सावन की महाशिवरात्रि पर काशी में बरसी शिवकृपा
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा,
भक्ति में डूबे श्रद्धालु, गूंजा “हर-हर महादेव”
मंदिर प्रांगण
में
मौजूद
श्रद्धालु
इस
पल
को
अपने
जीवन
की
सबसे
दिव्य
अनुभूति
बता
रहे
थे
हजारों की
संख्या
में
मौजूद
श्रद्धालु
जब
अपने
सिर
पर
फूलों
की
वर्षा
महसूस
कर
रहे
थे
भाव-विभोर
श्रद्धालु
हाथ
जोड़कर
बाबा
को
नमन
करते
रहे
और
इस
अलौकिक
दृश्य
को
अपने
कैमरों
और
हृदय
में
कैद
करते
गए
सुरेश गांधी
वाराणसी. सावन की पावन शिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी एक बार फिर भक्ति, दिव्यता और आस्था के चरम पर पहुंच गई। एक ओर तडके से ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा, वहीं दूसरी ओर शिवरात्रि के विशेष अवसर पर जब हेलीकॉप्टर से मंदिर परिसर पर पुष्पवर्षा हुई, तो मानो आकाश से स्वयं देवता आकर इस पुण्य घड़ी का स्वागत कर रहे हों। यह आयोजन वाराणसी जिला प्रशासन और काशी विश्वनाथ धाम विशेष क्षेत्र विकास परिषद् के सहयोग से हुआ।
मंगलवार रात्रि से ही श्रद्धालु
बड़ी संख्या में श्री काशी
विश्वनाथ धाम पहुंचने लगे
थे। जैसे-जैसे रात्रि
गहराती गई, वैसे-वैसे
मंदिर प्रांगण में आस्था का
ताप और शिवभक्ति की
गूंज बढ़ती गई। महाशिवरात्रि
की अलौकिक बेला पर बुधवार
को सुबह दस बजे
हेलीकॉप्टर से श्री काशी
विश्वनाथ मंदिर परिसर पर भव्य पुष्पवर्षा
की गई। गुलाब, गेंदा
और अन्य सुगंधित फूलों
की वर्षा ने भक्तों को
भावविभोर कर दिया। मंदिर
की ऊंचाइयों से गिरते फूलों
के साथ जैसे बाबा
स्वयं भक्तों पर कृपा की
वर्षा कर रहे हों।
श्रद्धालु “हर हर महादेव“
के जयघोष के साथ झूम
उठे।
मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालु
इस पल को अपने
जीवन की सबसे दिव्य
अनुभूति बता रहे थे।
हजारों की संख्या में
मौजूद श्रद्धालु जब अपने सिर
पर फूलों की वर्षा महसूस
कर रहे थे, भाव-विभोर श्रद्धालु हाथ जोड़कर बाबा
को नमन करते रहे,
और इस अलौकिक दृश्य
को अपने कैमरों और
हृदय में कैद करते
गए। सुबह से ही
बाबा दरबार में दर्शन और
जलाभिषेक के लिए भक्तों
की लंबी कतारें लगी
थीं। जब पुष्पवर्षा शुरू
हुई, तो ऐसा लगा
मानो स्वयं स्वर्ग से देवगण बाबा
के चरणों में श्रद्धा अर्पित
कर रहे हों।
पुष्पवर्षा के दौरान मंदिर
परिसर में विशेष रुद्राभिषेक
और मंत्रोच्चार हो रहा था।
चारों ओर घंटे-घड़ियालों
की ध्वनि, भक्तों के जयकारे और
आकाश से गिरते फूल
यह दृश्य काशीवासियों और देशभर से
आए श्रद्धालुओं के लिए जीवन
भर की स्मृति बन
गया। काशी की महाशिवरात्रि केवल
एक तिथि नहीं, एक
अलौकिक अनुभूति है। यह काशी
की आत्मा का उत्सव है.
यह वह रात है
जब पूरी काशी जागती
है शिव को पूजती
है, अपने भीतर के
अंधकार को आलोकित करती
है। पुष्पवर्षा जैसे आयोजनों ने
इस वर्ष की शिवरात्रि
को और भी ऐतिहासिक
बना दिया। भक्तों के चेहरे पर
भाव, हाथों में गंगाजल और
कंठ में “हर हर
महादेव”, यही है काशी
की पहचान।
मतलब साफ है
बाबा विश्वनाथ की नगरी ने
एक बार फिर सिद्ध
कर दिया कि जहाँ
श्रद्धा है, वहाँ शिव
हैं। काशी शिव की
है, शिव काशी के
हैं और यह संबंध
शाश्वत है। जब एक
पूरी रात कोई समाज
जागकर ‘शिव’ की साधना
करता है, तो वह
समाज केवल धर्म नहीं,
संस्कृति का रक्षक बनता
है। सावन की यह
महाशिवरात्रि भी उसी परंपरा
का जीवंत प्रमाण रही। शिव की
उपासना केवल मुक्ति का
मार्ग नहीं, जीवन की समझ
है और काशी से
केदारनाथ तक, यही शिवरात्रि
की सबसे बड़ी शक्ति
है।
दर्शन-पूजन के बीच गूंजते रहे मंत्र
महाशिवरात्रि के अवसर पर
चारों प्रहरों में विशेष रात्रिकालीन
पूजन होगा. मंदिर प्रशासन की देखरेख में
पंडितों ने विधिवत रुद्राभिषेक,
महामृत्युंजय जाप और रात्रि
जागरण की तैयारी की
है। पूजन के चार
प्रहरों का समय इस
प्रकार रहा : प्रथम प्रहरः 23 जुलाई, रात 7ः26 से
10ः06. द्वितीय प्रहरः रात 10ः06 से 24 जुलाई,
12ः46. तृतीय प्रहरः 24 जुलाई, 12ः46 से सुबह
3ः27 व चतुर्थ प्रहरः
सुबह 3ः27 से 6ः07
बजे तक है। हर
प्रहर में हजारों भक्तों
ने जल, दूध, बेलपत्र,
धतूरा और पंचामृत से
बाबा का जलाभिषेक करेंगे.
