हरियाली तीज पर मिलेगा सुहागन रहने का आशीर्वाद
हरियाली तीज सुहागनों का तैयार हैं। इस त्योहरा में हरे रंग का खासा महत्व है। मां पार्वती की पूजा करने वाली महिलाओं को मां सुहागन रहने का आशीर्वाद देती हैं। इस पावन पर्व की काफी अहमियत है। मान्यता है कि हरियाली तीज के दिन शिव और पार्वती का पुर्नमिलन हुआ था। मां पार्वती के 108वें जन्म में उन्हें भगवान शंकर पति के रूप में मिले। वृक्ष, नदियों तथा जल के देवता वरुण की भी उपासना इस दिन की जाती है। इस त्यौहार के लिए महिलाए 16 श्रृंगार करती हैं
सुरेश गांधी
श्रावण शुक्ल पक्ष
की तृतीया तिथि
को सौभाग्य और
मनचाहे वर की
प्राप्ति के लिए
तीज का त्यौहार
मनाया जाता है।
यही वजह है
कि हरियाली तीज
सुहागिन महिलाओं के लिए
बेहद खास त्यौहार
है। सौभाग्य
के इस त्यौहार
को हिंदू महिलाएं
बड़ी धूम-धाम
से मनाती है।
इस साल महिलाएं
इस त्योहार को
3 अगस्त को मनायेंगी।
इस त्यौहार के
लिए महिलाए 16 श्रृंगार
करती है। सच्चे
मन से मां
पार्वती और भगवान
शंकर की पूजा
करती हैं। यह
पर्व सावन के
महीने में उस
वक्त आता है
जब चारों तरफ
हरियाली छाई होती
है। इसीलिए इस
त्योहार को हरियाली
तीज के नाम
से जाना जाता
है। माना जाता
है कि इसी
दिन मां पार्वती
ने भगवान शिव
को कठोर तपस्या
करके प्राप्त किया
था। वृक्ष, नदियों
तथा जल के
देवता वरुण की
भी इस दिन
उपासना की जाती
है। कुवांरी लड़कियां
यह त्यौहार मनचाहे
वर की प्राप्ति
के लिए मनाती
हैं। अगर किसी
कन्या का विवाह
नहीं हो पा
रहा हो तो
उसे इस दिन
व्रत तथा पूजा
अर्चना करनी चाहिए।
इसके अलावा जिन
महिलाओं का विवाह
हो चुका है
उनको संयुक्त रूप
से भगवान शिव
और पार्वती की
उपासना करनी चाहिए।
इस दिन भगवान
शिव और माता
पार्वती की पूजा
से सारे संकटों
के बादल छट
जाते हैं। सुहागन
महिलाओं को पति
की लंबी आयु
का आशीर्वाद प्राप्त
होता है।
पूजा
विधि
सुबह उठकर
स्नान करने के
बाद मन में
व्रत का संकल्प
लें। सबसे पहले
घर के मंदिर
में काली मिट्टी
से भगवान शिव
शंकर, माता पार्वती
और गणेश की
मूर्ति बनाएं। अब इन
मूर्तियों को तिलक
लगाएं और फल-फूल अर्पित
करें। फिर माता
पार्वती को एक-एक कर
सुहाग की सामग्री
अर्पित करें। इसके बाद
भगवान शिव को
बेल पत्र और
पीला वस्त्र चढ़ाएं।
तीज की कथा
पढ़ने या सुनने
के बाद आरती
करें। अगले दिन
सुबह माता पार्वती
को सिंदूर अर्पित
कर भोग चढ़ाएं।
प्रसाद ग्रहण करने के
बाद व्रत का
पारण करें। इस
दिन प्रातःकाल से
ही उपवास रखना
चाहिए। श्रृंगार करना चाहिए।
श्रृंगार में मेहंदी
और चूड़ियों का
प्रयोग जरूर करना
चाहिए। सायं काल
शिव मंदिर जाकर
भगवान शिव और
मां पार्वती की
उपासना करनी चाहिए।
