चकरोड विस्थापन की साजिश पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
प्रशासन और
भूमाफियाओं
की
साठगांठ
का
आरोप
बार-बार
नापी
कराए
जाने
से
नाराज़
ग्रामीणों
ने
दी
जिला
कार्यालय
घेराव
की
चेतावनी,
मुख्यमंत्री
से
निष्पक्ष
जांच
की
मांग
पीड़ित की
तहरीर
पर
मुख्यमंत्री
पहले
दे
चुके
है
जांच
का
निर्देश
वाराणसी. पिंडरा तहसील क्षेत्र में 2011 में नापी कर
बनाए गए चकरोड को
लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है
कि मनरेगा से दो बार
काम होने के बावजूद
प्रशासन बार-बार नापी
कराकर चकरोड को विस्थापित करने
का प्रयास कर रहा है।
ग्रामीणों का कहना है
कि कॉलोनाइजर और भूमाफियाओं के
दबाव में तहसील प्रशासन
बार-बार मापी कराकर
उन्हें परेशान कर रहा है।
ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से
100 नंबर पर शिकायत करते
हुए चेतावनी दी है कि
यदि जल्द निष्पक्ष जांच
नहीं कराई गई तो
वे जिला प्रशासन कार्यालय
का घेराव कर धरना-प्रदर्शन
करेंगे। ग्रामीणों का कहना है
कि मुख्यमंत्री इस प्रकरण की
जांच के आदेश पहले
ही दे चुके हैं,
इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका संदेह
के घेरे में है।
पीड़ित रमेश पाल पुत्र
स्व. अलगु पाल निवासी
बाबतपुर ने कहा कि
“तहसील के अधिकारी भूमाफियाओं
के दबाव में काम
कर रहे हैं। जब
तक निष्पक्ष जांच नहीं होगी,
हम ग्रामीण चैन से नहीं
बैठेंगे।“ ग्रामीणों का आरोप है
कि अधिकारियों ने भू-माफियाओं
के पक्ष में 2011 में
निर्मित चकरोड की जगह बदल
दी है। चौथी बार
मापी कराए जाने से
ग्रामीणों का गुस्सा अब
उबाल पर है। उनका
कहना है कि यदि
प्रशासन ने ग्रामीणों की
आवाज़ नहीं सुनी तो
मजबूर होकर बड़ा आंदोलन
किया जाएगा।
मुख्यमंत्री को सौंपे गए
पत्र में रमेश पाल
का आरोप है कि
वाराणसी के तहसील पिंडरा
स्थित ग्रामसभा बाबतपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग
से सटे सरकारी चकरोड
का स्थान परिवर्तन कर तहसील कर्मियों
द्वारा भू माफियाओं को
लाभ पहुंचाने व अवैध कराने
की नियत से पुराने
अभिलेखों व नक्शे में
हेरफेर किया है। आरोप
है कि तहसील अफसरों
ने भूमाफियाओं की मिलीभगत से
ग्रामसभा बाबतपुर के आराजी संख्या
614, रकबा 0.045 हेक्टेयर की पक्की पैमाइश
वर्ष 2011 में दर्ज चकरोड
को 20 मीटर दूर खिसकाकर
बदल दिया है। जबकि
तत्कालीन जिलाधिकारी वाराणसी के आदेश के
उपरांत ग्रामसभावासियों के आने-जाने
हेतु राजस्व की टीम द्वारा
इस चकरोड़ का निर्माण कराया
गया था। खास यह
है कि मनरेगा योजना
के तहत इस चकरोड
का दो दो बार
मरम्मत भी कराया गया
है। बावजूद इसके वर्तमान तहसील
अफसरों द्वारा स्थानीय भूमाफियाओं व प्रॉपर्टी डीलरों
से लेनदेन करके सालों पुरानी
चकरोड की जमीन को
हड़पने व अवैध कब्जे
की नीयत से चकरोड
का स्थान परिवर्तन किया जा रहा
है।
आरोप है कि
पूर्व में जौनपुर वाराणसी
राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के
अंतर्गत चकरोड़ के किनारे के
खातेदारों को केंद्र सरकार
द्वारा उनके रकबे के
हिसाब से मुआवजा भी
दिया गया है। जिसमें
नक्शा सहित चकरोड व
सभी खातेदारों का रकबा स्पष्ट
किया जा चुका है।
वर्तमान समय में तहसील
कर्मियों द्वारा उच्च अधिकारियों को
गलत व भ्रामक सूचना
देकर अवैध तरीके से
रुपए लेकर पुनः मापी
कराई गई और चकरोड
का स्थान बदलकर दूसरे खातेदारों के जमीन में
चकरोड का हिस्सा बढ़ा
दिया गया है। आरोप
है कि अफसरों के
साथ क्षेत्रीय प्रधान की भी इस
मामले में भूमिका संदिग्ध
है। 15 वर्ष पुराने चकरोड
की दशा एवं दिशा
को बदलने का प्रयास किया
जा रहा है, जिससे
ग्रामसभावासियों एवं खातेदारों में
रोष व्याप्त है। रमेश पाल
ने प्रकरण की जांच कराकर
मुख्यमंत्री से न्याय की
गुहार लगाया है।
ग्रामीणों की मुख्य मांगः
चकरोड
को
पूर्व
निर्धारित
स्थान
पर
ही
रहने
दिया
जाए।
स्वतंत्र
एजेंसी
से
निष्पक्ष
जांच
कराई
जाए।
भूमाफियाओं
और
दोषी
अधिकारियों
के
खिलाफ
सख्त
कार्रवाई
हो।
रमेश पाल, पीड़ित ग्रामीण
“भूमाफियाओं के दबाव में
बार-बार नापी कराई
जा रही है। तहसील
अफसरों की नीयत साफ
नहीं है। हम जल्द
ही जिला कार्यालय का
घेराव करेंगे।“
रामकुमार, स्थानीय ग्रामीण
“हम लोग वर्षों
से इस चकरोड का
इस्तेमाल कर रहे हैं,
मनरेगा से भी काम
हुआ है, फिर क्यों
हटाया जा रहा है?
प्रशासन जवाब दे।“
शिवनाथ सिंह, वरिष्ठ ग्रामीण
“मुख्यमंत्री जांच के आदेश
दे चुके हैं, फिर
भी अधिकारी भूमाफियाओं के इशारे पर
काम कर रहे हैं।
अब आर-पार की
लड़ाई होगी।“
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