Wednesday, 20 August 2025

यूपी में 30 हजार मेगावॉट पार, बिजली की खपत में नया रिकार्ड

बिजली निजीकरण के विरोध में बिजलकर्मी डटे, 266वें दिन भी बुलंद की आवाज

यूपी में 30 हजार मेगावॉट पार, बिजली की खपत में नया रिकार्ड 

निजीकरण विरोधी आंदोलन के बीच संघर्ष समिति की अपील, आपूर्ति निर्बाध रखें

सुरेश गांधी 

वाराणसी. उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग लगातार नए रिकार्ड बना रही है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि 19 अगस्त की रात 1021 बजे प्रदेश में बिजली की खपत 30,251 मेगावॉट तक पहुंच गई। यह अब तक का एक बड़ा आंकड़ा है, जबकि जून माह में सर्वाधिक 31,486 मेगावॉट की मांग दर्ज हो चुकी है। आने वाले अगस्त-सितंबर में बिजली की आवश्यकता इससे भी अधिक रहने की संभावना जताई जा रही है। खास यह है कि समिति के बैनर तले बनारस के बिजलकर्मियों ने मंगलवार को भी बिजली निजीकरण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलंद की। आंदोलनरत कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि निजीकरण का विरोध जारी रहेगा, लेकिन इसके साथ ही उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की असुविधा हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा।

इस स्थिति को देखते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आंदोलनरत बिजली कर्मियों से अपील की है कि वे निजीकरण विरोधी आंदोलन को जारी रखते हुए उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की असुविधा होने दें और निर्बाध आपूर्ति बनाये रखें। पदाधिकारियों ने कहा कि बीते 266 दिनों से आंदोलनरत रहने के बावजूद बिजली कर्मियों ने मई-जून की भीषण गर्मी हो या प्रयागराज महाकुंभ जैसा बड़ा आयोजन, हर मौके पर उपभोक्ताओं तक बिजली की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की। संघर्ष समिति का साफ निर्देश है कि निजीकरण के खिलाफ संघर्ष उपभोक्ताओं को साथ लेकर लड़ा जाएगा। संघर्ष समिति का स्पष्ट निर्देश है कि आंदोलन के कारण उपभोक्ता कठिनाई का शिकार हों। समिति ने घोषणा की कि अगले सप्ताह से केंद्रीय पदाधिकारी प्रदेशव्यापी दौरा करेंगे और अभियंताओं-कर्मचारियों को आंदोलन में अधिक सक्रिय करेंगे।

इसी बीच समिति ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हजारों कर्मियों का जून-जुलाई का वेतन रोक दिया गया है, जबकि उन्होंने पूरी मेहनत से काम किया है। इसे दमनकारी नीति बताते हुए समिति ने चेताया कि चाहे कितना भी दबाव बनाया जाए, आंदोलन निजीकरण वापसी और उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयों की समाप्ति तक जारी रहेगा। संघर्ष समिति ने दो टूक कहा कि यदि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण टेंडर जारी किया गया तो प्रदेशभर के तमाम अभियंता, जूनियर इंजीनियर, संविदा कर्मी और कर्मचारी अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन की राह अपनाएंगे।

यूपी में बिजली खपत का ग्राफ

19 अगस्त, रात 1021 बजे : 30,251 मेगावॉट मांग

जून 2025 : 31,486 मेगावॉट (अब तक की सबसे अधिक)

अगस्त-सितंबर : और बढ़ सकती है मांग (अनुमानित)

खास बातें

266 दिनों से निजीकरण विरोधी आंदोलन जारी

आंदोलनरत रहते भी कर्मियों ने उपभोक्ताओं को दी निर्बाध आपूर्ति

समिति का निर्देश : “संघर्ष जारी रहे, उपभोक्ता परेशान हों

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