वहां पर घी
का बड़ा दीपक
जलाना चाहिए। सम्भव
हो तो मां
पार्वती और भगवान
शिव के मन्त्रों
का जाप करें।
पूजा समाप्ति के
बाद किसी सौभाग्यवती
स्त्री को सुहाग
की वस्तुएं दान
करनी चाहिए। उनका
आशीर्वाद लेना चाहिए।
इस दिन काले
और सफ़ेद वस्त्रों
का प्रयोग करना
वर्जित माना जाता
है। हरा और
लाल रंग सबसे
ज्यादा शुभ होता
है। अगर पति
पत्नी के बीच
तालमेल की समस्या
हो तो शिव
जी को पीला
वस्त्र और मां
पार्वती को लाल
वस्त्र अर्पित करें। तालमेल
की बेहतरी की
प्रार्थना करें। इसके बाद
दोनों वस्त्रों में
आपस में गांठ
लगाकर पास में
रख लें। अगर
पति पत्नी को
एक दूसरे से
दूर दूर रहना
पड़ता हो तो
भगवान् शिव को
फूल, बेलपत्र, अबीर
- गुलाल अर्पित करें। मां
गौरी को चांदी
के पात्र में
सिन्दूर अर्पित करें। आपस
में साथ साथ
रहने की प्रार्थना
करें। अर्पित किया
हुआ सिन्दूर नियमित
प्रयोग करें। अगर पति
या पत्नी में
से किसी एक
का स्वास्थ्य बहुत
ख़राब रहता हो
तो सायंकाल शिव
जी के मंदिर
जाएं। शिवलिंग पर
पहले पंचामृत अर्पित
करें। इसके बाद
जल की धारा
अर्पित करें। जीवनसाथी के
स्वास्थ्य के लिए
प्रार्थना करें। अगर कर्ज
की वजह से
समस्या हो रही
हो तो कत्थे
का सूखा टुकड़ा
ले लें। इस
टुकड़े से जमीन
पर सीधी तीन
लकीरें खींचें। इसके बाद
हनुमान जी का
नाम लेकर पैर
से इन तीन
सीधी लकीरों को
मिटा दें। ये
उपाय तीन मंगलवार
को करें। लाभ
होना शुरू हो
जाएगा।
हरे
रंग का है
खासा महत्व
सावन का
पवित्र महीना चल रहा
है। भगवान शिव
की भक्ति की
बयार के साथ
यह माह मौसम
के लिहाज से
भी बेहद सुहावना
होता है। भीषण
गर्मी के बाद
लोगों को बारिश
की रिमझिम फुहारों
से राहत मिलती
है। चारों तरफ
बिखरे प्राकृतिक रंगों
से मन बहुत
प्रसन्न रहता है।
वैसे तो पूरे
सावन माह में
ही प्रकृति की
हरियाली छटा बिखरी
रहती है लेकिन
महिलाएं इस दिन
खासतौर से अपने
श्रृंगार में हरे
रंग को शामिल
करती हैं। महिलाएं
हरी चूड़ियां पहनती
हैं। कुछ रंगों
को हिंदुओं बहुत
ही शुभ माना
जाता है और
हरा रंग उनमें
से एक है।
सावन में हरे
रंग को बहुत
महत्व दिया जाता
है क्योंकि प्रकृति
का रंग हरा
होता है। इस
रंग को जीवन
और खुशियों का
प्रतीक माना जाता
है।
सुहागिन स्त्रियां
हरे रंग की
चूड़ियां अपने पति
की खुशहाली, तरक्की,
दीर्घायु और सेहतमंद
जीवन के लिए
पहनती हैं। वैसे
इस रंग से
दिमाग भी शांत
रहता है और
घर में कलेश
नहीं होता है।
हरा रंग आंखों
को राहत पहुंचाने
वाला होता है।
सावन के महीने
में तो प्रकृति
ही हरियाली की
चादर में लिपटी
होती है। धार्मिक
मान्यतानुसार, सावन में
महिलाएं हरे रंग
की चूड़ियां, वस्त्र
धारण करती हैं
यही नहीं हाथों
में मेंहदी भी
