Monday, 6 October 2025

काशी में योगी : संस्कृत के संगम से स्वच्छता की साधना तक, अन्नपूर्णा की नगरी में विकास का नया संवाद

काशी में योगी : संस्कृत के संगम से स्वच्छता की साधना तक, अन्नपूर्णा की नगरी में विकास का नया संवाद 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वाराणसी प्रवास महिला सशक्तिकरण, स्वच्छता सम्मान, कृषि नवाचार और प्रशासनिक अनुशासन का अद्भुत संगम बना : संस्कृत, सिलाई, चावल अनुसंधान और सेवा भाव, सब एक ही सूत्र में पिरोए नज़र आए

अन्नपूर्णा की नगरी में संस्कृत और आत्मनिर्भरता का संगम

सुरेश गांधी  

वाराणसी की भोर उस दिन कुछ अलग थी। पंचगंगा की लहरें जैसे किसी नवस्वप्न का संगीत गुनगुना रही थीं। शिवपुर स्थित अन्नपूर्णा आश्रम का प्रांगण जब भगवा वस्त्रों और मुस्कुराते चेहरों से भर उठा, तो लगा जैसे स्वयं माता अन्नपूर्णा अपने आंगन में नए युग की साधना करा रही हों। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कार्यक्रम केवल एक प्रशासनिक आयोजन नहीं था, बल्कि काशी की परंपरा और आधुनिक भारत के स्वप्न का संगम था। 

मुख्यमंत्री ने यहां 250 बालक-बालिकाओं को लैपटॉप और सिलाई मशीनें वितरित कीं। मंच से उतरकर जब उन्होंने स्वयं बच्चों को उपहार दिए, तो चेहरों पर जो चमक आई, वह केवल बिजली की नहीं थीवह आत्मविश्वास की लौ थी। योगी बोले—“प्रधानमंत्री मोदी नेघरौनी योजनासे महिलाओं को संपत्ति का स्वामित्व देकर उनके आत्मसम्मान को नई ऊँचाई दी है। आज हर सिलाई मशीन, हर लैपटॉप, आत्मनिर्भर भारत की नई डोर है।

अन्नपूर्णा आश्रम के संतों और विद्यार्थियों के बीच खड़े योगी आदित्यनाथ ने संस्कृत को विश्व कीकनेक्टिंग लैंग्वेजबताया। बोले—“जो भाषा हमें वेद देती है, वही विज्ञान का मार्ग प्रशस्त करती है। संस्कृत भारत का गौरव है, और इसके साथ स्वरोजगार की साधना इस धरती को फिर से विश्वगुरु बनाएगी।वहां मौजूद युवा छात्राएं जब हाथों में सिलाई मशीनें थामे मंच से उतरीं, तो लगा मानो काशी की गलियों में आत्मनिर्भरता का नया संगीत गूंज उठा हो। वस्त्र उद्योग को दूसरा सबसे बड़ा रोजगार क्षेत्र बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा—“हर कढ़ाई, हर धागा अब आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक बनेगा।

स्वच्छता की साधना और वाल्मीकि जयंती का आह्वान

मुख्यमंत्री कबीरचौरा पहुंचे जहां सरोजा पैलेस का विशाल सभागारस्वच्छता मित्रोंके सम्मान से गूंज उठा। यह दृश्य अभूतपूर्व था। मंच पर मुख्यमंत्री, और सामने बैठे वे चेहरे, जो रोज सुबह झाड़ू लेकर शहर को चमकाते हैं। योगी आदित्यनाथ ने जैसे ही मंच से उतरकर 500 सफाईकर्मियों पर पुष्पवर्षा की, पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। उन्होंने कहा—“जो धरती को साफ रखता है, वही धरती का सच्चा रक्षक है। अब कोई भी सफाईकर्मी शोषण का शिकार नहीं होगा।उन्होंनेस्वच्छता मित्र सम्मान समारोहमें प्रत्येक कर्मी को अंगवस्त्र, सेफ्टी किट और मिष्ठान देकर सम्मानित किया। यही नहीं, स्वयं भोजन परोसकर उन्हेंभोजन प्रसादभी ग्रहण कराया। यह दृश्य भावुक कर देने वाला थाएक मुख्यमंत्री जब कर्मयोगियों के बीच सेवक की तरह उपस्थित हो जाए, तो प्रशासन का अर्थजन सेवाबन जाता है। योगी ने घोषणा की—“अब हर सफाईकर्मी को 16 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह सीधे बैंक खाते में जाएंगे। उन्हें मिलेगा आयुष्मान कार्ड, ताकि किसी बीमारी की चिंता रहे। वाल्मीकि जयंती अब पूरे राज्य में सामाजिक चेतना का पर्व बनेगी।

