ऑपरेशन सिंदूर : “धर्म युद्ध में हर बार जीता भारत, शौर्य की अमिट गाथा!“
भारत का इतिहास केवल सभ्यता और संस्कृति का नहीं, बल्कि वीरता, आत्मबलिदान और विजयी संघर्षों का भी रहा है। राजा अशोक से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज और फिर स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों तक, भारत ने हर युग में यह सिद्ध किया है कि जब बात उसकी अखंडता और गौरव की होती है, तो वह अडिग खड़ा होता है। 1971 के बाद यह पहली बार हुआ जब थलसेना, वायुसेना और नौसेना ने एक साथ साझा कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के अंदर गहराई तक हमला बोला. भारत ने आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को निशाना बनाते हुए आतंकवाद के नेटवर्क की रीढ़ तोड़ दी. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने पूरी दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में वह किसी भी हद तक जा सकता है. चाहे वह दुश्मन की धरती पर कितनी भी गहराई में क्यों न हो. यह पहली बार हुआ जब किसी देश ने खुले तौर पर एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के भीतर इतने अंदर तक सैन्य कार्रवाई की और सफल रहा. मतलब साफ है पहलगाम हमले में मारे गए 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक की शहादत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र से वादा किया था कि आतंकियों और उनके संरक्षकों को दंड मिलेगा. ऑपरेशन सिंदूर उस वादे को पूरा करने का ऐतिहासिक उदाहरण बन गया. ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक नई रणनीति, नया आत्मविश्वास और भारत की नई सैन्य नीति की घोषणा है. अब भारत सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति के साथ आतंक के ठिकानों पर सर्जिकल प्रहार कर रहा है. यह ऑपरेशन हमेशा याद किया जाएगा
सुरेश गांधी
भारत न केवल एक प्राचीन सभ्यता है, बल्कि यह वह राष्ट्र है जिसने युद्धभूमि पर भी बार-बार साबित किया है कि वह न हारता है, न झुकता है, और न ही डरता है। जब शांति की बात आती है, तो भारत सबसे आगे होता है, और जब युद्ध थोप दिया जाता है, तब वही भारत अपने शत्रु के अहंकार को चूर-चूर कर देता है। पहली बार भारत ने केवल आतंकी ठिकानों को नहीं, बल्कि नेतृत्व स्तर के आतंकियों को भी निशाना बनाया. 2001 संसद हमले, 26/11 मुंबई हमले और हालिया पहलगाम आतंकी हमल रणनीतिक दृष्टि से बेहद निर्णायक रहा. भारत की सेनाओं ने जब उकसावे का जवाब देना शुरू किया तो पाकिस्तान की चूलें हिल गईं. हाल यह है कि अब वहां के विदेश मंत्री इशाक डार का कहना है कि पाकिस्तान युद्ध नहीं बल्कि शांति चाहता है. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब भारत द्वारा पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाए जाने के बाद वहां के किसी मंत्री ने अपने कदम पीछे खींचने की बात की हो.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, जिन्होंने पहले कहा था कि ’या तो हम (पाकिस्तान) बचेंगे या कोई नहीं बचेगा’, उन्होंने भी अपने बयान से यू-टर्न लेते हुए कहा कि अगर भारत सीमा पर अपनी कार्रवाई रोक देता है तो पाकिस्तान भी तनाव नहीं बढ़ाना चाहेगा. पहलगाम आतंकी हम ले के बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने ’ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में 9 जगहों पर एयर स्ट्राइक करके जैश, लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी शिविरों को तबाह कर दिया. भारत ने स्पष्ट किया था कि उसने सिर्फ आतंकी शिविरों को टारगेट किया और पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों या रिहायशी इलाकों को निशाना नहीं बनाया. गेंद पाकिस्तान के पाले में थी कि वह तनाव बढ़ाना चाहता है या शांति का रास्ता अख्तियार करता है. उसने तनाव बढ़ाने की कोशिश की और भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों व रिहायशी इलाकों को ड्रोन और मिसाइलों से निशाना बनाया.
हालांकि, पाकिस्तानी हमले को भारत के मजबूत एयर डिफेंस ने हवा में ही निष्क्रिय कर दिया. बता दें कि भारतीय सेना के ’ऑपरेशन सिंदूर’ के खिलाफ पाकिस्तानी सेना ने ‘ऑपरेशन बुन्यान-उन-मर्सूस’ शुरू किया, जिसे भारत ने चंद घंटों में ही विफल कर दिया. पाकिस्तान ने अपने ऑपरेशन के तहत भारत के उधमपुर, पठानकोट, बठिंडा और भुज एयरफोर्स स्टेशनों को निशाना बनाया लेकिन उसकी मिसाइलें भारतीय वायुसेना के एयर डिफेंस सिस्टम को भेंदने में नाकाम रहीं.
