काशी में देवताओं ने मनाई दीवाली, गंगा ने पहना दीपों का चंद्रहार
राज्यपाल
आनंदीबेन पटेल
ने किया अस्सी घाट
पर उद्घाटन
एवं भइसाघाट
पर समापन
गंगा
की लहरों पर लहराते दीपों की
छटा देख
देश-विदेश
के लोग मंत्रमुग्ध
सुरेश गांधी
वाराणसी। पूनम की रात (कार्तिक पूर्णिमा) देवों की दीपावली मनाने के लिए बनारस के घाटों और कुंडों पर मानो सितारे उतर आए। देश-विदेश के लाखों सैलानियों व श्रद्धालुओं की मौजूदगी में मंगलवार को गंगा तीरे जगमग हुए लाखों दीपों ने कण-कण को रोशन कर दिया। जल दीपोत्सव के इस नयनाभिराम दृश्य को देखकर लोग पलकें झपकाना भूल गए। भगवान शिव के त्रिपुरासुर का वध कर अत्याचार से मुक्ति दिलाने व भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागरण पर देव दीपावली मनाने की परंपरा है।
धर्म-अध्यात्म
और
राष्ट्रीय
भावना
के
इस
पर्व
पर
दीपों
के
प्रकाश
से
प्रदीप्त
गंगा
के
अप्रतिम
सौंदर्य
को
निहारने
के
लिए
देश-दुनिया से लाखों लोग जुटे। इनमें प्रदेश के राज्यपाल
आनंदी
बेन
पटेल
समेत
कई
नामचीन
हस्तियां
भी
थीं।
देव
दीपावली
महोत्सव
का
उद्घाटन
अस्सी
घाट
पर
एवं
समापन
भइसा
घाट
पर
राज्यपाल
आनंदीबेन
पटेल
ने
किया।
इस
मौके
पर
उन्होंने
मां
गंगा
की
महिमा
का
वर्णन
करते
हुए
कहा
कि
84 घाटों
पर
कुल
21 लाख
से
भी
दीप
जलाएं
गए,
जो
अपने
आप
में
रिकार्ड
है।
उनके
साथ
पर्यन
मंत्री
नीलकंठ
तिवारी,
मंडलायुक्त
दीपक
अग्रवाल,
आईजी
विजय
मीणा
ने
दीप
प्रज्जवलन
एवं
गंगा
पुस्तिका
का
विमोचन
किया।
घाटों पर विभिन्न
आकृतियों
की
दीपमालिका,
भवनों-अट्टालिकाओं
पर
रंग-बिरंगे विद्युत
झालरों
से
की
गई
सजावट
मन-मस्तिष्क
में
गहरे
तक
उतर
गई।
आतिशबाजी
संग
भजनों
की
धुन
ने
महोत्सव
में
चार
चांद
लगा
दिए।
इसे
निहारने
के
लिए
पूरा
इलाका
गंगा
तट
पर
उमड़
आया।
अति
प्राचीन
पंचनदतीर्थ
(पंचगंगा
घाट)
पर
मां
गंगा
के
पूजन
संग
जैसे
ही
हजारा
की
रोशनी
बिखरी,
काशी
के
चौरासी
घाट
भी
असंख्य
दीपों
से
जगमगा
उठे।
दीपों
का
साथ
पाकर
पूनम
की
रात
भी
इठला
उठी।
चहुंओर
उजियारा
फैल
गया।
इस अद्भुत व अप्रतिम
नजारे
की
झलक
पाने
के
लिए
घंटों
पहले
से
तट
जमा
जन
सैलाब
का
उत्साह
देखते
ही
बन
रहा
था।
देशी-विदेशी सभी श्रद्धालु
दीपों
की
अनुपम
छटा
में
खो
गए।
वैश्विक
