Tuesday, 7 February 2023

काशी विश्वनाथ धाम बने दुनिया का ’आध्यात्मिक नॉलेज कॉरीडोर’

काशी विश्वनाथ धाम बने दुनिया काआध्यात्मिक नॉलेज कॉरीडोर

वैदिककाल से पुरातन धर्म एवं आस्था की नगरी काशी जिस तरह पुरी दुनिया में विश्व विख्यात है, उसी तरह यहां से पूरी दुनिया में विश्व शांति संदेश को पहुंचाने की जरुरत है। या यूं कहे जिस तरह बाबा विश्वनाथ धाम पूरी दुनिया में जाना जा रहा है, उसी तरह काशी कोआध्यात्मिक नॉलेज कॉरीडोरबनाकर पूरी दुनिया में क्यों विश्व शांति का संदेश दिया जाय। खासतौर से इसकी आवश्यकता तब और बढ़ गयी है जब छोटी छोटी बातों को लेकर एक-दुसरे को विश्व युद्ध की धमकियां दी जा रही है। इस संकल्प के प्रति वचनव़ माईर्स एमआईटी शिक्षा संस्था समूह के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड लगातार प्रयासरत है। वह चाहते है कि संत समागम से निकले शांति अध्यात्म को काशी घोषण पत्र के जरिए पूरी दुनिया को विश्व शांति का संदेश दें

सुरेश गांधी 

       वैदिककाल से पुरातन धर्म एवं आस्था की नगरी काशी जिस तरह पुरी दुनिया में विश्व विख्यात है, उसी तरह यहां से पूरी दुनिया में विश्व शांति संदेश को पहुंचाने की जरुरत है। या यूं कहे जिस तरह बाबा विश्वनाथ धाम पूरी दुनिया में जाना जा रहा है, उसी तरह काशी कोआध्यात्मिक नॉलेज कॉरीडोरबनाकर पूरी दुनिया में क्यों विश्व शांति का संदेश दिया जाय। खासतौर से तब इसकी आवश्यकता और बढ़ गयी है जब छोटी छोटी बातों को लेकर एक-दुसरे को विश्व युद्ध की धमकियां दी जा रही है। यह बातें माईर्स एमआईटी शिक्षा संस्था समूह के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहीं। होटल रमाडा में सोमवार को प्रो. डॉ विश्वनाथ ने बातचीत के दौरान कहा कि माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे के तत्वावधान में तीन दिवसीय ज्ञान-विज्ञान, अध्यात्म और दर्शनशास्त्र आधारित सम्मेलन कराया जायेगा।

     9 से 11 फरवरी तक आयोजित इस सम्मेलन में काशी विश्वनाथ धाम दरबार में दुनियाभर के प्रख्यात धर्म विशेषज्ञ विद्वान भाग लेंगे। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बाबा विश्वनाथ धाम कॉरीडोर दरबार से निकले संतों की शांति अध्यात्म को काशी घोषण पत्र के जरिए पूरी दुनिया में विश्व शांति का संदेश देना है। उन्होंने कहा कि भारत विश्वगुरु बने, इसकी पहली कड़ी विश्व शांति ही है और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार प्रयासरत है। उदाहरण के तौर पर हाल ही में प्रधानमंत्री ने रुस यूक्रेन को खत्म करने की पहल और कोरोना जैसे महामारी के दौरान दुनिया के कई देशों को वैक्सीन देना शामिल है। ग्लोबल लीडर के रुप में उभर रहे मोदी की लोकप्रियता पहल से दावे के साथ कहा जा सकता है कि 21वीं सदी में भारत ज्ञान का दालन एवं विश्व गुरु के रूप में जाना जायेगा और पूरे विश्व को सुख, समाधान और शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा। 

डॉ विश्वनाथ के साथ मंचासीन डॉ योगेन्द्र मिश्रा, मुकेश शर्मा, डॉ मिलिंद पांडे डॉ संजय उपाध्याय ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी को पूरा करने के लिए एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में 9 से 11 फरवरी तक श्री काशी विश्वनाथ धाम में विज्ञान, धर्म- अध्यात्म और दर्शन की 9वीं संसद का आयोजन किया गया है। इसके पहले पिछले  40 वर्षों से दुनिया भर में शांति संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य कर रही है भारतीय संस्कृति परंपरा और दर्शन का विज्ञान और अध्यात्म का सामान्य एक्शन विप्रा बहुधा वदंति वसुधैव कुटुंबकम ऐसे वैज्ञानिक और वैदिक वचन तथागत गौतम बुद्ध के प्रमुख पंचशील सिद्धांत और दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर मावली से विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉक्टर अल्बर्ट आइंस्टीन के इस ज्ञान विज्ञान और आध्यात्मिक यात्रा को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास संस्था कर रही है पिछले 40 वर्षों में हमारी संस्था द्वारा ज्ञाननगरी आलंदी, अमृतसर, अयोध्या, बद्रीनाथ से एक महान ज्ञान आधारित यात्रा निर्बाध रूप से कर रही है। हमारा विश्वास है कि विद्वत नगरी काशी में आयोजित होने वाला यह विश्व सम्मेलन इस सारे काम की परिणिति है। इस सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर 10 सत्रों का आयोजन किया गया है, जिसमें :-

