ऑपरेशन सिंदूर : अधर्म के विरुद्ध धर्मयुद्ध का आह्वान
“ऑपरेशन सिंदूर“ केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं है, यह उस सनातन चेतना की पुकार है जो अन्याय, अधर्म और स्त्री अपमान के विरुद्ध उठ खड़ी होती है। यह अभियान प्रतीक है उस धर्मयुद्ध का, जो केवल प्रतिशोध नहीं बल्कि धर्म, सम्मान और मानवता की विजय का उद्घोष करता है। जी हां, ’ये भारत है जहां महादेव भी आते हैं तो अर्धनारीश्वर का अवतार लेकर’’. पाकपरस्त आतंकियों ने हमारी महिलाओं का सिंदूर या यूं कहे सुहाग उजाड़कर जिहाद के लिये ललकारा है तो अब हम भी धर्मयुद्ध करेंगे. अब वक्त है जागने का और जनजागरण का. मतलब साफ है ’यह देश में महाभारत के बाद दूसरा धर्मयुद्ध साबित होगा जिसका खमियाजा पाकिस्तान में पल-बढ़ रहे आतंकियों को भुगतना पड़ेगा
सुरेश
गांधी
जी हां, सनातन परंपरा में सिंदूर केवल एक वैवाहिक चिह्न नहीं है। यह देवी शक्ति की उपस्थिति, स्त्रीत्व की दिव्यता और जीवन के सृजन की शक्ति का प्रतीक है। जब किसी नारी के सिंदूर को मिटाया जाता है, तो वह केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि समस्त सृष्टि के संतुलन पर प्रहार होता है। ऑपरेशन सिंदूर उसी संतुलन को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है। 28 वीरांगनाओं की शहादत का यह अपमान केवल सैनिक परिवारों की वेदना नहीं, यह सम्पूर्ण भारतवर्ष की आत्मा पर चोट है। इतिहास साक्षी है,
यह वही भूमि है जहां स्त्री सम्मान के लिए महाभारत जैसे महासंग्राम हुए। हमने द्रौपदी के अपमान पर कुरुक्षेत्र रचा था, आज भी यदि कोई ‘सिंदूर’ को मिटाने का दुस्साहस करता है, तो उसे प्रतिकार का उत्तर उसी परंपरा से मिलेगा। यह युद्ध आतंक के विरुद्ध न्याय का स्वरूप है। यह मां दुर्गा के उस रूप से प्रेरित है, जो असुरों के विनाश के लिए उदित होती हैं।यह रण
केवल गोली और बारूद
का नहीं, यह मूल्य, मर्यादा
और मानवता की रक्षा का
रण है। हर सैनिक
जो इस ऑपरेशन का
हिस्सा है, वह केवल
वर्दीधारी योद्धा नहीं, वह राष्ट्रधर्म का
रक्षक, मातृशक्ति का पूजक और
सनातन संस्कृति का प्रहरी है।
ऑपरेशन सिंदूर एक संदेश है
उन सबके लिए जो
स्त्री को अबला समझने
की भूल करते हैं।
यह धरती “शक्ति“ की उपासक है,
यहां की नारी “दुर्गा“
है। जय हिन्द की
सेना, यह नारा अब
सिर्फ गर्व नहीं, बल्कि
संकल्प है कि हम
हर उस अंधकार का
अंत करेंगे, जो हमारे देश,
संस्कृति और नारी सम्मान
को ललकारेगा।
धर्मयुद्धों का आयोजन पश्चिमी यूरोपीय ईसाइयों द्वारा सदियों तक चले मुस्लिम युद्धों के बाद किया गया था। उनका प्राथमिक उद्देश्य मुस्लिम राज्यों के विस्तार को रोकना, मध्य पूर्व में ईसाई धर्म के लिए पवित्र भूमि को पुनः प्राप्त करना और उन क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करना था जो पहले ईसाई थे।
कई प्रतिभागियों का यह भी मानना था कि पवित्र युद्ध के रूप में जो कुछ भी वे करते थे, वह मुक्ति का एक साधन और पापों के प्रायश्चित को प्राप्त करने का एक तरीका था।देश के जवान आतंकवाद से धर्मयुद्ध लड़ रहे हैं। पिछले 24 घंटों में जिस तरह हमारी सेना ने उनके गढ़ में घुसकर भारत के मोसट वांटेड आतंकियों के किलों को ढहाया है और उन्हें कवर फायर दे रहे पाक सेना ने भारत पर ड्रोन हमले किए वो कायरता का सबसे बड़ी घटना है। लेकिन हमारे जवानों ने जारी ऑपरेशन सिंदूर अभियान के तहत उनके सारी कोशिशों को नाकाम कर दिया।
या यूं कहे भारत ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला पाकिस्तान एवं उसके आतंकियों से ले लिया है. 6 और 7 मई की दरमियानी रात भारत की तीनों सेनाओं ने आतंक के खिलाफ बड़ी कार्वाई करते हुए पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को खत्म कर दिया. इसे अब तक की सबसे बड़ी स्ट्राइक कहा जा रहा है, क्योंकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ था कि भारत ने कोई हमला सीधे पाकिस्तान पर किया हो. पीओके में स्ट्राइक्स होती ही रहती थीं.भारत
कहता था कि उसने
आतंकियों के ट्रेनिंग कैंपों
पर हमला किया. लेकिन
ये पहली बार हुआ
है कि भारत ने
सीधे पंजाब में स्थित लश्कर-ए-तैयबा और
जैश-ए-मोहम्मद के
हेडक्वॉर्टर पर स्ट्राइक की
हैं. इन स्ट्राइक्स में
हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो ठिकानों
पर भी हमला हुआ
है. इन हमलों में
आतंकियों के पूरे हेडक्वॉर्टर
तबाह हो गए हैं.
