“रक्षाबंधन से राष्ट्रबन्धन तक : प्रेम, सुरक्षा और संकल्प“
रक्षाबंधन का पर्व केवल एक बहन द्वारा अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधकर उसकी दीर्घायु और रक्षा की कामना करने तक सीमित नहीं रहा। समय के साथ इस त्यौहार ने सामाजिक, सांस्कृतिक और अब राष्ट्रहित के आयाम भी ग्रहण कर लिए हैं। आज जब देश आत्मनिर्भरता, स्वदेशी उत्पादों और राष्ट्रप्रेम की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है, तब रक्षाबंधन जैसे पर्व भी उस राष्ट्रीय चेतना के वाहक बनते दिख रहे हैं। इसकी एक सशक्त मिसाल है, राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत राखियों की बढ़ती लोकप्रियता। बाजारों में इस बार तिरंगे की थीम पर बनी राखियों की भरमार है। केसरिया, श्वेत और हरे रंग की रंगीन डोरियां, जिन पर ‘वंदे मातरम्’, ‘जय हिन्द’, ‘भारत माता की जय’ जैसे शब्द अंकित हैं, देशभक्ति का संदेश लिए घर-घर पहुंच रही हैं। राखी अब केवल रक्षा का नहीं, राष्ट्रसेवा का भी प्रतीक बन रही है
सुरेश गांधी
रक्षाबंधन अब सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह त्योहार राष्ट्रप्रेम का संदेश भी बनता जा रहा है। देशभक्ति से ओतप्रोत राखियां इस बात का प्रतीक हैं कि हर बहन को अपने भाई से सिर्फ अपनी रक्षा की नहीं, बल्कि राष्ट्र रक्षा और सेवा की भी उम्मीद है। इस साल की राखियां हमें यह याद दिला रही हैं कि जब बहन का प्रेम और देश के प्रति सम्मान एक साथ जुड़ जाए, तो एक साधारण धागा भी राष्ट्र निर्माण का संकल्प बन सकता है। अब जब राखी के त्यौहार में केवल दो ही दिन रह गए हैं, ऐसे में दिल्ली सहित देश भर के बाजारों में राखी के त्यौहार की खरीदी को लेकर भारी भीड़ दिखाई दे रही है, जिससे चारों तरफ़ उत्साह और ऊर्जा का माहौल है.
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के एक अनुमान के मुताबिक़ इस वर्ष देश भर में राखी त्यौहार पर लगभग 17 हज़ार करोड़ रुपए के व्यापार की उम्मीद है. जबकि मिठाई, फल एवं गिफ्ट आदि के रूप में लगभग 4 हजार करोड़ रुपए का भी व्यापार होने की संभावना है.
चीन की बनी हुई कोई भी रखी अथवा त्यौहारों का सामान बाज़ार से पूरी तरह नदारद है. खास यह है कि हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए हमारी सेनाओं ने अपनी अनूठी वीरता एवं शौर्य का प्रदर्शन किया है और राखी वाले दिन 9 अगस्त को ही भारत छोड़ो आंदोलन की तिथि भी है.