1- विश्व शांति के लिए आध्यात्मिक शास्त्र की वैज्ञानिक प्रयोगशाला दार्शनिक संत श्री ज्ञानेश्वर विश्व शांति गुंबद, पूणे से काशी विश्वनाथ धाम एक आध्यात्मिक ज्ञान यात्रा

2- अद्वैत की अवधारणा को साकार करना विज्ञान का दर्शन

3- दुनिया के सभी तीर्थस्थल वास्तव में ज्ञानतीर्थ हैं

4- विश्व के सभी धर्म ग्रंथ सच्चे अर्थ में जीवन ग्रंथ हैं

5- विज्ञान और अध्यात्म के सामंजस्य ही विश्व में सुख, समाधान और शांति प्राप्त की जा सकती है : स्वामी विवेकानंद

6- विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए सर्वांगीण शाश्वत

7- मन का विज्ञान, पदार्थ की प्रकृति, आत्मा, आत्मा और चेतना, परम सत्य, परम वास्तविकता, सर्व शक्तिमान ईश्वर को समझना चाहिए

8- समग्र रूप से मानव जाति के कल्याण के लिए दर्शन को फिर से परिभाषित करने और इसकी भारतीय और पश्चिमी अवधारणा की व्याख्या करने की आवश्यकता

9- दुनिया में शांति संस्कृति स्थापित करने के लिए मूल्य आधारित बेसिक शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता

10- ओम और योग समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए विश्व को भारत माता की सबसे बड़ी देन

 

ऐसे विभिन्न विषयों पर सत्र आयोजित किए गए हैं। इन सत्रों में भारत तथा विभिन्न देशों के दार्शनिक, वैज्ञानिक बुद्धिजीवी, पर्यावरणविद् ज्ञान आधारित अनुभवजन्य विचार प्रस्तुत करेंगे। उनमें से मुख्य रूप से प्रसिद्ध दार्शनिक और विचारक डॉ करण सिंह, केरल राज्य के महामहिम राज्यपाल डॉ आरिफ मोहम्मद खान, विश्व प्रसिद्ध कंप्यूटर विशेषज्ञ डॉ विजय भटकर, उत्तर प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु, प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ किरण कुमार, चाणक्य मंडल के अध्यक्ष डॉ अविनाश धर्माधिकारी, नॅक के अध्यक्ष डॉ भूषण पटवर्धन, दार्शनिक डॉ बसंत गुप्ता, बिहार के पूर्व पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार, प्रसिद्ध चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ दीपक रानडे, महान विचारक हरिराम त्रिपाठी, डॉ रामविलास वेदांती, श्री जितेंद्र सिंह गायकवाड, आचार्य लोकेश मुनि, स्वामी चिदानंद सरस्वती, श्री फिरोज बख्त अहमद, आर्क बिशप फेलिक्स मचाडो, डॉ एडिशन सामराज, डॉ एलेक्स हैंकी, आनंदी रविनाथन, डॉ हिरु सायोंजी, डॉ राजीव मल्होत्रा शामिल होंगे।

यूनेस्को के चेयर होल्डर, संस्थापक और मुख्य संरक्षक, एमएईईआर के एमआईटी, पुणे प्रेसिडेंट, एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ विश्वनाथ ने कहा कि भारत के दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से पुनर्निर्माण हुआ श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर धाम सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। इसी प्रेरणा के तहत हमारी संस्था द्वारा वैश्विक संसद का आयोजन किया जा रहा है। विश्व शांति को बढ़ावा देने और मानवता के प्रसार के लिए एमआइटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी लगातार वैश्विक संसद का आयोजन करती रही है। उन्हीं में से एक काशी में नियोजित विश्व सम्मेलन है। बता दें माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे द्वारा संत श्री ज्ञानेश्वर माउली की 700वीं संजीवन समाधि को लेकर 1996 में संत, वैज्ञानिकों और दार्शनिकों का पहला विश्व दार्शनिक सम्मेलन हुआ। 1998 में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में दूसरा विश्व दार्शनिक सम्मेलन हुआ, ऐसे आज तकऐतिहासिक विश्व ज्ञान-विज्ञान, अध्यात्म और दार्शनिक सम्मेलनों का आयोजन किया गया। भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस संस्था के जरिए इस तरह के सम्मेलन में संतो वैज्ञानिकों और दार्शनिकों को एक मंच पर लाया जा रहा है।

 

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