‘कालेधन’ पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का ‘कमाल’ है ‘टैक्स’ में छूट
बात
सिर्फ
मोदी
सरकार
की
नहीं
है,
हर
राजनीतिक
दल
मतदाताओं
की
लुभाने
की
भरपूर
कोशिश
करता
है।
कोई
कर्जमाफी
तो
कोई
फ्री
में
लैपटाॅप,
मोबाइल
देने
की
बात
करता
है।
अपने
अन्नदाताओं
पर
मोदी
की
कृपा
तो
बरसी
ही
है
नौजवान
से
लेकर
मध्यम
वर्गीयों
को
भी
खास
अंदाज
में
लुभाया
गया।
10 करोड़
कामगारों
को
55 रुपये
में
3000 पेंशन
तो
12 करोड़
किसानों
को हर
साल
3 किश्तों
में
6000 रुपये
देने
की
योजना
है।
पांच
लाख
तक
की
आय
पर
भी
अब
कोई
टैक्स
नहीं
देना
होगा।
कहा
जा
रहा
है
यह
सब
कालेधन
पर
सर्जिकल
स्ट्राइक
का
कमाल
है।
ऐसे
में
बड़ा
सवाल
तो
यही
है
क्या
मिशन
2019 से
पहले
विपक्ष
के
मुद्दे
को
मोदी
ने
हाईजैक
कर
लिया
है?
क्या
वोट
के
लिए
सेना
पर
मोदी
का
प्यार
उमड़ा
है?
क्या
मोदी
मैजिक
में
फंस
गया
विपक्षी
गठबंधन?
क्या
मोदी
की
निगाह
बजट
के
जरिए
25 करोड़
मतदाताओं
पर
है?
केन्द्रीय वित्तमंत्री पीयूष
गोयल ने चुनाव
से पहले अपने
बजट में बड़े
चुनावी दांव चला
हैं। इसमें एक
ओर किसानों व
मजदूरों के अंदर
हाल ही में
सरकार के खिलाफ
उपजे गुस्से को
ठंडा करने की
कोशिश है तो
दुसरी ओर मध्य
प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान
में कांग्रेस सरकार
द्वारा कर्जमाफी के बाद
बढ़े दबाव को
दूर करने की।
यही वजह है
कि इस बजट
को लेकर आम
आदमी से खास
तक खूब चर्चा
हो रही है।
कहा जा रहा
है कि बजट
में मोदी सरकार
ने लुभावनी सौगातों
की झड़ी लगा
दी है। उनके
हर ऐलान में
पीएम मोदी की
हसरत की गूंज
सुनाई दी। किसान,
मजदूर, नौकरीपेशा, कारोबारी हर
तबके को भरपूर
भरोसा दिलाया कि
मोदी सरकार ने
उनकी जेब में
कुछ न कुछ
डाला ही है।
सबसे बड़ा ऐलान
आयकर की सीमा
को लेकर हुआ।
अभी तक सालाना
2.5 लाख रुपए तक
की आय टैक्स
फ्री थी, लेकिन
मोदी सरकार ने
इसे सीधे दोगुना
यानी 5 लाख कर
दिया है। इसके
अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन
की सीमा भी
40 हजार से बढ़ाकर
50 हजार रुपए कर
दी गई। पिछले
सालों से आगे
बढ़ते हुए इस
साल मनरेगा के
लिए 60,000 करोड़ रुपये
का प्राविधान भी
ग्रामीण, भूमिहीन और गरीब
किसानों के हालात
सुधारते हुए समानता
और रोजगार के
लिए एक बड़ा
कदम माना जा
सकता है। जीएसटी
में पंजीकृत लघु
उद्योगों को 2 प्रतिशत
ब्याज में छूट
महत्वपूर्ण और सराहनीय
है। जैम, जा
कि सरकारी खरीद
के लिए एक
आॅनलाइन पोर्टल है, को
अब सरकार के
उद्यमों के लिए
खोले जाने से
लघु उद्यमो को
अपने सामान बेचने
में आसानी होगी।
टैक्स छूट की
सीमा आखिरी बार
2014 में बढ़ाकर 2.5 लाख की
गई थी। 5 साल
बाद चुनाव से
ऐन पहले इसे
दोगुना करके मोदी
सरकार ने बड़ा
ट्रंप कार्ड खेला
है। बजट में
सरकार की ओर
से कर्मचारियों को
तोहफा देते हुए
ग्रेच्युटी लिमिट को डबल
करने का भी
ऐलान किया गया
है। पहले यह
लिमिट 10 लाख की
थी जो अब
20 लाख रुपए हो
गई है। सरकार
ने 75 हजार करोड़
का बजट किसान
सम्मान निधि के
नाम पर तय
कर दिया है।
इसके तहत छोटे
किसानों को हर
साल 6 हजार रुपए
सीधे उनके खाते
में डाले जाएंगे।
माना जा रहा
है कि यह
सभी को न्यूनतम
बेसिक आमदनी की
ओर पहला कदम
