विकास से जीतेंगे आजमगढ़वासियों का दिल : निरहूआ
‘दुलहिन रहे बीमार,
निरहुआ
सटल
रहे...’
जैसे
सुपहरहिट
गाने
के
बूते
लोगों
के
दिलों
में
राज
करने
वाले
भोजपुरी
सीने
स्टार
दिनेश
लाल
यादव
‘निरहुआ‘ का कहना है
कि
चुनाव
हारे
हैं
जंग
नहीं।
उनका
मकसद
आजमगढ़
के
विकास
का
है
और
विकास
के
लिए
जरुरी
नहीं
है
कि
वे
सांसद
बने।
बगैर
किसी
पद
के
भी
विकास
किया
जा
सकता
है।
वे
आजमगढ़
के
विकास
के
साथ-साथ
उनके
हर
दुःख-सुख
में
सरीक
रहेंगे।
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
एवं
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी
का
उन
पर
आर्शीवाद
है।
उनके
ही
हाथों
शीघ्र
ही
आजमगढ़
विश्व
विद्यालय
की
स्थापना
होगी।
तमसा
नदी
के
दियारा
में
पक्के
पुल
की
आधारशिला
रखी
जायेगी
और
वाराणसी-आजमगढ़-गोरखपुर
रेल
यातायात
का विस्तारीकरण
कर
आवागमन
शुरु
कराया
जायेगा।
प्रधानमंत्री
के
निर्देशन
में
एक्सप्रेस
वे
का
काम
तेजी
गति
से
चल
रहा
है।
इसके
अलावा
वे
आजमगढ़
में
हर
वो
काम
करायेंगे,
जो
उसे
स्मार्टसीटी
बनाने
में
कारगर
होंगे।
निरहुआ
का
मानना
है
कि
जिस
तरह
हार
के
बाद
भी
स्मृति
ईरानी
पांच
साल
तक
अमेठीवासियों
के
कंधा
से
कंधा
मिलाकर
चली।
उनके
हर
दुःख-सूख
का
साथी
बनी,
विकास
कराई,
वैसे
ही
वे
आजमगढ़
के
साथ
रहकर
विकास
के
जरिए
उनका
दिल
जीतने
का
काम
करेंगे
सुरेश गांधी
लोकसभा चुनाव 2019 में
आजमगढ़ सीट सबसे
दिलचस्प रही। इस
सीट पर मुख्यमंत्री
रहे अखिलेश यादव
से भोजपुरी सिने
सटार दिनेश लाल
यादव उर्फ निरहुआ
का मुकाबला था।
निरहुआ ने अपने
दमदार प्रचार प्रसार
व सोहरत के
जरिए देशभर का
ध्यान अपनी ओर
आकर्षित किया। लेकिन इस
सीट से 2014 में
जीते सपा मुखिया
मुलायम सिंह यादव
से भी अधिक
वोट पाकर भी
निरहुआ जीत नहीं
पाए। सीनियर रिपोर्टर
सुरेश गांधी से
बातचीत में निरहुआ
ने आजमगढ़ को
संदेश दिया है
कि आप हम
पर भरोसा रखिए,
आगे भी यही
जज़्बा कायम रहेगा।
मैंने हमेशा कहा
है कि यह
हक और विकास
के बीच की
लड़ाई है। इसके
लिए निरहुआ हारकर
भी आपके साथ
रहकर आपके मन
को जीतने का
प्रयास करेगा। जन-हित
के मुद्दों पर
निरहुआ आपके साथ
कंधा से कंधा
मिलाकर चलेगा। आपने जिस
तरह तमाम मुश्किलों,
धमकियों आदि का
सामना करते हुए
निरहुआ का साथ
निभाया है उससे
बहुतों को प्रेरणा
मिली है। आपको
अपनी यह भूमिका
आने वाले समय
में भी निभानी
है। क्योंकि संघर्ष
ही एक दिन
जीत का कारण
बनेगा। निरहुआ का मानना
है कि जिस
तरह हार के
बाद भी स्मृति
