घोटाले और विवादों में फंसी ‘भदोही मार्ट’
हाल के
फर्श
पर
जमा
हो
गया
है
घूटने
भर
बरसात
का
पानी
दो सौ
दस
करोड़
की
इस
प्रॉजेक्ट
में
करोड़ों
रुपये
के
घोटाले
का
आरोप
कालीन निर्यातको
ने
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
को
पत्र
भेज
कर
किया
उच्चस्तरीय
जांच
की
मांग
सुरेश गांधी
भदोही।
दो सौ दस
करोड़ की लागत
से बनी भदोही
मार्ट की बिल्डिंग
विवादों में फंस
गई है। मानक
के अनुरुप काम
न होने से
यह बिल्डिंग पहली
बारिश भी नहीं
झेल पायी। उसके
छत न सिर्फ
टपकने लगे है,
बल्कि में
भी रिसाव हो
गया है। फर्श
पर घूटनेभर जहां
तहां पानी लग
गया है। आरोप
है कि तत्कालीन
संचालक मंडल की
मिलीभगत एवं कमीशनखोरी
में ठेकेदार ने
नियमों को ताक
पर रखकर निर्माण
कराया है। साथ
ही समय सीमा
पूरा होने के
बाद भी बिल्डिंग
का निर्माण कार्य
आधी अधूरी पड़ी
है। बिजली व
पानी कनेक्शन एवं
फिनिशिंग का काम
भी अपूर्ण है।
आलम ये है
कि निर्माण के
तीन साल बाद
भी बिल्डिंग कारपेट
इंडस्ट्री के लिए
सफेद हाथी साबित
हो रहा है।
कालीन निर्यातकों एवं
उससे जुड़े संगठनों
ने इस प्रोजेक्ट
में करोड़ों रुपये
की घोटाले व
कमीशनखोरी का आरोप
लगाते हुए मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ को
पत्र भेंजकर उच्चसतरीय
जांच कराने की
मांग की है।
खास बात यह
है कि घपलों
घोटाले के आरोपों
से घिरी इस
बिल्डिंग को लेकर
भदोही में सियासत
भी गरम है।
चर्चा है ि
कइस भवन निर्माण
से संबंद्ध रखने
एवं तत्कालीन सरकार
के चहेतों ने
एक से दो
करोड़ तक की
कमीशन ली है।
गौरतलब है कि
भदोही 2015 में अखिलेश
सरकार में दो
सौ दस करोड़
की लागत से
भदोही मार्ट का
निर्माण कार्य शुरु कराया
गया। मंशा थी
कि इस बिल्डिंग
में कारपेट एक्स्पों का आयोजन कराया
जायेगा। लेकिन निर्माण के
तीन साल बाद
भी बिल्डिंग का
फिनिशिंग अभी नहीं
हो पाया है।
खास बात यह
है कि तब
से अब तब
इसकी क्या स्थिति
है, अफसरों ने
इस बात का
जायजा ही नहीं
लिया है। राजधानी
में बैठे अधिकारियों
ने बिल्डिंग का
अधिसूचना एवं टेंडर
कराकर कालीन निर्यात
संवर्धन परिषद (सीईपीसी) को
सौंप दिया है।
लेकिन सीइपीसी अपनी
कमेटी की विजिट
रिपोर्ट में निर्माण
कार्य पूर्ण न
होने की बात
कहकर शासन को
कई बार पत्र
भेजा। इसके बावजूद
संबंधित विभाग व मंत्रालय
बिल्डिंग में कारपेट
फेयर लगाने का
दबाव बनाती रही।
साथ में आश्वन
भी दिया कि
समय पर निर्माण
कार्य पूरा हो
जायेगा। इसी बीच
हाल ही में
दो दिनों की
बारिश में बिल्डिंग
की छते टपकने
लगी। दीवारों में
रिसाव होने लगा।
फर्श पर घुटनेभर
पानी लग गया।
शीशे के दरवाजे
चिटक गए हैं।
इसकी खबर जब
जब निर्यातकों को
लगी तो हड़कंप
मच गया। निर्यातकों
का आरोप है
कि जब बिल्डिंग
का अभी यह
हाल है तो
आगे क्या होगा।
बिल्डिंग में फेयर
लगाना या किसी
आयोजन के लिए
उसमें जाना जान
जोखिम में डालने
के बराबर है।

इस दौरान उन्होंने पाया
कि बिल्डिंग में
अभी भी बिजली,
पानी की आपूर्ति
नहीं है। फर्श
जगह जगह टूटे
पडे है। इसके
अलावा लगभग 300 स्टाल
लगाने के लिए
प्रर्यात जगह भी
नहीं है। हालांकि
प्रदेश सरकार के निर्देश
पर भदोही मार्ट
को 10 वर्ष के
लिए लीज पर
उद्योग निदेशालय ने सीईपीसी
का चयन किया
है। लेकिन मार्ट
की फिनिशिग आदि
कार्य पूरा ना
होने से निदेशालय
ने बिल्डिंग को
अभी सीईपीसी को
नहीं सौंपा है।
मतलब साफ है
अब खामिया सार्वजनिक
होने के बाद
अक्टूबर माह में
होने वाले कालीन
मेले का आयोजन
भदोही मार्ट में
होना संभव नहीं
दिख रहा है।
अभी तक कार्यदाई
संस्था द्वारा मार्ट का
काम भी पूरा
नहीं किया जा
सका है।
बारिश
ने तो मार्ट
की दशा ही
खराब कर दी
है। ऐसे में
उन कमियों को
पूरा करने में
कार्यदाई संस्था को अभी
और भी समय
लगेगा। यही वजह
है कि कालीन
निर्यात संवर्धन परिषद सीईपीसी
अभी मार्ट के
काम को पूरा
होने में समय
लगेगा, की बात
कह रही है।
ऐसे में उनके
द्वारा वाराणसी में कालीन
मेले का आयोजन
किया जा सकता
है। सीईपीसी की
अपील पर 85 फीसदी
से अधिक निर्यातको
ने मेल भेज
कर मेला बनारस
मे ही कराने
की इच्छा भी
जताई है। सीइपीसी
सूत्रों की मानें
तो मेला तिथि
की घोषणा एक
सप्ताह में किया
जा सकता है।

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