है। गौरतलब है
कि ग्रोथ के
इस दौर में
खेती बहुत पीछे
छूटती जा रही
थी। महंगी खाद
और बीज व
किसानों को मिलने
वाले उपकरण की
कीमतों में वृद्धि
से उनका जीवन
दूभर हो गया
था। इससे थोड़ी
राहत जरुर होगी।
मध्यम वर्ग के
3 करोड़ करदाताओं, वेतन व
पेंशन भोगियों के
लिए 5 लाख तक
आय वालों को
सालाना 6 हजार रुपये
देकर लगभग 12 करोड़
किसानों, पेंशन के जरिए
करीब 10 करोड़ असंगठित
क्षेत्र के मजदूरों
व कामगारों के
अलावा लगभग 25 करोड़
लोगों को चुनावी
चाशनी में लपटने
की भरपूर कोशिश
की है। इस
कवायद में मध्यम
वर्ग को सालाना
12.5 हजार से ज्यादा
व किसानों को
6 हजार रुपये कसीधा लाभ
मिलने का रास्ता
खुल गया है।
कहा जा सकता
है सरकार ने
बजट के बहाने
सुनावी साल में
मतदाताओं को प्रभावित
करने का कोई
भी अवसर नहीं
छोड़ा है। हालांकि
भारत एक लोकतांत्रिक
देश है, इसलिए
सरकार के कामकाज
पर अंतिम मोहर
जनता की ही
लगती है। अब
देखना होगा कि
जनता को मोदी
का यह कामकाज
पसंद आया या
नही, इसका फैसला
चुनाव में ही
हो जायेगा।
मोदी सरकार
ने अपने बजट
में किसानों को
भी खुश करने
हर कोशिश की।
सरकार ने 75 हजार
करोड़ का बजट
किसान सम्मान निधि
के नाम पर
तय कर दिया
है। इसके तहत
छोटे किसानों को
हर साल 6 हजार
रुपए सीधे उनके
खाते में डाले
जाएंगे। किसानों को सालभर
में दो- दो
हजार रूपए की
तीन किस्तों में
कुल 6,000 रुपए उनके
खाते में हस्तांतरित
किए जाएंगे। इस
योजना के दायरे
में करीब 12 करोड़
किसान परिवार आएंगे।
बजट में श्रमिकों
को भी खास
जगह मिली। संगठित क्षेत्र
में काम करने
वाले और महीने
में 21 हजार रुपए
कमाने वाले लोगों
को 7 हजार रुपए
सालाना बोनस दिया
जाएगा। इसके अलावा
60 साल से ज्यादा
उम्र वाले मजदूरों
को हर महीने
3000 रुपए की पेंशन
दी जाएगी। 10 करोड़
मजदूर इस पेंशन
योजना के तहत
आएंगे। इसके अलावा
श्रमिकों की मौत
पर मुआवजा बढ़ाकर
6 लाख कर दिया
गया है। इस
स्कीम की सबसे
बड़ी खासियत यह
है कि इसमें
55 रुपये प्रतिमाह निवेश करने
पर 3000 रुपये हर महीने
पेंशन के तौर
पर मिलेंगे। दरअसल
कोई 18 साल का
असंगठित क्षेत्र में काम
करने वाला इस
स्कीम का फायदा
उठाता चाहता है
तो उसे 60 साल
तक हर महीने
55 रुपये प्रधानमंत्री श्रम-योगी
मानधन योजना में
निवेश करना पड़ेगा।
इस योजना का
लाभ उठाने के
लिए सरकार की
ओर से कुछ
शर्तें रखी गई
हैं। इस योजना
के दायरे में
असंगठित क्षेत्र में काम
करने वाले की
मासिक आय ज्यादा
से ज्यादा 15,000 रुपये
तक हो। वहीं
अगर 29 साल की
उम्र में इस
पेंशन योजना से
जुड़ने वाले असंगठित
क्षेत्र के कामगार
को केवल 100 रुपये
हर महीने 60 वर्ष
की उम्र तक
निवेश करना होगा।
खास बात यह
है कि हर
महीने निवेशक जितना
इस स्कीम में
जमा करेगा उतना
ही सरकार की
ओर से खाते
में हर महीने
राशि जमा की
जाएगी। कम से
कम 18 साल की
उम्र से इस
योजना में निवेश
किया जा सकता
है और अधिकतम
29 साल की उम्र
तक निवेश किया
जा सकता है।
बजट में
घर खरीदनों वालों
को जीएसटी में
राहत देने का
भी ऐलान किया
गया है। 2.40 लाख
रुपए तक मकान
किराए पर टीडीएस
खत्म कर दिया
गया है। अगर
कोई अपना एक
घर बेचकर उस
अमाउंट से दो
घर भी खरीदता
है तो उसे
कैपिटल गेन टैक्स