ईरानी पांच साल
तक अमेठीवासियों के
कंधा से कंधा
मिलाकर चली। उनके
हर दुःख-सूख
का साथी बनी,
विकास कराई, वैसे
ही वे आजमगढ़
के साथ रहकर
विकास के जरिए
उनका दिल जीतने
का काम करेंगे।
निरहुआ ने कहा
आजमगढ़ से मेरा
हारना दुर्भाग्यपूर्ण था
लेकिन आजमगढ़ में
हमारा संघर्ष अभी
खत्म नहीं हुआ
है। लोकसभा सीट
जीतने के बाद
ही यह संघर्ष
खत्म होगा। यहां
की जनता की
मुझसे बहुत उम्मीदें
हैं जिन पर
खरा उतरने की
वह कोशिश करेंगे।
मौजूदा सांसद अखिलेश से
आजमगढ़ के लोग
कोई उम्मीद नहीं
रखते। एक सवाल
के जवाब में
निरहुआ ने कहा
कि अखिलेश ने
सैफई को स्वर्ग
बनाया लेकिन अपने
पिता के संसदीय
क्षेत्र में मुख्यमंत्री
रहते कोई काम
नहीं किया। जहां
तक विकास का
सवाल है तो
आजमगढ़ की जनता
से जान चुकी
है ये लोग
जीतते तो हैं
लेकिन अपने संसदीय
क्षेत्र में आते
नहीं। उन्होंने कहा
’’आजमगढ़ में लोग
चुनाव जीतने के
लिये आते हैं
और जीतकर निकल
जाते हैं। ऐसे
थोड़े ही चलेगा।
हम लोगों का
सपना है कि
हमारा आजमगढ़ भी
बने-संवरे ताकि
दुनिया देखे। अब जो
लोग खाली जीतने
आते हैं, उन्हें
तो भगाना ही
पड़ेगा।’’ तमसा नदी
के दियारा व
उसके आसपास गांवों
के लोगों का
बरसात में आवाजाही
रुक जाती है।
यह समस्या सालों
से है, लेकिन
किसी ने ध्या
नही नहीं दिया।
अब वे प्रधानमंत्री
व मुख्यमंत्री से
मिलकर पुल बनवाने
का काम करेंगे।
यह पूछे
जाने पर कि
फिल्मी हस्तियां अक्सर अपने
कॅरियर और राजनीति
के बीच तालमेल
नहीं बैठा पाती
है, भोजपुरी स्टार
ने कहा ’’तालमेल
नहीं बैठा पाते
हैं, क्योंकि वे
फिल्म जगत का
मोह नहीं छोड़
पाते, मैं पूरी
तरह यहीं रहूंगा।
एक-दो अच्छी
फिल्में बनानी होंगी तो
यहीं बना लूंगा।
मेरी कोशिश होगी
कि आजमगढ़ को
फिल्म निर्माण का
गढ़ बनाऊं।’’ उन्होंने कहा कि
पूर्वांचल उनका घर
है और वह
यहां की मूल
समस्याओं से वाकिफ
हैं। उनका दर्शक
वर्ग गरीब तबका
है। उसे कहीं
ना कहीं जाति,
धर्म के नाम
पर सिर्फ इस्तेमाल
किया जाता है।
जब उसको सम्मान
देने की बात
आती है तो
हर पार्टी पीछे
हट जाती है।
लेकिन अब वह
इस खाई को
पाटेंगे, उनका हक
दिलाकर रहेंगे। उन्होंने कहा
कि भाजपा एकमात्र
ऐसी पार्टी है
जिसमें लोकतंत्र बाकी है।
इसके साधारण कार्यकर्ता
में भी अगर
क्षमता है तो
वह देश का
प्रधानमंत्री बन सकता
है। सपा बसपा
का गठबंधन न
होता तो अखिलेश
को जमानत बचानी
मुश्किल हो जाती।
पितातुल्य मुलायम सिंह यादव
ने भी जीत
के बाद आजमगढ़
के लिए कुछ
नहीं किया। आजमगढ़
