यूपीया की डिमांड : वाराणसी में ही लगे इंडिया कारपेट एक्स्पों
कहा, भदोही
में
नहीं
है
आयातकों
व
निर्यातक
के
रुकने
की
व्यवस्था
सुरेश गांधी
वाराणसी। अंग्रेजी में
एक कहावत है
कि ’फर्स्ट इम्प्रेशन
इज लास्ट इम्प्रेशन।’ या यूं कहे
अगर आप किसी
आयोजन या व्यापार
या इक्सिविसन की
शुरुआत करने जा
रहे हैं और
शुरुआत में ही
आपको लेकर आपके
उत्पादों की खरीदारी
में कोई गलत
इम्प्रेशन न बने,
इसके लिए जरुरी
है कि सामने
वाले की हर
सुविधा का ख्याल
या ध्यान रखना
बेहद जरूरी है।
लेकिन जब आप
उसे पहली विजिट
में ही उसका
मन खिन्न कर
देंगे तो हो
सकता है वो
दोबारा विजिट से कतराएं।
जबकि आपके उत्पाद
की गुणवत्ता अंतर्राष्ट्रिय
स्तर की है।
कुछ ऐसा ही
इन दिनों भदोही
में इंडिया कारपेट
एक्स्पों को लेकर
है। नवनिर्मित भदोही
मार्ट में कारपेट
फेयर लगे या
ना लगे, को
लेकर पूरे कार्पेट
इंडस्ट्री में हायतौबा
मचा है।
इस बाबत
वाराणसी के इस्टर्न
यूपी इम्पोर्टर एसोशिएसन
या पूर्वांचल निर्यातक
संघ यूपीया के
अध्यक्ष जुनैद अहमद अंसारी
ने कहा कि
भदोही में कारपेट
फेयर लगाने से
सात समुंदर पार
से आने वाले
मेहमानों के ठहरने
व आवागमन जैसी
सुविधाओं का खास
ख्याल रखना पड़ेगा।
जबकि भदोही में
पर्याप्त मात्रा में ठहरने
के लिए ना
ही होटल है
और ना ही
चलने के लिए
अच्छी सड़के है।
वहां जाम की
बड़ी समस्या है।
बिजली का कोई
शेड्यूल नहीं है।
दिन रात बिजली
आती जाती रहती
है। ऐसे में
भदोही में कारपेट
फेयर किसी भी
दशा में नहीं
लगाया जा सकता।
श्री अंसारी ने
कालीन निर्यात संवर्धन
परिषद (सीईपीसी) को पत्र
भेजकर भदोही मार्ट
में इंडिया कारपेट
ना लगाने की
अपील करते हुए
कहा है कि
फेयर वाराणसी में
उपयुक्त है।
श्री अंसारी
ने कहा कि
इक्स्पों भारत ही
नहीं बल्कि दुनिया
का सबसे बड़ा
एक्स्पों या यूं
कहे कालीन खरीदारी
का प्लेटफार्म बन
चुका है। इस
एक्स्पों में विभिन्न
देशों के ना
सिर्फ साढ़े तीन
सौ से अधिक
आयातक बल्कि लगभग
उतना ही भारतीय
निर्यातक कालीन मेले में
भाग लेते है।
यह संख्या तकरीबन
पांच सौ के
आसपास होती है।
भदोही में इन
आयातकों व निर्यातकों
के ठहरने के
लिए होटल ही
नहीं है। जबकि
वाराणसी व्यापारिक लिहाज से
देश का ट्रेड
मार्केट बन चुका
है। जहां ना
सिर्फ पंच सितारा
होटल से लेकर
यातायात तक सुगम
है बल्कि हवाई
सेवा से भी
लैस है। यही
वजह है कि
वाराणसी में पिछले
एक दशक से
भी अधिक समय
से कालीन निर्यात
संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के
तत्वावधान में आयोजित
होने वाला चार
दिवसीय इंडिया कारपेट एक्सपो
अंतर्राष्ट्रिय एक्स्पों बन चुका
है। इस एक्स्पों
में भारतीय निर्यातकों
को अपने आकर्षक
उत्पादों को दिखाकर
लाखों करोड़ों में
आर्डर लेने का
अवसर होता है।
ऐसे में जब
हम सात समुंदर
पार से आने
वाले विदेशी मेहमान
या खरीदार को
सुविधाएं ही नहीं
दे पायेंगे तो
वह हमसे कैसे
जुड़ेगा। जहां तक
राजनीतिक का सवाल
है व्यवसाय को
इससे दूर ही
रखना चाहिए। हमें
अपना ध्यान उस
तरफ केन्द्रित करना
चाहिए जिससे रेवेन्यू
बढ़ता हो। भदोही
मार्ट में तो
निर्यातकों को स्टॉल
लगाने की ही
बड़ी समस्या है।
वहां ना सिर्फ
जगह की कमी
है बल्कि स्टॉल
की लागत भी
अधिक है, जिसे
निर्यातक वहन नहीं
कर सकता। ऐसी
दशा में निर्यातकों
व आयातकों को
वाराणसी ही सबसे
उपयुक्त होगा। जहां पंचसितारा
होटलों लेकर हर
तरह की सुविधाएं
है।
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