Friday, 27 April 2018

आरबीआई द्वारा ओवरड्यूज चार्ज वसूले जाने पर भड़के निर्यातक

आरबीआई द्वारा ओवरड्यूज चार्ज वसूले जाने पर भड़के निर्यातक 
भेजे गए शिपमेंट का भुगतान तीन माह की अवधि में न मिलने पर बैंके दो प्रतिशत अधिक वसूल रही है बिलंब ब्याज 
बैंकों के इस रवैये से निर्यातकों की नींद हराम 
वित्त मंत्री, कपड़ा मंत्री, सीइपीसी एवं एकमा को पत्र भेंजकर निर्यातकों के हित में आवश्वयक कार्रवाई करने की मांग 
           सुरेश गांधी 
          भदोही। जीएसटी रिफंड व जीएसटी ई वे बिल की समस्या से कालीन निर्यातक अभी उबर भी नहीं पाएं कि अब आरबीआई ने नई गाइडलाइन जारी कर मुश्किलें और बढ़ा दी है। निर्यातकों के मुताबिक आरबीआई के नए गाइडलाइन के तहत अब बैंके भेजे गए शिपमेंट का भुगतान तीन माह की अवधि में न मिलने पर दो प्रतिशत अधिक विलंब ब्याज वसूल रही है। बैंकों के इस रवैये से निर्यातकों की नींद हराम हो गयी है। काजीपुर के कालीन निर्यातक मुश्ताक अंसारी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली, कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी समेत कालीन निर्यात संवर्धन परिषद एवं अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के पदाधिकारियों को पत्र भेंजकर निर्यातकों के हित में आवश्वयक कार्रवाई करने की मांग की है। साथ में चेतावनी भी दी है कि यदि इसे तत्काल नहीं रोका गया तो निर्यातक सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे। 
           

श्री मुश्ताक अंसारी ने बताया कि कारपेट विदेशों में इक्स्पोर्ट होता है। अधिकांश आयातक अनुबंध के दौरान 6 से 12 महीने तक की उधारी की शर्त पर आर्डर देते हैं। इससे भेजे गए शिपमेंट का भुगतान कभी तीन चार माह में हो जाता है तो कभी कभी सालभर तक लटका देते हैं। ऐसे में भुगतान आने में अक्सर बिलंब हो जाता है। लेकिन अब बैंकों का फरमान है कि अगर भुगतान मिलने में तीन माह से अधिक बिलंब होगा तो दो प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज लेंगे। बता दें, हाल के दिनों में भदोही समेत पूर्वांचल के कालीन निर्यातकों के तकरीबन पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक जीएसटी रिफंड में फंसा पड़ा है। तमाम प्रयास के बाद भी उन्हें रिफंड नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में कुल लागत का बड़ी पूंजी रिफंड के रूप में फंसने से निर्यातकों का काम प्रभावित हो रहा है। छोटे निर्यातकों की कमर ही टूट ही गई हैं। ऐसे में आरबीआई का यह नया फरमान निर्यातकों के लिए काल बन गया है। श्री मुश्ताक अंसारी ने बताया कि सभी दस्तावेज पूरे होने के बाद भी हमें जीएसटी रिफंड के तहत अपना पैसा लेने में दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सालभर से रिफंड न मिलने से कारोबार प्रभावित हो रहा है। वित्त मंत्रालय में शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है। गौरतलब है कि भदोही से हर साल करीब पांच हजार करोड़ रुपये की कालीन निर्यात होती है। कालीन निर्यातकों का कहना है कि 12 फीसदी जीएसटी अदा करने के बाद कालीन निर्यात किया जाता है। इस लिहाज से अब तक करीब 500 करोड़ रुपये रिफंड मद में जमा हो चुका है। 


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