‘मोदी’ की ‘कर क्रांति’ से ‘विपक्ष चित’
नरेंद्र मोदी सरकार
के केंद्रीय मंत्री
पीयूष गोयल ने
2019 का बजट पेश
कर दिया है।
कई नई योजनाओं
का ऐलान किया
गया तो किसानों
से लेकर व्यापारियों
व आम गरीब
जनमानस को कर
से मुक्त रखा
गया है। आयकर
छूट की सीमा
ढाई लाख से
बढ़ाकर 5 लाख किया
गया है। मतलब
साफ है लोकसभा
चुनाव से पहले
सवर्ण आरक्षण के
बाद यह मोदी
सरकार का दूसरा
सबसे बड़ा दांव
है। इ दांव
के आगे विपक्ष
न सिर्फ हताश
निराश दिखा, बल्कि
दुहाई दे रहा
है कि यह
सिर्फ और सिर्फ
जुमला बजट है।
ऐसे में बड़ा
सवाल तो यही
है क्या मोदी
की कर क्रांति
से विपक्ष का
बजट गड़बड़ा गया
है? क्या मोदी
बजट में 2019 की
झलक दिखती है?
क्या मोदी की
यह कर क्रांति
2019 में सत्ता दिलायेंगी? क्या
2019 के आखिरी ओवर में
यह मोदी का
सिसक्र है? क्या
इस बजट देश
की राजनीति रामराज्य
आने वाला है?
क्या बजट से
जय जवान, जय
किसान, जय आम
इंसान के जीवन
में अच्छे दिन
लायेगा? क्या बजट
की इस बाजी
से 2019 में जनता
मोदी को ही
चुनेगी? जैसे सवाल
हर शख्स क
जुबान पर है
औ हर कोई
जानना चाहता है
इसका उत्तर
सुरेश
गांधी
फिरहाल, जब केंद्रीय
मंत्री पीयूष गोयल संसद
में बजट भाषण
पढ़ रहे थे
तो कांग्रेस अध्यक्ष
राहुल गांधी के
चेहरे पर मायूसी
नजर आई। चूंकि
वे लगतार किसानों
की कर्जमाफी, युवाओं
को रोजगार के
बीच झूठ की
बुनियाद पर राफेल
घोटाला उठाकर मोदी सरकार
को चौतरफा घेरने
की नीति अपनाएं
हुए थे लेकिन
इस आखिरी बजट
के आखिरी ओवर
में मोदी ने
सिक्सर मारकर उनके सपनों
पर पानी फेर
दिया है। खासतौर
से तब जब
कुछ ही महीने
में देश में
आम चुनाव होने
हैं। हालांकि लोकसभा
चुनाव के मुहाने
पर खड़ी मोदी
सरकार इस बजट
में कई लोकलुभावन
वादे किए हैं।
इसमें किसानों के
खाते में कैश
ट्रांसफर, 5 लाख तक
की आय वालों
को टैक्स में
माफी के साथ-साथ असंगठित
क्षेत्र के मजदूरों
को पेंशन संबंधी
कई बड़े ऐलान
से आम जनमानस
गदगद है। या
यू कहे चुनाव
से पहले बजट
में किसान, कामगार
और मध्यम वर्ग
पर मोदी सरकार
मेहरबान है। किसानों
के लिए ‘प्रधानमंत्री
किसान सम्मान निधि’ (प्रधानमंत्री
किसान योजना) और
कामगारों के लिए
’प्रधानमंत्री योगदान श्रम योगी
मानधन’ की घोषणा
की है। शायद
इसीलिए इस बजट
को केंद्र सरकार
का दूसरा ’सर्जिकट
स्ट्राइक’ बताया जा रहा
है। जिससे विपक्ष
की बोलती बंद
है।
यह अलग
बात है कि
इस बजट में
केंद्र की मोदी
सरकार ने 5 लाख
तक की आय
पर टैक्स से
छूट, लघु एवं
सीमांत किसानों के खाते
में सीधे कैश
ट्रांसफर की घोषणा
करते हुए बताया
इससे सरकार के
खजाने पर 75,000 करोड़
का अतिरिक्त भार
पड़ेगा। हालांकि सरकार ने
इसके लिए धन
का आवंटन मात्र
चालू वित्तीय वर्ष
के लिए किया
है। वहीं केंद्र
सरकार ने असंगठित
क्षेत्र में मजदूरों
के लिए नई
पेंशन स्कीम की
भी घोषणा की
है। जिसके तहत
