कारपेट इंडस्ट्री को एमएसएमई से मुक्त करने के लिए सरकार पर बनायेंगे दबाव
कालीन उद्योग
एमएसएमई
नहीं,
आर्ट
है
: रवि
पाटौदिया
सीईपीसी चुनाव
में
1 से
9 मई
तक
निर्यातक
कर
सकेंगे
ऑनलाइन
वोटिंग
9 मई को सायंकाल तक
आ
जायेगा
परिणाम
कुल 1746 निर्यातक
करेंगे
मतदान,
जिसमें
यूपी
की
संख्या
1274
सुरेश गांधी
वाराणसी। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) चुनाव में निर्यातकों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोक रखी है। इसी कड़ी में सोमवार को संजय गुट ने वाराणसी के बनारस क्लब में निर्यातकों की आयोजित मीटिंग में उनकी समस्याओं से रुबरु होने के बाद निराकरण का आश्वासन दिया। एकमा के पूर्व अध्यक्ष एवं सीइपीसी प्रशासनिक सदस्य के उम्मीदवार रवि पाटौदियों ने कहा कि कारपेट इंडस्ट्री एमएसएमई नहीं, आर्ट है। इसे एमएसएमई सेक्टर से मुक्त रखने की जरुरत है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि यदि सरकार उन्हें मूलभूत व आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराएं तो वो निर्यात दर में पांच गुना वृद्धि कर देंगे।
रवि पाटौदिया ने
कहा कि कारपेट इंडस्ट्री
को एमएसएमई से मुक्त करने
के लिए सरकार पर
दबाव बनायेंगे। उनकी मांग होगी
कि कारपेट इंडस्ट्री को एमएसएमई सेक्टर
से बाहर निकालकर सरकार
एक अलग सेक्टर बनाएं।
उनका कहना है कि
इस एक्ट के तहत
निश्चित अवधि में भुगतान
नहीं करने पर खरीदारी
की राशि निर्यातकों के
आय में जोड़ा जाना
और उस पर उन्हें
30 प्रतिशत तक का टैक्स
देना कहीं से भी
न्याय संगत नहीं है,
क्योंकि कारपेट इंडस्ट्री शत प्रतिशत कुटीर
उद्योग है। एसएमई को
45 दिनों के भीतर भुगतान
करने की अनिवार्यता निर्यात
कारोबार के लिए घातक
साबित हो रहा है।
बता दें, केन्द्र सरकार
के इनकम टैक्स की
धारा 43 बी (एच) में
संशोधन ने सूक्ष्म, लघु
और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के सामने नया
संकट खड़ा कर दिया।
इसने देश के चार्टर्ड
एकाउंटेंट्स (सीए) की चिन्ता
भी बढ़ा दी। सीए
को कम्पनी के टैक्स ऑडिट
रिपोर्ट में एमएसएमई को
देय भुगतान की जानकारी देनी
होगी। सरकार ने 45 दिन में भुगतान
की पाबंदी लागू की लेकिन
इससे एमएसएमई को ऑर्डर मिलने
तक बंद हो गए।
इस कानून से रजिस्ट्रर्ड कम्पनी
व टैक्स रिपोर्ट फाइल करने वाली
कम्पनी पर असर पड़ेगा
जबकि सरकार व सरकारी विभाग
इसके दायरे में नहीं आते
हैं।
इसके पूर्व वाराणसी,
भदोही व मिर्जापुर से
जुड़े प्रमुख निर्यातकों के समूह, ‘विकास
की ओर’ के द्वारा
पत्रकारों से बातचीत करते
हुए ग्रूप लीडर संजय गुप्ता
ने कहा कि प्रशासनिक
सदस्य के लिए कुल
34 प्रत्याशी मैदान में है। जिसमें
यूपी से 19 में से 10, जम्मू-कश्मीर से 7 में से
4 व शेष भारत से
8 में से 4 सदस्य चुने
जायेंगे। इन प्रत्याशियों के
लिए 1 से 9 मई तक
मतदाता निर्यातक ऑनलाइन वोटिंग करेंगे। 9 मई को ही
सायंकाल तक परिणाम भी
घोषित हो जायेंगे। उन्होंने
बताया कि प्रशासनिक सदस्य
के लिए कुल 1746 मतदाता
रुपी निर्यातक मतदान करेंगे। इसमें सर्वाधिक मतदाता 1274 यूपी से है।
उन्होंने दावा कि उनके
पैनल का हर सदस्य
अच्छे वोटो से जीतेगा।
यूपी से रवि पाटोदिया,
विनय कपूर, भरत लाल मौर्य,
नुमान अहमद, संजय गुप्ता, उमेश
शुक्ला, राशिद कमर, जाबिर अंसारी,
पंकज बरनवाल, अब्दुल सत्तार, कश्मीर से कुलदीप राज
वाटल, गुलाम नबी भट्ट, जावीद
अहमद, शौकत खां तथा
शेष भारत से ओपी
गर्ग, सुनील जैन, नवीन सुराना
और दीपक खन्ना चुनाव
मैदान में हैं।
संजय गुप्ता ने
कहा कि इस चुनाव
में उनका मुख्य मुद्दा
वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर कालीन उद्योग की वर्तमान दशा
एवं उसे सुधारने तथा
कालीन उद्योग के विकास का
है। उन्होंने कहा कि एक्सो
मार्ट भदोही में कम खर्च
में ज्यादा से ज्यादा फेयर
लगाना का प्रयास के
साथ ही सीईपीसी कार्यप्रणाली