स्तर
पर
अपनी
विशिष्टता
कायम
करने
वाला
काशी
का
यह
लक्खा
मेला
शाम
ढलने
के
साथ
ही
पूरी
रौ
में
दिखा।
घाटों
पर
दोपहर
बाद
से
ही
लोग
पहुंचने
लगे
थे।
धीरे-धीरे घाटों की ओर जाने वाला हर रास्ता पद यात्रियों
के
हुजूम
से
जाम
होता
गया।
कमोबेश
यही
स्थिति
घाटों
पर
भी
थी।
पैदल
चलने
में
भी
मशक्कत
करनी
पड़
रही
थी।
अस्सी घाट से आदिकेशव
तक
सात
किमी
लंबी
घाटों
की
श्रृंखला
पर
लाखों
दीपों
ने
सितारों
के
गंगा
तीरे
उतरने
का
अहसास
कराया।
लोगों
को
अनुभूत
हुआ
मानो
आज
देवाधिदेव
की
नगरी
काशी
में
समस्त
देवगणों
संग
भगवान
भास्कर
भी
बाबा
भोलेनाथ
की
आराधना
करने
के
लिए
अस्त
नहीं
हुए।
चारों
ओर
उजाला
ही
उजाला।
घाटों
पर
विभिन्न
आकृतियों
की
दीपमालिका,
भवनों-अट्टालिकाओं
पर
रंग-बिरंगे विद्युत
झालरों
से
की
गई
सजावट
मन-मस्तिष्क
में
गहरे
तक
उतर
गई।
आतिशबाजी
संग
भजनों
की
धुन
ने
महोत्सव
में
चार
चांद
लगा
दिए।
इस
अद्भुत
छटा
को
निहारने
के
लिए
जुटी
भीड़
ने
अस्सी
से
लेकर
दशाश्वमेध
घाट
और
आदिकेशव
से
दशाश्वमेध
के
बीच
के
लंबे
क्षेत्रफल
के
भी
छोटा
होने
का
आभास
कराया।
हजारों
नौकाओं,
बजड़े
व
स्टीमर
से
लोग
गंगा
किनारे
मनाए
जाने
वाले
इस
अलौकिक
व
अनूठे
पर्व
के
साक्षी
बने।
हजारा संग जगमगाए चौरासी घाट
कार्तिक
पूर्णिमा
पर
होने
वाले
देव
दीपावली
महोत्सव
का
आगाज
शाम
को
पंचनदतीर्थ
पंचगंगा
घाट
पर
विधि
विधान
से
गंगा
पूजन
और
महारानी
अहिल्याबाई
होल्कर
द्वारा
बनवाए
गए
हजारा
दीपस्तंभ
में
1008 दीप
जलाकर
किया
गया।
इसके
पश्चात
अस्सी
से
आदिकेशव
तक
के
चौरासी
घाट
दीपों
से
रोशन
हो
उठे।
दशाश्वमेध,
अस्सी,
केदार,
भैसासुर
व
आदिकेशव
घाट
पर
दीपदान
संग
मां
गंगा
का
दुग्धाभिषेक,
पूजन
और
महाआरती
की
गई।
जाह्नवी में बही ज्योति धारा
घाटों पर दीपों की साज-सज्जा तो की ही गई थी। गंगा की पावन धारा में भी लोग दीप प्रवाहित
करते
रहे।
इससे
गंगा
में
दीपों
की
कतार
लगी
रही,
जो
हर
किसी
को
लुभा
रही
थी।
गंगा
के
उस
पार
कई
स्थानों
पर
दीपदान
कर
लोग
इस
आयोजन
में
सहभागी
बने।
गंगा में भी लगा जाम
देव दीपावली
का
नजारा
लेने
के
लिए
गंगा
में
सैकड़ों
नाव,
बजड़े,
स्टीमर
व
मोटरबोट
उतारे
गए
थे।
काफी
संख्या
में
नावें
व
स्टीमर
मीरजापुर,
भदोही
व
इलाहाबाद
से
भी
यात्रियों
को
लेकर
