अद्भुत श्रृंगार में नजर आए प्राचीन मंदिर, पांडेयपुर के रोअनवा महाबीरजी
सुरेश गांधी
वाराणसी। धर्म
एवं आस्था की
नगरी काशी के
पांडेयपुर स्थित प्राचीन हनुमान
मंदिर में रविवार
को श्रीहनुमान जी
का वार्षिक हिम
श्रृंगार किया गया।
इस मौके पर
पूरे मंदिर को
तरह-तरह के
फूलों एवं रंग
बिरंगी आकर्षक विद्युत झालारों
से सजाया गया।
पूरा मंदिर परिसर
दुल्हन की तरह
सजा था। सायं
6 बजे हवन के
साथ बजरंगबली का
विशेष हवन पूजन
किया गया। हवन-पूजन के
बाद मंदिर में
भक्तों की भीड़
उमड़ी। मंदिर में
अलसुबह से ही
हनुमान चालीसा व अन्य
भजनों से वातावरण
पूरी तरह भक्तिमय
हो गया।
मंदिर को सजाने
की तैयारियां एक
दिन पहले से
ही शुरु हो
गयी थी। आज
सुबह मंदिर प्रांगण
में विराजमान बजरंगबली
को बाबा अमरनाथ
गुफा की तर्ज
पर सजाया गया।
इस दौरान मंदिर
में बर्फ की
रंग बिरंगी सिल्लियों
के बीच विविध
फूलों द्वारा मंदिर
प्रांगण को भव्यता
प्रदान की गई
थी। बर्फ द्वारा
बाबा अमरनाथ गुफा
की अद्भुत झांकी,
देवी-देवताओं का
स्वरूप के साथ
ही बाबा भोलेनाथ
का भी रूप
बना कर मंदिर
में हिम श्रृंगार
का अलौकिक व
अद्भुत नजारा पेश किया
गया। दोपहर बाद
पंडे-पुजारियों ने
ढोल-नगाडों के
साथ बजरंगबली की
श्रृंगार आरती की
और फिर श्रद्धालुओं
के दर्शन करने
का सिलसिला शुरू
हो गया।
इस अवसर
पर बजरंगबली को
मोदक समेत अनेक
प्रकार के व्यंजन
फल आदि का
भोग लगाया गया।
शाम ढलते ही
बड़ी संख्या में
भक्त हनुमत दरबार
में बजरंगबली की
एक झलक पाने
पहुंचे। इस दौरान
श्रद्धालु हनुमत भक्ति में
लीन हो गए।
जयकारों से पूरा
मंदिर परिसर गूंज
रहा था। बजरंगबली
की अद्भुत एवं
अलौकिक साज-सज्जा
के साथ मंदिर
में परिसर में
विराजमान माता पार्वती,
माता काली का
भी भव्य श्रृंगार
किया गया। बजरंगबली
की इस अलौकिक
श्रृंगार का दर्शन
कर भक्त निहाल
हो रहे थे।
विभिन्न फूलों से मंदिर
को सजाकर मनमोहक
स्वरूप दिया गया।
वार्षिक हिम श्रृंगार
हर वर्ष की
भांति आकर्षण का
केंद्र रहा। जहां
भक्तों ने बजरंगबली
का दर्शन कर
सुख-शांति की
प्रार्थना की।
मंदिर पुजारी के
मुताबिक सुबह ब्रह्म मुहूर्त
में महाआरती और
विशेष श्रृंगार किया
गया। मंदिर में
सुबह से ही
दर्शन और पूजन
के लिए भक्तों
का तांता लगा
रहा। आकर्षक सजाट
के चलते भक्त
लगातार मोबाइल से सेल्फी
लेते देखे गए।
बता दें, काशी
और मंदिर का
जन्मों-जन्मों से नाता
रहा है। या
यूं कहे दोनों
एक दूसरे के
पूरक ही नहीं
बल्कि पहचान भी
हैं। उन्हीं मंदिरों
में से एक
है प्राचीन हनुमान
मंदिर, पांडेपुर। कहते है
यहां तमाम मुसीबतों
से हैरान-परेशान
इंसान अगर बजरंगबली
के सामने रोते-बिलखते कहता है
तो उसकी सारे
कष्ट पल में
दूर हो जाते
हैं। इसीलिए इन्हें
रोअनवा महावीर के नाम
से भी जाना
जाता है। सवापाव
लड्डू की चढ़ावे
व हनुमान चालिसा
पढ़ने मात्र से
ही हो जाते
है बजरंगबली प्रसंन।
फिर चाहे बात
बुरी नजर की
हो या शनि
के प्रकोप से
मुक्ति की। भक्तों
को देते है
रक्षा कवच, डाक्टर-इंजिनियर, गीत-संगीत
व परीक्षा में
उत्तीर्ण होने का
वरदान।
हर मंगलवार
और शनिवार को
हजारों की तादाद
में श्रद्धालुओं का
दर्शन को तांता
लगा रहता है।
मान्यता है कि
जो भक्त अपनी
पीड़ा या यू
कहे कष्ट को
उनके सामने रो-रोकर कहता
है उसकी सारी
मुसीबत पल भर
में दूर हो
जाती है। उसे
मिल जाता है
हर इच्छा पूरी
होने का आर्शीवाद।
तभी तो यहां
सुबह से लेकर
शाम तक लगा
रहता है भक्तों
का जमघट। छात्र
हो या व्यापारी
हर तबका सुबह
जरुर रोअनवा महाबीर
को याद कर
करता है अपनी
दिनचर्या की शुरुवात।
कहते है पचकोशी
यात्रा के दौरान
हर भक्त यहां
जरुर ठहरते व
रुकते थे। बगैर
मंदिर में मत्था
टेके उनकी पूरी
नहीं होती थी
यात्रा।
मंदिर के पीछे
अखाड़ा हुआ करता,
जहां से एक-दो नहीं
सैकड़ों पहलवान निकलकर देश
में अपना नाम
रोशन कर चुके
हैं। इस मौके
पर व्यापारी नेता
मनीष गुप्ता, विनय
गुप्ता, राजन गुप्ता,
संतोष जायसवाल, प्रदीप
जायसवाल, हृदय गुप्ता,
शैलेस गुप्ता, महेश
गुप्ता, सत्तन यादव, राजेश
गुप्ता, दिलीप जायसवाल, कैलाश
कन्नौजिया, छेदीलाल पटेल, अनिल
लोकवानी, संतोष गुप्ता, रोहित
विश्वकर्मा, विजय गुप्ता
व अजय गुप्ता
आदि का योगदान
सराहनीय रहा।
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