माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत
तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए जेल से पहुंचाया गया था मेडिकल कॉलेज
वाराणसी सहित
पूरे
पूर्वांचल
में
धारा
144 लागू,
पुलिस
अलर्ट
सड़क
से
लेकर
मुहल्लों
तक
में
बढ़ायी
गयी
सुरक्षा
व्यवस्था
संवेदनशील इलाकों
में
पुलिस
का
फ्लैग
मार्च
बड़ी संख्या
में
पैरा
मिलिट्री
फोर्स
की
तैनाती
की
गई
डीजीपी मुख्यालय
ने
सतर्कता
बरतने
के
निर्दश
दिए
हैं
सुरेश गांधी
बांदा, वाराणसी।
पूर्वांचल का माफिया डॉन
मुख्तार अंसारी की मौत हो
गई है. मुख्तार अंसारी
बांदा मेडिकल के आईसीयू में
भर्ती कराया गया था. 9 डॉक्टरों
की टीम निगरानी कर
रही थी. बांदा मेडिकल
कॉलेज की ओर से
जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक कार्डियक
अरेस्ट की वजह से
मुख्तार अंसारी की मौत हुई
है। मुख्तार अंसारी पर 65 से ज्यादा मुकदमें
दर्ज थे. 21 सितंबर 2002 को पहली बार
सजा हुई थी. 2 केस
में उम्र कैद की
सजा हुई थी. 17 महीने
में 8 बार सजा हुई
थी. माफिया मुख्तार के परिवार के
सदस्य सहित छोटा बेटा
उमर अंसारी, बड़े बेटे अब्बास
अंसारी की पत्नी निखत
और अफजाल अंसारी व हाईकोर्ट में
मुख्तार अंसारी की पैरवी करने
वाले वकील अजय श्रीवास्तव
देर रात बांदा पहुंचे।
पुलिस के मुताबिक जेल
की बैरक में मुख्तार
अंसारी की तबीयत खराब
होने पर जेल प्रशासन
रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले आया, जहां
उसकी हालत गंभीर बताई
जा रही थी। यहां
मुख्तार के इलाज में
9 डॉक्टरों की टीम लगाई
गई। हालांकि, मुख्तार की जान नहीं
बच सकी। इससे पहले
मंगलवार को उसे मेडिकल
कालेज में भर्ती कराया
गया था। डॉक्टरों ने
कब्ज की समस्या बताई
थी और इलाज के
बाद उसी दिन कारागार
भेज दिया था। बुधवार
को जेल में उसके
स्वास्थ्य का परीक्षण किया
गया था, जिसमें सब
सामान्य मिला था।
मऊ, बांदा और गाजीपुर में धारा 144 लागू
मुहम्मदाबाद मे मुख्तार के पैतृक घर मे लोगों का इकट्ठा होना शुरू हो गया है. मुख्तार के घर के आसपास पुलिस फोर्स तैनात की गई है.गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ पुलिस को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं. सोशल मीडिया में अफवाह, भड़काऊ, या आपत्तिजनक पोस्ट पर कार्यवाई के निर्देश दिए गए हैं. मुख्तार की मौत के बाद मऊ, बांदा और गाजीपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है
.आरोप
60 वर्ष के हो
चुके मुख्तार ने सुनवाई के
दौरान अदालत में आरोप लगाया
था कि जेल में
उसकी हत्या का प्रयास किया
जा रहा है। उसे
खाने में धीमा जहर
दिया जा रहा है,
जिससे उसकी तबीयत बिगड़
रही है। मामले में
एमपी एमएलए कोर्ट ने जेल प्रशासन
से रिपोर्ट भी मांगी थी।
कैसे बना डॉन
मुख्तार के नाम से कांपता था सूबा
रौबदार मूंछों वाला मुख्तार जीवन
के आखिरी पड़ाव पर भले
ही व्हील चेयर पर बैठा
दिखता रहा था, लेकिन
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार
आने के पहले मऊ..और उसके आसपास
के इलाके में मुख्तार अंसारी
की तूती बोलती रही.
अब अंसारी की ठिकानों को
जमींदोज किया जा रहा
हो. मगर, कभी एक
वक्त था जब पूरा
सूबा मुख्तार से कांपता था.
