Monday, 4 August 2025

गंगा चढ़ी, दिल धड़का : काशी में फिर 1978 जैसी तबाही का खौफ

गंगा चढ़ी, दिल धड़का : काशी में फिर 1978 जैसी तबाही का खौफ 

घाटों की सीढ़ियां डूब गईं, अब बस्ती की बारी है... तटीय इलाकों में दहशत का माहौल

गंगा का जलस्तर 72 मीटर पार, प्रशासन हाई अलर्ट पर

प्रशासन अलर्ट मोड में, नावें और राहत टीमें तैयार

नदी नहीं रही शांत, गंगा की लहरों में दिखा बाढ़ का संकेत : विश्वंभरनाथ मिश्र

सुरेश गांधी 

वाराणसी. गंगा एक बार फिर अपने रौद्र रूप में है। गंगा की लहरों में इन दिनों श्रद्धा नहीं, सिहरन दिख रही है। सोमवार को गंगा ने राजघाट गेज पर 72.04 मीटर का जलस्तर पार कर लिया। यह खतरे के निशान 71.262 मीटर से 78 सेमी ऊपर है और जलस्तर हर घंटे 0.5 सेमी की गति से बढ़ रहा है। गंगा की चढ़ती लहरों ने लोगों को 1978 की बाढ़ की खौफनाक यादें फिर से ताजा कर दी हैं। नक्खीघाट निवासी 72 वर्षीय राजेंद्र मल्लाह बताते हैं, “ऐसा उफान हमने तब देखा था जब 1978 में हमारी नावें भी छतों से बांधनी पड़ी थीं। अब फिर वही डर लग रहा है। घाट की अंतिम सीढ़ी भी डूब चुकी है। अस्सी घाट पर सब्जी बेचने वाली श्यामा देवी कहती हैं, रोज़ी-रोटी घाट से ही जुड़ी है। अब पानी दुकान तक गया है, ऊपर चबूतरे पर बैठकर भगवान से प्रार्थना कर रही हूं कि इस बार बाढ़ घर डुबाए।

जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने बताया, गंगा का जलस्तर खतरे के ऊपर है, लेकिन फिलहाल नियंत्रित गति से बढ़ रहा है। एसडीआरएफ, जल पुलिस और नगर निगम की संयुक्त टीमें तैनात की गई हैं। तटीय इलाकों में चौकसी बढ़ाई गई है। नगर आयुक्त ने बताया कि निचले इलाकों में रहने वाले परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने की तैयारी है। राहत शिविरों के लिए स्कूल भवनों को चिह्नित कर लिया गया है।

संकट मोचन मंदिर के महंत विश्वंभरनाथ मिश्र ने कहा कि वाराणसी में गंगा का बढ़ता जलस्तर महज़ एक नदी की बात नहीं, बल्कि पूरे शहर की सांसों से जुड़ा सवाल बन गया है। 1978 के जख्मों की टीस फिर से सतह पर आने लगी है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या फिर दोहराएगा इतिहास? गंगा ने बढ़ाए 1978 जैसे हालात के संकेत, क्या यह 1978 की बाढ़ की आहट है! खासकर तब जब गंगा ने खतरे का निशान पार कर लिया है और यहीं वजह है बढ़ती बेचैनी की. उनका कहना है कि गंगा के उफान ने जगाई 47 साल पुरानी यादें ताजा करने को आतुर है।

श्रावण की श्रद्धा पर संकट की छाया

श्रावण सोमवार पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन को पहुंचे, लेकिन घाटों पर गंगा की चढ़ती लहरें दर्शन के रास्ते रोक रही हैं। कई जगहों पर बैरिकेडिंग की गई है। कांवड़ियों और स्नानार्थियों से प्रशासन ने अपील की है कि वे घाटों से दूरी बनाए रखें और केवल सुरक्षित मार्गों का ही प्रयोग करें।

बनारस के घाटों पर फिर बह रही चिंता की धारा

मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर अंत्येष्टि कार्य भी प्रभावित हो रहा है। घाट के पुरोहितों और डोम समाज के लोगों का कहना है कि लकड़ियां और चितास्थल पानी में समा रहे हैं, जिससे व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं। गंगा आरती, बाबा विश्वनाथ के दर्शन और कांवड़ यात्रा के बीच गंगा की चढ़ती लहरों ने श्रद्धालुओं की चिंता बढ़ा दी है। सुरक्षा के मद्देनज़र कई घाटों पर बैरिकेडिंग की गई है और आवाजाही सीमित की गई है।

जनता से प्रशासन की अपील

घाट किनारे जाएं, बच्चों को नदी से दूर रखें

अफवाहों से बचें, प्रशासनिक सूचना पर भरोसा करें

किसी भी आपात स्थिति में 1077 (आपदा नियंत्रण कक्ष) या नजदीकी पुलिस स्टेशन पर संपर्क करें

तबाही की ओर इशारा करती लहरें

गंगा का यह उफान सिर्फ पानी का चढ़ाव नहीं, बल्कि बनारस की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक धड़कनों पर भी प्रभाव डाल रहा है। क्या 1978 फिर लौटेगा? यह सवाल अब सिर्फ कल्पना नहीं, संभावना में बदलता नजर रहा है। वाराणसी में 1978 की बाढ़ को लोग आज भी नहीं भूले हैं, जब गंगा ने एचएफएल 73.901 मीटर तक दस्तक दी थी और पूरे शहर को जलमग्न कर दिया था। मौजूदा स्थिति उसी दिशा में बढ़ रही है। घाटों पर पानी चढ़ चुका है, अस्सी, आदमपुर, मल्लाह बस्ती, नगवा और नक्खीघाट जैसे क्षेत्रों में गंगा ने लोगों की दहलीज़ पर दस्तक दे दी है।

प्रशासन हाई अलर्ट पर, बचाव टीमें सक्रिय

जिलाधिकारी, नगर निगम और एसडीआरएफ की टीमें संवेदनशील बस्तियों में लगातार निगरानी कर रही हैं। नावों की व्यवस्था की जा रही है, राहत शिविरों को तैयार रखा गया है और बाढ़ चौकियां सक्रिय की गई हैं। प्रशासन की ओर से अपील की गई है कि तटीय इलाकों से लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं, बिना ज़रूरत घाटों पर जाएं.

तटीय बस्तियों में पसरा है डर का सन्नाटा

नदी का पानी अस्सी, नगवा, आदमपुर, चितरंजन पार्क, हरिश्चंद्र घाट और नक्खीघाट जैसे तटीय इलाकों में धीरे-धीरे फैल रहा है। निचले घरों में पानी घुसने लगा है, कई जगहों पर नावों से आवाजाही शुरू कर दी गई है। स्थानीय निवासी अपना सामान ऊंचाई पर ले जाने में जुटे हैं। जल आयोग ने अनुमान जताया है कि यदि यही गति बनी रही तो अगले 48 घंटों में गंगा और विकराल रूप ले सकती है। श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों से अपील की गई है कि वे प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पालन करें और सुरक्षित स्थानों पर रहने की व्यवस्था करें। 

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