Wednesday, 15 November 2023

मुगलों को हराने वाले छत्रपति शिवाजी की दुनिया आज भी उनके पराक्रम और साहस को नमन करती है : लक्ष्मण आचार्य

 चेतना प्रवाह हिन्दवी स्वराज के विशेषांक का हुआ लोकार्पण

मुगलों को हराने वाले छत्रपति शिवाजी की दुनिया आज भी उनके पराक्रम और साहस को नमन करती है : लक्ष्मण आचार्य 

लंबे अरसे तक अटके होने के बाद पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम शिवाजी के मार्गदर्शन से प्रेरित है

मुगलों से सामना करने वाला उनका पराक्रम आज भी लोगों के प्रेरणा का स्रोत है : डॉ नरेन्द्र

शिवाजी महाराज का स्मरण चरित्र, नीति का स्मरण है : नागेन्द्र 

राष्ट्रहित में सामाजिक चेतना का जागरण करना ही पत्रिका का मुख्य उद्देश्य है

विशेषांक में छत्रपति शिवाजी की नौसेना राजतिलक करने वाले पंडित गंगा भट्ट की वंशावली का जिक्र है : ओपी सिंह 

धर्म का राज्य चलें, यह सोचने वाला आदर्श हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक की ही थी

सुरेश गांधी

वाराणसी। विश्व संवाद केन्द्र के तत्वावधान में मंगलवार को कान्टूमेंट स्थित एक होटल में चेतना प्रवाह हिन्दवी स्वराज विशेषांक के लोकार्पण का आयोजन किया गया। इस पत्रिका का विमोचन सिक्किम के राज्यपाल माननीय लक्ष्मण आचार्य जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रचार प्रमुख एवं मुख्य वक्ता नरेंद्र ठाकुरजी, विशिष्ट अतिथि एवं महापौर अशोक तिवारीजी, प्रांतीय क्षेत्र कार्यवाहक डॉ वीरेन्द्र जायसवालजी, कार्यसमिति अध्यक्ष डॉ हेमंत गुप्ताजी, प्रांतीय कार्यवाहक मुरलीपालजी, प्रांत प्रचारक रमेशजी, जाणताराजा के कर्ताधर्ता अभय सिंहजी, पत्रिका के प्रधान संपादक प्रो. ओमप्रकाश सिंहजी, चेतना पत्रिका के प्रबंध संपादक नागेन्द्र द्विवेदीजी, सेवा भारती एव ंसंत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल निदेशक राहुल सिंहजी, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौया आदि ने किया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सिक्किम के राज्यपाल माननीय लक्ष्मण आचार्य ने पत्रिका के विशेषांक की विषय वस्तु को सराहते हुए कहा कि मुगलों को हराने वाले छत्रपति शिवाजी को दुनिया आज भी उनके पराक्रम और साहस को नमन करती है। भारतीय इतिहास में छत्रपति शिवाजी को एक महान यौद्धा के तौर पर देखा जाता है। लेकिन वे महान योद्धा के साथ-साथ वे एक कुशल रणनीतिकार भी थे, जिन्होंने युद्ध की एक खास कला गोरिल्ला युद्ध को इजाद किया, जिसे वियतनाम जैसे बेहद छोटे से देश ने अपनाकर दुनिया के शक्तिशाली देश अमेरिका को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी को रेखांकित करती यह पत्रिका देश की रक्षा करने वाले सैनिकों युवाओं को सिर्फ प्रेरित करेगी, बल्कि उन्हें ऊर्जावान भी बनाएगी। उनका साहस और सुशासन पर जोर, हमें आजीवन प्रेरित करता रहेगा। 

उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी ने एक तरफ मुगलों से सियासी लड़ाई लड़ी वहीं दूसरी तरफ समाज में जातिवाद के युद्ध से भी लोहा लिया। करीब 349 साल पहले 6 जून 1674 को उनका राज्याभिषेक हुआ था। वे जबरन धर्मांतरण के खिलाफ थे

