जागते हुए मरीज का डॉक्टरों ने की ब्रेन ट्यूमर सर्जरी!
डॉक्टरों का
दावा
है
कि
पहली
बार
जागते
हुए
मरीज
के
दिमाग
का
सफल
ऑपरेशन
किया
गया
सर्जरी में
अवेक
करेनोटॉमी
तकनीक
का
इस्तेमाल
किया
गया
खास यह
है
कि
लगभग
डेढ़
घंटे
तक
चली
इस
सर्जरी
के
दौरान
बीच-बीच
में
सर्जरी
की
टीम
मरीज
से
बातचीत
करती
रही,
ताकि
यह
समझा
जा
सके
कि
ट्यूमर
निकालने
की
प्रक्रिया
के
दौरान
मरीज
को
किसी
तरह
की
क्षति
न
हुई
हो
अस्पताल के
निदेशक
डॉ.
सत्यजीत
प्रधान
ने
इस
उपलब्धि
पर
सर्जरी
में
शामिल
टीम
को
बधाई
दी
है
सुरेश गांधी
वाराणसी। अक्सर देखा गया है कि ऑपरेशन
थियेटर में मरीज और डॉक्टरों की
ऑपरेशन सफल होने तक परिजन हो
या चिकित्सक, सांसे अटकी रहती है। लेकिन महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र, वाराणसी में एक अनोखा चमत्कार
देखने को मिला, जहां
एक 25 वर्षीय मरीज की पूरी तरह
बेहोश किए बिना या यूं कहें
जागते हुए मरीज के दिमाग से
ट्यूमर निकाला गया। डाक्टरों का दावा है
कि हास्पिटल में इस तरह का
यह पहला ऑपरेशन हुआ है. इसी के साथ ही
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र
वाराणसी के स्वास्थ्य जगत
में एक और उपलब्धि
जुड़ गई है.
अस्पताल के निदेशक डॉ.
सत्यजीत प्रधान ने इस उपलब्धि
पर सर्जरी में शामिल एनेस्थीसिया विभाग के असिस्टेंट प्रो.
मोनोतोष प्रमाणिक, न्यूरो सर्जरी विभाग की डॉ. शुभी
दुबे सहित पूरी टीम का हौसलाफजाई करते
हुए कहा है कि अस्पताल
आने वाले सभी कैंसर मरीज को आधुनिक और
गुणवत्तापरक इलाज सुनिश्चि हो, यह हम सभी
की नैतिक जिम्मेदारी है। इस मौके पर
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ
महीनों में कैंसर मरीजों के लिए कई
नई सुविधाओं की शुरुआत हुई
है, जो आने वाले
समय में भी होती रहेगी।
बता दें, आज से पहले
मरीजों को इस तरह
का ऑपरेशन करवाने के लिए प्रदेश
से बाहर जाना पड़ता था, जिस पर 5 से 7 लाख रुपए खर्च होता था. खास बात यह है कि
सर्जरी के बाद से
मरीज की स्थिति स्थिर
है। उसे जल्द ही अस्पताल से
छुट्टी दे दी जाएगी।
अस्पताल के डॉक्टरों ने
बताया कि शल्य चिकित्सा
की भाषा में इस तरह की
सर्जरी को “अवेक क्रेनियोटोमी” कहा जाता है। जिसका साधारण शब्दों में अर्थ है सचेत अवस्था
में ब्रेन सर्जरी को अंजाम देना।
एम.पी.एम.एम.सी.सी. के
न्यूरो सर्जरी विभाग की असिस्टेंट प्रो.
डॉ. शुभी दुबे ने बताया कि
हाल ही में अस्पताल
में 25 वर्षीय एक मरीज आया
था। जांच में ब्रेन ट्य़ूमर की पुष्टि हुई।
हालांकि ट्यूमर ब्रेन के ऐसे हिस्से
में था, जिसे निकालने के लिए मरीज
को सचेत अवस्था में रखना जरूरी था। सभी जरूरी जांच के बाद बुधवार
को मरीज की सर्जरी की
गई। लगभग 1.30 घंटे तक चली इस
सर्जरी के दौरान बीच-बीच में सर्जरी की टीम मरीज
से बातचीत की जाती रही,
ताकि समझा जा सके कि
ट्यूमर निकालने की प्रक्रिया के
दौरान मरीज को किसी तरह
की क्षति न हुई हो।
हालांकि मरीज को सर्जरी के
दौरान दर्द न हो इसलिए
सिर के हिस्से में
“लोकल एनेस्थीसिया” दिया गया था।
डॉ. शुभी ने बताया कि
इस तरह की सर्जरी एम.पी.एम.एम.सी.सी. में
पहली बार की गई है।
साथ ही उत्तर प्रदेश
में इस तरह की
सर्जरी की सुविधा कुछ
ही अस्पतालों में उपलब्ध है। डॉ. शुभी ने बताया कि
मरीज के ब्रेन के
जिस हिस्से में ट्यूमर था। उसके पास ही मरीज के
बातचीत समझने, महसूस करने, हाथ पांव के ताकत, और
गणितीय क्षमता का केंन्द्र था।
हमें यह सुनिश्चित करना
था कि सर्जरी के
दौरान मरीज के इन इलाकों
पर कोई असर न पड़े। अगर
मरीज को बेहोश करके
यह सर्जरी की जाती तो
इन सेंटर्स पर पड़ने वाले
असर का एहसास हमें
नही होता और संभवतः जीवनभर
के लिए मरीज को विकलांगता और
सोचने-समझने की क्षमता में
कमी हो सकती थी।
यही कारण था कि हमने
अवेक क्रेनियोटोमी करने का फैसला किया।
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