आई
थीं।
इसके
चलते
गंगा
के
बीच
में
नावों
की
अटूट
कतार
बनी
रही।
अस्सी
घाट,
दशाश्वमेध
घाट
व
भैंसासुर
घाट
पर
होने
वाली
गंगा
आरती
व
सांगीतिक
अनुष्ठान
देखने
के
लिए
नावें
इन्हीं
स्थानों
पर
ठहर
गईं,
जिससे
काफी
देर
तक
जाम
की
स्थिति
बनी
रही।
वहीं
नाविकों
द्वारा
मनमानी
वसूली
को
लेकर
भी
लोग
परेशान
रहे।
छोटी
नावों
पर
सवारी
के
लिए
लोगों
को
हजारों
रुपये
का
भुगतान
करना
पड़ा।
जमकर हुई आतिशबाजी
देवगणों
की
इस
दीपावली
में
आम
जनमानस
ने
भी
पूरी
सहभागिता
निभाई।
दीपदान
में
हाथ
बटाया
तो
वहीं
मन
भर
आतिशबाजी
कर
खुशियों
में
चार
चांद
लगाया।
..कहा जाता है कि वामन अवतार लेने के बाद जब नारायण स्वर्गलोक
पहुंचे
तो
वहां
उनका
भव्य
स्वागत
किया
गया।
देवताओं
ने
हरि
का
वैसा
ही
अभिनंदन
किया
जैसा
कि
अयोध्या
लौटने
पर
श्रीराम
का
हुआ
था।
जिस
दिन
भगवान
विष्णु
स्वर्गलोक
पहुंचे
व
भगवान
शिव
ने
त्रिपुरासुर
का
वध
कर
आम
जनमानस
को
अत्याचार
से
मुक्ति
दिलाई
वो
कार्तिक
पूर्णिमा
का
ही
दिन
था।
वो
दिन
आज
भी
देवदीपावली
के
रूप
में
मनाया
जाता
है।
भगवान
भोलेनाथ
की
नगरी
काशी
में
देव
दीपावली
मनाने
का
बिल्कुल
अनोखा
अंदाज
हैं।
घाट
की
सीढ़ियों
पर
टिमटिमाते
दिये
और
आसमान
में
चमकते
तारों
के
साथ
चांदनी
बिखेरता
पूर्णिमा
की
चांद
के
बीच
पूरा
गंगातट
लाखों
दीपों
से
जगमगा
उठा,
कण-कण को रोशन हो गया।
बजड़े पर विदेशी पर्यटकों ने की खूब मस्ती
विदेशी पर्यटकों
ने
देव
दीपावली
के
इस
नजारे
को
कैमरे
में
खूब
कैद
किया।
विदेशियों
के
समूह
नावों-बजरों पर सवार होकर अस्सी से राजघाट तक की सैर करते दिखे। के माध्यम से पितरों को श्रद्धांजलि
दी
गई।
गंगा
में
सजी
धजी
नौकाओं,
बजड़ों,
मोटरबोटों
की
संख्या
में
भी
इजाफा
होता
जा
रहा
था।
भैसासुर,
गायघाट,
रामघाट,
दुर्गा
घाट,
पंचगंगा
घाट,
सिंधिया,
ललिता
घाट,
प्राचीन
दशाश्वमेध
घाट,
दशाश्वमेध,
केदार
घाट,
जैन
घाट,
तुलसी
और
अस्सी
घाट
के
सामने
नौकाओं
की
भीड़
सर्वाधिक
थी।
करीब
से
गंगा
आरती
देखने
की
उत्कंठा
में
हर
कोई
अपनी
नौका
को
सबसे
आगे
रखना
चाहता
था।
84 घाटों पर रहा श्रद्धालुओं का जमघट
बेशक देव दीपावली
का
उत्सव
संपूर्ण
काशी
में
मनाया
गया।
लेकिन
देखा
जाए
तो
आयोजन
का
मुख्य
केंद्र
अहिल्याबाई
से
लेकर,
तुलसी
घाट,
डा.
