कब तक यूं ही जलती रहेगी लापरवाही की आग?
यूपी के भदोही-औराई में पूजा पंडाल में लगी आग ने प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पर सवाल है कि प्रशासन इन हादसों के बाद भी क्यों नहीं जाग रहा है.अग्निकांड के बाद प्रशासन से ये सवाल पूछा जाना लाजमी हो गया है! आखिर हर बार फायर सेफ्टी की ही लापरवाही सामने क्यों आती है? आखिर कितनी मौतों के बाद हम सबक लेंगे? भदोही में आग लगने की दुखद घटना जिन वजहों से हुई, कमोबेश यही स्थितियां हर जगह दिखती है। आंकड़ों की मानें तो बीते कुछ वर्षों में आग लगने की कई बड़ी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन सभी हादसों में प्रशासन की ही लापरवाही सामने होती है। डाक्टरों के मुताबिक, भदोही की घटना में कई झुलसे ऐसे भी हैं, जो 80 प्रतिशत से अधिक जल चुके हैं, ऐसे में मृतकों की संख्या का यह आंकड़ा 5 से और बढ़ सकता है। आग की इस भयावह घटना ने एक बार फिर शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्राथमिक जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उसके तहत पंडाल आयोजकों ने फायर ब्रिगेड से फायर एनओसी भी नहीं ले रखी थी। यही नहीं, जिस जगह आरती हो रही थी, वह इतनी संकरी थी कि लोग चाहकर भी भाग नहीं सकते थे। इसके अलावा, एक-दो नहीं बल्कि वहां ज्वलनशील पदार्थो का पूरा जंजाल है। यानी एक नहीं कई विभाग इस लापरवाही में शामिल रहे हैं और इसका खामियाजा इस घटना से प्रभावित लोगों को भुगतना पड़ा
सुरेश गांधी
फिरहाल, भदोही में आग लगने की
यह दुखद घटना जिन वजहों से हुई, कमोबेश
यही स्थितियां हर जगह होती
है। इस पूरी घटना
के पीछे पुजा पंडाल आयोजक जिम्मेदार है या जिला
प्रशासन ऐसे सवाल बहुत से है? लेकिन
जवाब किसी के पास नहीं
है। क्योंकि लापरवाही के बाद सभी
विभाग एक दूसरे पर
आरोप-प्रत्यारोप करते नजर आ रहे हैं।
बंगाल प्रशासन ने पिछली घटनाओं
से अब तक कोई
सबक नहीं सीखा है। यही वजह है कि लगभग
हर वर्ष भयानक अग्निकांड हो रहे हैं।
इनके अलावा आग की छोटी
मोटी घटनाएं तो पूरे साल
होती रहती हैं। हर बड़े हादसे
के बाद प्रशासन की नींद टूटती
है, लेकिन थोड़ी सक्रियता के बाद फिर
सो जाती है।
इसी लापरवाही की वजह से
ही भदोही अग्निकांड सबके सामने है। इस अग्निकांड में
पांच लोगों की मौत हो
गयी है। जबकि 67 लोग अस्पतालों में जीवन-मुत्यु के बीच जूझ
रहे है। इसके पहले औराई में ही एक वूल
गोदाम में आग लगी थी,
जिसमें करोड़ों की क्षति हुई
थी। इस भयावह हादसे
ने प्रशासन को पूरी तरह
से झकझोर दिया था। ऐसी घटना की पुनरावृति रोकने
को प्रशासन, दमकल विभाग और बिजली विभाग
ने कई अहम फैसले
लिए थे। इसके बाद अग्निशमन बंदोबस्त में लापरवाही बरतने को लेकर कुछ
गिरफ्तारियां भी हुई, लेकिन
हालात नहीं सुधरे। आज इतना बड़ा
हादसा हो गया। आखिर
कब तक लापरवाही की
वजह से लोगों की
जान जाती रहेगी। मुख्यमंत्री को चाहिए कि
इस तरह की घटनाओं को
रोकने के लिए ठोस
कदम उठाएं और दोषियों के
खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। नहीं तो इस तरह
की घटनाएं होती रहेंगी और लोग मरते