में किसानों की
समस्यायें, बेरोजगारी और विकास
का अभाव हैं।
सड़क से
लेकर बिजली, पानी,
शिक्षा जैसी समस्याएं
सुरसा की मुंह
की तरह बाएं
खड़े है। कैंसर
से कराह रहे
लोगों को मुंबई
का चक्कर लगाना
पड़ता है। मेडिकल
व इंजिनियरिंग कालेज
के अभाव में
छात्रों को बड़े
शहरों की ओर
रुख करना पड़ता
है। लेकिन सत्ता
की चाह में
बाप-बेटे यहां
से चुनाव तो
जीते लेकिन किया
कुछ नहीं। यहां
के युवाओं को
पढ़ाई के बाद
सिविल सेवा की
तैयारी के लिए
प्रयागराज, दिल्ली, लखनऊ जाना
पड़ता है। या
यूं कहे उच्च
शिक्षा के लिए
किसी न किसी
बड़े शहर में
जाना पड़ता है।
आजमगढ़ में रहकर
पढ़ने के लिए
पूर्वांचल विश्व विद्यालय, जौनपुर
का सहारा लेना
पड़ता है। इंजिनियरिंग
व मेडिकल पढ़ाई
का भी यही
हाल है। जो
सक्षम है उनकी
कोशिश यही रहती
है कि उनके
बच्चे आजमगढ़ से
बाहर किसी इंजिनियरिंग
व मेडिकल कालेज
की डिग्री हासिल
करें। पढ़ाई के
बाद रोजगार के
लिए भी न
कल कारखाने है,
न उद्योग है,
न व्यवसाय। यह
अलग बात है
कि कागजों में
आजमगढ़ की विकासरुपी
फसल खूब लहलहा
रही है। विकास
के दावे करती
अखिलेश यादव की
लम्बी फेहरिस्त है,
पर असल तस्वीर
इससे इतर है।
अरसे बाद
सठियाव चीनी मिल
की स्थापना तो
हुई लेकिन वो
इतनी अत्याधुनिक बन
गयी कि उसकी
मशीनों के बीच
ज्यादा लोगों के काम
की जरुरत ही
नहीं हैं। काम
की तलाश में
बनारस, मुंबई, गुजरात दिल्ली,
लखनऊ सहित सात
समुंदर पार खाड़ी
देशों में दशकों
पहले आजमगढ़ के
युवाओं का शुरु
हुआ पलायन आज
भी जारी है।
बिजली, पानी के
अभाव में गन्ना
किसान इसकी खेती
से पूरी तरह
हतोत्साहित व विमुख
हो चुके है।
गन्ना के अभाव
में करोड़ों की
लागत से बना
चीनी मिल भी
सफेद हाथी साबित
हो रहा है।
सस्ता व बेहतर
इलाज के लिए
अस्पताल है ही
नहीं, जो है
उनमें कहीं योग्य
व विशेषज्ञ चिकित्सक
नहीं है तो
कहीं ऑपरेशन थियेटर
नहीं है। बड़ी
घटना के दौरान
इलाज के लिए
उन्हें दुसरे शहरों पर
निर्भर रहना पड़ता
है। साड़ी बुनकरों
का भी हाल
खस्ता है, वाजिब
मेहनताना न मिलने
से वे भी
कर्ज के बोझतले
दबकर कराह रहे
है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी द्वारा एक्सप्रेस
वे के उद्घाटन
से लोगों में
थोड़ी उम्मींद जरुर
जगी है कि
इसके जरिए आजमगढ़
की समस्याएं, आम
नागरिकों के मुद्दे
जरुर लखनऊ दिल्ली
पहुंचेंगे।
गाजीपुर के ठेठ
गाँव में पले
बढ़े निरहुआ अपने
सुपरहिट गानों के बूते
मायानगरी मुम्बई से होते
हुए दुनिया के