लेकिन सुबह से ही
मंदिर की गूंजती घंटियां,
मंत्रोच्चार और भक्तों की
आस्था ने पूरी काशी
को शिवमय कर दिया। हर
प्रहर में रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक,
पंचामृत स्नान और महामृत्युंजय जाप
होगा. मंदिर प्रांगण में विद्वानों द्वारा
शिव तांडव स्तोत्र, रुद्राष्टाध्यायी, लघुरुद्र और शिवमहिम्न स्तोत्र
का पाठ किया जायेगा.
शिवभक्ति में लीन काशीवासियों और श्रद्धालुओं का जनसैलाब
महाशिवरात्रि को लेकर पूरे
वाराणसी में उत्सव का
माहौल है. गंगा घाटों
से लेकर मंदिर की
गलियों तक हर दिशा
में शिवभक्ति का रंग चढ़ा
हुआ है. सुबह होते-होते बाबा दरबार
में उमड़ी श्रद्धालुओं की
भीड़ इतनी विशाल हो
गई कि दशाश्वमेध घाट
से गोदौलिया तक शिवभक्तों की
कतारें देखी गईं। बिहार,
झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व दक्षिण भारत
से आए कांवड़ियों ने
काशी में रुककर बाबा
को जल अर्पित किया।
गंगा जल लेकर निकले
कांवड़ियों की टोलियों ने
पूरे शहर को शिवभक्ति
की भावना से भर दिया।
सोशल मीडिया पर छाए वीडियो, श्रद्धालु बोले
“ऐसा दृश्य पहले कभी नहीं देखा”
हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा और
दर्शन- पूजन के वीडियो
सोशल मीडिया पर वायरल हो
गए। लोगों ने कहा “काशी
में आज स्वर्ग उतर
आया। फूल बरसे और
मन भीग गया।” कई
जगहों पर बारिश व
कहीं कड़ाके की ध्ूप के
बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या में
कोई कमी नहीं आई।
कांवड़ यात्रा कर शिवालय पहुंचे
लाखों श्रद्धालुओं ने बताया कि
महाशिवरात्रि केवल पूजा नहीं,
एक भावनात्मक यात्रा है आत्मशुद्धि और
परमशक्ति से जुड़ने की।
श्रद्धालु सीमा देवी, जो
इलाहाबाद से आई थीं,
ने कहा “आज बाबा
ने सचमुच कृपा की है।
फूल तो पहले भी
चढ़ाए, लेकिन आज ऐसा लगा
जैसे बाबा स्वयं फूल
बरसा रहे हों।” वहीं
हरियाणा से आए राकेश
शर्मा ने कहा “काशी
दर्शन तो जीवन का
सौभाग्य है ही, लेकिन
पुष्पवर्षा ने इसे स्वर्गिक
बना दिया।”
प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था
जि लाधिकारी सत्येन्द्र कुमार
और पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने स्वयं मंदिर
का भ्रमण कर व्यवस्थाओं का
निरीक्षण किया। मंदिर क्षेत्र में बड़ी संख्या
में पुलिसकर्मी, बम स्क्वायड व
दंगा नियंत्रण बल तैनात किए
गए है। लाउडस्पीकरों से
दिशा-निर्देश, मेडिकल स्टॉल, जलपान केंद्र, और महिला सहायता
डेस्क भी लगाए गए
है।
महाशिवरात्रि
केवल व्रत नहीं, आत्मबल
का संकल्प है
समाजशास्त्रियों
के अनुसार, महाशिवरात्रि जैसा पर्व आधुनिक
समय में भी सामाजिक
संतुलन, संयम और साधना
का पाठ पढ़ाता है।
यह दिन केवल तिथियों
का खेल नहीं, बल्कि
स्वयं को शिवमय बनाने
का प्रयास है। युवाओं, गृहस्थों,
साधकों और साध्वियों कृ
सभी के लिए यह
रात्रि अनंत ऊर्जा का
प्रवेश द्वार है।
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