वृंदावन-मथुरा के तर्ज पर कान्हा के स्वागत के लिए सजी काशी
रोहिणी नक्षत्र
और
द्वापर
कालीन
योग
में
आज
प्रकटेंगे
भगवान
कान्हा,
घर-घर
गायी
जायेगी
बधाईयां
पहली बार
बाबा
विश्वनाथ
के
साथ
कान्हा
भी
देंगे
दर्शन
सुरेश गांधी
वाराणसी। वृंदावन-मथुरा की तर्ज पर
कान्हा के स्वागत के
लिए भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी
के कृष्ण मंदिर तैयार हैं। यहां झांकियां
देखने के लिए भक्त
उमड़ेंगे। ज्योगेश्वर श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव शास्त्रीय
मर्यादाओं एवं परंपराओं के
अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तदनुसार 26 अगस्त (सोमवार) को मनाया जाएगा.
खास यह है कि
जन्माष्टमी पर दशकों बाद
द्वापर कालीन शुभ संयोग का
निर्माण हो रहा है।
यानी उसी योग में
कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इसी
योग में द्वापर युग
में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ
था।
जन्मोत्सव को भव्य एवं
दिव्य बनाने के लिए सभी
तैयारियां और व्यवस्थाएं मंदिरों
में पूरी की जा
चुकी हैं.रात्रि में
कान्हा के प्रकटने के
साथ ही पंचामृत अभिषेक
होगा। इससे पहले घर-घर बाल स्वरूप
लड्डू गोपाल का विशेष श्रृंगार
करने के साथ भोग
तैयार किया जाएगा। भगवान
के जन्मोत्सव के विभिन्न कार्यक्रम
रविवार से ही शुरु
हो गए है, जो
मंगलवार तक चलेंगे. ऐसे
में भगवान के श्रृंगार, पोषाक,
मंदिर की साज-सज्जा
एवं व्यवस्थाएं नयनाभिराम बनाने के पूरे प्रयास
किए जा रहे हैं.
मंदिरों की साफ-सफाई
के बाद रंगाई-पुताई
व रंग-बिरंगी आकर्षक
विद्युत झालरों से पहले ही
सजाया जा चुका हैं।
राधा गोपाल बनेंगे बच्चे
शहर के विभिन्न
मुहल्लों में सांस्कृतिक कार्यक्रम
और कान्हा ड्रेस कंपटीशन का आयोजन किया
गया है। आयोजकों की
मानें तो सोमवार को
हाथों में बांसुरी, मक्खन
की मटकी, पूर्ण श्रृंगार, मोर पंख और
रंग बिरंगी पोजीसन से सजे बच्चों
की टोली नजर आयेगी।
मतलब साफ है माहौल
में गोकुल और वृंदावन का
दृश्य एक बार जीवंत
होगा।
कैजुअल लुक में नजर आएंगे भगवान लड्डू गोपाल
मंदिरों में भगवान लड्डू
गोपाल और श्रीकृष्ण का
श्रंगार कर उन्हें नए
वस्त्र और आभूषण धारण
कराए जाएंगे। मंदिरों में भी ऑर्डर
देकर विशेष पोशाक तैयार कराई गई है।
घरों में भी श्रद्धालु
लड्डू गोपाल का अभिषेक कर
मयूर पंख और रत्न
जड़ित पोशाक पहनाकर भोग लगाएंगे। श्रद्धालुओं
ने बाजारों में भगवान की
पोशाक, प्रतिमा, झूला, श्रृंगार सहित आदि सामग्री
व भोग आदि के
सामानों की खरीदारी की।
दुकानदारों ने बताया कि
10 से अधिक महिलाओं ने
50 ग्राम से अधिक वजनी
सोने से बने लड्डू
गोपाल अन्य धातुओं के
आभूषणों का आर्डर दिया
है। उनके शोरूम में
ताबा व पीतल सहित
अन्य धातुओं से निर्मित लड्डू
गोपाल की प्रतिमा मौजूद
हैं। भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा की
भी प्रतिमा उपलब्ध है। इसके अलावा
भगवान लड्डू गोपाल के लिए शतरंज
लूडो वह अन्य खेल
सामग्री भी उपलब्ध है।
लड्डू गोपाल की पगड़ी में
सोने चांदी के नग तथा
सुनहरे रंग की बॉर्डर
लगाई गई है। ठाकुर
जी के लिए मौसम
के अनुकूल पोशाक के साथ ही
पार्टी तथा कैजुअल ड्रेस
मुकुट घंअ-घड़ियाल, बंसी,
कुंडल, पायल, व श्रृंगार के
लिए विशेष आभूषण भी उपलब्ध है।
चूड़ी के स्थान पर
लहरिया व चुनरी के
स्थान पर टाई-डाई
प्रिंट वाली पोशाक की
भी मांग है। भक्त
शतरंज और लूडो सहित
अन्य खेल सामग्री की
खरीदी कर रहे हैं।
काशी विश्वनाथ धाम में कान्हा की सजेगी झांकी
काशी में भी
बाबा विश्वनाथ के दरबार में
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव
धूमधाम से मनाया जाएगा.
इसे लेकर श्री काशी
विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने विशेष तैयारी
की है. रात्रि 11ः00
से शुरू होने वाला
उत्सव श्री कृष्ण के
जन्म के साथ ही
आगे बढ़ेगा. भगवान शिव के धाम
में प्रभु श्री कृष्ण का
जन्म होगा. खास बात यह
है कि पहली बार
भक्त बाबा विश्वनाथ के
साथ कान्हा के भी दर्शन
एक साथ कर सकेंगे.
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने
बताया कि हर साल
की तरह इस वर्ष
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव श्री
काशी विश्वनाथ धाम में 26 अगस्त
को मनाया जाएगा. इस पावन पर्व
पर धाम स्थित मंदिर
चौक में श्री लड्डू
गोपाल के अभिषेक एवं
जन्म अनुष्ठान का समारोह आयोजित
होगा. उन्होंने बताया कि जन्मोत्सव का
आयोजन 26 अगस्त की रात्रि 11ः00
बजे से प्रारंभ होकर
मध्यरात्रि पश्चात दिनांक 27 अगस्त को प्रातः 12ः05
तक विधि-विधान पूर्वक
से होगा. जन्मोत्सव के बाद श्रद्धालुओं
को चरणामृत एवं प्रसाद वितरण
किया जाएगा. 27 अगस्त को लड्डू गोपाल
भगवान श्री काशी विश्वनाथ
महादेव की मंगला आरती
में भी सम्मिलित होंगे.
मंगला आरती में आने
वाले श्रद्धालु श्री विश्वेश्वर के
साथ ही लड्डू गोपाल
के भी दर्शनों का
लाभ देंगे. भक्तों को पहली बार
दोनों के एक साथ
दर्शन की सुविधा मिलेगी.
कृष्ण पूजन मुहूर्त
भाद्रपद माह में कृष्ण
पक्ष की अष्टमी तिथि
25 अगस्त की शाम 6ः09
बजे शुष होगी जो
अगले दिन 26 अगस्त की शाम 4.49 मिनट
पर समाप्त होगी। पूजा मुहूर्त देर
रात 12 बजकर एक मिनट
से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद
माह के कृष्ण पक्ष
की अष्टमी तिथि को रोहिणी
नक्षत्र में रात 12 बजे
हुआ था। उस समय
चंद्रमा वृष राशि में
थे संयोग से इस साल
भी जन्माष्टमी पर चंद्रमा वृष
राशि में है और
रोहिणी नक्षत्र में इस बार
कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
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