कश्मीर की शांति से राहुल की बौखलाहट?
गोलियों की तडतड़ाहट से गूंजने वाली घाटी धारा 370 के खात्मे के बाद शांत है। इक्का दुक्का जगहों पर तू तू मैं मैं की घटनाओं को छोड़ दें तो कहीं भी घाटी में कोई खून खराबा नहीं हुआ है। पिछले छह दिनों में पुलिस ने एक भी गोली भी नहीं चलाई है। इससे एक तरफ घाटी को उड़ा देने की धमकी देने वाला पाकिस्तानी पीएम इमरान की झुझलाहट बढ़ गयी है वहीं घाटी में किसी खून खराबा कराने की मंशा पाले राहुल गांधी बौखला गए है। घाटी में शांति एवं अमन के बीच ईद मनाने की तैयारी में जुटे कश्मीरियों की शांति जब राहुल से देखी नहीं गयी तो बयान दे दिया कि वहां सबकुछ ठीक नहीं है। कहा, जम्मू कश्मीर में हिंसा की चपेट में है। हालांकि उनके इस अफवाह फैलाने वाली बयान का हर जगह पूरजोर विरोध हुआ। लेकिन बड़ा सवाल तो यही है क्या कश्मीर की शांति से इमरान की तरह राहुल गांधी भी बौखला गए है?
सुरेश गांधी
फिरहाल,
जम्मू
कश्मीर
से
आर्टिकल
370 हटाए
जाने
के
बाद
से
प्रदेश
में
शांति
है।
यह
अलग
बात
है
कि
कांग्रेस
नेता
राहुल
गांधी
को
यह
बात
गले
के
नीचे
नहीं
उतर
रही
है।
यही
वजह
है
कि
राहुल
ने
जम्मू
कश्मीर
में
हिंसा
की
कुछ
घटनाओं
पर
पीएम मोदी
से
स्थिति
साफ
करने
की
मांग
की
है।
उन्हें
इस
बात
की
खास
मलाल
है
कि
घाटी
में
क्यों
विरोध
नहीं
हो
है।
घाटी
के
लोगों
की
शांति
से
खिसियाएं
राहुल
गांधी
को
लगता
है
कि
वहां
खून
खराबा
ना
होने
देने
के
लिए
प्रशासन
की
सख्ती
जिम्मेदार
है।
अगर
जम्मू
कश्मीर
के
नेताओं
को
हिरासत
में
ना
लिया
गया
होता
तो
सैकड़ों
जाने
अब
तक
चली
गयी
होती।
जगह
जगह
तोड़फोड़
की
घटनाएं
व
आगजनी
होती।
लेकिन
अगर
इसी
तरह
शांति
बनी
रही
तो
उनकी
राजनीति
का
क्या
होगा?
कहीं
ये
शांति
फिर
मोदी
को
2024 तक
के
लिए
मजबूत
न
बना
दें।
हालांकि
इस
शांति
को
अशांति
में
बदलने
के
लिए
उनका
प्रयास
जारी
है।
उधर, कश्मीर पर किसी का साथ नहीं मिलने से पाक पीएम इमरान ट्विटर पर गिड़गिड़ाने
की
भूमिका
में
है।
इमरान
खान
ने
ट्विटर
पर
भारत
के
खिलाफ
झूठे
आरोपों
की
बौछार
कर
दी
है
और
कहा
है
कि
क्या
दुनिया
के
नेता
इस
बारे
में
कोई
कदम
उठाएंगे?
इमरान
खान
ने
कहा
है
कि
कश्मीर
में
कर्फ्यू
है
और
वहां
पर
कश्मीरियों
के
साथ
ज्यादती
की
जा
रही
है।
इमरान
की
ट्वीट
के
बाद
राहुल
गांधी
भी
उन्हीं
के
सूर
में
सूर
मिलाते
हुए
कश्मीर
में
अशांति
की
दुहाई
देने
लगे
है।
कहा
जा
सकता
है
पाकिस्तानी
पीएम
इमरान
खान
और
अलगाववादियों
के
सूर
में
सूर
मिलाते
हुए
घाटी
में
वे
झूठे
बयानों
के
सहारे
राहुल
गांधी
अंशाति
फैलाने
में
जुटे
है।
ऐसे
में
देश
जानना
चाहता
है
कि
क्या
राहुल
को
सरकार
पर
नहीं
‘अफवाह
गैंग‘ पर भरोसा है? क्या घाटी में अमन वाली से शांति से राहुल के होश उड़ गए है? क्या राहुल गांधी पाकिस्तान की वकालत कर रहे है? क्या कांग्रेसी इमरान की हमदर्दी के सहारे अपनी खोई जमीन लौटाने की कोशिश में है? क्या अलगाववादियों का एजेंडा फेल होने से राहुल परेशान है? क्या कश्मीर में अमन की शांति राहुल गांधी बौखला गए है? क्या कश्मीर पर कांग्रेस का पाकिस्तान से गठबंधन है? क्या मोदी कश्मीर को ईद का तोहफा देने का वादा पूरा कर सकेंगे?