100 रुपये प्रतिमाह प्रीमियम के
भुगतान पर 60 साल की
आयु के बाद
उन्हें 3000 रुपये प्रतिमाह पेंशन
देने का ऐलान
किया गया है।
यह सब ऐसी
योजनाएं हैं, जिनका
बोझ आने वाली
सरकार को उठाना
पड़ेगा। खास बात
यह है कि
लोकसभा चुनाव के बाद
जो नई सरकार
बनेगी नियमतः उसे
ही इस बजट
पेश को चलाएं
रखना होगा। या
यूं कहे मोदी
सरकार ने अपने
इस बजट में
इतनी बड़ी घोषणाएं
करके जो दांव
खेला है उसे
आने वाली सरकार
द्वारा पलटने के लिए
इससे भी बड़ी
लकीर खींचनी होगी।
मसलन 5 लाख तक
की आय को
टैक्स के दायरे
से बाहर रखने
का फैसला मध्यम
वर्ग के लिए
बड़ी राहत की
खबर है। इस
फैसले को पलटने
के लिए आने
वाली सरकार को
इससे भी बड़ी
घोषणा करनी होगी।
इसी तरह किसानों
का मुद्दा हाल
के दिनों इतना
संवेदनशील हो चला
है कि उनके
हित में किए
गए छोटे से
छोटे फैसले को
छेड़ना आग में
हाथ झुलझाने के
समान होगा।
कहा जा
रहा है कि
नरेन्द्र मोदी सरकार
के सर्वस्पर्शी बजट
में किसान, श्रमिक,
असंगठित क्षेत्र के मजदूर
व मध्यम वर्ग
का खास ख्याल
रखा गया है।
जिसका सर्वाधिक लाभ
यूपी, बिहार, मध्य
प्रदेश जैसे राज्य
को मिलेगा, जहां
91 प्रतिशत लघु व
सीमांत किसान हैं। वर्ष
2019-20 में 75 हजार करोड़
रुपये खर्च कर
दो हेक्टेयर तक
जोत वाले देश
के 12 करोड़ किसानों
को सरकार उनके
खाते में 6-6 हजार
रुपये देगी। जहां
जोत का औसत
आकार 0.84 हेक्टेयर है। इसी
प्रकार पशुपालन व मत्स्यपालन
के किसानों को
किसान क्रेडिट कार्ड
(केसीसी) की तर्ज
पर चार प्रतिशत
ब्याज पर मिलने
वाले कर्ज का
लाभ भी सर्वाधिक
इन्हीं राज्यों को होगा।
आयकर की सीमा
2.5 लाख रुपये से बढ़ा
कर पांच लाख
रुपये करने से
मध्य वर्ग के
लोगों को बड़ी
राहत मिली है।
कहा जा सकता
है यह बजट
नए भारत के
निर्माण की दिशा
में बढ़ाया गया
सार्थक और सशक्त
कदम है। आजादी
के बाद पहली
बार किसी सरकार
ने ग्रामीण भारत
की अर्थव्यवस्था, आधारभूत
संरचना एवं कृषि
के लिए मनरेगा,
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना,
प्रधानमंत्री आवास योजना,
आजीविका के लिए
राशि में वृद्धि
की है। मोदी
सरकार सबका साथ
सबका विकास की
मुहिम के तहत
समाज की अंतिम
कतार में बैठे
लोगों तक विकास
का लाभ पहुंचा
रही है। रोटी-कपड़ा-मकान
और किसान मोदी
सरकार की प्राथमिकता
हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खु
कहते है इस
बजट में किसान
उन्नति से लेकर,
कारोबारियों की प्रगति
तक, इनकम टैक्स
से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर
तक, हाउसिंग से
लेकर हेल्थ केयर
तक, इकोनॉमी को
नई गति से
लेकर न्यू इंडिया
के निर्णाण तक,
सभी का ध्यान
रखा गया है।
महिलाओं की सुरक्षा
और सशक्तिकरण मिशन
के लिए 1330 करोड़
रुपये आवंटित किए
हैं। इस बार
महिला सुरक्षा और
सशक्तिकरण मिशन में
साल 2018-19 के मुकाबले
174 करोड़ रुपए की
बढ़ोतरी की गई
है। बजट में
