गुजरात का विकास व हिंदुत्व बनेगा देश का मॉडल
गुजरात
में
भाजपा
की
ऐतिहासिक
जीत
के
लिए
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
की
सुनामी
है,
तो
योगी
का
हिन्दुत्व
व
बुलडोजर
भी
लोगों
को
भाया।
मतलब
साफ
है
भाजपा
ने
गुजरात
मॉडल
के
रूप
में
हिंदुत्व
और
विकास
का
जो
सब्जबाग
दिखाया,
वो
लोगों
के
दिलों
में
हिट
हो
गया।
देखा
जाएं
तो
182 विधानसभा
सीटों
वाले
गुजरात
में
156 सीटे
जीतकर
भाजपा
ने
पूर्व
के
सारे
रिकॉर्ड
को
मिट्टी
में
मिला
दिया
है।
भाजपा
की
इतनी
बड़ी
जीत
इसलिए
भी
ऐतिहासिक
हो
चुकी
है
कि
वह
लगातार
27 वर्षों
से
राज्य
की
सत्ता
में
है।
इससे
पहले
पीएम
मोदी
के
नेतृत्व
में
वर्ष
2007 में
भाजपा
को
127 सीटों
पर
जीत
मिली
थी।
यह
अलग
बात
है
कि
केजरीवाल
ने
मुकाबले
को
त्रिकोणीय
बनाने
की
बजाय
सीधे
कांग्रेस
के
वोट
को
दो-फाड़
कर
दिया।
इस
कारण
भाजपा
ने
गुजरात
में
सीट
और
वोट
दोनों
का
एक
नया
रिकॉर्ड
स्थापित
कर
दिया।
इसके
अलावा
भाजपा
गुजरात
में
सातवीं
जीत
के
साथ
देश
की
दूसरी
ऐसी
पार्टी
हो
गई
है,
जो
लगातार
किसी
राज्य
में
30 वर्ष
से
अधिक
समय
तक
शासन
का
रिकॉर्ड
बना
रही
है।
अभी
तक
सबसे
लंबे
शासन
का
रिकॉर्ड
माकपा
के
पास
है,
जिसने
पश्चिम
बंगाल
में
लगातार
34 वर्षों
तक
शासन
किया
है
सुरेश गांधी
फिरहाल, गुजरात के इतिहास में
कभी इतना नीचे कांग्रेस का ग्राफ नहीं
रहा। सीट ही नहीं उसका
वोट शेयर भी औंधे मुंह
गिरा है। जबकि 27 साल बाद एक बार फिर
खुले दिल से बीजेपी को
स्वीकार किया गया है. सिर्फ स्वीकार नहीं किया गया है, बल्कि 52.5 फीसदी वोटों के साथ 156 से
भी ज्यादा सीटों वाला एक ऐसा बहुमत
दिया है जो आज
से पहले गुजरात में किसी पार्टी को नहीं मिला.
