काशी से उठी राष्ट्रनिर्माण की हुंकार : विकास,
सुरक्षा और स्वाभिमान का नया संकल्प
सावन की पावन बेला में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे, तो यह केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं था। यह राष्ट्र निर्माण की पुनः उद्घोषणा थी, एक ऐसे भारत की परिकल्पना, जो आत्मनिर्भर भी है, सजग भी और संकल्पबद्ध भी। काशी के सेवापुरी में आयोजित भव्य जनसभा से प्रधानमंत्री ने जिस भाव-गंभीरता के साथ देशवासियों को संबोधित किया, उसमें श्रद्धा, शक्ति और स्वदेशी का एक त्रिसूत्रीय संदेश था। काशी का संदेश : यह भारत अब रुकने वाला नहीं. मतलब साफ है प्रधानमंत्री मोदी का यह वाराणसी दौरा केवल विकास योजनाओं का उद्घाटन नहीं, बल्कि एक संदेश था कि काशी अब न केवल अध्यात्म का ध्रुव है, बल्कि भारत की सुरक्षा, स्वाभिमान, समृद्धि और सामाजिक समरसता की नई गाथा भी है. यह दौरा इस बात का प्रमाण है कि जब राजनीतिक नेतृत्व में दूरदृष्टि, प्रशासन में समर्पण और नीति में संवेदना हो, तो विकास एक आंदोलन बन जाता है। काशी से जो गूंजा, वह केवल चुनावी भाषण नहीं था, वह था नवभारत के आत्मनिर्भर, समावेशी और अडिग राष्ट्र संकल्प का शंखनाद
सुरेश गांधी
फिरहाल, प्रधानमंत्री मोदी का यह
वाराणसी दौरा एक ऐतिहासिक
पल बन गया। यह
केवल परियोजनाओं का लोकार्पण नहीं
था, यह राष्ट्र को
आत्मबल देने वाली पुकार
थी। या यूं कहे
विकास योजनाओं की घोषणाओं या
उद्घाटनों तक सीमित नहीं
था, बल्कि यह एक विराट
राष्ट्रसंकल्प का उद्घोष भी
था। भारत अब केवल
योजनाएं नहीं बना रहा,
वह भविष्य गढ़ रहा है,
अपने श्रमिकों, किसानों, सैनिकों, दिव्यांगों, युवाओं और संतानों के
साथ मिलकर। काशी से यह
संदेश स्पष्ट है, यह नया
भारत है। यह झुकेगा
नहीं, डरेगा नहीं, और आत्मनिर्भरता की
राह पर अडिग होकर
आगे बढ़ेगा। जिस “ऑपरेशन सिंदूर“
की घोषणा को बाबा विश्वनाथ
और कालभैरव की कृपा का
प्रसाद बताया, वह न केवल
भारत की आतंकवाद विरोधी
सैन्य क्षमता का प्रदर्शन था,
बल्कि यह उस 140 करोड़
देशवासियों की एकजुट शक्ति
का साक्षात प्रमाण भी था, अब
भारत आतंक पर प्रतीक्षा
नहीं, प्रतिकार करता है। जिसे
आज का नया भारत
जीता है। प्रधानमंत्री ने
स्पष्ट शब्दों में कहा, “जो
भारत पर वार करेगा,
उसे पाताल में भी नहीं
छोड़ा जाएगा।“ यह केवल एक
भावुक भाषण नहीं था,
यह भारत की नई
सैन्य नीति की बुनियादी
घोषणा थी। यह वाक्य
केवल एक राजनीतिक बयान
नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत
की बदली हुई रणनीतिक
दृढ़ता और नैतिक स्पष्टता
का एलान है।
विपक्ष द्वारा इस कार्रवाई पर
सवाल उठाना उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पूछा कि
क्या सिंदूर को भी तमाशा
कहा जा सकता है?
प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन
में यह भी कहा,
“नया भारत भोलेनाथ को
पूजता है, लेकिन समय
आने पर कालभैरव भी
बन जाता है।“ यह
उन आतंकियों को चेतावनी है
जो भारत की ओर
आँख उठाकर देखते हैं। भारत अब
न केवल अपने नागरिकों
की रक्षा करता है, बल्कि
खतरे की जड़ पर
प्रहार करना जानता है।
यह पंक्ति आज के भारत
की आत्मा को शब्द देती
है। अब देश आस्था
और आत्मरक्षा, दोनों को साथ लेकर
आगे बढ़ रहा है।
मोदी ने सवाल किया
कि क्या आतंकियों पर
कार्रवाई से पहले कांग्रेस
और उसके सहयोगी दलों
से इजाजत ली जानी चाहिए?