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए जा रहे कार्यो की सराहना करते हुए कि सिर्फ देश विश्वगुरु बनने बल्कि विभिन्न क्षेत्रों की ओर भी लगातार आगे बढ़ रहा है। हमें ध्यान रखना चाहिए, छोटी सी भूल कहीं आगे बढ़ते हुए भारत की राह में बाधा बन जाएं। लंबे अरसे तक अटके होने के बाद पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम शिवाजी के मार्गदर्शन से प्रेरित है। छत्रपति शिवाजी की शासन व्यवस्था और सोच ने आदर्श स्थापित किया है।उन्होंने बहुत कम समय में ऐसी छाप छोड़ी, जो आज भी सुशासन के महत्वपूर्ण सूत्र प्रदान करती है। लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि यह पत्रिका हिंन्दवी स्वराज के 350 साल पूर्ण होने और छत्रपति शिवाजी की शासन व्यवस्था को स्मरण करने वाला अवसर दे रहा है। काशी के विद्वानों ने छत्रपति शिवाजी का राजतिलक किया था।

इस मौके पर मुख्यवक्ता डॉ नरेन्द्र जी ने छत्रपति शिवाजी महराज के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे एक कुशल शासक, सैन्य रणनीतिकार, एक वीर योद्धा थे। मुगलों से सामना करने वाला उनका पराक्रम आज भी लोगों के प्रेरणा का स्रोत है। वे सभी धर्मों का सम्मान करने वाले थे। छत्रपति शिवाजी महाराज एक योद्धा और एक मराठा राजा थे, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ कई जंग लड़ी थी. उनकी वीरता, रणनीति और नेतृत्व के चलते उन्हेंछत्रपतिकी उपाधि मिली थी. औरंगजेब द्वारा धोखे से कैदी बनाते ही शिवाजी समझ गए थे कि पुरंदर संधि केवल छलावा थी. उन्होंने अपने पराक्रम और युद्ध कौशल के बल पर औरंगजेब की सेना को सिर्फ धूल चटाई बल्कि सभी 24 किलो पर फिर से कब्जा कर लिया. इस बहादुरी के बाद 6 जून 1674 को रायगढ़ किले में उन्हें छत्रपति की उपाधि दी गई. छत्रपति में छत्र का मतलब एक प्रकार का मुकुट जिसे देवताओं या बेहद पवित्र पुरुषों द्वारा पहना जाता है से है बल्कि पाटी का मतलब गुरु था. शिवाजी ने खुद को राजा या सम्राट के लिए तैयार नहीं किया, बल्कि उन्होंने खुद को अपने लोगों का रक्षक माना और इसलिए उन्हें एक यह उपाधि दी गई थी.

नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि छत्रपति शिवाजी के शासन का उद्देश्य सभी जाति धर्म को समान अवसर उपलब्ध कराया। उनके राजनीतिक कूटनीतिक आदर्श को हम उन्हें आज भी बिना किसी परिवर्तन के स्वीकार कर सकते हैं। यह विशेषांक वर्तमान पीढ़ी को छत्रपति शिवाजी की कार्यप्रणाली, कूटनीति और शासन व्यवस्था से परिचित कराएगी। उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि उनका राज्याभिषेक काशी के पंडित गागाभट्ट ने कराया था. उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में सामाजिक चेतना का जागरण करना ही पत्रिका का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने एक युद्ध की चर्चा करते हुए कहा उनकी मां ने उन्हें योद्धा बनाया। उन्होंने कि हमने कई युद्ध दुश्मन के बल के कारण नहीं बल्कि आपसी भेद के कारण हम हार गए। भेद भूलाकर एक साथ खड़े हो तो संविधान भी हमारी नहीं कर सकता। व्यक्तिगत और सामाजिक चरित्रनिष्ठ समाज बनना चाहिए।