अब नहीं देना
पड़ेगा। पहले केवल
एक ही घर
खरीद सकते थे।
इस कदम से
बड़े शहरों में
रहने वाले लोगों
को लाभ मिलने
वाला है। अब
किराये की आमदनी
पर कटौती की
सीमा बढ़ा दी
गई है। पहले
सालाना 1 लाख 80 हजार रुपये
तक किराये पर
कर नहीं देना
पड़ता था, इससे
ऊपर की रकम
पर कर की
कटौती होती थी।
लेकिन अब इस
रकम को बढ़ाकर
2 लाख 40 हजार रुपये
कर दिया है।
यानी 2,40,000 रुपये तक के
किराये पर अब
कोई टैक्स नहीं
देना होगा। अगर
किसी के पास
एक से अधिक
यानी दो घर
हैं, उसमें से
एक घर का
टैक्स देना पड़ता
था। क्योंकि आयकर
विभाग को लगता
था कि दो
घर में से
एक घर को
किराए पर लगाया
गया होगा, और
उससे होने वाली
आमदनी पर टैक्स
वसूला जाता था।
लेकिन अब बच्चों
की शिक्षा, नौकरी
और पैरंट्स की
वजह से बहुत
से लोगों को
दो शहरों में
घर होते हैं।
अब ऐसे लोगों
को बड़ी राहत
मिली है जिनके
पास अपने दो
घर हैं, उन्हें
अब दोनों घरों
के ब्याज पर
टैक्स छूट मिलेगी।
2 करोड़ रुपये तक के
पूंजीगत लाभों को प्राप्त
करने वाले एक
करदाता के एक
आवासीय घर से
दूसरे आवासीय घर
में निवेश के
लिए आयकर अधिनियम
की धारा 54 के
अंतर्गत पूंजीगत लाभों में
वृद्धि का प्रस्ताव
किया है। यानी
अगर कोई अब
अपना एक घर
को बेचकर उससे
मिली राशि से
दो घर भी
खरीद लेते हैं
तो भी लॉन्ग
टर्म कैपिटल गेन
टैक्स नहीं भरना
पड़ेगा। इससे अब
बड़े शहरों में
मकानों की बिक्री
बढ़ सकती है।
इसके अलावा अंतरिम
बजट के जरिए
मोदी सरकार ने
बिल्डरों को बिना
बिके हुए घर
पर टैक्स छूट
दी है, उन्हें
बिना बिके घरों
पर 2 साल तक
कोई कर नहीं
देना होगा।
सरकार ने गाय
पालन को बढ़ाने
की दिशा में
भी कदम उठाया।
इसके लिए राष्ट्रीय
कामधेनु योजना के तहत
750 करोड़ के बजट
का ऐलान किया
गया है। इसमें
पशुपालन और मत्स्य
पालन के लिए
कर्ज में 2 प्रतिशत
की छूट देने
की घोषणा की
है। आखिरी साल
में ही सही
सरकार की गोमाता
के सम्मान का
ध्यान देने का
स्वागत की ही
जानी चाहिए। इससे
गांवों में भी
रोजगार बढ़ने के
आसर है। गांव
को विकास के
साथ जोड़ने के
लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण
विकास योजना को
विशेष महत्व दिया
गया है। अगले
5 साल में 1 लाख
डिजिटल गांव बनाए
जाने का लक्ष्य
रखा है। इसमें
19 हजार करोड़ खर्च
कर गांव की
सड़क से लेकर
हर सुविधाएं देने
की योजना है।
सरकार ने महिलाओं
की सशक्तिकरण के
लिए 26 हफ्तों का मातृत्व
अवकाश देने की
बात कही है।
इसके अलावा ग्रामीण
महिलाओं के जीवन
में परिवर्तन लाने
की दिशा में
स्वच्छ ईंधन मुहैया
कराने के लिए
उज्जवला योजना के तहत
8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन का
लक्ष्य रखा है।
इसमें से 6 करोड़
कनेक्शन दिए जा
चुके हैं। गर्भवती
महिलाओं के लिए
मातृवंदना योजना लागू की
गई। बजट में
डिफेंस सेक्टर को भी
खास जगह मिली।
इसके लिए 3 लाख
करोड़ रुपये के
बजट का आवंटन
किया गया है।
वन रैंक, वन
पेंशन के तहत
सरकार ने रिटायर्ड
सैनिकों को 35 हजार करोड़
रुपये दिए हैं।
सैनिकों की यह
मांग 40 साल से
लंबित पड़ी थी।
अब बजट में
भारतीय रेलवे को 1.58 लाख
करोड़ का बजट
दिया गया है।
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