भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना ही है लक्ष्य : हरिशंकर जैन
कहा, ज्ञानवापी
सहित
जिन
40 हजार
मंदिरों
को
तोड़कर
उन
पर
कब्जा
किया
गया
है
उन्हें
कानूनी
लड़ाई
लड़कर
वापस
लेना
है
असल
मकसद
सरकारे देश
चलाती
हैं
पर
समाज
राष्ट्र
पुष्पेंद्र
कुलश्रेष्ठ
ट्रस्ट इंडिया
फाउंडेशन
व
रोटरी
क्लब
आफ
वाराणसी
नार्थ
के
तत्वावधान
में
रविवार
को
रुद्राक्ष
कंवेंशन
सेंटर
में
भारत
राष्ट्र
के
सामने
चुनौतियां
और
समाधान
विषयक
संगोष्ठी
आयोजित
सुरेश गांधी
वाराणसी। हिन्दुस्तान के सीनियर अधिवक्ता
एवं बाबा विशेश्वरनाथ को पुनः स्थापित
करने की लड़ाई लड़
रहे हरिशंकर जैन ने बिना किसी
लाग-लपेट के खुलेअंदाज में
कहा कि भारत को
हिंदू राष्ट्र बनाना है। इसके
लिए हम हर लड़ाई
लड़ रहे हैं। खासकर देश के जिन 40 हजार
मंदिरों को तोड़कर उन
पर कब्जा किया गया है उन्हें कानूनी
लड़ाई लड़कर वापस लेना भी है असल
मकसद।
यह बातें वे
शनिवार को होटल कैस्टीलो
में आयोजित पत्रकारों को संबोधित कर
रहे थे। इस दौरान उनके
साथ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु
शंकर जैन, प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक एवं विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, कश्मीरी पंडित सुशील पंडीत, पूर्व कर्नल आरएसएन सिंह व ट्रस्ट इंडिया
फाउंडेशन के अनिल यादव
आदि मौजूद रहे। बता दें, ये प्रखर राष्ट्रवादी
विचारक 9 अक्टूबर को ट्रस्ट इंडिया
फाउंडेशन व रोटरी क्लब
आफ वाराणसी नार्थ के तत्वावधान में
रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर में आयोजित भारत राष्ट्र के सामने चुनौतियां
और समाधान विषयक संगोष्ठी में भाग लेने वाराणसी आएं हैं। संगोष्ठी का मकसद देश
की संस्कृति और सभ्यता को
लेकर आ रही चुनौतियों
पर चर्चा व उसका समाधान
निकालना है।
हरिशंकर जैन ने कहा कि
देश के सामने हमारी
संस्कृति और अस्तित्व बचाने
की चुनौती है। हम इसकी लड़ाई
अरसे से लड़ते आ
रहे हैं। विडंबना है कि सच
को साबित करना पड़ता है। आजकल तो अदालत तय
कर रही हैं राफेल में कौन से पूर्जा लगा
है। जबकि करोड़ों केस की सुनवाई पर
उसका ध्यान नहीं है। प्रखर हिंदू राष्ट्रवादी चिंतक एवं विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि
सरकार का काम देश
चलाना है, उसे चलाने दो, लेकिन बहुत सी ऐसे बाते
है, जिस पर सरकार नहीं
बोलती। जबकि हमारा फोकस देश नहीं बल्कि राष्ट्र होना चाहिए, क्योंकि समाज से ही देश
चलता है। उन्होंने राष्ट्र और देश के
अर्थ में फर्क बताते हुए कहा कि जब शब्दों
का अर्थ पता ना हो तो
अनर्थ होता है। इसलिए लोग आज राष्ट्रगान और
राष्ट्रगीत को समझ नहीं
पाते। समाज में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के
साथ सनातनी समाज आया। आज उस पर
उंगलिया उठाएं जा रहे है।
वह भी वह लोग
जो 14 सौ साल से
ऊंट की पीठ पर
खड़े होकर खजूर तोड़ रहे थे। आज हमें तमीज
सिखा रहे हैं।
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि
पूर्व में जिन पर राष्ट्र बचाने
की जिम्मेदारी थी वह अपनी
दुकान सजाने में लगे रहे। परिणाम है कि इस
बीमारी से भारत का
सनातनी जूझ रहा है। लेकिन यहां जान लेना जरुरी है कि सनातनी
समझता है कि हमारी
लड़ाई कोई दूसरा लड़ेगा, जबकि सच यह है
कि यह लड़ाई खुद
उसे ही लड़नी पड़ेगी।
सनातन धर्म मानने वाले हिंदुओं को जात पात
की जकड़न से बाहर निकलना
होगा। जात-पात घर के अंदर
तक ठीक है। घर से बाहर
निकलते हीं हम सभी सनातन
हिंदू है। पिछले कुछ वर्षों से सनातनी एकजुट
हो रहें हैं। यही वजह है कि धर्म
और मजहब की राजनीति करने
वाले सनातन धर्म की एकजुटता से
परेशान है। उन्होंने राष्ट्र को सर्वोपरि बताते
हुए कहा कि स्वयं से