हो जो भी हकीकत तो यही है अलगाववादियों
में
बढ़ती
बेरोजगारी
से
कांग्रेस
की
नींद
हराम
है।
खासकर
उसके
उस
सपने
को
पलीता
लग
गया
जिसे
वो
धारा
370 हटने
के
बाद
खून
खराबे
की
सपना
संजोएं
रखी
थी।
लेकिन
उनके
इस
सपने
को
बट्टा
लगतार
दिख
रहा
है।
कश्मीर
में
6 दिनों
में
एक
भी
गोली
नहीं
चली
है
और
ना
ही
पथराव
की
घटनाएं
हुई
है।
फायरिंग
और
झड़प
सहित
लोगों
के
सड़क
पर
उतरने
की
खबरें
महज
अफवाह
तक
ही
सीमित
है।
बता
दें
कि
पिछले
सप्ताह
मोदी
सरकार
ने
जम्मू
कश्मीर
से
आर्टिकल
370 हटा
दिया
जो
कि
राज्य
को
विशेषाधिकार
देता
था।
अब
जम्मू
कश्मीर
और
लद्दाख
दो
अलग-अलग केन्द्र
शासित
प्रदेश
हैं।
पीएम
मोदी
ने
राष्ट्र
के
नाम
अपने
संबोधन
में
कहा
है
कि
जम्मू
कश्मीर
में
जैसे
ही
शांति
व्यवस्था
बहाल
होगी
इसे
पूर्ण
राज्य
का
दर्जा
दे
दिया
जाएगा।
हालांकि,
उन्होंने
यह
बिल्कुल
स्पष्ट
तौर
पर
कहा
कि
लद्दाख
केन्द्र
शासित
प्रदेश
ही
रहेगा।
घाटी में अमन के लिए राष्ट्रीय
सुरक्षा
सलाहकार
अजीत
डोभाल
डेरा
जमाएं
हुए
है।
आम
लोगों
से
मेल-मुलाकात
कर
शांति
की
अपील
कर
रहे
है।
वे
बकरीद
त्योहार
के
लिए
मौजूदा
सुरक्षा
तंत्र
पर
भरोसा
करने
की
बात
कह
कर
रहे
है।
हालांकि
व्यक्तिगत
रूप
से
डोभाल
के
लिए
और
सामूहिक
रूप
से
सरकार
के
लिए
बहुत
कुछ
दांव
पर
है।
राज्य
में
बंदी
लागू
कर
और
स्थानीय
आबादी
का
पाकिस्तान
से
संपर्क
तोड़
कर
सरकार
ने
एक
बड़ी
राजनीतिक
और
कूटनीतिक
जीत
हासिल
की
है।
डोभाल
खुद
जमीनी
स्तर
पर
स्थानीय
लोगों
से
बात
कर
उन्हें
समझते
नजर
आए
कि
उनका
एकमात्र
विकल्प
भारत
और
उसका
विकास
मॉडल
है।
कट्टरपंथी
इस्लामी
वहाबी
सलाफिज्म
जो
युवाओं
को
राजनीतिक
जेहाद
की
आड़
में
भड़काता
है,
भारत
की
सबसे
बड़ी
चिंता
है।
इस
बात
के
मद्देनजर
कि
पुलवामा
हमला
एक
स्थानीय
फिदायीन
द्वारा
किया
गया
था,
भारत
काफी
सतर्कता
के
साथ
कदम
बढ़ा
रहा
है।
हालांकि,
सभी
प्रमुख
राष्ट्र
भारत
के
साथ
हैं
और
उन्होंने
इसे
भारत
का
आंतरिक
मामला
बताया
है,
लेकिन
भाजपा
की
असली
सफलता
तब
होगी,
जब
राज्य
में
बंदी
समाप्त
होने
के
बाद
सामान्य
माहौल
बना
रहे।
डोभाल
इस
पूरी
प्रक्रिया
में
एक
खास
भूमिका
में
दिखाई
दे
रहे
हैं।
लेकिन
सिर्फ
सोमवार
के
ईद
त्योहार
पर
ही
केंद्र
सरकार
की
परीक्षा
नहीं
होगी,
बल्कि
पूरा
सप्ताह
मुश्किल
भरा
हो
सकता
है।
14 अगस्त को पाकिस्तान
का
स्वतंत्रता
दिवस
है।
इसके
बाद
15 अगस्त
को
भारत
का
स्वतंत्रता
दिवस
है।
उस
दिन
दक्षिण
कश्मीर
की
पंचायतें
अशांत
जिलों
शोपियां,
कुलगाम,
पुलवामा
और
अनंतनाग
में
भारतीय
तिरंगा
फहराएंगी।
दरअसल,
भाजपा
सरकार
एक
संदेश
देने
के
लिए
इन