पाकिस्तान ने इन हमलों के लिए अपनी हाई स्पीड मिसाइलों का उपयोग किया, जिन्हें भारत के एयर डिफेंस ने हवा में ही नष्ट कर दिया. इन हमलों में भारतीय एयर फोर्स स्टेशनों को सीमित क्षति पहुंची.’ इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान के 6 सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिनमें से रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनिया एयरबेस शामिल हैं. भारतीय हमले में पाकिस्तान के रफीकी, मुरीद, चकलाला और रहीम यार खान एयरबेस को काफी नुकसान पहुंचा है.उधर, पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि भारत और पाकिस्तान ने तत्काल प्रभाव से संघर्षविराम पर सहमति जताई है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए प्रयास किए हैं,
अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बिना भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक घोषित हुए संघर्षविराम के पीछे बड़ी कूटनीतिक वजह है, विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डो.भाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर बीते कई दिनों से अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ लगातार बातचीत में शामिल थे. इन वार्ताओं का उद्देश्य सीमा पर बढ़ते तनाव को समाप्त कर एक शांतिपूर्ण समाधान तक पहुंचना था. फिरहाल, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेनाओं ने पहली बार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के भीतर जाकर मुरिदके, बहावलपुर, सियालकोट जैसे प्रमुख स्थानों पर मिसाइल और हवाई हमले किए. यह वही क्षेत्र हैं जहां आतंकी संगठनों के मुख्यालय और ट्रेनिंग सेंटर मौजूद थे और जो वर्षों से भारत पर हमलों की साजिशें रचते आए हैं. यह भारत की ओर से पाकिस्तान की धरती पर पिछले पांच दशकों का सबसे बड़ा और सबसे गहरा सैन्य अभियान था.इससे पहले
2016 के सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक
ने पाकिस्तान को चेतावनी दी
थी, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने स्पष्ट कर
दिया कि भारत अब
केवल चेतावनी नहीं देगा सीधे
कार्रवाई करेगा. इस ऑपरेशन में
भारत ने पहली बार
अपने अत्याधुनिक हथियारों का खुलकर प्रदर्शन
किया, जिसमें एससीएलपी क्रूज मिसाइल, एचएएमएमइआर स्मार्ट बम और लॉइटरिंग
म्यूनिशन (घूमकर निशाना साधने वाले ड्रोन) शामिल
है. इन हथियारों ने
पाकिस्तान की वायु रक्षा
प्रणाली को अप्रभावी साबित
कर दिया. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत
ने 9 बड़े आतंकवादी हब
को पूरी तरह ध्वस्त
किया. इन ठिकानों से
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी हाफिज सईद, मसूद अजहर
और अल-कायदा जैसे
संगठनों से जुड़े आतंकीगतिविधियों
को संचालित किया जा रहा
था. इन हमलों में
दर्जनों आतंकियों के मारे जाने
की पुष्टि हुई है.
