Monday, 30 April 2018

बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्म शरणं गच्छामि... की गूंज

बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्म शरणं गच्छामि... की गूंज
सुबह श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, शाम को बुद्ध मंदिरों में जगमगाएं दीपों की श्रृंखला 
सुरेश गांधी 
शहर हो देहात, सारनाथ हो या बोधगया या कुशीनगर से लेकर सोमवार को दुनियाभर में भगवान गौतम बुद्ध की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही
है। हर जगह बुद्धं शरण गच्छामि, धम्म शरणं गच्छामि... की गूंज सुनाई दे रही है। वैदिक ग्रंथों के अनुसार भगवान बुद्ध नारायण के अवतार हैं, उन्होंने 2500 साल पहले धरती पर लोगों को अहिंसा और दया का ज्ञान दिया था। बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 50 करोड़ से अधिक लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। इसी वजह से हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है।सुबह से लेकर देर शाम तक जगह-जगह बुद्ध पूजा व वंदना, संगोष्ठी, भंडारा, दीक्षा समारोह, धम्म सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। धम्म यात्रा निकाली गयी। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की। बुद्ध मंदिरों में सुबह से लेकर देर रात तक रौनक रही। श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। समारोह का मुख्य आकर्षण बुद्ध चित्र प्रदर्शनी, बौद्ध विद्वान व भिक्खुओं का अभिभाषण, सांस्कृतिक कार्यक्रम (बुद्ध एकांकी, नृत्य, कविता, संगीत का भव्य प्रदर्शन) सामूहिक भंडारा रहा। शाम में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत बुद्ध एकांकी, नृत्य, कविता, संगीत का प्रदर्शन किया गया। 
भगवान बुद्ध ने चार आर्यसत्य बताए हैं जिसके माध्यम से मनुष्य को जीवन जीने की प्रेरणा दी है। दुख है। दुख का कारण है। दुख का निवारण है। दुख निवारण का उपाय है। महात्मा बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया और संन्यास ले लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुद्ध जयंती के मौके पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इसके बाद कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि मौजूदा वक्त में विश्व को बचाने के लिए बुद्ध का करुणा प्रेम का संदेश काम आ सकता है और इसके लिए बुद्ध को मानने वाली शक्तियों के सक्रिय भूमिका निभानी होगी। पीएम मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध कहते थे कि किसी के दुख को देखकर दुखी होने से ज्यादा बेहतर है कि उस व्यक्ति को उसके दुख को दूर करने के लिए तैयार करो, उसे सशक्त करो। उन्होंने कहा कि इस बात की खुशी है कि हमारी सरकार करुणा और सेवाभाव के उसी रास्ते पर चल रही हैं जिस रास्ते को भगवान बुद्ध ने हमें दिखाया था। सारनाथ और बोधगया में बुद्ध की धरोहर संरक्षित करने वाली संस्थाओं को वैशाख सम्मान मिलने पर पीएम मोदी ने बधाई दी। उन्होंने कहा हम गर्व से कह सकते है कि भारत से निकली हर विचारधारा ने मानवहित को सर्वोपरि रखा। उन्होंने कहा कि बुद्ध के विचारों ने नवचेतना जगाने के साथ-साथ एशिया के कई देशों के राष्ट्रीय चरित्र को बुद्ध के विचार ही परिभाषित कर रहे हैं। बुद्ध का अर्थ बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हिंसा के लिए प्रेरित मन को शुद्ध स्थिति में लाना ही बुद्ध है। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म, भाषा और लिंग के आधार पर मनुष्य और मनुष्य के भीतर भेद करने का संदेश न भारत का हो सकता है, न बुद्ध का हो सकता है, धरती पर इस विचार के लिए जगह नहीं हो सकती। 

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