया, सैकड़ों कर्मचारियों
के जबरन तबादले किए
गए, और अब जबरदस्ती
स्मार्ट मीटर लगा कर
रियायती बिजली सुविधा छीनने की कोशिश हो
रही है। इसके अलावा,
फर्जी जांचों के जरिये संघर्ष
समिति पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज
कराई जा रही हैं।
हर विधायक को भेजा जाएगा सच बताने वाला पत्र
संघर्ष समिति ने ऐलान किया
कि विधानसभा सत्र शुरू होने
से पहले प्रदेश के
सभी विधायकों को एक पत्र
भेजा जाएगा जिसमें बताया जाएगा कि कैसे झूठे
आंकड़ों, भय और गुप्त
एजेंडे के आधार पर
बिजली का निजीकरण थोपा
जा रहा है।
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