सूचना न देने पर अधिकारियों पर लगा 2 करोड़ 18 लाख 75 हजार का अर्थदंड
वाराणसी मंडल
में
सूचना
के
6838 में
से
6016 आवेदन
निस्तारित
: राज्य
सूचना
आयुक्त
अजय
कुमार
उप्रेती
जौनपुर के
कई
ग्राम
सचिवों
व
ग्राम
विकास
अधिकारियों
पर
दर्ज
होगी
एफआईआर
जून-22 से
सरकारी
दस्तावेज
दबाए
बैठे
हैं
ये
सभी
अधिकारी
केवल वाराणसी
में
2010 आरटीआई
आवेदनों
में
से
2004 का
निस्तारण
किया
गया
है।
जबकि
244 जन
सूचना
अधिकारियों
पर
61 लाख
रुपये
का
अर्थदंड
लगाया
गया
है
सुरेश गांधी
वाराणसी। प्रदेश के राज्य सूचना
आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने बताया कि
जनवरी 2022 से सितम्बर 23 तक
वाराणसी मंडल स्तर पर सूचना के
6838 मामलों में से 6016 का निस्तारण कर
दिया गया है। इस दौरान मंडल
में कई जनसूचना अधिकारियों
पर नियमों की अनदेखी कर
समय से सूचना उपलब्ध
न कराने, भ्रामक सूचनाएं उपलब्ध कराने, विभिन्न प्रकार से गुमराह करने,
सूचना देने में आनाकानी करने पर 875 जन सूचना अधिकारियों
पर दो करोड़ 18 लाख
75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया
गया है। तीन दिवसीय भ्रमण एवं जनसुनवाई के बाद गुरुवार
को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के
दौरान उप्रेती ने कहा कि
केवल वाराणसी में 2010 आरटीआई आवेदनों में से 2004 का निस्तारण किया
गया है। जबकि 244 जन सूचना अधिकारियों
पर 61 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया
गया है। जुर्माने की रिकवरी अतिशीघ्र
की जाएगी।
अजय कुमार उप्रेती ने बताया कि
कमिश्नर कार्यालय से लगायत ग्राम
विकास अधिकारियों के खिलाफ जुर्माने
की कार्रवाई की गयी है।
आरटीआई का जवाब देने
में गाजीपुर का जिलाधिकारी कार्यालय
सर्वाधिक लापरवाह है। चंदौली का नगर पंचायत
कार्यालय भी किसी से
कम नहीं है। उन्होंने बताया कि वाराणसी के
सभी थानों पर एक पखवारे
के अंदर जन सूचना अधिकारियों
का बोर्ड लगाने के निर्देश दिये
गये हैं। अजय कुमार उप्रेती ने बताया कि
जौनपुर के कई ग्राम
सचिवों एवं ग्राम विकास अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर
दर्ज कराने के निर्देश वहां
के डीपीआरओ को दिया गया
है। इसके लिए डीपीआरओ को दो दिन
की मोहलत दी गयी है
और कहा गया है कि एफआईआर
दर्ज कराकर आयोग को सूचित किया
जाएं।
उन्होंने बताया कि जन सूचना
अधिकार अधिनियम के बारे में
उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा
वादकारियों की सहूलियत के
लिए मंडलीय भ्रमण कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। इससे वादकारियों को लंबे समय
से अटकी हुई विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्राप्त
हो सकेंगी। इससे उनकी ऊर्जा, धन एवं समय
की भी बचत होगी।
उन्होंने बताया कि जन सूचना
अधिकार अधिनियम सभी लोक प्राधिकारियों पर लागू होता
है। अधिकारी किसी भी स्तर का
क्यों न हो, यदि
जन सूचना अधिकार अधिनियम का पालन नहीं
करता है तो आयोग
द्वारा कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने
बताया कि अधिनियम के
अनुसार वांछित सूचना उपलब्ध न कराने पर
आयोग द्वारा 250 रुपये प्रतिदिन और अधिकतम 25,000 रुपये
का जुर्माना लगाया जाता है। जिसे दोषी व्यक्ति के वेतन से
वसूला जाता है। यदि सहजता के साथ धनराशि
प्राप्त नहीं होती है तो भू-राजस्व की भांति वसूली
किए जाने का प्राविधान है।
कुछ घटननाओं का जिक्र
राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने बताया कि
जौनपुर के खुटहन ब्लॉक
की निष्ठा त्रिपाठी ने 26 जून 2022 को ग्राम सचिव
एवं ग्राम विकास अधिकारी से खडंजा के
बाबत जानकारी मांगी थी, लेकिन उनको अभी तक जवाब नहीं
मिला। इस पर उन्होंने
सूचना आयोग में अपील की। मामला संज्ञान आया तो जांच करायी
गयी तो पता चला
कि सूचना मांगें जाने की तिथि से
अब तक कई ग्राम
सचिव व ग्राम विकास
अधिकारी बदले गये, लेकिन किसी ने एक-दूसरे
को सरकारी दस्तावेज नहीं सौंपा और न हीं
जवाब दिया। इस पर जौनपुर
के डीपीआरओ को दो दिन
में सभी के खिलाफ एफआईआर
दर्ज कराने का निर्देश दिया
गया है। ऐसा न होने पर
अरेस्ट वारंट जारी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वाराणसी के
आराजीलाइन ब्लॉक के ज्ञानशंकर त्रिपाठी
के मामले में बीडीओ को दो माह
से तलब किया जा रहा था,
लेकिन नहीं आ रहे थे।
जब समन जारी करते हुए अरेस्ट वारंट जारी करने की चेतावनी दी
गयी तो गुरुवार को
भागे-भागे आए। उनको फटकार लगाते हुए आवेदन का जवाब उपलब्ध
कराने का निर्देश दिया
गया। नगरीय विद्युत वितरण खंड-द्वितीय चौकाघाट ने जियाकुंड-पितरकुंडा
निवासी सोना बाबू खां के खिलाफ बिजली
चोरी की रपट दर्ज
कराते हुए 2018 में 75 हजार का बिल थमा
दिया था। बिल जमा न होने पर
आरसी काट दी गयी। जबकि
उनके कनेक्शन का लोड एक
किलोवॉट है। सोना बाबू ने उनके यहां
अपील की तो गुरुवार
को सुनवाई के दौरान जब
संबंधित अभियंता से इस बाबत
पूछा गया तो वे माकूल
जवाब नहीं दे पाए। इस
पर अभियंता को 15 दिन की मोहलत देते
हुए बिल सही करने का निर्देश दिया
गया। एक सवाल के
जवाब में उन्होंने बताया कि सूचना के
अधिकार के तहत जवाब
देने में कमोवेश हर विभाग लापरवाही
बरत रहा है।
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