पत्रिका के प्रधान संपादक प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने प्रस्तावना रखते हुए मराठी परिवार में जन्मे 19 फरवरी 1630 में छत्रपति शिवाजी का जन्म पुणे के पास स्थित शिवनेरी दुर्ग में एक मराठा परिवार में हुआ था. उनका पूरा नाम छत्रपति शिवाजी भोंसले था. छत्रपति शिवाजी की तरह उनकी माता जीजाबाई भी एक निडर महिला थीं. मां की शिक्षाओं का छत्रपति शिवाजी पर गहरा प्रभाव पड़ा और बचपन से ही युद्ध कलाओं में पारंगत हो गए. छत्रपति शिवाजी का एक ही सपना था भारत को विदेशी और आततायी राज्य सत्ता से मुक्त करा कर पूरे भारतवर्ष में एक सार्वभौम स्वतंत्र शासन व्यवस्था को स्थापित करना. छत्रपति शिवाजी राष्ट्रीयता के प्रतीक माने जाते हैं. बचपन से ही होशियार थे छत्रपति शिवाजी बचपन से होशियार थे. वे हर चीज को बहुत जल्दी समझ लेते थे. युद्ध कौशल से जुड़े खेल वे बचपन से खेला करते थे. किसी किले को कैसे भेदा जाता है उसमें छत्रपति शिवाजी को महाराज हासिल थी. इस विद्या में वे इतने पारंगत हो गए थे कि उन्होंने अपने जीवन में कई किले जीते. योग्य शिष्य थे छत्रपति शिवाजी छत्रपति शिवाजी योग्य शिष्य भी थे. धर्म की शिक्षा लेने के दौरान उनकी मुलाकात उस समय के परम संत रामदेवी से हुई. उनके मार्गदर्शन से छत्रपति शिवाजी ने जीवन में कई सफलताएं प्राप्त की. शिवाजी इनकी प्रेरणा से ही राष्ट्रप्रेमी और एक सफल योद्धा बने. ओपी सिंह ने कहा कि इस विशेषांक में छत्रपति शिवाजी की नौसेना राजतिलक करने वाले पंडित गंगा भट्ट की वंशावली का जिक्र किया गया है। 

पत्रिका के प्रमुख प्रबंध संपादक नागेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि चेतना प्रवाह का अखंड भारत विशेषांक एक ऐतिहासिक धरोहर है। इसको हमें समाज के बीच प्रचारित-प्रसारित करना है। नागेन्द्र कहा कि वे दूरदर्शी थे. आने वाले समय को पहले ही भांप लेते थे और अपनी रणनीति को बदल देते थे. उनकी इस विलक्षण प्रतिभा से कई विदेशी शासक घबराते थे. मुगल शासक औंरगजेब भी उनके नाम से खौफ खाता था. उन्होंने कहा कि गरीब और कमजोरों के बने सहारा छत्रपति शिवाजी ने हमेशा मजबूर और मजलूम लोगों की मदद की, हिंदू धर्म जब खतरे में गया तो वे पहले ऐसे राजा थे जिन्होंने लोगों को भयमुक्त किया, उनके सम्मान को बचाने का काम किया और शोषण करने वालों पर कार्रवाई की. उन्होंने कहा कि शिवशक्ति कहने पर हमें छत्रपति शिवाजी महाराज का याद आता है। धर्म का राज्य चलें, यह सोचने वाला आदर्श हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक की ही थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करने वाला, समाज निर्माण करना और देश को परम वैभव प्राप्त करवाना, यह संघ का कार्य है। किसी भी प्राकृतिक विपत्ति के समय आगे आने वाला स्वयंसेवक की पहचान है। अपने हित का विचार छोड़कर समाज के तौर पर निरालस, निस्वार्थ सेवा करने वाला संघ के स्वयंसेवक ही है। अंत में पत्रिका के प्रबंध संपादक नागेन्द्र द्विवेदी ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मुगलसराय विधायक रमेश जायसवाल, धर्मेंद्र सिंह, अजय सिंह, रजनीश सिंह, अमितजी, प्रदीप कुमार, रामाशीष, डॉ हरेंद्रराम, डॉ परमार, डॉ राकेश आदि मौजूद थे।

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