सबसे बड़ी बात है भारतीय वायुसेना के विमानों ने इस हमले के लिए अपनी वायुसीमा क्रॉस नहीं की है. भारत की ही वायुसीमा में रहकर मिसाइल फायर की गईं और आतंकियों के ठिकाने तबाह हो गए.
बताया जाता है कि रॉ की तरफ से 21 टारगेट की लिस्ट दी गई थी, जिसमें से 9 पर मिसाइल स्ट्राइक हुई है. ये पहले ही तय हो गया था कि इस बार हमला सीधे आतंकी संगठनों के हेडक्वॉर्टर पर होगा, इसलिए लश्कर का हेडक्वॉर्टर मुरीदके और जैश का हेडक्वॉर्टर बहावलपुर में टारगेट किया गया. 3 मई को हुई मीटिंग में इसकी योजना बनी थी. वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ संदीप उन्नीथन ने साल 1971 में हुए युद्ध के बाद से अबतक का सबसे बड़ा हमला बताया है.उन्होंने कहा,
“यह 1971 के बाद से
पाकिस्तान पर भारत का
सबसे बड़ा हमला है,
जिसमें लक्ष्यों का भौगोलिक विस्तार,
हमलों के स्थानों की
संख्या और प्रमुख पाकिस्तानी
आतंकवादी समूहों जैश-ए-मोहम्मद
और लश्कर-ए-तैयबा के
मुख्यालयों को निशाना बनाया
गया है.
इन संगठनों ने पिछले दो दशकों में भारत पर कई बड़े आतंकवादी हमले किए हैं.“ 1971 के युद्ध के बाद पहली बार भारत ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बड़ा हमला किया है. राजनीतिक और सेना के मद्देनजर पंजाब प्रांत को बहुत अहम माना जाता है. इससे पहले साल 2016 में उरी और साल 2019 में पुलवामा में किए गए आतंकी हमलों में भी भारतीय सेनाने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और उससे सटे खैबर-पख्तूनख्वा में आतंकी शिविरों को निशाना बनाया था. ऑपरेशन सिंदूर में 9 जगहों पर हमला किया गया, जिनमें से चार पंजाब के बहावलपुर, सियालकोट और शेखपुरा जिलों में थे. जिन आतंकी शिविरों को बनाया गया निशाना, उनमें मरकज सुभान अल्लाह कैंप (बहावलपुर), मरकज तैयबा कैंप .(सियालकोट) और सरजाल कैंप (सियालकोट) शामिल है।
बता दें, पाकिस्तान स्थित दोनों आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा पंजाब प्रांत से संचालित होते हैं. बहावलपुर में मरकज सुभान अल्लाह कैंप भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर दूर है. बहावलपुर, जो जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी मसूद अजहर का गढ़है, में पाकिस्तानी सेना का एक रेजिमेंटल सेंटर भी है. भारत द्वारा इस एयरस्ट्राइक के बाद रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ’ऑपरेशन सिंदूर’ का मकसद सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था। इस हमले से पड़ोसी देश से झगड़े के मकसद से नहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ’भारत माता की जय’ कहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी एक्स पर पोस्ट में लिखा, जय हिंद!जय हिंद की
सेना। खास यह है
कि टीम को नेतृत्त्व
कर रही कर्नल सोफिया
कुरैशी और दूसरी विंग
कमांडर व्योमिका सिंह की सरकार
ने भारत के पराक्रम
की तस्वीर को पूरी दुनिया
के सामने पेश किया और
बताया कि आखिर ऑपरेशन
सिंदूर के जरिए भारत
ने कैसे और क्या
कार्रवाई की. सोफिया कुरैशी
कॉर्प्स ऑफ सिग्नल से
जुड़ी हुई अधिकारी हैं.
वे पहली बार तब
चर्चा में आई थीं
जब उन्हें एक्सरसाइज फोर्स 18 के तहत 18 देशों
की मल्टीनेशनल आर्मी ड्रिल में भारत की
तरफ से कमान संभालने
का मौका मिला था.
उस समय वो अकेली
महिला थीं जो किसी
भी देश की आर्मी
टुकड़ी की कमांड संभाल
रही थीं. एक्सरसाइज़ फोर्स
18 भारत की ओर से
आयोजित उस समय का
सबसे बड़ा विदेशी सैन्य
अभ्यास था. सोफिया कुरैशी
इस अभ्यास में भाग लेने
वाले 18 दलों में एकमात्र
महिला अधिकारी थीं.
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