लगाती हैं। दरअसल
यह परंपरा प्राचीनकाल
से चली आ
रही है, जिसके
धार्मिक और वैज्ञानिक
कारण बताए गए
हैं। सावन को
प्रकृति की सौंदर्यता
के महीने के
तौर पर भी
देखा जाता है।
शास्त्रों में स्त्री
को भी प्रकृति
के समतुल्य माना
गया है प्रकृति
की हरियाली की
तरह महिलाओं से
भी जीवन में
उमंग और स्फूर्ति
बनी रहती है।
सावन माह के
दौरान पड़ने वाले
कजरी तीज, हरियाली
तीज और रक्षा
बंधन जैसे त्योहारों
पर महिलाएं मेंहदी
लगाती हैं। इसके
अलावा स्त्रियां हरी
चूड़ियां, वस्त्र और बिंदियों
का भी प्रयोग
करती हैं। दरअसल
इस तरह का
श्रृंगार प्रकृति से नाता
झलकाता है। हरे
रंग को उर्वरा
शक्ति का प्रतीक
माना जाता है।
यह प्रजनन क्षमता
का भी प्रतीक
है। ऐसी मान्यता
है कि सावन
के महीने में
मौसम के प्रभाव
के कारण मनुष्य
पर काम भाव
हावी रहता है।
सावन के महीने
में लगातार बारिश
होने के कारण
वातावरण में नमी
आने से कई
तरह की बीमारियां
फैलने लगती हैं।
हरे रंग को
स्वास्थ्य वर्धक रंग माना
गया है। आयुर्वेद
में इस रंग
को कई तरह
के रोगों के
उपचार में कारगर
माना गया है।
यह भी एक
कारण है कि
सावन में हरे
रंग को श्रृंगार
में शामिल किया
जाता है। वहीं,
धार्मिक ग्रंथों में हरे
रंग को बुध
ग्रह का प्रतीक
माना गया है।
पूजा
का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज के
दिन पूजा का
मुहूर्त शनिवार सुबह 07 बजकर
06 मिनट से शुरू
होगी। वैसे तो
सारे दिन ही
महिलाएं पूजा कर
सकती हैं, लेकिन
शुभ मुहूर्त दोपहर
3 बजकर 31 मिनट से
रात 10 बजकर 21 मिनट तक
रहेगा। इस दौरान
महिलाएं भगवान शिव की
अगर पूजा करेंगे
तो वह बेहद
फलदायी है।
झूला
झूलने का विशेष
महत्व
इस दिन
महिलाएं दिन भर
उपवास रखती हैं।
पति सहित समस्त
घर के सुख,
समृद्धि की कामना
करती हैं। अगर
महिला ससुराल में
है तो इस
दिन खासतौर पर
मायके से उनके
लिए कपड़े, गहने,
श्रृंगार का सामान,
मेहंदी, मिठाई और फल
आदि भेजे जाते
हैं। सावन के
महीने में हर
ओर हरियाली होती
है और प्रकृति
अपना सौंदर्य बिखेर
रही होती है।
ऐसे में इस
दिन महिलाओं के
झूला झूलने का
भी विशेष महत्व
रहता है।
क्रोध
नहीं करनी चाहिए
हरियाली तीज का
नियम है कि
क्रोध को मन
में नहीं आने
दें। इस दिन
विवाहित महिलाओं को अपने
मायके से आईं
शृंगार की वस्तुओं
का प्रयोग करना
चाहिए। माना जाता
है कि जो
कुंवारी कन्याएं इस व्रत
को रखती हैं
तो उनके विवाह
में आने वाली
बाधाएं दूर होती
हैं। व्रत के
दौरान पूरे 16 श्रृंगार
करके भगवान शिवजी
और मां पार्वती
की पूजा की
जाती है। हाथों
में नई चूड़ियां,
मेहंदी और पैरों
में आल्ता लगाना
चाहिए।
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