इसलिए इस बार राखी त्यौहार पर भावनाओं की डोर और देशभक्ति की थालियों से बाजार सजे हुए हैं और उपभोक्ताओं के लिए खरीदी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
दुकानदारों का कहना है कि इस बार रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के प्रेम का उत्सव नहीं रहेगा, बल्कि यह राष्ट्रप्रेम और आत्मनिर्भर भारत की भावना से भी ओत-प्रोत होगा.मतलब साफ है आज की बहन केवल अपने भाई की व्यक्तिगत सुरक्षा की आकांक्षा नहीं करती, वह यह भी चाहती है कि उसका भाई देश और समाज की रक्षा में भी योगदान दे।
यही कारण है कि ’सेना राखी’, ’तिरंगा राखी’, ’शहीद समर्पित राखी’ जैसी भावनात्मक राखियां भाई-बहन के रिश्ते को एक व्यापक अर्थ प्रदान कर रही हैं। यह बदलाव न केवल हमारे सांस्कृतिक विकास का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि देशप्रेम अब केवल भाषणों और नारों तक सीमित नहीं, बल्कि त्योहारों की आत्मा में भी समाहित हो रहा है।
इस पहलू का एक और प्रेरणास्पद पक्ष यह है कि अनेक महिलाएं और छात्राएं ‘एक राखी सीमा के नाम’ अभियान के तहत देश की सरहदों पर तैनात जवानों को राखियां भेज रही हैं। यह भावना उस अदृश्य लेकिन अटूट बंधन की परिचायक है, जो हर नागरिक को अपने सैनिकों से जोड़ता है।
यह पर्व अब भाई की कलाई तक सीमित नहीं, बल्कि सीमा पर खड़े हर उस वीर के नाम है, जो देश की रक्षा में रात-दिन एक किए हुए है। सरकार और समाज द्वारा ’वोकल फॉर लोकल’ का आह्वान भी इस दिशा में एक सकारात्मक ऊर्जा बनकर उभरा है।
अब राखियां चीन से नहीं, देश के स्वयं सहायता समूहों, महिला कारीगरों और ग्राम उद्योगों से बनकर आ रही हैं। खासकर राष्ट्रभक्ति राखियों के निर्माण में स्वदेशी सामग्री और देशी डिज़ाइन को प्राथमिकता दी जा रही है।
यह पर्व बहनों
को यह अवसर दे
रहा है कि वे
अपने भाइयों को न केवल
प्रेम, बल्कि कर्तव्य, सेवा और राष्ट्रनिष्ठा
का भाव भी अर्पित
करें।
जरुरत है इस पहल को और अधिक व्यापक बनाया जाए। स्कूलों, कॉलेजों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे कार्यक्रमों को बढ़ावा दें, जो रक्षाबंधन को देशभक्ति और सामाजिक उत्तरदायित्व के साथ जोड़ें।
राखी केवल एक धागा नहीं, वह चेतना है जो एक पीढ़ी को राष्ट्रनिर्माण की ओर प्रेरित कर सकती है। आज जब भारत एक नए युग की ओर अग्रसर है, तब ऐसे पर्वों का राष्ट्रमूल्य और भी अधिक हो जाता है। रक्षाबंधन अब केवल एक पारंपरिक परंपरा नहीं, भारत की आत्मा से जुड़े भावों की अभिव्यक्ति बन चुका है, जहाँ एक डोरी, एक श्रद्धा, एक बहन का स्नेह, पूरे राष्ट्र को एकता की माला में पिरो सकता है। या यूं कहे रक्षाबंधन अब बना राष्ट्रबंधन में परिवर्तित हो गया है। यह डोरी अब बंधा राष्ट्रप्रेम में बंध चुकी है। मतलब साफ है रक्षाबंधन अब देशभक्ति का उत्सव बन गया है. अब सिर्फ भाई नहीं, भारत की रक्षा का भी संकल्प है। रक्षाबंधन के इस डोरी में देशभक्ति का धागा लिपटा है, जो एक राखी, एक राष्ट्र, एक संकल्प को साकार कर रहा है। भाई-बहन का यह रिश्ता अब देशभक्ति की डोर से जुड़ गया है, जो रक्षा सूत्र से राष्ट्र सेवा का संदेश दे रहा है।हालांकि बाजार में ट्रेडिशनल और ट्रेंडी राखियों की भी बहार है। इस बार खादी ग्रामोद्योग ने खादी की राखी मार्केट में उतारी है, जिसका नाम रक्षासूत रखा गया है. इसके अलावा इस बार बाजार में राखियों की नई वैरायटी और डिजाइन ने खासा ध्यान खींचा है। परंपरागत राखियों के साथ-साथ फैंसी, इको-फ्रेंडली और कस्टमाइज्ड राखियों का ट्रेंड भी जोरों पर है। शहर के हर छोटे-बड़े बाजार, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और मेले सज चुके हैं। इस रक्षाबंधन पर बाजार में एक खास प्रकार की राखी