Tuesday, 15 October 2024

इंडिया कारपेट एक्स्पों की ‘शान’ बनी ‘कारपेट’ पर उकेरी गयी ‘श्रीराम मंदिर’

इंडिया कारपेट एक्स्पों कीशानबनीकारपेटपर उकेरी गयीश्रीराम मंदिर

दो माह में बुनकरों की हाड़तोड़ मेहनत से बनी कालीन की कीमत एक लाख

कारपेटपर उकेरी गयीश्रीराम मंदिर सिर्फ विदेशियों को भा रही है, बल्कि देश के कोने कोने से आएं निर्यातकों के आकर्षण का केन्द्र बनी हई है

मेले का उद्घाटन करने पहुंचे केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह की निगाह गयी तो एकटक निहारते ही रह गए

मंत्री ने इसे बुनने वाले कारीगरों की सिर्फ प्रसंशा की बल्कि युवा निर्यातक आर्यन जायसवाल के इस आईडिया को भी सलाम किया

मखमली धागों से बनी इस कालीन पर दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद श्रीराम मंदिर की छवि तैयार की गई है

कालीन में राम मंदिर के शिखर से लेकर पिलर, खंभों और दीवारों तक को हुबहू रेशमी धागों से उकेरा गया है

सुरेश गांधी

भदोही। कारपेट इक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल (सीईपीसी) के तत्वावधान में आयोजित एक्सपो मार्ट में इंटरनेशनल इंडिया कारपेट एक्सपों की एक स्टॉल परकारपेटपर उकेरी गयीश्रीराम मंदिर सिर्फ विदेशियों को भा रही है, बल्कि देश के कोने कोने से आएं निर्यातकों के आकर्षण का केन्द्र बनी हई है। खासकर मेले का उद्घाटन करने पहुंचे केन्द्रीय कपड़ा मंत्री गिरीराज सिंह की मेले में भ्रमण के दौरान कालीन पर उकेरी गयी श्रीरम मंदिर पर निगाह गयी तो एकटक निहारते ही रह गए। 

मंत्री ने इसे बुनने वाले कारीगरों की सिर्फ प्रसंशा की बल्कि युवा निर्यातक आर्यन जायसवाल के इस आईडिया को भी सलाम किया। उन्होंने कहा कि जिस दिन सनातनी युवाओं में इस तरह के सोच धर्म के प्रति लगाव डेवलप हो जायेंगे, वो दिन दूर नहीं जब पाश्चात संस्कृति को अपना आदर्श मानने वाले वॉलीवूड को करारा तमाचा लगेगा। युवा कालीन निर्यातक आर्यन जायसवाल का कहना है कि कालीन पर राम मंदिर को बनाने के लिए दुर्लभउचंत बिनकारीका सहारा लिया गया है. आम बिनकारी में जहां करघे पर नक्शे के जरिये बिनाई होती है, लेकिन उचंत आर्ट या बिनकारी में बगैर नक्शे के बुनकरों ने सीधे उसी तरह बिनकारी करता है जिस तरह से कोई पेंटर सामने तस्वीर रखकर पेंटिंग करता है.

मखमली धागों से बनी इस कालीन पर दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद श्रीराम मंदिर की छवि तैयार की गई है. खास यह है कि कालीन में राम मंदिर के शिखर से लेकर पिलर, खंभों और दीवारों तक को हुबहू रेशमी धागों से उकेरा गया है. उन्होंने बताया कि इस कालीन की कीमत इंटरनेशनल मार्केट एक लाख से अधिक है। बुनकरों के हवाले से निर्यातक आर्यन ने बताया कि इसके लिए काफी एकाग्रता की जरूरत होती है. कालीन पर राम मंदिर बनाने के लिए बुनकरों को रोजाना लगभग 8 घंटों तक बिनाई करनी पड़ी. राम मंदिर की कालीन को बनाने के लिए डिज़ाइन और कलर पर विशेष ध्यान दिया गया है. इसकी डिमांड अब भारत ही नहीं विदेशों तक पहुंच गई है. राम मंदिर बनने के बाद अब मुस्लिम देश इंडोनेशिया से पहली बार ऑर्डर आया है. राम नवमी के पहले यह ऑर्डर भेज देना है. दरअसल इस राम दरबार की डिमांड पीएम नरेंद्र मोदी के कारण मिला है. उन्होंने इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री को यह मॉडल गिफ्ट में दिया था, जिसके बाद राम मंदिर निर्माण के बाद यह ऑर्डर वहां से आया है.

 

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