को और अधिक उत्पादक
बनाने एवं सरकार के
साथ सीईपीसी के संबंधों को
और मजबूत करना है। उन्होंने
बताया कि उनका प्रयास
होगा कि जीआई टैग,
रोडटेप, फ्रेट सब्सिडी, रिडक्शन इन रेट आफ
इनकम टैक्स, स्पेशल स्टेटस फॉर कारपेट इंडस्स्ट्री
एमडीए ग्रांट, सब्सिडी ऑन इंटरनेशनल कंप्लायंसेस,
लेबर लॉ आदि पर
सरकार से वार्ता कर
इसके सरलीकरण की बात गंभीरता
से रखा जाएं। , ‘विकास
की ओर’ समूह के
सदस्य एवं चुनाव में
उतरे प्रत्याशियो ने निर्यातकों को
विश्वास दिलाया कि यदि उन्हें
सेवा का अवसर प्रदान
किया गया तो वे
अवश्य उपरोक्त विषयों पर यथाश्क्ति कार्य
करेंगे और कालीन उद्योग
की प्रगति का मार्ग प्रशस्त
करेंगे।
‘विकास की ओर’ का वादा
·
यदि
हमें अवसर मिला तो
हम पूरी निष्ठा, ईमानदारी
एवं पारदर्शिता के साथ कालीन
उद्योग के विकास के
लिए कार्य करेंगे।
·
भदोही
एक्सपो मार्ट में निर्यातकों की
राय से ज्यादा से
ज्यादा फेयर लगाना एवं
लगभग 2500 रुपये प्रति वर्ग मीटर में
बिना किसी भेदभाव के
स्टॉल देना
·
छोटे
एवं मझले निर्यातकों को
विशेष छूट देने पर
विचार करना
·
हमें
एक मेला समिति का
गठन करेंगे और मेला आयोजन
संबंधी सभी बातों पर
विस्तार से विचार करके
मेले को आयोजित करेंगे
जिससे कि मेले में
आने वाले आयातको को
एक अच्छा अनुभव हो और उन्हें
अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा
मिले
·
मेले
को अच्छे ढंग से आयोजित
करने हेतु हम वेब
पोर्टल बनाएंगे इसके माध्यम से
निर्यातको को संपूर्ण सूचनाएं
उपलब्ध होगी
·
हम
उद्योग को पूर्व में
मिलने वाली सभी आर्थिक
सहायता एवं उनके समाप्त
किए जाने के बारे
में एक रिपोर्ट तैयार
करेंगे एवं सरकार से
वार्ता करेंगे। हम प्रयास करेंगे
कि सरकार से हमें कुछ
वित्तीय सहायता प्राप्त हो जिससे हम
विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा कर
सके
·
हम
निम्नलिखित विषयों पर केंद्र एवं
राज्य सरकार से बात करेंगे
एवं उद्योग हित में सहायता
प्राप्त करने का प्रयास
करेंगे
·
भौगोलिक
संकेतक टैग, ज्योग्राफिकल इंडिकेशन
के माध्यम से प्रचार एवं
मार्केटिंग हेतु सरकार से
5 फीसदी सब्सिडी, रोडटेप में वृद्धि, एमडीए
ग्रांट में वृद्धि, विजा
एप्लीकेशन का सीइपीसी द्वारा
अनुमोदन, इनकम टैक्स की
रेट में कटौती, विभिन्न
लाइसेंस कंप्लायंस रिलेटेड लेने में सरकार
के आर्थिक सहयोग, न्यू वेज कोड
में उद्योग के अनुकूल परिवर्तन,
इनकम टैक्स सेक्शन 43 बी एच की
वापसी अथवा संशोधन फ्रेट
सब्सिडी, 10 फीसदी कैश इंसेंटिव ऑन
जूट कारपेट
·
हस्तनिर्मित
कालीन में कितनी कला
एवं श्रम लगता है
एवं यह एक उत्कृष्ट
हस्तकला है। इस बात
पर आधारित एवं बढ़िया डॉक्यूमेंट्री
फिल्म बनाएंगे एवं उसे पूरे
विश्व में तथा भारत
में रोड शो के
माध्यम से दिखाएंगे जिससे
उपभोक्ता हमारे कालीनों के प्रति आकर्षित
हो ऐसा करने से
हमारे कालीनों के ब्रांड आईडेंटिटी
बनेगी
·
हम
हस्त निर्मित कालीन उद्योग की विशेषताओं संभावनाओं
समस्याओं एवं विकास के
उपाय से जुड़ी एक
अच्छी पीपीटी तैयार करेंगे एवं दिल्ली में
राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार
आयोजित करेंगे जिससे हमारी बात सरकार तक
पहुंच सके
·
हम
उद्योग के साथ समय-समय पर संवाद
एवं चर्चा के माध्यम से
सुझाव लेते रहेंगे एवं
उन पर कार्य करेंगे
·
अब
स्किल इंडिया योजना के अंतर्गत ट्रेनिंग
सेंटर जिनमें कई निर्माण से
जुड़ी कार्यों को सिखाया जाए
के लिए ठोस प्रयास
किया जाएगा
·
हमें
एआईसीएमए एवं जयपुर श्रीनगर
नई दिल्ली एवं आगरा की
कालीन से जुड़ी संस्थाओं
की समीप लाने एवं
उनसे सामान्जस्य बैठाकर मिलजुल कर अपने लक्ष्य
को प्राप्त करने का प्रयास
करेंगे
·
हम
चाहते हैं कि जैसे
भारत विश्व की तीसरी बड़ी
आर्थिक शक्ति बनने की दिशा
में अग्रसर है उसी प्रकार
हमारा कालीन उद्योग भी विकसित हो
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