1996 में पहली बार बना था विधायक
वह बीजेपी को
छोड़कर उत्तर प्रदेश की हर बड़ी
पार्टी में शामिल रहा.
यही वजह रही कि
वह 24 साल स.से
लगातार यूपी की विधानसभा
पहुंचता रहा. साल 1996 में
ठैच् के टिकट पर
जीतकर पहली बार विधानसभा
पहुंचने वाले मुख्तार अंसारी
ने साल 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में
भी मऊ से जीत
हासिल की. इनमें से
आखिरी 3 चुनाव उसने देश की
अलग-अलग जेलों में
बंद रहते हुए लड़े
और जीते. राजनीति की ढाल ने
मुख्तार को जुर्म कीकी
दुनिया का सबसे खरा
चेहरा बना दिया था
और हर संगठित अपराध
में उसकी जड़ें गहरी
होती चली गईं.
2002 के बाद बढ़ा खौफ
सियासी अदावत से ही मुख्तार
अंसारी का नाम बड़ा
हुआ. साल 2002 ने मुख्तार की
जिंदगी को हमेशा के
लिए बदल दी. इसी
साल बीजेपी के विधायक कृष्णानंद
राय ने अंसारी परिवार
के पास साल 1985 से
रही गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा
सीट छी ली थी.
यह बात मुख्तार अंसारी
को नागवार गुजरी. इसके बाद कृष्णानंद
राय विधायक के तौर पर
अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर
सके और तीन साल
बाद यानी साल 2005 में
उनकी हत्या कर दी गई.
कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम
का उद्घाटन करके लौट रहे
थे. तभी उनकी गाड़ी
को चारों तरफ से घेर
कर अंधाधुंध फायरिंग की गई. हमले
के लिए ऐसी जगह
को चुना गया था,
जहां से गाड़ी को.चारों तरफ से घेर
कर अंधाधुंध फायरिंग की गई. हमले
के लिए ऐसी जगह
को चुना गया था,
जहां से गाड़ी को
दाएं-बाएं मोड़ने का
कोई रास्ता नहीं था. हमलावरों
ने ।ज्ञ-47 से करीब 500 गोलियां
दागी थीं. इस हमले
में कृष्णानंद राय समेत गाड़ी
में मौजूद सभी सातों लोग
मारे गए थे.इस
हत्याकांड में मुख्तार अंसारी
का नाम सामने आया
था. बाद में इस
केस की जांच यूपी
पुलिस से लेकर सीबीआई
को सौंप दी गई
थी. कृष्णानंद राय की पत्नी
अलका राय की याचिका
पर सुप्रीम कोर्ट ने केस 2013में
गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर
कर दिया. मगर, गवाहों के
मुकर जाने से ये
मामला नतीजे पर न पहुंच
सका. दिल्ली की स्पेशल अदालत
ने इस केस में
साल 2019 में फैसला सुनाते
कहा था कि अगर
गवाहों को ट्रायल के
दौरान विटटनेस प्रोटेक्शन स्कीम 2018 का लाभ मिलता,
तो नतीजा कुछ और हो
सकता था. गवाहों के
मुकर जाने की वजह
से मुख्तार अंसारी जेल से छूट
गया. हालांकि, मुख्तार अंसरी भले ही जेल
में रहा, लेकिन उसका
गैंग हमेशा सक्रिय रहा.
योगी सरकार के आने के बाद शुरू हुए बुरे दिन
योगी सरकार आने
के बाद मुख्तार अंसारी
के बुरे दिन शुरू
हो गए. उस पर
उत्तर प्रदेश में 52 केस दर्ज हैं.
यूपी सरकार की कोशिश 15 केस
में मुख्तार को ज.जल्द
सजा दिलाने की थी. योगी
सरकार अब तक अंसारी
और उसके गैंग की
192 करोड़ रुपये से ज्यादा संपत्तियों
को या तो ध्वस्त
कर चुकी है या
फिर जब्त कर चुकी
है. मुख्तार गैंग की अवैध
और बेनामी संपत्तियों की लगातार पहचान
की जा रही है.
मुख्तार गैंग के अब
तक 96 अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके
हैं. इनमें से मुख्तार के
5 गुर्गों पर गैंगेस्टर एक्ट
में कार्रवाई की जा चुकी
है.
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