राजेद्र
प्रसाद
के
बीच
पांच
घाटों
पर
केंदित
था।
देश-विदेश से जुटे पर्यटकों
की
भीड़
इन्हीं
पांच
घाटों
के
ईद-गिर्द जमा थी। राजेंद्र
प्रसाद
घाट
से
लेकर
प्रयाग
घाट
तक
तीन
घाटों
पर
गंगा
सेवा
निधि
के
आयोजन
की
सीमारेखा
थी
तो
अगले
दो
घाट
यानि
दशाश्वमेध
और
अहिल्याबाई
घाट
गंगोत्री
सेवा
समिति
की
ओर
से
आयोजित
समारोह
की
भव्यता
का
नजारा
लेने
वालों
से
खचाखच
भरे
थे।
गंगा सेवा निधि के मंच से हरहर महादेव का जयघोष होता तो अहिल्याबाई
घाट
पर
बैठी
भीड़
प्रतिउत्तर
देती।
बता
दें,
जैसे-जैसे गंगा आरती का समय करीब आता जा रहा था वैसे-वैसे भीड़ का दोहरा दबाव बढ़ता जा रहा था। शहर के सभी मुख्य मार्गों
से
घाटों
की
ओर
जाने
वाले
रासतों
को
बंद
कर
देने
के
बाद
भी
स्थानीय
लोग
किसी
न
किसी
रास्ते
से
घाट
की
तक
पहुंच
ही
जा
रहे
काशी
के
प्रमुख
घाटों
पर
उमड़ी
देशी-विदेशी दर्शकों
की
भीड़
के
कारण
तिल
रखने
की
जगह
नहीं
थी।
लोगों
ने
शाम
से
ही
घाटों
पर
बैठकर
घंटों
उस
ऐतिहासिक
क्षण
की
प्रतीक्षा
की
जब
देव
दीपावली
के
दीपों
के
प्रकाश
से
पूरा
क्षेत्र
आलोकित
हो
उठा।
गोधूलि
में
पंचगंगा
घाट
स्थित
हजारा
दीप
फलक
पर
1001 दीप
जलने
के
बाद
बाकी
घाटों
पर
दीप
आलोकित
होने
शुरू
हो
गए।
इसके
साथ
ही
’हर-हर महादेव
‘हर-हर गंगे’ और धार्मिक गीत-संगीत से पूरा वातावरण सांस्कृतिक धार्मिक भावना से सराबोर हो गया। गंगा में सैकड़ों नावों और बजड़ों पर बैठे दर्शनार्थियों, पर्यटकों ने इस अद्भुत दृश्य को देखा।
गंगा की जलधारा पर दिखाई उन्हीं की अवतरण गाथा
काशीवासियों
के
लिए
मंगलवार
शाम
का
वह
क्षण
अविस्मरणीय
रहा,
जब
गंगा
के
धरती
पर
अवतरण
की
गाथा
सदानीरा
की
जलधारा
को
ही
आधार
बनाकर
लाइट
एंड
साउंड
शो
के
जरिये
दिखाई
गई।
भैंसासुर
घाट
के
सामने
गंगा
में
फ्लोटिंग
फाउंटेन
(तैरता
फव्वारा
उपकरण)
से
निकली
फुहारों
पर
कपिल
मुनि
के
शाप
से
राजा
सगर
के
60 हजार
भस्म
पुत्रों
की
आत्माओं
की
मुक्ति
के
लिए
भगीरथ
के
कठोर
तप
का
प्रसंग
जीवंत
हुआ।
पर्यटन
विभाग
के
इस
आयोजन
में
भागीरथी
के
अवतरण
की
आधुनिक
और
आकर्षक
प्रस्तुति
देख
रहे
लोग
हर-हर महादेव का घोष लगाते रहे। मुख्यमंत्री
के
आगमन
के
पहले
श्रद्धालुओं
को
पांच
मिनट
का
यह
शो
दिखाया
गया।
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
के
यहां
पहुंचने
पर
उन्हें
काशी
की
महत्ता
दिखाई
गई।
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