जहां तक कांग्रेस की
बात है तो 1990 में
उसे 33 सीटें मिली थी, लेकिन इस बार तो
17 सीट पर ही सिमट
गयी। मतलब साफ है इस प्रचंड
जीत ने साबित कर
दिया कि गुजरात में
जो मोदी कहेंगे वही वहां की जनता सुनेगी।
देखा जाएं तो मोदी ने
अहमदाबाद में सबसे लंबा 54 किलोमीटर का रोड शो,
तीन और रोड शो,
साथ ही 31 सभाएं कीं और इन सभी
इलाकों में बीजेपी को जीत मिली
है, लेकिन ये कहना गलत
होगा कि ये सिर्फ
मोदी के दम पर
है। इसमें कहीं न कहीं सीएम
योगी आदित्यनाथ की सभाओं में
बुलडोजर बाबा व हिन्दू हृदय
सम्राट की गूंजती नारों
की भी बड़ी भूमिका
है।
हालांकि हिंदुत्व की अलख गुजरात
की ही धरती से
जगी थी। 2002 के गोधरा दंगों
के बाद भाजपा ने हिंदुत्व के
मुद्दे पर 127 सीटों के साथ ऐतिहासिक
जीत हासिल की थी। फिर
2003 में वाइब्रेंट गुजरात समिट की शुरुआत की।
विकास का नया गुजरात
मॉडल बनाया। फिर राम मंदिर, तीन तलाक और धारा 370 का
खात्मा। या यूं कहे
गुजरातियों को भाजपा ये
समझाने में कामयाब रही कि मुफ्त का
कुछ भी नहीं चाहिए।
फिर भाजपा ने दिल्ली मॉडल
के मुकाबले गुजरात मॉडल की वकालत की
और उसे गुजरात प्राइड से जोड़ दिया।
यानी गुजरात मॉडल को गुजरातियों का
मॉडल बना दिया और परिणाम सामने
है। यह चुनाव ठीक
उस मैच की तरह हो
गया, जब किसी एक
खिलाड़ी ने दूसरी टीम
की जीत की उम्मीदों पर
पानी फेरते हुए अकेले दम पर बड़ी
जीत दिला दे। गुजरात में 27 वर्षों तक सत्ता में
रहने और चुनावी महासमर
में आप के कूदने
के बाद भाजपा भी अंदर ही
अंदर जीत को लेकर आशंकित
हो गई थी। मगर
आखिर में पीएम मोदी की ऐसी सुनामी
चली कि कांग्रेस और
आप हवा में उड़ गए। इससे
प्रधानमंत्री की लोकप्रियता और
गुजरातवासियों का उनके प्रति
लगाव का अंदाजा भी
आसानी से लगाया जा
सकता है।
गुजरात ने यह साबित
कर दिया है कि पीएम
मोदी उस राज्य के
लाडले हैं। वह गुजारत के
गौरव और लोगों के
अभिमान बन चुके हैं।
पीएम मोदी ने 13 वर्षों तक गुजरात के
सीएम रहने के दौरान राज्य
को जिन बुलंदियों पर ले गए
जनता आज भी उनकी
कायल दिखती है। इसलिए
पीएम मोदी के सम्मान में
जनता ने उनकी झोली
में अब तक की
सबसे बड़ी जीत डाल दिया। इसके अलावा भाजपा गुजरात में सातवीं जीत के साथ देश
की दूसरी ऐसी पार्टी हो गई है,
जो लगातार किसी राज्य में 30 वर्ष से अधिक समय
तक शासन का रिकॉर्ड बना
रही है। अभी तक सबसे लंबे
शासन का रिकॉर्ड मार्क्सवादी
कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पास है,
जिसने पश्चिम बंगाल में लगातार 34 वर्षों तक शासन किया
है। माकपा पश्चिम बंगाल में वर्ष 1977 से 2011 तक लगातार सत्ता
में रही। अब भाजपा गुजरात
में लगातार 32 वर्ष तक सत्ता में
रहेगी। वर्ष 2022 में भाजपा का यह रिकॉर्ड
इस मायने में बेहद खास हो गया है।
अगले साल मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव समेत भाजपा शासित राज्यों में ये प्रयोग देखने
को मिल सकता है। साथ ही मोदी-शाह
की जोड़ी पर देश और
भाजपा का विश्वास और
बढ़ा है। इससे 2024 के लोकसभा चुनाव
से पहले भाजपा अपने एजेंडे पर तेजी से
बढ़ेगी।
बता दें, गुजरात में अभी तक सबसे अधिक
सीटों पर जीतने का
रिकॉर्ड कांग्रेस के पास था।
कांग्रेस ने वर्ष 1985 में
माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में