उनके शब्दों में गंगा की लहरों-सी सरलता और तप की गरिमा झलक रही थी। स्वच्छता अभियान को उन्होंने केवल सफाई नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना बताया—“स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत की जनचेतना का प्रतीक है।

वाराणसी से कृषि का नया अध्याय

योगी का तीसरा पड़ाव थाइंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI), यानी वह जगह जहाँ चावल के हर दाने में विज्ञान और परंपरा का संगम बसता है। यहाँ मुख्यमंत्री ने डीएसआर कॉन्क्लेव को संबोधित किया और कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ पर किसानों को नवाचार की सौगात दी। मुख्यमंत्री ने कहा—“देश के खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का 21 प्रतिशत योगदान है। यह आंकड़ा नहीं, गौरव है। जब किसान तकनीक से जुड़ता है, तो खेत से निकलता हर अन्नकण आत्मनिर्भर भारत की ईंट बन जाता है।” 

उन्होंने नई मशीनों-सीडर फॉर राइस और प्रिसीजन हिल सीडरका शुभारंभ किया, जिससे खेती में कम पानी, कम लागत और अधिक उत्पादन संभव हो सकेगा। किसानों को मिनी किट्स वितरित करते हुए योगी बोले—“2030 तक यूपी वैश्विक खाद्य आपूर्ति का केंद्र बनेगा। हमारी धरती केवल उपज नहीं, नवाचार भी देगी।कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्रदयालुऔर कई अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक उपस्थित थे। योगी का यह बयान काशी के कृषि विश्वविद्यालयों और किसानों में नई ऊर्जा भर गया—“किसान को सम्मान, यही मेरा प्रण है।

प्रशासनिक समीक्षा मेंयोगी अनुशासनकी झलक

प्रवास के अंतिम चरण में मुख्यमंत्री ने सर्किट हाउस में उच्चस्तरीय बैठक की। काशी के विकास कार्यों की बारीकी से समीक्षा करते हुए उन्होंने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी—“गरीब की जमीन पर किसी का कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विकास तभी अर्थपूर्ण है जब सबसे कमजोर व्यक्ति को न्याय मिले।उन्होंने निर्देश दिया कि ग्राम पंचायत सचिवालय से जाति, निवास और आय प्रमाणपत्र निर्गत हों, ताकि ग्रामीणों को तहसील के चक्कर लगाने पड़ें। दालमंडी रोड निर्माण को मिशन मोड में पूरा करने और पीएम सूर्य घर योजना की गति बढ़ाने का निर्देश दिया। 

काशी की आगामी देव दीपावली और दीपावली पर्व को देखते हुए उन्होंने कहा—“काशी की स्वच्छता ही उसकी पहचान है। घाटों, गलियों और बाजारों में ऐसा वातावरण बने कि हर आगंतुक कह उठेयह है भारत की सांस्कृतिक राजधानी।मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि विकास परियोजनाओं में गुणवत्ता सर्वोपरि रहे।साफ-सफाई, सड़क, ड्रेनेज, सोलर पैनल और स्ट्रीट लाइटिंग कार्यों में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।उनके स्वर में प्रशासनिक कठोरता थी, पर उद्देश्य एक हीजनता का भरोसा

कायम रखना।

काशी में विकास का आध्यात्मिक अर्थ

योगी आदित्यनाथ का यह वाराणसी दौरा केवल योजनाओं का संकलन नहीं था। यह एक दर्शन थाकि शासन जब सेवा से जुड़ता है, तो वह लोकमंगल बन जाता है। अन्नपूर्णा आश्रम की सादगी, स्वच्छता मित्रों का सम्मान, इरी में किसानों का आत्मविश्वास और सर्किट हाउस की समीक्षाचारों पड़ावों में एक सूत्र था—“सेवा ही सर्वोपरि।काशी ने इस प्रवास में देखा कि एक मुख्यमंत्री केवल भाषण देने नहीं, बल्कि हर स्तर पर संवाद बनाने आया है। वह बच्चों को लैपटॉप दे रहा है, महिलाओं को मशीनें, सफाईकर्मियों को सम्मान, किसानों को तकनीक, और अधिकारियों को अनुशासन का संदेश। यह वही योगी हैं जो कहते हैं—“विकास का अर्थ केवल पुल और सड़कें नहीं, बल्कि मानवीय आत्मसम्मान की रक्षा है।