रहेंगे।
भदोही के औराई क्षेत्र
के पूजा पंडाल में भीषण अग्निकांड के बाद वाराणसी
प्रशासन की नींद खुल
गयी है। इस घटना के
बाद पूरी पुलिस महकमा हरकत में आ गयी है।
पुलिस प्रशासन और अग्निशमन विभाग
ने पूजा समितियों के लिए बाकायदा
गाईड लाइन जारी कर दिया है।
इसके अलावा पंडालों में लगने वाली भीड़ को नियंत्रित करने
के लिए अलग से फोर्स की
तैनातियां कर दी गई
हैं। खुद पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश,
अपर पुलिस आयुक्त संतोष सिंह समेत सभी एसीपी नगर के पूजा पंडालों
में चक्रमण कर सुरक्षा मानकों
की जांच कर रहे हैं।
इस दौरान पंडालों में संवदेनशील व ज्वलनशील पदार्थो
से बने सामानों को हटाया गया।
जबकि बुलानाला पर लगने वाले
माता वैष्णों देवी की गुफा के
तर्ज पर बने पंडाल
को प्रशासन ने तोड़ने का
आदेश दे दिया है।
क्योंकि उस गुफा को
देखने के लिए हजारों
की संख्या में भीड़ उमड़ती है और पंडाल
में एकदम सकरी गुफा बनाई गयी है। इसलिए प्रशासन ने उसे हटाने
का आदेश दिया है ताकि कोई
बड़ा हादसा न हो।
डिजिटल शो के दौरान हुआ हादसा
अचानक हुए इस अग्निकांड से
चीख-पुकार मच गई। लोग
बस बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे थे। पुलिस के मुताबिक जिस
वक्त हादसा हुआ, पंडाल में काफी संख्या में श्रद्धालु आरती के लिए जुटे
थे। इस दौरान डिजिटल
शो भी चल रहा
था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक आग
लगने के बाद मची
भगदड़ और चीख पुकार
के बीच लोग खुद को बचाने के
लिए पास के ही तालाब
में कूद पड़े। अधिकारियों ने अफवाह के
बाद गोताखोरों को लगाकर सर्च
अभियान चलाने का निर्देश दिया।
दरअसल, इस पंडाल को
गुफा का स्वरूप देने
के लिए फाइबर पॉलिथीन से सजावट की
गई थी, जो कि ज्वलनशील
होती है। रोशनी के लिए हैलोजन
लाइट लगाई गई थी, जिससे
गर्म होकर फाइबर पॉलिथीन ने आग पकड़
लिया। और एक छोटी
सी चिंगारी पलभर में विनाशलीला कर गई। एसआईटी
टीम ने अपनी रिपोर्ट
डीएम को सौंप दी
है, जिसमें बताया गया है कि पंडाल
के अंदर लाइट की वायरिंग नियमों
की अनदेखी कर की गई
थी। जिस मटेरियल से पंडाल का
निर्माण किया गया था, वह मटेरियल भी
आग पकड़ने वाला था। एसआईटी की जांच में
पता लगा है, कि हैलोजन की
तपिश से आग लगी
थी।
निकलने का रास्ता सकरा व टेढ़ा था
कागज और थर्माकोल से
गुफानुमा पंडाल बनाया गया था। पंडाल स्थल पर चलने वाले
शो में प्रोजेक्टर के माध्यम से
धार्मिक कार्यक्रम दिखाए जा रहे थे।
गुफानुमा बने स्थल में आने-जाने का सिर्फ एक
ही सकरा और टेढ़ा-मेढ़ा
सा रास्ता था, जिसमें आग लगने के
बाद अंदर भगदड़ मच गई। भागने
की जगह नहीं मिली। इससे कई महिलाएं और
बच्चे गिर गए। आग तेजी से
फैली और उसके चपेट
में कई लोग आ
गए। जो भागने की
कोशिश कर रहे थे,
उनके ऊपर आग में लिपटी
प्लास्टिक टूटकर गिरने लगी। इस दौरान पंडाल
सेफ्टी को लेकर जो
नियम हैं, उनका भी पालन नहीं
किया गया।
नियमों की अनदेखी
पंडाल में बगैर अनुमति के कटिया लगाकर
विद्युत का उपयोग किया
जा रहा था। साथ ही आग पर
काबू पाने के लिए अग्निशमन