लोगों का ध्यान खींच रही है, “राष्ट्रप्रेम राखी“, जो देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत है। तिरंगे के रंगों से सजी, भारतीय सेना, स्वतंत्रता सेनानियों और वीर शहीदों की स्मृति को समर्पित ये राखियां न सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते को जोड़ रही हैं, बल्कि उनमें देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा भी भर रही हैं। इस बार बाजार में एलईडी राखी, कार्टून कैरेक्टर राखी, फोटो राखी, रेजिन राखी, डॉल राखी, और एरोमा राखी जैसी आधुनिक डिजाइन वाली राखियों ने बच्चों और युवतियों का ध्यान खूब आकर्षित किया है। बच्चों के लिए स्पाइडरमैन, डोरेमोन, शिवा, बाहुबली और गणेशजी की 3क् राखियों की मांग सबसे अधिक है।
युवतियों में ’नेम राखी’ और ’जेमस्टोन राखी’ का क्रेज भी बढ़ा है, जिसमें भाई का नाम या राशि के अनुसार रत्न लगे होते हैं। वहीं, कुछ स्टॉल्स पर इको-फ्रेंडली बीज राखी, जो राखी बांधने के बाद मिट्टी में बोई जा सकती है और पौधा बन जाती है, वह भी पर्यावरण प्रेमियों को खूब भा रही है। हालांकि आधुनिकता के इस दौर में भी ट्रेडिशनल राखियों की मांग कम नहीं हुई है। कुंदन, रेशम, जरी, जरी-बुट्टा, मोली और चंदन की राखियां, अब भी बड़े भाई-बहनों और बुजुर्गों के बीच लोकप्रिय हैं।
खासकर बनारसी, जयपुरी और राजस्थानी राखियों
की पारंपरिक कारीगरी देखने वालों को आकर्षित कर
रही है। इस बार
राखियों की कीमतों में
थोड़ा इजाफा जरूर हुआ है,
लेकिन वैरायटी इतनी ज्यादा है
कि हर जेब के
लिए विकल्प मौजूद हैं। सामान्य राखियां
₹10 से ₹50 के बीच बिक
रही हैं। डिजाइनर राखियां
₹80 से ₹300 तक मिल रही
हैं। कस्टमाइज्ड और ब्रांडेड राखियों
की कीमत ₹500 से लेकर ₹1200 तक
जा रही है। इको-फ्रेंडली राखियों की कीमत ₹50 से
₹150 तक है। रक्षाबंधन एक
बार फिर भारतीय बाजारों
में उत्सव, प्रेम और भाई-बहन
के रिश्ते की मिठास बिखेरने
आ गया है। नई-पुरानी राखियों के संग आधुनिकता
और परंपरा का संगम देखने
को मिल रहा है।
बाजार में बढ़ती रौनक
और बहनों की चमकती मुस्कान
बता रही है कि
यह त्योहार सिर्फ एक धागा नहीं,
एक भावना है जो रिश्तों
को और मजबूत बनाती
है।
तिरंगा राखियों की बढ़ती मांग
इस बार बाजार में तिरंगे के तीन रंगों, केसरिया, सफेद और हरे रंग से सजी राखियों की एक पूरी रेंज आई है। इनमें कुछ राखियों में ‘जय हिन्द’, ‘वंदे मातरम्’, ‘भारत माता की जय’, जैसे संदेश अंकित हैं, तो कुछ में भारत का नक्शा, अशोक चक्र या भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के प्रतीक चिह्न भी जोड़े गए हैं। कुछ राखियों में राष्ट्रीय ध्वज का ब्रोच लगाया गया है जिसे भाई अपनी शर्ट या कोट पर भी पहन सकता है। कई स्वयंसेवी संस्थाएं और महिला समूह इस साल शहीदों को समर्पित राखियां बना रही हैं। ये राखियां उन वीर सैनिकों के नाम पर समर्पित हैं जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए प्राण न्यौछावर किए। कुछ राखियों पर ‘गर्व है शहीद भाई पर’, ‘सीमा का रखवाला मेरा भाई’, या ‘एक राखी वीर जवान के नाम’ जैसे भावनात्मक संदेश लिखे हैं। इसके साथ-साथ कई बहनें सीमा पर तैनात सैनिकों को राखी भेजने के अभियान में भी शामिल हो रही हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब व महाराष्ट्र के कई स्कूलों और कॉलेजों ने भी “एक राखी सीमा के नाम” अभियान चलाया है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी देशभक्ति राखियों की धूम

बाजार में बिक रही कई राखियां स्थानीय महिला उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और कारीगरों द्वारा बनाई गई हैं, जिससे “महिला सशक्तिकरण” और स्थानीय उद्योग को भी प्रोत्साहन मिल रहा है.
