धारावाहिक विष्णु पुराण के प्रसारण पर किया रोक की मांग
जायसवाल क्लब
सहित
विभिन्न
संगठनों
ने
चेताया
अगर
नहीं
पूरी
हुई
मांग
तो
सुप्रीम
कोर्ट
में
दायर
होगा
याचिका
धारावाहिक में
जायसवाल
समाज
के
कुलदेवता
के
जीवनी
को
विभत्स
तरीके
से
दिखाने
का
आरोप
2003 में भी इसके प्रसारण
पर
रोक
लगा
चुका
है
सुप्रीम
कोर्ट
सुरेश
गांधी
वाराणसी।
जायसवाल क्लब के
राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल
ने सूचना प्रसारण
मंत्री प्रकाश जावेडकर को
पत्र भेजकर दूरदर्शन
पर पुनः प्रसारित
होने वाले धारावाहिक
विष्णु पुराण के प्रसारण
तत्काल रोक लगाने
की मांग की
है। पत्र में
श्री जायसवाल का
आरोप है कि
इस धारावाहिक के
53 से 60वें एपीसोड
में जायसवाल समाज,
कलचूर समाज, कलार,
कलाल व कलार
समाज के कुदेवता
राज राजेश्वर भगवान
सहस्त्रबाहुअर्जुन जी महराज
के चरित्र को
विकृत रूप प्रदर्शित
किया गया है।
जबकि यह सच्चाई
नहीं है।
श्री मनोज
जायसवाल ने बताया
कि भगवान सहस्त्राबाहु
जी महराज विष्णु
भगवान की कठोर
तपस्या करके 10 वरदान प्राप्त
किए और चक्रवर्ती
सम्राट की उपाधि
धारण की। वे
भगवान विष्णु के
24वें अवतार माने
गए हैं। हैहयवंशी
क्षत्रियों में ये
वंश सर्वश्रेष्ठ उच्च
कुल का क्षत्रिय
माना गया है।
चन्द्र वंश के
महाराजा कार्तवीर्य के पुत्र
होने के कारण
उन्हें कार्तवीर्य-अर्जुन कहा
जाता है। वे
इतने वीर थे
कि रावण को
बंधक बनाकर उन्होंने
अपने बच्चों को
उससे खेलने के
लिए दे दिया
था। लेकिन विष्णु
पुराण धारावाहिक में
उनके जीवन चरित्र
को अपमानित तरीके
से दिखाया गया
है। इसके प्रसारण
से कलचुरी, कलार,
ठठेरा, ताम्रकार, कंसारा, कांस्यकार,
कसेरा आदि स्वजातियों
के लोगों की
भावनाओं को ठेस
पहुंचेगी। जबकि राजराजेश्वर
सहस्त्राबाहु जी महराज
को जायसवाल सहित
अन्य अनुसांगिक संगठनें
भगवान के रूप
में पूजती है।
श्री जायसवाल
ने बताया कि
उनका महेश्वर मंडल,
ग्वालियर, नागदा, हापुड, पटना,
भोपाल सहित कई
जगहों पर मंदिर
है, जहां करोड़ों
लोग मत्था टेकते
है। एक अनुमान
के मुताबिक लगभग
17 करोड़ स्वजातिय बंधुओं की
आस्था जुड़ी हुई
है। सहस्त्रार्जुन जी
महाराज के चरित्र
को विकृत रूप
एवं अशोभनीय और
अपमानजनक तरीके से दिखाये
जाने को लेकर
करोड़ों समाज के
लोगों में आक्रोश
है। उन्होंने बताया
कि 2003 में भी
दूरदर्शन के द्वारा
इस धारावाहिक के
प्रसारित होने पर
उस समय पूरे
भारतवर्ष में समाज
के लोगों ने
कठोर आपत्ति की
थी। जनहित याचिका
दायर की गयी
थी। तत्कालीन खंडपीठ
ने संज्ञान लेते
हुए केंद्र सरकार
को नोटिस भेजा
था। इसके बाद
सरकार को धारावाहिक
का प्रसारण स्थगित
करना पड़ा था।
आज एक बार
फिर इस टीवी
धारावाहिक के माध्यम
से देश को
अपमानित करने का
प्रयास किया जा
रहा है। इसे
तत्काल रोकने की जरूरत
है। बता दें,
ज़ी एवं दूरदर्शन
टीवी पर बीआर
चोपड़ा का पुराना
शो ’विष्णु पुराण’ पुनः प्रसारित किया जा
रहा है। इस
शो को पहली
बार साल 2000 में
टेलीकास्ट किया गया
था। ज़ी- टीवी
से पहले यह
डीडी भारती पर
भी प्रसारित हो
रहा है। हाल
ही में दूरदर्शन
डीडी भारती पर
प्रसारित किया जा
रहा है।
No comments:
Post a Comment