एक्स्पों में विदेशी खरीदारों को भा रही हाथ का हुनर
एक ही
छत
के
नीचे
हाथ
से
बनी
कालीनों
की
रेंज
मिलने
से
आकर्षित
है
आयातक
सुरेश गांधी
भदोही। अंतरराष्ट्रीय कालीन मेले में सात
समुंदर पार से पहुंचे
खरीदारों को हाथ से
बने विभिन्न रंग-बिरंगी आकर्षक
कालीनें लुभा रही है।
या यूं कहे विदेशियों
के मन पर भारतीय
कालीनें अमिट छाप छोड़
रही है। देशभर से
मेले में आएं निर्यातकों
की लगी स्टॉलों में
सजी कालीनों की कृतियां पहली
झलक में ही इतना
आकर्षण पैदा कर रही
हैं कि वे सिर्फ
कृतियों को निहारने ही
नहीं बल्कि पूछताछ के साथ खरीदारी
भी कर रहे है।
सेंपलो को अपने साथ
लेने जाने से भी
खुद को रोक नहीं
पा रहे हैं।
एक्स्पों मार्ट भदोही में चल रही
कारपेट की हस्तशिल्प प्रदर्शनी
में सजी कालीनें इस
तरह निर्यातकों को प्रभावित कर
रही हैं कि उनके
मुख से बरबस ही
निकल रहा है बहुत
खूब। उन्हें एक ही छत
के नीचे हाथ से
बनी कालीनें मिल रही हैं।
हालांकि मेले में विदेशी
खरीदारों को आकर्षित करने
के लिए निर्यातकों ने
भी कोई कोर कसर
नहीं छोड़ रखी है।
एक से बढ़कर एक
डिजाइन व कलर कांबिनेशन
के साथ यूनिक कालीनों
की प्रदर्शनी अपने अपने स्टॉलों
में लगायी है। मतलब साफ
है कालीनों में नए प्रयोग
से निर्यातक विदेशी खरीदारों को आकर्षित करने
का हर संभव कोशिश
कर रहे हैं। भदोही
कारपेट के पंकज बरनवाल
ने बताया कि उनके कालीनों
की अच्छी रेंज है और
आयातकों को पसंद आ
रहा है।
सीईपीसी के अनुसार पहले
दिन अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, फ्रांस, कनाडा, इस्रराइल, टर्की, जापान, रूस, यूएसए, यूके,
इटली, स्वीडेन, जर्मनी, नीदरलैंड, पोलैंड समेत कुल 40 देशों
के आयातकों ने हिस्सा लिया।
शाम तक मार्ट में
करीब 209 आयातक व उनके प्रतिनिधि
पहुंचे। आयातक अपनी जरूरत के
हिसाब से स्टॉलों पर
जाकर कालीन की बारीकियों को
देखा और परखा। आयातकों
को इससे अच्छे ऑर्डर
मिलने की उम्मीद है।
आयोजकों का कहना है
कि यह व्यापार मेला
नहीं, बल्कि विश्स्तरीय कलात्मकता का प्रदर्शन है।
यहां चार दिनों तक
विदेशी मेहमान भारत की विकसित
कलात्मक शैली को देखेंगे।
No comments:
Post a Comment