भारत में अब उपभोक्ता त्योहारों को गर्व और आत्मसम्मान के साथ मना रहे हैं, और “मेक इन इंडिया” को हर घर तक पहुंचा रहे हैं. इस वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन न केवल पारंपरिक पर्व है, बल्कि यह “व्यापारिक अवसर”, “राष्ट्रीय गौरव” और “सांस्कृतिक धरोहर” को भी जोड़ने जा रहा है. व्यापारी समुदाय
महिलाओं और युवतियों में दिखा उत्साह
रक्षाबंधन की खरीदारी को लेकर महिलाएं खासा उत्साहित हैं। कई महिलाएं राखी के साथ भाई के लिए गिफ्ट हैंपर, मिठाई के डिब्बे, चॉकलेट्स और सूखे मेवों के पैक भी ले रही हैं। युवतियां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से भी राखियों की खरीद कर रही हैं, जहां उन्हें घर बैठे डिलीवरी और कस्टमाइजेशन का विकल्प मिल रहा है।
राधिका श्रीवास्तव, जो वाराणसी के पांडेयपुर की निवासी हैं, कहती हैं, “इस बार मैंने अपने भाई के लिए नेम-पर्सनलाइज्ड राखी मंगवाई है। साथ ही राखी के साथ एक खास मेमोरी फोटो फ्रेम भी खरीद रही हूं। हर साल कुछ नया देना अच्छा लगता है।“अमेज़न, फ्लिपकार्ट, मीन्त्रा, आईजीपी और फर्न्स एंड पेटल्स जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर राखियों की बिक्री में बीते वर्ष की तुलना में 25-30 फीसदी की वृद्धि देखी जा रही है।
वहीं कई प्रवासी भारतीय बहनें विदेश में रह रहे भाइयों को राखी भेजने के लिए ऑनलाइन सेवाओं का सहारा ले रही हैं।
डोरेमॉन व रुद्राक्ष राखियों की धूम
जहां तक बाजार
में बिक रही राखियों
के कीमत की बात
है तो महज 10 रुपए
से शुरू होकर 500 रुपये
तक की राखियां मिल
रही है. खासतौर पर
लाइट राखी, डोरेमॉन राखी, रुद्राक्ष राखी, रेशम राखी और
भैया भाभी राखी, वीरा
राखी के साथ ही
चमकीली लाइट वाली सहित
अन्य राखियां मार्केट में इस बार
आई हैं.
दुकानदारो का कहना है कि इस बार सबसे खास तौर पर स्पेशल राखी बाजार में आई है. जिसमें लाइट राखी से लेकर डोरेमॉन और स्पेशल राखियां हैं.
जिसकी कीमत 50 रुपए से लेकर 80 रुपए तक है.यहां पर कई अच्छी-अच्छी विभिन्न वैरायटी की राखी दी जा रही हैं. बच्चों के लिए सबसे खास तौर पर कार्टून राखी दी जा रही है. यहां 50 रुपए से लेकर 80 रुपए तक की स्पेशल राखी उपलब्ध है. उनके पास सबसे खास तौर पर रुद्राक्ष राखी है. जिसमें तरह-तरह की वेराइटियां हैं.
रुद्राक्ष राखी की कीमत
40 रुपए से शुरू है.
वहीं सबसे स्पेशल में
स्टोन राखी है. जिसकी
कीमत 500 रुपए तक की
है. इन राखियों में
और भी राखियां है
जो कि स्टोन वाली
राखी 300 रुपए 500 रुपए तक है.
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