ऐतिहासिक युद्धों की झलक
1947 - 48 (पहला भारत-पाक
युद्ध)
भारत ने जम्मू-कश्मीर को बचाने के
लिए पाकिस्तान के कबायलियों और
सेना को पीछे धकेला।
सरदार पटेल के नेतृत्व
में भारत ने प्रबल
राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई।
1965 का युद्ध
लाहौर तक भारतीय टैंक
पहुँच गए थे। तत्कालीन
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री
ने ‘जय जवान, जय
किसान’ का नारा दिया,
जो आज भी गूंजता
है।
1971 का युद्ध
: भारत
की
सबसे
बड़ी
विजय
यह युद्ध भारत
के इतिहास की सबसे निर्णायक
जीत थी। इंदिरा गांधी
के नेतृत्व में भारत ने
मात्र 13 दिनों में पाकिस्तान को
घुटनों पर ला दिया।
93,000 पाक सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया
: विश्व इतिहास में अब तक
का सबसे बड़ा सैन्य
आत्मसमर्पण। बांग्लादेश का निर्माण हुआ,
जो भारत की सामरिक
और कूटनीतिक शक्ति का जीता-जागता
प्रमाण है।
1999 का कारगिल
युद्ध
पाकिस्तान ने जब कारगिल
की चोटियों पर घुसपैठ की,
तो भारत ने दुर्गम
परिस्थितियों में वीरता का
प्रदर्शन किया। कैप्टन विक्रम बत्रा, ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव, और राइफलमैन संजय
कुमार जैसे जवानों ने
अद्वितीय साहस दिखाया। “ये
दिल मांगे मोर” का नारा
एक युद्धघोष बन गया।
सर्जिकल
स्ट्राइक
(2016)
उरी में 18 जवानों
की शहादत के बाद भारतीय
सेना ने एलओसी में
घुसकर आतंकियों के लॉन्च पैड
तबाह किए।
यह
पहली
बार
था
जब
भारत
ने
नियंत्रण
रेखा
पार
कार्रवाई
को
सार्वजनिक
रूप
से
स्वीकार
किया।
बालाकोट
एयर
स्ट्राइक
(2019)
14 फरवरी को पुलवामा में
आत्मघाती हमले के बाद
भारत ने जवाबी कार्रवाई
में डपतंहम-2000 विमानों से जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने पर
हमला किया। इसमें 250 से 300 आतंकियों के मारे जाने
की रिपोर्ट थी। पाकिस्तान ने
जवाब में एफ -16 विमानों
का उपयोग किया, लेकिन अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 से
उन्हें पीछे हटने पर
मजबूर किया।
सर्जिकल स्ट्राइक (2016)ः उरी हमले
के बाद भारतीय सेना
ने नियंत्रण रेखा के पार
आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया
और उन्हें ध्वस्त किया। बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019) पुलवामा
हमले में 40 जवानों के बलिदान के
बाद, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के
बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के शिविरों पर
सटीक हमला कर पूरी
दुनिया को संदेश दिया
कि अब भारत चुप
नहीं बैठेगा। इन कार्रवाइयों में
सटीकता, प्रमाण, और अंतरराष्ट्रीय मान्यता
तीनों मौजूद थीं। वैश्विक शक्तियां,
जिनमें अमेरिका, फ्रांस, और जापान जैसे
देश शामिल हैं, उन्होंने भारत
के आत्मरक्षा के अधिकार का
समर्थन किया। हर बार की
तरह पाकिस्तान ने इन हमलों
को नकारने की कोशिश की,
लेकिन सैटेलाइट चित्रों, मीडिया रिपोर्ट्स और स्वतंत्र सैन्य
विशेषज्ञों ने इन कार्रवाइयों
की पुष्टि की। इससे पाकिस्तान
को यह स्पष्ट संकेत
मिला कि भारत की
राजनीतिक इच्छाशक्ति, सैन्य तैयारी और खुफिया नेटवर्क
अब पहले से कहीं
अधिक सक्षम हैं। भारत एक
शांति प्रिय देश है, लेकिन
यह भी उतना ही
सत्य है कि भारत
अब “नई सोच, नई
नीति“ के साथ आगे
बढ़ चुका है। वह
युद्ध नहीं चाहता, लेकिन
यदि ललकारा गया, तो पीछे
भी नहीं हटता। और
जब कार्रवाई करता है, तो
दुनिया देखती है, प्रमाण, पराक्रम
और परिपक्वता के साथ। भारत
अब केवल जवाब नहीं
देता, वह निर्णय लेता
है, और उसे अंजाम
तक पहुंचाता है। पाकिस्तान, जो
बार-बार आतंकवाद का
सहारा लेकर भारत को
अस्थिर करने का प्रयास
करता रहा है, अब
यह अच्छी तरह समझ चुका
है कि भारत अब
केवल प्रतिक्रिया देने वाला राष्ट्र
नहीं रहा। अब भारत
की नीति है दृ
“सबूतों के साथ कार्रवाई“। यह बदलाव
केवल कूटनीतिक बयानबाज़ी तक सीमित नहीं,
बल्कि बालाकोट एयर स्ट्राइक और
सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाइयों में
प्रत्यक्ष रूप से देखा
गया है। भारत ने
यह साबित कर दिया है
कि वह अब किसी
भी उकसावे का मूक दर्शक
नहीं बनेगा। पाकिस्तान को यह सच्चाई
समझ में आने लगी
है कि उसकी सीमित
सामरिक क्षमता भारत के समक्ष
टिक नहीं सकती। अंतरराष्ट्रीय
मंचों पर भी भारत
की स्थिति पहले से कहीं
अधिक सशक्त और प्रमाणित है।
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