रिकॉर्ड 149 सीटों पर जीत हासिल
की थी। सोलंकी तीन बार गुजरात के सीएम रहे।
इससे पहले वर्ष 1980 में भी कांग्रेस को
141 सीटों पर विजय मिली
थी। मगर भाजपा ने अब 156 से
अधिक सीटें जीतकर कांग्रेस के इस रिकॉर्ड
को तोड़ दिया है। राम मंदिर आंदोलन और आपातकाल के
दौर में भी कांग्रेस को
गुजरात में इतनी करारी हार का सामना नहीं
करना पड़ा था. हालांकि वर्ष 2022 का गुजरात विधानसभा
चुनाव इस बार भाजपा
के लिए बहुत टफ माना जा
रहा था। आम आदमी पार्टी
के मैदान में उतरने से भाजपा, कांग्रेस
और आप के बीच
त्रिकोणीय मुकाबलों के आसार थे।
इसने भाजपा को टेंशन में
डाल दिया था। भाजपा नेताओं को भी चुनाव
से पहले अंदाजा नहीं था कि वह
इतनी बड़ी जीत गुजरात विधान सभा चुनावों में 27 वर्षों तक सत्ता में
रहने के बावजूद हासिल
कर सकती है। मगर अब भाजपा ने
एंटी इन्कंबेंसी की सारी गुंजाइशों
को खत्म करते हुए गुजरात में जीत का सबसे बड़ा
रिकॉर्ड बनाकर कांग्रेस को राज्य में
हासिये पर ला दिया
है। इस चुनाव में
कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर ही सिमट
गयी। इतनी बड़ी हार कांग्रेस की इससे पहले
कभी नहीं हुई थी। गुजरात में वर्ष 1990 के चुनाव में
कांग्रेस को सबसे कम
33 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार कांग्रेस
उस रिकॉर्ड से भी पीछे
रह गई है।
राम मंदिर आंदोलन और आपातकाल में भी कांग्रेस की इतनी दुर्गति नहीं
यह गुजरात में
कांग्रेस का अब तक
का सबसे खराब प्रदर्शन है। वहीं गुजरात में सरकार बनाने का दावा करने
के लक्ष्य से उतरी अरविंद
केजरीवाल की आम आदमी
पार्टी दहाई का आंकड़ा भी
नहीं छू सकी। उसके
सभी बड़े चेहरे भारी अंतर से चुनाव हार
गए। गुजरात में कांग्रेस का सक्रिय नहीं
होना, खरगे के रावण वाले
बयान और आप की
एंट्री को भी भाजपा
की इस बड़ी जीत
का कारण माना जा रहा है।
नाराजगी और गुस्से से
बौखलाये मल्लिकार्जुन खरगे ने अहमदाबाद की
रैली में वो गलती कर
दी जो गुजरात चुनाव
में पूरी कांग्रेस पर भारी पड़
गई। पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस
अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की ’रावण’ टिप्पणी ने गुजरात में
बीजेपी के पक्ष में
काम किया है। जैसे सोनिया गांधी की ’मौत का सौदागर’ तंज
कई चुनावों में गूंजता रहा। जबकि खरगे के बयान के
बाद मोदी ने मध्य गुजरात
के पंचमहल जिले के कलोल तालुका
में अपनी जनसभाओं यह कहकर मुद्दाबना
दिया था कि, खरगे
को मेरी तुलना रावण से करने के
लिए सिखाया गया था, जब कांग्रेस भगवान
राम में विश्वास नहीं करती है। वे राम सेतु
के अस्तित्व को स्वीकार नहीं
करते हैं। यह भगवान राम
को मानने वालों की स्थिति है,
जहां इस तरह के
आरोप लोगों द्वारा कभी स्वीकार नहीं किए जाएंगे। बता दें कि देश की
आजादी के बाद गुजरात
बॉम्बे प्रदेश का हिस्सा हुआ
करता था. एक मई 1960 को
बॉम्बे से महाराष्ट्र और
गुजरात दो नए राज्य
बने. गुजरात में 1960 के बाद से
2022 तक कुल 15वां विधानसभा चुनाव हो रहा है.
और कांग्रेस सबसे करारी हार के मुहाने पर
खड़ी है। 1990 के विधानसभा चुनाव
के दौरान गुजरात में कांग्रेस का सबसे बुरा
प्रदर्शन देखा गया था. तब पार्टी सिर्फ
33 सीटें जीतने में सफल हुई थी. इसके बाद कांग्रेग्रेस की सीटें कुछ
हद तक बढ़ती गईं.