ऊपर उठकर जो व्यक्ति समाज
के लिए कुछ करता है, समाज उसे हीं याद रखता है। हम एक हजार
वर्षों तक गुलामी की
दासता झेलने के कारण अपनी
संस्कृति-सभ्यता, इतिहास व गौरव को
भूल चुके हैं। हमारी खामोशी ने जम्मू कश्मीर
को इस हालत में
पहुंचा दिया है, क्योंकि अनुच्छेद 370 के चलते वहां
भारत का कानून नहीं
लागू था। इसलिए हालात बद से बदतर
होते चले गए।
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 व 35ए हटने से
अब चुनौतियां और बढ़ गई
हैं। इसलिए लंबी लड़ाई लड़नी है। राष्ट्र के लिए जो
काम होते हैं, वह बिना किसी
पद की लालसा के
होते हैं। इस देश के
लोग बहुत जज्बाती हैं, क्योंकि डेनमार्क, फ्रांस में कुछ होता है तो उसकी
प्रतिक्रियाएं यहां होती हैं। मगर देश में सच कहने में
की हिम्मत बड़ी देर में आती है। इसलिए हमें अपने व्यक्तिगत लाभ को छोड़कर हर
कार्य राष्ट्र की भलाई व
संस्कृति को संभालने के
लिए लड़ाई लड़नी है। देश जमीन का एक टुकड़ा
है, जबकि राष्ट्र संस्कृति परंपरा और आस्था का
प्रवाहमान स्वरूप होता है। उन्होंने कहा कि सनातनी अपनी
मूल पहचान की ओर लौट
रहे हैं, जिस झूठे इतिहास को इरफान हबीब
और रोमिला थापर जैसे मक्कारों ने पढ़ाया था,
आज लोग उससे बाहर आ रहे हैं।
ये जो चेतना है
उसके कारण कुछ लोग मुखर हो रहे है।
वो इसी कोशिश में है कि ये
हिंदू उसी नींद में सोए रहें, जिसमें हिंदू मुस्लिम भाई-भाई, सारे धर्म एक हैं, मजबह
नहीं सिखाता, जैसी बातें फैलाई जाती रहें और यह बतातें
रहें कि जब तक
ये मानते रहेंगे तब तक इस
देश में शांति रहेगी।
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि
यह समय है जब नब्बे
से सौ करोड़ हिंदुओं
को अपनी आवाज उठानी चाहिए। अपनी बात को तथ्य और
तर्कों से साथ रखना
चाहिए। हमारे देश में बड़ी-बड़ी समस्याओं को छिपा लिया
जाता है और छोटे-छोटे मुद्दों पर हंगामा होता
है। हमेशा गुलामी की याद दिलाई
जाती है। हमारी वीरता की कहानियां नहीं
बताई जाती। कभी उन विषयों पर
नहीं बोला जाता, जिनसे हमारा सनातन जागृत हो। इन सत्ताधारियों ने
सत्ता पाने के लिए राष्ट्र
का ही सौदा कर
दिया है। इस समय देशभर
में गंगा-जमुना तहजीब और भाईचारे का
फ्रॉड चल रहा है।
हमने गंगा-जमुना तहजीब की बड़ी कीमत
चुकाई है। लेकिन अब ये फ्रॉड
नहीं चलेगा। क्योंकि यह 1947 नहीं वर्ष 2019 चल रहा है।
कुलश्रेष्ठ ने कहा आजादी
के बाद ही मजहब के
नाम पर देश का
विभाजन करा लिया गया। उस समय भाइचारा
नहीं दिखा।
कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता सुशील पंडित ने कहा कि
जिस प्रकार काशी सदियों तक शिक्षा और
संस्कृति की पाठशाला के
रूप में जाना गया, उसी प्रकार कश्मीर भी ज्ञान का
केंद्र बिंदु रहा। इसे शारदा प्रदेश के नाम से
जाना जाता था। अगर हम अपनी संस्कृति
को बचाने के लिए नहीं
लड़ेंगे तो यह समाप्त
हो जाएगी। उसी तरह जैसे पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र
में कोई भारतीय संस्कृति के बारे में
बात करने वाला नहीं मिलता है। अफगानिस्तान में इनकी संख्या महज 45 है। एक त्रासदी जो
एक हजार साल से चली आ
रही है उसमें 40 करोड़
लोगों की अकाल मौत
हो गई है। इस
दौरान कर्नल आरएसएन सिंह ने कहा कि
आज की पीढ़ी स्वतंत्र
विचार रखती है। इसलिए हमारी संस्कृति को लेकर मुखर
है। वह इतिहास को
परखती है और उसे
तथ्यों की कसौटी पर
कसती है। विष्णु शंकर जैन ने कहा कि
ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आयु निर्धारण
वजूखाने समेत आसपास की जगहों की
वैज्ञानिक तकनीकी से जांच और
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों के
द्वारा करने से महत्वपूर्ण तथ्य
सामने आएंगे।
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