उन्होंने कहा कि कुछ
लोग इस ऑपरेशन को
तमाशा बता रहे हैं,
जो उनका राष्ट्रविरोधी मानसिकता
को उजागर करता है। ब्रह्मोस
मिसाइलों से लेकर एयर
डिफेंस सिस्टम तक, प्रधानमंत्री ने
’मेक इन इंडिया’ को
भारत की सैन्य ताकत
में बदलते हुए देखने का
संदेश दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि
ऑपरेशन सिंदूर में भारत के
स्वदेशी हथियारों की ताकत दुनिया
ने देखी। ब्रह्मोस मिसाइल, ड्रोन, और वायु सुरक्षा
प्रणाली भारत की रक्षा
आत्मनिर्भरता का परिचायक बन
चुकी है। विशेष बात
यह रही कि प्रधानमंत्री
ने घोषणा की, “अब लखनऊ
में ब्रह्मोस मिसाइल बनेगी और यदि पाकिस्तान
ने फिर पाप किया,
तो यहीं से उत्तर
मिलेगा।“ इसके साथ ही
उन्होंने कहा कि यूपी
डिफेंस कॉरिडोर भारत की सुरक्षा
का नया आधार बनेगा।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से
अपील की कि वह
ऐसे उत्पाद खरीदें जिनमें किसी न किसी
भारतीय का पसीना बहा
हो। इस स्वदेशी आह्वान
में केवल आत्मनिर्भरता नहीं,
राष्ट्रीय आत्मसम्मान की भावना जुड़ी
है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वैश्विक
अस्थिरता के दौर में
भारत को अपने आर्थिक
हितों की रक्षा के
लिए सजग और सक्रिय
होना होगा। काशी में आयोजित
कार्यक्रम में जब पीएम
मोदी ने दृष्टिबाधित छात्रा
बबली को अपने हाथों
से लो-विजन चश्मा
पहनाया, और जब दिव्यांगजनों
को आधुनिक उपकरण दिए गए, तो
यह ‘सहायता’ नहीं, ‘सशक्तिकरण’ का उदाहरण बन
गया। ‘दिव्यांग’ शब्द को गढ़ने
वाले प्रधानमंत्री के लिए यह
केवल शब्द नहीं, संवेदना
और नीति का संगम
है। प्रधानमंत्री ने बताया कि
अब एक लाख से
अधिक बैंकिंग टीमें पंचायत स्तर तक पहुँच
चुकी हैं। गांवों में
जिन लोगों ने कभी बैंक
नहीं देखा था, उनके
पास भी अब बैंक
खाता है और वे
डिजिटली सशक्त हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि
अब उत्तर प्रदेश दंगों, माफियाओं और अपराध से
मुक्त हो गया है।
उन्होंने कहा, “जो राज्य कभी
अपराधों के लिए बदनाम
था, वह आज निवेश
और विकास का केंद्र बन
चुका है। अपराधियों में
योगी सरकार का डर है।“
खास यह है
कि यूपी के पूर्वांचलवासियों
को प्रधानमंत्री ने 2183 करोड़ रुपये की
52 विकास परियोजनाओं की सौगात दी,
वह विकास की कड़ी में
मील का पत्थर का
साबित होगा। इसमें भदोही से वाराणसी फोरलेन
सड़क, रेल ओवरब्रिज, स्मार्ट
केबलिंग, पुस्तकालय, घाट सौंदर्यीकरण, दिव्यांगजन
उपकरण, सिंचाई योजनाएं, स्कूल भवन, पार्क आदि
शामिल है। इन कार्यों
की विविधता बताती है कि यह
केवल बजट खर्च नहीं,
बल्कि नागरिक जीवन की हर
परत में बेहतरी का
सुनियोजित प्रयास है। काशी में
जो हो रहा है,
वह मॉडल के रूप
में देश के सामने
है। पीएम किसान सम्मान
निधि की 20वीं किस्त
के रूप में 9.7 करोड़
से अधिक किसानों के
खातों में 20,500 करोड़ रुपये का
डिजिटल ट्रांसफर केवल आर्थिक सहयोग
नहीं, यह किसान के
श्रम को नमन है।
“जो किसान आत्महत्या कर रहे थे,
आज वही आत्मनिर्भर भारत
की रीढ़ बन चुके
हैं।“ प्रधानमंत्री ने कहा कि
काशी से जो धन
जाता है, वह प्रसाद
बन जाता है। यही