ढेरों मुल्कों में
स्टेज शो के
जरिए लाखों-करोड़ों
दिलों की धड़कन
के बाद अब
राजनीति में है।
उनका दावा है
कि पूरा आजमगढ़
ही मेरा है।
चाहे वह हिंदू
हो या मुस्लमान
हो, चाहे वो
कोई दलित हो
या पिछड़ा हो
कोई भी हो,
सारे उनके साथ
हैं। जिस तरह
से आजमगढ़ की
धरती पर बनी
उनकी पहली फिल्म
पूरी दुनिया में
हिट रही, उसी
तरह राजनीति में
भी वे कुछ
ऐसा करेंगे, जिसे
लोग याद रखेंगे।
इस दौरान आजमगढ़
के लोगों ने
जो प्यार दिला
वह दिल में
आखिरी सांस तक
अमिट रहेगी। आजमगढ़
में मेरे सबसे
ज्यादा सहयोगी है, जिसके
कारण सबसे ज्यादा
फिल्में यहीं बनाईं।
यहां की जनता
ने कलाकारी के
दौरान जो प्यार
दिया, उसके चलते
ही अखिलेश यादव
सरकार ने यशभारती
पुरस्कार दिया, तो कई
अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी
सम्मानित किया गया।
भोजपुरी अल्बम ‘निरहुआ सटल
रहे‘ से ‘निरहुआ‘ को अपार प्रसिद्धि
मिली थी। दरअसल
उनकी यह गाना
युवा पीढ़ी पर
कटाक्ष करता था
जो माँ-बाप
की बजाय बीवी
पर ज्यादा ध्यान
देते थे। मगर
उनकी अलग-अनोखी
आवाज और जबरदस्त
संगीत ने इसे
चौराहे-चौराहे तक लोकप्रिय
कर दिया और
उस साल शादियों
में बैंड वालों
ने भी इसकी
धुन बजाना शुरू
कर दिया। इनकी
दो फिल्मों ‘निरहुआ
चलल ससुराल-3‘ और
‘निरहुआ चलल अमेरिका‘ ने इन्हें रातों रात
सुपर स्टार बना
दिया। यह बिग
बॉस शो के
भी कंटेस्टेंट रह
चुके हैं।
गौरतलब है निरहुआ
की भोजपुरी फिल्म
‘निरहुआ रिक्शावाला‘ यूपी-बिहार
के साथ पश्चिम
बंगाल में काफी
हिट रही थी।
इस फिल्म में
उनके एक-एक
डायलॉग पर धुआंधार
तालियाँ बजती थी-
खासकर ‘जे ना
गरीब संगे करी
इन्साफ हो, रहेला
निरहुआ बस ओकरे
खिलाफ हो।‘ फिरहाल, पिछले
दो दशक में
उजाड़ हो चले
आजमगढ़ के उद्योग-धंधों को नया
जीवन देकर बेरोजगार
हो रहे युवाओं
को मुख्य धारा
में वापस लाने
की चुनौती से
लड़ निरहुआ को
बड़ा मुकाम बनाना
होगा। हालांकि युवाओं
को भरोसा है
कि आने वाले
दिनों में आजमगड़
के विकास को
रफ्तार मिलेगी। उन्हें यहां
की हर दर्द
व पीड़ा का
एहसास है। जल्द
ही आजमगढ़ की
रंगत बदलती हुई
दिखेगी। युवाओं का भरोसा
अगर हकीकत में
बदल तो एक
बार फिर आजमगढ़
में बंद पड़े
कारखानों में कल-कल की
आवाज गूंजेगी। निरहुआ
को एक साथ
शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास के
साथ युवाओं के
रोजगार पर भी
ध्यान देना होगा
और आजमग़ के
हर सुख-दुख
में साथ खड़ा
होना होगा।
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