रेल के यात्री
किराए एवं माल
भाड़ा शुल्क में
कोई बढ़ोतरी नहीं
की गई। बजट
में रेलवे के
लिए 1.58 लाख करोड़
रुपये की राशि
का आवंटन किया
गया जो कि
रेलवे के लिए
अब तक की
सबसे बड़ी वार्षिक
पूंजीगत खर्च योजना
है। दरअसल नए
ऐलान के अनुसार
नौकरी-पेशा लोगों
के लिए राहत
का ऐलान हुआ।
इसमें 5 लाख रुपये
तक की कमाई
वाले लोग टैक्स
फ्री होंगे। टैक्स
स्लैब में कोई
बदलाव नहीं हुआ
है यानी कि
5 लाख से ज्यादा
कमाई वाले लोगों
के लिए अब
भी राहत ढाई
लाख तक की
ही हैं। लेकिन
जिनकी आय 5 लाख
से नीचे है
उनके लिए राहत
5 लाख तक है।
वर्तमान स्लैब के अनुसार
ढाई से 5 तक
लाख रुपये तक
की कमाई पर
5 फीसदी आयकर देना
पड़ता था। ये
नियम 5 लाख से
ज्यादा कमाई वालों
के लिए जारी
रहेगा। यानी जिनकी
आमदनी 5 लाख रुपये
से ज्यादा है,
उन्हें पुराने टैक्स स्लैब
के अनुसार टैक्स
देना ही पड़ेगा।
नए ऐलान
से पहले 5 लाख
रुपये तक की
आदमनी पर 5 फीसदी
आयकर देना पड़ता
था। अगर किसी
की कमाई ढाई
लाख रुपये से
ज्यादा थी, तो
उसे साढ़े 12 हजार
रुपये तक टैक्स
चुकाना पड़ता था।
यानी अब कम
से कम ढाई
लाख से 5 लाख
रुपये तक आमदनी
वालों को सालाना
कम से कम
साढ़े 12 हजार रुपये
की बचत होने
वाली है। इसके
अलावा पिछले बजट
में लाए गए
स्टैंटर्ड डिडक्शन की सीमा
भी मोदी सरकार
ने 40 हजार रुपये
से बढ़ाकर 50 हजार
रुपये कर दिया
है। यही नहीं,
40000 रुपये तक की
ब्याज आय पर
अब कोई टीडीएस
नहीं देना होगा।
जिन किसानों के
पास दो हेक्टयर
तक जमीन है
उन्हें हर साल
6 हजार रुपए दिया
जाएंगे। इसके जरिए
देश के कमजोर
और छोटे किसानों
को बड़ी राहत
मिलेगी ताकि किसानों
की आर्थिक हालत
में सुधार हो
सके। इससे देश
के 12 करोड़ किसान
परिवारों को लाभ
मिलेगा। इससे सरकार
पर कुल 75 हजार
करोड़ रुपए का
खर्च बढ़ेगा। ’यह
योजना एक दिसंबर
2018 से लागू होगी।’ इस तरह से
किसानों के खाते
में ’पीएम किसान
सम्मान निधि’ योजना की पहली
किस्त 31 मार्च
2019 तक की अवधि
में भुगतान कर
दिया जाएगा। ये
वही समय होगा
जब लोकसभा चुनाव
का शोर देश
भर में होगा।
दरअसल सरकार को
इसके लिए किसानों
के लिए अलग
से खाते खोलने
की कोई अवश्यकता
नहीं होगी। जनधन
योजना के जरिए
किसानों के खाते
पहले से ही
खुले हुए हैं
और वो आधार
से लिंक भी
हैं। ऐसे में
सरकार के लिए
बहुत ज्यादा माथा-पच्ची करने की
भी बहुत ज्यादा
अवश्यकता नहीं होगी।
मोदी सरकार किसानों
की आमदनी 2022 तक
दोगुनी करने के
लक्ष्य को लेकर
चल रही है।
इससे पहले मोदी
सरकार ने आम
बजट 2018-19 में किसानों
को उनकी फसलों
की लागत का
डेढ़ गुना न्यूनतम
समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने
की घोषणा की
थी। इतिहास में
पहली बार सभी
22 फसलों की लागत
का कम से
कम 50 फीसदी अधिक
एमएसपी निर्धारित किया गया
है।
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