काशी में योगी : संस्कृत के संगम से स्वच्छता की साधना तक, अन्नपूर्णा की नगरी में विकास का नया संवाद
अन्नपूर्णा की
नगरी
में
संस्कृत
और
आत्मनिर्भरता
का
संगम
सुरेश गांधी
वाराणसी की भोर उस
दिन कुछ अलग थी।
पंचगंगा की लहरें जैसे
किसी नवस्वप्न का संगीत गुनगुना
रही थीं। शिवपुर स्थित
अन्नपूर्णा आश्रम का प्रांगण जब
भगवा वस्त्रों और मुस्कुराते चेहरों
से भर उठा, तो
लगा जैसे स्वयं माता
अन्नपूर्णा अपने आंगन में
नए युग की साधना
करा रही हों। मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ का यह कार्यक्रम
केवल एक प्रशासनिक आयोजन
नहीं था, बल्कि काशी
की परंपरा और आधुनिक भारत
के स्वप्न का संगम था।
मुख्यमंत्री ने यहां 250 बालक-बालिकाओं को लैपटॉप और
सिलाई मशीनें वितरित कीं। मंच से
उतरकर जब उन्होंने स्वयं
बच्चों को उपहार दिए,
तो चेहरों पर जो चमक
आई, वह केवल बिजली
की नहीं थी—वह
आत्मविश्वास की लौ थी।
योगी बोले—“प्रधानमंत्री मोदी ने ‘घरौनी
योजना’ से महिलाओं को
संपत्ति का स्वामित्व देकर
उनके आत्मसम्मान को नई ऊँचाई
दी है। आज हर
सिलाई मशीन, हर लैपटॉप, आत्मनिर्भर
भारत की नई डोर
है।”
स्वच्छता की साधना और वाल्मीकि जयंती का आह्वान
वाराणसी से कृषि का नया अध्याय
योगी का तीसरा पड़ाव था—इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI), यानी वह जगह जहाँ चावल के हर दाने में विज्ञान और परंपरा का संगम बसता है। यहाँ मुख्यमंत्री ने डीएसआर कॉन्क्लेव को संबोधित किया और कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ पर किसानों को नवाचार की सौगात दी। मुख्यमंत्री ने कहा—“देश के खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का 21 प्रतिशत योगदान है। यह आंकड़ा नहीं, गौरव है। जब किसान तकनीक से जुड़ता है, तो खेत से निकलता हर अन्नकण आत्मनिर्भर भारत की ईंट बन जाता है।”
उन्होंने
नई मशीनों—ई-सीडर फॉर
राइस और प्रिसीजन हिल
सीडर—का शुभारंभ किया,
जिससे खेती में कम
पानी, कम लागत और
अधिक उत्पादन संभव हो सकेगा।
किसानों को मिनी किट्स
वितरित करते हुए योगी
बोले—“2030 तक यूपी वैश्विक
खाद्य आपूर्ति का केंद्र बनेगा।
हमारी धरती केवल उपज
नहीं, नवाचार भी देगी।” कार्यक्रम
में कृषि मंत्री सूर्य
प्रताप शाही, मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र
‘दयालु’ और कई अंतरराष्ट्रीय
वैज्ञानिक उपस्थित थे। योगी का
यह बयान काशी के
कृषि विश्वविद्यालयों और किसानों में
नई ऊर्जा भर गया—“किसान
को सम्मान, यही मेरा प्रण
है।”
प्रशासनिक समीक्षा में ‘योगी अनुशासन’ की झलक
प्रवास के अंतिम चरण में मुख्यमंत्री ने सर्किट हाउस में उच्चस्तरीय बैठक की। काशी के विकास कार्यों की बारीकी से समीक्षा करते हुए उन्होंने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी—“गरीब की जमीन पर किसी का कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विकास तभी अर्थपूर्ण है जब सबसे कमजोर व्यक्ति को न्याय मिले।” उन्होंने निर्देश दिया कि ग्राम पंचायत सचिवालय से जाति, निवास और आय प्रमाणपत्र निर्गत हों, ताकि ग्रामीणों को तहसील के चक्कर न लगाने पड़ें। दालमंडी रोड निर्माण को मिशन मोड में पूरा करने और पीएम सूर्य घर योजना की गति बढ़ाने का निर्देश दिया।
काशी की आगामी देव दीपावली और दीपावली पर्व को देखते हुए उन्होंने कहा—“काशी की स्वच्छता ही उसकी पहचान है। घाटों, गलियों और बाजारों में ऐसा वातावरण बने कि हर आगंतुक कह उठे—यह है भारत की सांस्कृतिक राजधानी।” मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि विकास परियोजनाओं में गुणवत्ता सर्वोपरि रहे। “साफ-सफाई, सड़क, ड्रेनेज, सोलर पैनल और स्ट्रीट लाइटिंग कार्यों में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।” उनके स्वर में प्रशासनिक कठोरता थी, पर उद्देश्य एक ही—जनता का भरोसा
कायम रखना।काशी में विकास का आध्यात्मिक अर्थ
योगी आदित्यनाथ का
यह वाराणसी दौरा केवल योजनाओं
का संकलन नहीं था। यह
एक दर्शन था—कि शासन
जब सेवा से जुड़ता
है, तो वह लोकमंगल
बन जाता है। अन्नपूर्णा आश्रम
की सादगी, स्वच्छता मित्रों का सम्मान, इरी
में किसानों का आत्मविश्वास और
