Sunday, 20 July 2025

मुंशी प्रेमचंद की कथाओं में वंचितों की सच्ची आवाज़ है : प्रो. नरेंद्र नारायण राय

मुंशी प्रेमचंद की कथाओं में वंचितों की

सच्ची आवाज़ है : प्रो. नरेंद्र नारायण राय 

भोजूबीर स्थित उदगार सभागार में यूपी भाषा संस्थान की संगोष्ठी, प्रेमचंद साहित्य पर विद्वानों के विचार

सुरेश गांधी

वाराणसी. उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के तत्वावधान में रविवार को भोजूबीर स्थित उदगार सभागार मेंउपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का कथा साहित्यविषयक एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर नरेंद्र नारायण राय (अध्यक्ष, हिंदी विभाग, राम मनोहर लोहिया पीजी कॉलेज, भैरो तालाब) ने प्रेमचंद के साहित्यिक अवदान की गहन विवेचना करते हुए कहा किप्रेमचंद को समझना है तो उनके जन्मस्थल लमही के ग्रामीण परिवेश को महसूस करना होगा। उनके पात्र आज भी हमें जीवंत प्रतीत होते हैं।

उन्होंने वंचितों और शोषितों की आवाज को अपनी लेखनी से स्वर दिया।प्रो. राय ने कहा कि प्रेमचंद के पात्र महज़ काल्पनिक नहीं, बल्कि समाज के भीतर की वास्तविक चेतना के वाहक हैं। उन्होंने सामाजिक विषमता के खिलाफ साहित्य को हथियार बनाकर लड़ा। साहित्यकार डॉ. अशोक राय ने कहाप्रेमचंद की कहानियों में गरीब और शोषित तबके की वेदना मुखर होती है। चाहे वहगबनका पात्र हो याकफनके घीसू और माधव दृ वे हमें आज भी सोचने पर विवश करते हैं। उनकी लेखनी हमारी आत्मा को झकझोर देती है।

वरिष्ठ साहित्यसेवी पंडित छतीश द्विवेदी ने कहाप्रेमचंद जैसा कालजयी कथाकार दुर्लभ है, जिन्होंने समाज के हाशिये पर खड़े लोगों को साहित्य के केंद्र में रखा और सर्वहारा वर्ग की आवाज़ को प्रतिष्ठा दी।कार्यक्रम में बुद्धदेव तिवारी, सुनील सेठ, लियाकत अली आदि वक्ताओं ने भी प्रेमचंद के कथा साहित्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की कहानियाँ केवल यथार्थ की दस्तावेज़ हैं, बल्कि सामाजिक चेतना का दर्पण भी हैं।

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