शिक्षक और अभिभावक में विमर्श से सुदृढ़ होता है आत्मीय संबंध : वर्षारानी
प्राथमिक विद्यालय
कलकली
बहरा-1
में
“अभिभावक
शिक्षक
बैठक“
एवं “विद्यालय प्रबंध
समिति“
की
बैठक
का
आयोजन
सुरेश गांधी
दुद्धी, सोनभद्र।
निपुण भारत मिशन की
सफलता के लिए बेसिक
शिक्षा विभाग में नई पहल
की है। ब्लाकवार शिक्षक
अभिभावक बैठकें आयोजित कर मंशा के
अनुरूप सामंजस्य का प्रयास किया
जा रहा है। गुरुवार
को प्राथमिक विद्यालय कलकली बहरा-1 में “अभिभावक शिक्षक
बैठक“ एवं “विद्यालय
प्रबंध समिति“ की बैठक का
आयोजन किया गया। इस
दौरान अभिभावकों द्वारा सामूहिक रूप से माता
सरस्वती की प्रतिमा पर
माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन
के साथ कार्यक्रम का
शुभारंभ किया गया। इस
मौके पर स्कूल की
प्रधानाचार्या वर्षारानी जायसवाल ने कहा कि
आत्मीय संबंध को सुदृढ़ करने
के लिए अभिभावक व
शिक्षकों के बीच विचार
विमर्श अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि सीखने
- सिखाने की प्रक्रिया में
परस्परता का भी होना
जरुरी है। शिक्षक का
कार्य अध्यापन कार्य में संवाद को
स्थापित करना है, यह
शिक्षक और विद्यार्थियों में
न सिर्फ प्रगाढ़ता लाती है, बल्कि
दोनों में रचनात्मक ऊर्जा
व ऊर्जा को बल व
दिशा मिलती है। उन्होंने कार्यक्रम
में अभिभावकों विशेषतः माताओं की मौजूदगी व
उत्साह को देखते हुए
कहा कि बच्चों का
सबसे अधिक समय मां
के पास व्यतीत होता
है। ऐसे में मां
बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण
में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका
का निर्वाह कर सकती है।
बच्चों के सीख व
समझ पर आधारित आज
के अभिभावक शिक्षक विमर्श में माताओं ने
खुलकर अपने अनुभव साझा
किएं।
कक्षा दो में अध्ययनरत
छात्र सूरज की मां
सुनीता देवी का कहना
हैं कि “जब पिछले
वर्ष मैं स्कूल में
अपने बेटे का दाखिला
कराया, तब बच्चा कुछ
नहीं जानता था, लेकिन मैं
आभारी हूं, यहां के
शिक्षकों की, जिन्होंने मात्र
6 माह में मेरे नवप्रवेशी
बच्चे सूरज को किताब
पढ़ना सिखा दिया। अब
मेरा बच्चा बहुत अच्छे ढंग
से किताब पढ़ लेता है।“
वही छात्रा राजनंदिनी की
मम्मी कहती हैं कि
“मेरी बेटी को
2 वर्ष दूसरे विद्यालय में पढ़ने के
बाद भी जब पढ़ना
नहीं सीख पायी तो
मुझे लगा कि मेरी
बेटी शायद कमजोर है,
वह पढ़ नहीं पाएगी।
लेकिन जब मैंने उसका
दाखिला इस विद्यालय में
कराया तो अभी कुछ
ही माह बीते हैं,
मेरी बेटी किताब पढ़ना
सीख चुकी है। मैं
बहुत खुश हूं। और
यहां के शिक्षकों को
दिल से धन्यवाद देती
हूं।“
अभिभावक शिक्षक आत्मीयता का सुखद दृष्टांत
प्रस्तुत करती सैरून बेगम
कहती हैं कि मेरे
घर के 16 बच्चे अब तक इस
विद्यालय में पढ़ चुके
हैं। 4 बच्चे और हैं, जो
इस विद्यालय में पढ़ेंगे। मुझे
यह यहां के शिक्षकों
पर पूर्ण विश्वास है।“ वहीं
कक्षा 5 के निर्जला और
पीहू की मम्मी ललिता
देवी कहती है कि
“मेरी बेटी का चयन
अटल आवासीय विद्यालय में हो गया
है, जिसका श्रेय मैं यहां के
शिक्षकों को देती हूं,
जिन्होंने मेरे बच्चे को
शिक्षा के साथ सही
मार्गदर्शन दिया है।“ इस
प्रकार माताओं ने खुलकर शिक्षकों
के साथ विमर्श कर
न सिर्फ अपने अनुभव साझा
किए, बल्कि अपने बहुमूल्य सुझाव
भी दिए। नवप्रवेशी छात्र
अभी कुमार की मां रिंकी
देवी ने प्राइवेट विद्यालय
से अपने बच्चों का
नाम कटा कर इस
विद्यालय में दाखिला करवाया
है। अपनी बात को
अभिव्यक्त करते हुए वह
कहती है कि पहले
मेरा बच्चा जी सिर्फ लिखता
था, समझता नहीं था। अब
समझ के साथ पहचान
कर लिख रहा है।
उसके सुधार को देखकर मैं
बहुत खुश हूं।“
इस प्रकार बच्चों
के सीखने- सिखाने की प्रक्रिया में
अभिभावकों और शिक्षकों की
परस्परता से एक सृजनात्मक
वातावरण का निर्माण हो
रहा है। विद्यालय में
नामांकन तथा ठहराव विगत
वर्षों की तुलना में
आगे बढ़ा ही है
साथ ही गुणवत्ता में
भी अभिवृद्धि हुई है। निपुण
लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर
हैं। डीबीटी, संचारी रोगों से बचाव, स्वच्छता
के प्रति जागरूकता, नेट परीक्षा तथा
अक्टूबर के अंत तक
कक्षा 1,2,3 के बच्चों के
निपुण लक्ष्य ऐप के माध्यम
से आकलन के संबंध
में भी अभिभावकों को
जानकारी दी गई। बैठक
का संचालन प्रधानाध्यापिका वर्षा रानी जायसवाल ने
किया। जबकि सरिता ने
लोगों को शासन की
तमाम योजनाओं व गतिविधियों से
परिचित कराया। अविनाश कुमार गुप्ता ने बच्चों के
अभिभावकों से अपील किया
कि वह अपने बच्चों
को नियमित विद्यालय भेजें। इस अवसर पर
एएनएम चंद्रकांति सिंह, शिक्षामित्र लक्ष्मीपुरी सिंह, अनारो देवी, जेनेवा देवी, कबूतरी देवी, साजिदा, शारदा, अंजना देवी, आरती देवी, श्रवण
कुमार, समेत तमाम अभिभावकों
ने बढ़-चढ़कर हिस्सा
लिया।
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