2002 में कांग्रेस को 50, जबकि 2007 में 59 सीटें मिली थीं. 2017 में पार्टी ने 77 सीटें जीती थीं और बीजेपी को
कड़ी टक्कर भी दी थी.
दो दशकों में कांग्रेस ने 2017 में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था. 1962 से लेकर 1976 तक
कांग्रेस ने गुजरात में
एकछत्र राज किया
था, लेकिन उसे पहला झटका आपातकाल के दौर में
लगा और कांग्रेस की
सीटें घटकर 75 पर आ गई
थीं. इससे पहले तक कांग्रेस 100 सीटों
से अधिक पर जीत हासिल
करती रही है. इसके बाद कांग्रेस ने 1980 में दोबारा प्रचंड बहुमत के साथ वापसी
की थी और 51 फीसदी
वोटों के साथ 141 सीटें
जीतने में सफल रही थी. इसके बाद 1985 के विधानसभा चुनाव
में कांग्रेस ने सबसे बेहतर
प्रदर्शन किया था. कांग्रेस 55.55 फीसदी वोटों के साथ 149 सीटें
जीतने में सफल रही थी. कांग्रेस इस चुनाव के
बाद से गुजरात में
लगातार कमजोर हुई है और छह
दशकों में सबसे खराब प्रदर्शन अभी तक 1990 के चुनाव में
रहा था. कांग्रेस 30.75 फीसदी वोटों के साथ महज
33 सीटें ही जीत सकी
थी, लेकिन अब कांग्रेस इससे
भी बुरी हार की ओर बढ़ती
दिख रही है. कांग्रेस की सिर्फ सीटें
ही नहीं बल्कि वोट शेयर भी काफी गिर
गया है.
फायदे में केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद
केजरीवाल के नेतृत्व वाली
आम आदमी पार्टी ने दो दिन
में डबल फायदा हासिल कर लिया है।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश
विधानसभा चुनाव के नतीजों में
हार कर भी अपना
वोट परसेंटेज बढ़ाने में सफल रहे। या यूं कहे
आप ने राष्ट्रीय पार्टी
का दर्जा हासिल कर लिया है।
जिसके बाद देश में राष्ट्रीय दलों की संख्या बढ़कर
नौ हो जाएगी। आप
ने गुजरात में हुए चुनावों में 13 फीसदी वोट हासिल कर लिए हैं।
इससे वह गुजरात में
क्षेत्रीय पार्टी और राष्ट्रीय पार्टी
बन गई है। इसका
ऐलान चुनाव आयोग बाद में कर सकता है।
चुनाव आयोग के अनुसार, कांग्रेस,
बीजेपी, बीएसपी, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, सीपीआईएम और एनपीपी राष्ट्रीय
पार्टी हैं। एनपीपी को राष्ट्रीय दल
का दर्जा साल 2019 में मिला था। आम आदमी पार्टी
दिल्ली, पंजाब और गोवा में
राज्य स्तर की पार्टी यानी
क्षेत्रीय दल का दर्जा
हासिल कर चुकी है।
उसे गोवा में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में 6.8 फीसदी वोट हासिल हुए थे। गुजरात में इस बार आम
आदमी पार्टी भी पूरी तैयारी
के साथ उतरी थी. आप के राष्ट्रीय
संयोजक और दिल्ली के
सीएम अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में
खूब पसीना बहाया. उनकी मेहनत रंग भी लाई. गुजरात
में आम आदमी पार्टी
की एंट्री हो चुकी है.
आप को भले ही
सिर्फ 5 सीटें मिल रही हों, लेकिन 12.09 फीसदी लोगों ने केजरीवाल पर
भरोसा जताया. इसे देखकर साफ है कि पिछले
चुनावों और इस चुनाव
के नतीजों को देखें तो
कांग्रेस का एक बड़ा
वोटवर्ग केजरीवाल के साथ चला
गया है.
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