सभी
क्षेत्रों
में
तिरंगा
फहराने
पर
जोर
दे
रही
है।
डोभाल
घाटी
में
अर्धसैनिक
बल,
सेना
के
कमांडरों
और
अन्य
एकीकृत
कमान
के
साथ
लगातार
संपर्क
में
हैं।
भारत
इस
तरह
का
निर्णय
लेने
के
बाद
संकल्प
के
इस
प्रदर्शन
में
किसी
भी
पड़ाव
पर
कमजोर
नहीं
दिखना
चाहता।
सरकार
ने
फीदाइन
हमलों,
पथराव
और
अलगाववादी
आंदोलनों-
के
संभावित
सभी
नेताओं
को
बड़ी
सावधानी
के
साथ
शिफ्ट
किया
है।
परेशानी
खड़ा
कर
सकने
वाले
तत्वों
को
आगरा
और
बरेली
की
जेलों
में
स्थानांतरित
कर
दिया
गया
है।
हरियाणा
में
भी
इसी
तरह
किया
गया।
इसके
बाद
हरी
झंडी
मिलते
ही
एयरलिफ्ट
शुरू
हुई
और
सशस्त्र
काफिले
का
इस्तेमाल
किया
गया।
पूरी
मजबूती
के
साथ
कश्मीर
घाटी
में
सुरक्षा
ग्रिड
को
सभी
घटनाओं
और
पथराव
और
हिंसक
विरोध
प्रदर्शन
के
लिए
तैयार
किया
गया
है।
लेकिन
एक
के
बाद
एक
तीन
महत्वपूर्ण
दिनों
पर
सबकी
नजरें
होंगी
कि
डोभाल
और
उनकी
टीम
क्या
कर
रहे
हैं। एक बार इन तीन दिनों के शांति से गुजर जाने के बाद भारत घाटी में स्थायी शांति लाने का समाधान तलाशने की कोशिश करेगा। इसी तीन को अशांत करने के लिए देशद्रोहियों
ने
बीड़ा
उठा
रखा
है।
राहुल
गांधी
के
बयान
को
भी
इसी
कड़ी
से
जोड़कर
देखा
जा
रहा
है।
जबकि
जम्मू-कश्मीर प्रशासन
ने
बकरीद
को
लेकर
खास
तैयारियां
की
हैं।
छुट्टी
के
दिन
भी
बैंक
खोलने
और
एटीएम
चालू
रखने
का
फैसला
किया
गया
है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन
ने
लोगों
के
लिए
300 स्पेशल
टेलीफोन
बूथ
बनाए
हैं,
ताकि
दिल्ली
और
अलीगढ़
समेत
देश
के
विभिन्न
हिस्सों
में
रहने
वाले
जम्मू-कश्मीर के स्टूडेंट
अपने
परिजनों
से
बातचीत
कर
सकें
और
बकरीद
मना
सकें।
जम्मू-कश्मीर में आम लोगों को खाने-पीने और रोजमर्रा
के
सामानों
की
कोई
दिक्कत
न
हो,
इसके
लिए
खास
व्यवस्था
की
गई
है।
इसके
लिए
जम्मू-कश्मीर प्रशासन
ने
रोजमर्रा
के
जरूरी
समानों
का
पर्याप्त
भंडारण
किया
है।
65 दिन
के
लिए
गेहूं
का
स्टॉक,
55 दिन
के
लिए
चावल,
17 दिन
के
लिए
मटन,
एक
महीने
के
लिए
चिकन,
35 दिन
के
लिए
कैरोसीन
ऑयल,
एक
महीने
के
लिए
एलपीजी,
28 दिन
के
लिए
हाईस्पीड
डीजल
और
पेट्रोल
का
स्टॉक
किया
गया
है।
कश्मीर
में
3,697 में
से
3,557 राशन
स्टोर
को
चालू
कर
दिया
गया
है।
यहां
से
आम
लोग
राशन
की
खरीददारी
कर
सकते
हैं।
मोबाइल
वैन
के
जरिए
सब्जियों,
एलपीजी,
चिकन
और
अंडे
लोगों
के
दरवाजे
तक
पहुंचाए
जा
रहे
हैं।
बकरीद
पर
कुर्बानी
के
लिए
2 लाख
50 हजार
भेड़-बकरियां
उपलब्ध
कराई
गई
हैं।
किसी
भी
तरह
की
कोई
घटना
न
हो,
इसके
लिए
सुरक्षा
के
भी
कड़े इंतजाम
किए
गए
हैं।
No comments:
Post a Comment