सर्किट हाउस की समीक्षा—चारों पड़ावों में एक सूत्र
था—“सेवा ही सर्वोपरि।”
काशी ने इस प्रवास
में देखा कि एक
मुख्यमंत्री केवल भाषण देने
नहीं, बल्कि हर स्तर पर
संवाद बनाने आया है। वह
बच्चों को लैपटॉप दे
रहा है, महिलाओं को
मशीनें, सफाईकर्मियों को सम्मान, किसानों
को तकनीक, और अधिकारियों को
अनुशासन का संदेश। यह वही
योगी हैं जो कहते
हैं—“विकास का अर्थ केवल
पुल और सड़कें नहीं,
बल्कि मानवीय आत्मसम्मान की रक्षा है।”
अन्नपूर्णा से अन्नदाता तक — एक सूत्र में जुड़ी काशी की कथा
काशी की धरती
पर जब मुख्यमंत्री ने
कहा—“जहाँ शिव भी
भिक्षा माँगते हैं, वहाँ कोई
भूखा नहीं रहेगा”—तो
लगा मानो यह केवल
धार्मिक भाव नहीं, बल्कि
शासन की नीतियों का
मूल मंत्र बन गया है।
अन्नपूर्णा का आशीर्वाद और किसानों का
परिश्रम, दोनों मिलकर उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बना
रहे हैं। स्वच्छता मित्रों का सम्मान, किसानों
की तकनीकी प्रगति, महिलाओं की आत्मनिर्भरता और
युवाओं की शिक्षा—इन
सबमें योगी आदित्यनाथ का
वह “समग्र विकास दृष्टिकोण” झलकता है, जो सांस्कृतिक
मूल्यों पर आधारित है।
काशी के घाटों पर शाम को
जब नमो घाट से
मुख्यमंत्री ने अनौपचारिक रूप
से गंगा आरती का
शुभारंभ किया, तो दृश्य अलौकिक
था। दीपों की पंक्तियाँ जैसे
स्वयं कह रही थीं—“यह काशी अब
केवल मोक्ष की नहीं, मॉडर्न
इंडिया की राजधानी है।”
नीति, निष्ठा और नवयुग की गंगा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का
यह दौरा एक गाथा
की तरह था—जहाँ
हर पड़ाव नीति का पाठ
पढ़ाता है। कभी वे बच्चों के
बीच शिक्षक बन जाते हैं,
कभी सफाईकर्मियों के बीच सेवक,
किसानों के बीच मार्गदर्शक
और अधिकारियों के बीच अनुशासनप्रिय
प्रशासक। काशी की आत्मा को
उन्होंने उस रूप में
पुनर्जीवित किया, जिसमें सेवा, संस्कार और स्वच्छता का
संगम हो। सचमुच, इस प्रवास ने
यह प्रमाणित कर दिया कि
योगी की काशी अब
केवल अध्यात्म की राजधानी नहीं,
बल्कि विकास, संस्कृति और सेवा का
केंद्रबिंदु बन चुकी है।
योगी ने छन्नूलाल मिश्र को दी श्रद्धांजलि, बोले : काशी की आत्मा थे पंडित जी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने
अपने काशी प्रवास के
दौरान हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के अमर गायक
पंडित छन्नूलाल मिश्र को नमन किया।
उन्होंने उनके लहुराबीर स्थित
आवास पर जाकर परिजनों
से मुलाकात की और भावभीनी
श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने
पंडित जी के चित्र
पर पुष्पांजलि अर्पित कर कहा पं.
छन्नूलाल मिश्र जी केवल कलाकार
नहीं, वे काशी की
आत्मा थे। उन्होंने अपने
सुरों से भारतीय संगीत
को अमर कर दिया।
संगीत जगत की अपूरणीय क्षति
91 वर्ष की आयु
में हाल ही में
दिवंगत हुए पंडित छन्नूलाल
मिश्र भारतीय शास्त्रीय संगीत के उस ऊँचे
शिखर पर थे, जहाँ
से काशी की सुर-सरिता पूरे विश्व में
बहती रही। बनारसी ठुमरी,
दादरा और भजन गायन
को नई ऊँचाई देने
वाले पंडित जी को भारत
सरकार ने 2020 में पद्म विभूषण
से अलंकृत किया था। उनके
निधन से काशी समेत
सम्पूर्ण संगीत जगत में शोक
की लहर है।
कालभैरव-विश्वनाथ के किए दर्शन
श्रद्धांजलि अर्पण के बाद मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने कालभैरव मंदिर
और श्री काशी विश्वनाथ
धाम में विधिवत दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद
प्राप्त किया। उन्होंने प्रदेश और देश की
सुख-समृद्धि की कामना की।
मुख्यमंत्री ने कहा— बाबा
विश्वनाथ का आशीर्वाद ही
काशी की पहचान है।
यह नगर श्रद्धा, भक्ति
और संस्कृति का संगम है।
नमो घाट पर गंगा आरती का अनौपचारिक शुभारंभ
इसके बाद मुख्यमंत्री
नमो घाट पहुँचे, जहाँ
उन्होंने गंगा आरती का
अनौपचारिक शुभारंभ किया। पारंपरिक वाद्य ध्वनियों, मंत्रोच्चार और दीपों की
झिलमिल रोशनी में पूरा घाट
श्रद्धा के भाव से
आलोकित हो उठा। योगी
ने कहा— गंगा आरती
केवल पूजा नहीं, यह
हमारी सनातन संस्कृति का प्रतीक है।
काशी की गंगा आरती
विश्व स्तर पर आस्था
का केंद्र बने, यह हमारा
संकल्प है।












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