ग्रहण सूतक से पहले गूंजी गंगा आरती
35 वर्षों में पांचवीं बार
दिन
में
सम्पन्न
हुआ
अनोखा
आयोजन,
श्रद्धालुओं
ने
लिया
दिव्य
अनुभव
सुरेश गांधी
वाराणसी. प्राचीन काशी का दशाश्वमेध घाट रविवार को एक अद्वितीय दृश्य का साक्षी बना। जहां प्रतिदिन संध्या बेला में मां गंगा की महाआरती से पूरा वातावरण गूंजता है, वहीं इस बार चंद्रग्रहण के कारण आरती का आयोजन दिन के उजाले में सम्पन्न हुआ। काशी की गंगा आरती केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के जीवन और संस्कृति का आधार है। दिन में सम्पन्न हुई यह अद्भुत आरती यह संदेश देती है कि आस्था का दीपक हर परिस्थिति में प्रज्वलित रहना चाहिए। गंगा की धारा और आरती की लौ, काशी की परंपरा को अमर करती है। ग्रहण के सूतक में भी आस्था अडिग रहती है, यही काशी की सनातन शक्ति और विश्व को दिया संदेश है।
गंगोत्री सेवा समिति की ओर से आयोजित इस विशेष आरती का शुभारंभ प्रातः 11ः45 बजे हुआ और ग्रहण लगने से पूर्व इसे विधिवत पूर्ण कर लिया गया। समिति के अध्यक्ष पं. किशोरी रमण दुबे ने बताया कि पिछले 35 वर्षों में यह महज पांचवीं बार है जब मां गंगा की आरती दिन में सम्पन्न हुई। इससे पहले 28 अक्टूबर 2023, 16 जुलाई 2019, 27 जुलाई 2018 और 7 अगस्त 2017 को भी आरती का समय बदला गया था। फिलहाल गंगा के बढ़े जलस्तर के कारण आयोजन घाट की सीढ़ियों के बजाय छत पर हुआ। शंखनाद, मंत्रोच्चार और दीपों की लौ से जब दोपहर का वातावरण आलोकित हुआ तो श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
दिल्ली से आए पर्यटक अजय अग्रवाल ने कहा, “मैंने गंगा आरती कई बार देखी है, लेकिन दिन में इसका साक्षी बनना जीवन का अद्वितीय अनुभव है।” वाराणसी की श्रद्धालु सरिता पांडेय ने कहा, “ग्रहण के कारण आरती का समय बदलना पड़ा, लेकिन मां गंगा का आशीर्वाद लेने का अवसर मिल गया, यही सबसे बड़ी बात है।” कोलकाता से आए युवा सुशांत मुखर्जी बोले, “रात्रि की आरती भव्य होती है, लेकिन दोपहर की इस आरती की पवित्रता का अनुभव शब्दों में नहीं बताया जा सकता”धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व
हिंदू
धर्मशास्त्रों के अनुसार ग्रहण
काल में पूजा-पाठ
और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
सूतक काल लगते ही
मंदिरों के द्वार बंद
हो जाते हैं और
अनुष्ठान स्थगित कर दिए जाते
हैं। ऐसे में ग्रहण
से पूर्व सम्पन्न हुई यह विशेष
गंगा आरती न केवल
परंपरा का पालन है,
बल्कि आस्था और श्रद्धा का
भी अद्वितीय प्रतीक है।
दिन में कब-कब हुई गंगा आरती
7 सितंबर 2025 : चंद्रग्रहण
से
पूर्व
28 अक्टूबर 2023 : चंद्रग्रहण
16 जुलाई 2019 : चंद्रग्रहण
27 जुलाई 2018 : चंद्रग्रहण
7 अगस्त 2017 : चंद्रग्रहण
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