यंत्र का इंतजाम भी
नहीं था। यहां तक कि पानी
और बालू का इंतजाम भी
नहीं किया गया था। डीएम के आदेश का
पालन भी नहीं किया
गया, जिसके अनुसार जनपद में धारा 144 सीआरपीसी के आदेश लागू
हैं। आपात परिस्थिति में पंडाल से बाहर निकलने
का कोई वैकल्पिक तक इंतजाम नहीं
था। चार-पांच जगहों पर पंडाल को
खुला रखने के निर्देश का
पालन भी नहीं किया
गया। सबसे चिंताजनक बात रही कि ज्वलनशील सामग्री
से पंडाल को डिजाइन दिया
गया।
आग से बचाव के इंतजाम नहीं
शहर में महज 110 पूजा पंडालों को ही फायर
एनओसी दी गई। जबकि
चार सौ से ज्यादा
छोटे-बड़े पूजा पंडालों में आग से बचाव
के कोई इंतजाम नहीं है। अब हादसे के
बाद फायर ब्रिगेड भी जागा है।
आग से बचाव को
लेकर बालू, पानी और अन्य राहत
बचाव के बारे में
पंडाल आयोजकों को सचेत किया
गया। अग्निशमन अधिकारी पूजा पंडालों पर आग से
बचाव को लेकर निरीक्षण
किया। खुले और नंगे तार
को तुरंत वायरिंग कराने और कपड़े के
ऊपर से गए तारों
को अंडरग्राउंड कराया। वहीं, खामियों को तुरंत दुरुस्त
कराने का निर्देश दिया।
वहीं, तीन बाइक फायर टेंडर को लगातार घनी
आबादी वाले पूजा पंडालों के भ्रमण के
लिए निर्देशित किया गया। सोमवार को सभी बडे़
पूजा पंडालों पर आग लगने
की स्थिति में क्या करें, इस पर पूर्वाभ्यास
किया जाएगा।
आग से बचाव के मानक
अग्निशमन अधिकारियों के अनुसार पूजा
पंडाल में प्रवेश और निकास द्वार
कम आठ फीट चौड़ा
होना चाहिए। फायर उपकरण, बालू भरी बाल्टी और पानी पर्याप्त
मात्रा में होना चाहिए। बिजली के तार पूजा
पंडाल में ऊपर नहीं होने चाहिए। पंडाल में सिंथेटिक कपड़ों से परहेज करना
चाहिए। जबकि पूजा पंडाल में लगे कपड़ों पर अमोनियम सल्फेट,
अमोनियम कार्बोनेट, बोरेक्स और बोरिक एसिड
का लेप लगाकर फायर प्रूफ बनाया जा सकता है।
पूजा पंडाल में आकस्मिक निकास द्वार भी होना चाहिए।
पंडाल में सब कुछ खाक, बची रही मां दुर्गा की प्रतिमा
अग्निकांड की तस्वीरें सोमवार
को दिन में देख लोग सहम गए। घटनास्थल के पास कुछ
बच्चों के फटे कपड़े,
बिखरा पंडाल और जली मूर्तियों
को देख लोग चिंतित हो उठे। पूरे
स्थल को पुलिस-प्रशासन
ने सील कर दिया है।
मौके पर फोर्स की
तैनाती भी की गई
है। एडीजी जोन से लेकर मंडलीय
और जिला स्तरीय अधिकारी लगातार घटना का अपडेट ले
रहे हैं। लेकिन खास यह है कि
आग लगने से पूरा पंडाल
जलकर खाक हो गया। वहां
रखी सभी चीजें जल गई हैं।
लेकिन मां दुर्गा की प्रतिमाओं को
कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। पंडाल में केवल लोहे की पाइप के
अलावा कुछ भी नहीं दिख
रहा है।
अब तक इनकी हुई मौत
हादसे में 67 लोग झुलस गए। जबकि तीन बच्चे समेत पांच लोगों की मौत हो
चुकी है। भदोही डीएम गौरांग राठी ने इसकी पुष्टि
की है। झुलसने वालों में महिलाएं और बच्चे ज्यादा
हैं। वाराणसी के अलग-अलग
अस्पतालों में भर्ती करीब 20 लोगों की हालत अभी
भी चिंताजनक बनी हुई है। मृतकों में अंकुश सोनी (12), जया देवी (45), आरती चौबे (48), हर्ष वर्धन (8) और नवीन (10 ) शामिल
है।
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