दृष्टिकोण आज किसान के
परिश्रम के लिए सरकार
की संवेदनशीलता को प्रमाणित करता
है।
प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति
ट्रंप के उस बयान
का भी जवाब दिया
जिसमें भारत को ‘डेड
इकोनॉमी’ कहा गया था।
मोदी ने कहा, “हमारी
हर खरीद, हर बिक्री भारतीय
पसीने की गवाही देनी
चाहिए। हम वही खरीदेंगे,
जो भारतीय हाथों ने गढ़ा हो।
यही सच्चा राष्ट्रधर्म है।“ उन्होंने सभी
दुकानदारों और व्यापारियों से
आह्वान किया, “अब दुकानों पर
केवल स्वदेशी सामान बिके, यही सच्ची देशसेवा
होगी।“ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने
काशी की सनातन आत्मा
और उसकी वैश्विक पहचान
का जिक्र करते हुए बताया
कि पीएम के नेतृत्व
में अब यह नगरी
विकास का अंतरराष्ट्रीय मॉडल
बन चुकी है। 51 हजार
करोड़ की योजनाएं, 51 बार
क्षेत्रीय दौरा, प्रधानमंत्री और काशी के
रिश्ते की यह अनूठी
मिसाल है। “काशी भारत
की आत्मा है और अब
इसकी पहचान वैश्विक हो चुकी है।
प्रधानमंत्री ने 51वीं बार
काशी आकर यह साबित
कर दिया कि यह
सिर्फ क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व नहीं, बल्कि सांस्कृतिक नेतृत्व है।“ मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने सही कहा,
काशी की आत्मा सनातन
है और पहचान वैश्विक“,
और यही वैश्विकता आज
आधुनिक सुविधाओं के साथ जुड़कर
उसे विकास का जीवंत तीर्थ
बना रही है।
मतलब साफ है
काशी की धरती से
प्रधानमंत्री मोदी ने केवल
योजनाओं का उद्घाटन नहीं
किया, बल्कि भारत के राष्ट्रधर्म,
आत्मसम्मान, सुरक्षा और स्वदेशी के
मंत्र को फिर से
जन-जन तक पहुंचाया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की गूंज सिर्फ
सीमाओं तक नहीं, देश
के हर नागरिक के
मन में आत्मविश्वास भर
रही है। अब भारत
सिर्फ रणनीति नहीं, संकल्प से चलता है।
और यह संकल्प है,
“भारत को किसी से
डर नहीं, अब भारत से
डर लगना चाहिए।” प्रधानमंत्री
का यह दौरा केवल
योजनाओं के उद्घाटन का
औपचारिक अवसर नहीं था,
बल्कि इसमें विकास की योजनाएं, किसानों
को सम्मान, दिव्यांगों को संबल और
काशी के हर कोने
को जोड़ने की दृष्टि दिखाई
दी। काशी, एक बार फिर
विकास की नई लहर
का साक्षी बनी। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा केवल
एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, भारत की रक्षा नीति, आर्थिक आत्मनिर्भरता, सामाजिक समरसता
और सांस्कृतिक गौरव का घोषणापत्र साबित हुआ। काशी ने फिर से भारत की चेतना को जागृत
किया और ’ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में दुनिया को भारत के सामर्थ्य
का परिचय दिया। अपनी काशी से जो संदेश देश और दुनिया को दिया, वह केवल घोषणाओं और परियोजनाओं
की शृंखला नहीं थी, बल्कि नए भारत की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक आकांक्षाओं की स्पष्ट
रेखाचित्र थी। यह एक ऐसा अवसर बना, जहां विकास, राष्ट्र सुरक्षा, आत्मनिर्भर भारत,
कृषि कल्याण, और सामाजिक संवेदनाओं की विराट झलक एक साथ सामने आई।
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