अन्नपूर्णा से अन्नदाता तकएक सूत्र में जुड़ी काशी की कथा

काशी की धरती पर जब मुख्यमंत्री ने कहा—“जहाँ शिव भी भिक्षा माँगते हैं, वहाँ कोई भूखा नहीं रहेगा”—तो लगा मानो यह केवल धार्मिक भाव नहीं, बल्कि शासन की नीतियों का मूल मंत्र बन गया है। अन्नपूर्णा का आशीर्वाद और किसानों का परिश्रम, दोनों मिलकर उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। स्वच्छता मित्रों का सम्मान, किसानों की तकनीकी प्रगति, महिलाओं की आत्मनिर्भरता और युवाओं की शिक्षाइन सबमें योगी आदित्यनाथ का वहसमग्र विकास दृष्टिकोणझलकता है, जो सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित है। काशी के घाटों पर शाम को जब नमो घाट से मुख्यमंत्री ने अनौपचारिक रूप से गंगा आरती का शुभारंभ किया, तो दृश्य अलौकिक था। दीपों की पंक्तियाँ जैसे स्वयं कह रही थीं—“यह काशी अब केवल मोक्ष की नहीं, मॉडर्न इंडिया की राजधानी है।

नीति, निष्ठा और नवयुग की गंगा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह दौरा एक गाथा की तरह थाजहाँ हर पड़ाव नीति का पाठ पढ़ाता है। कभी वे बच्चों के बीच शिक्षक बन जाते हैं, कभी सफाईकर्मियों के बीच सेवक, किसानों के बीच मार्गदर्शक और अधिकारियों के बीच अनुशासनप्रिय प्रशासक। काशी की आत्मा को उन्होंने उस रूप में पुनर्जीवित किया, जिसमें सेवा, संस्कार और स्वच्छता का संगम हो। सचमुच, इस प्रवास ने यह प्रमाणित कर दिया कि योगी की काशी अब केवल अध्यात्म की राजधानी नहीं, बल्कि विकास, संस्कृति और सेवा का केंद्रबिंदु बन चुकी है।

योगी ने छन्नूलाल मिश्र को दी श्रद्धांजलि, बोले : काशी की आत्मा थे पंडित जी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने काशी प्रवास के दौरान हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के अमर गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र को नमन किया। उन्होंने उनके लहुराबीर स्थित आवास पर जाकर परिजनों से मुलाकात की और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने पंडित जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कहा पं. छन्नूलाल मिश्र जी केवल कलाकार नहीं, वे काशी की आत्मा थे। उन्होंने अपने सुरों से भारतीय संगीत को अमर कर दिया।

संगीत जगत की अपूरणीय क्षति

91 वर्ष की आयु में हाल ही में दिवंगत हुए पंडित छन्नूलाल मिश्र भारतीय शास्त्रीय संगीत के उस ऊँचे शिखर पर थे, जहाँ से काशी की सुर-सरिता पूरे विश्व में बहती रही। बनारसी ठुमरी, दादरा और भजन गायन को नई ऊँचाई देने वाले पंडित जी को भारत सरकार ने 2020 में पद्म विभूषण से अलंकृत किया था। उनके निधन से काशी समेत सम्पूर्ण संगीत जगत में शोक की लहर है।

कालभैरव-विश्वनाथ के किए दर्शन

श्रद्धांजलि अर्पण के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कालभैरव मंदिर और श्री काशी विश्वनाथ धाम में विधिवत दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने प्रदेश और देश की सुख-समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री ने कहाबाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद ही काशी की पहचान है। यह नगर श्रद्धा, भक्ति और संस्कृति का संगम है।

नमो घाट पर गंगा आरती का अनौपचारिक शुभारंभ

इसके बाद मुख्यमंत्री नमो घाट पहुँचे, जहाँ उन्होंने गंगा आरती का अनौपचारिक शुभारंभ किया। पारंपरिक वाद्य ध्वनियों, मंत्रोच्चार और दीपों की झिलमिल रोशनी में पूरा घाट श्रद्धा के भाव से आलोकित हो उठा। योगी ने कहागंगा आरती केवल पूजा नहीं, यह हमारी सनातन संस्कृति का प्रतीक है। काशी की गंगा आरती विश्व स्तर पर आस्था का केंद्र बने, यह हमारा संकल्प है।

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