मिट्टी के
कलरफुल
दीयों
का
भी
ट्रेड,
तारों
सी
झिलमिलाती
झालरों
के
बीच
दिखेंगी
“ध्रुव
तारे“
सी
रोशनी
स्वावलंबी दीपों की रोशनी में जगमग होंगे घर-आंगन
परंपरागत दीयों
से
आज
भी
रोशन
होता
है
घर
का
कोना,
मानते
शुभता
का
संकेत
सुरेश गांधी
वाराणसी। भागदौड़ भरी इस जिंदगी
में तीज त्यौहार भी
रेडीमेड हो चली है।
हालांकि परंपरा और पुराने दौर
के रिवाज अब भी मौजूद
हैं। इन्हीं में से एक
है मिट्टी के दीएं। वोकल
फॉर लोकल और मेड
इन इंडिया की मुहिम ने
बीते कुछ वर्षों में
दिवाली की परंपराओं से
जुड़े मिट्टी के दीयों को
फिर से घरों की
सजावट के लिए खास
बना दिया है। दिए
बनाने वालों में भी मार्केट
की नब्ज पड़कर डिजाइनर
दिए और इनोवेशन के
साथ इसे और पॉपुलर
किया है। इस साल
भी दीपावली पर मिट्टी के
दीयों की मांग काफी
है। बाजार में रंग-बिरंगे
दीयों से लेकर ट्रेडिशनल
रंगीन दीए लोगों की
शॉपिंग लिस्ट में शामिल है।
दुकानदारों का कहना है
की रंगीन दीए दिखने में
आकर्षक होते हैं और
तेल भी कम सोखते
हैं। जबकि डिजाइनर दीए
मोटे गोटे बत्ती के
साथ है। इस बार
मिट्टी के परंपरागत दीयों
के साथ डिजाइनर दीयों
की भी खास मांग
है।
केशरीपुर-भड़हा रोहनियां के
विकास प्रजापति ने कहा कि
रंगीन लाइटों से घर सजाया
जा सकता है, लेकिन
पूजा पाठ, धार्मिक अनुष्ठान
के लिए दियों का
ही उपयोग किया जाता है.
इसे देखते हुए दिया बनाने
के काम में तेजी
आई है. सामान्य दिया
से लेकर रंग बिरंगे
आकर्षक डिजाइन के दीपक भी
तैयार किये जा रहे
है. हम इस बार
सामान्य दियों से लेकर रंग
बिरंगे आकर्षक डिजाइन के दीपक भी
तैयार कर रहे है.
उन्होनें कहा कि हम
ऐसे दिए तैयार कर
रहे है, जो लोगो
को आकर्षित करे. नए डिजाइन
के साथ ही उन्हे
कलरफुल बना रहे है.
इसके साथ ही खिलौने,
गुल्लक, गुड्डा-गुड़िया, हाथी घोड़े के
खिलौने बनाएं जा रहे है।
मिट्टी से लेकर चांदी तक की मूर्तियों की डिमांड
दिवाली पर धन की
देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश
की पूजा विशेष तौर
पर होती है। ऐसे
में उनकी मूर्तियों की
डिमांड भी इन दिनों
बाजार में काफी बढ़
जाती है। दिवाली से
पहले लोग इन मूर्तियों
को पूजा के लिए
खरीद रहे हैं, ताकि
घर में समृद्धि और
सुख-शांति आएं। दिवाली पूजन
के लिए बाजार में
विभिन्न आकारों की लक्ष्मी-गणेश
और राम की मूर्तियां
उपलब्ध है। चांदी से
बनी गणेश-लक्ष्मी की
मूर्तियों की भी लोग
काफी मांग कर रहे
हैं। खास यह है
कि इस बार लोग
ओकल फॉर लोकल अभियान
में काशीवासी भी भागीदारी निभा
रहे हैं। दिवाली पर
चीनी निर्मित सामाग्रियों के बजाय मिट्टी
से बने अलग-अलग
डिजाइन वाले लक्ष्मी-गणेश,
दीये के अलावा अन्य
सामाग्रियों की खरीदारी कर
रहे हैं।
वाटर जैली, कैंडल और वास्तु दीप से भी
घर को जगमग करने की है तैयारी
बाजार में इस बार
दीपोत्सव पर स्टैंड दीपक,
कैंडल लाइट व वास्तु
दीप के साथ ही
वाटर जैली वाले दीपक
की भी मांग है।
कुंभकारों का कहना है
कि इस बार दीये
के बनावट में कुछ बदलाव
किया गया है। दीयों
पर रंगाई के साथ कई
डिजाइन भी बनाई गई
है। डिजाइनर दीपों में कांच, आदि
का इस्तेमाल किया गया है।
इस बार हैंगिंग दीपक
की डिमांड ज्यादा है, इसे गुजरात,
दक्षिण भारत और महाराष्ट्र
के समुद्र किनारे की सच्ची मिट्टी
से तैयार किया गया है।
मिनी दीप एक से
ढाई इंच तक के
हैं। यह एक चम्मच
घी या तेल में
सामान्य दीपक के मुकाबले
ज्यादा देर तक जलेगा।
बाजार में गोबर के
भी दीपक बिक रहे
हैं।
रोशनी से खेलेंगे हमारे घर आंगन,
खुशियां बयां करेंगी दीवारें
अबकी दिवाली पर
इनोवेशन के साथ घर
और दकानों को डेकोरेट करने
के लिए इंटीरियर डिजाइनरों
ने घर की दीवारों
को विभिन्न रोशनी और इनोवेशन के
साथ लुक देने वाले
लाइटों को तैयार किया
है। खास यह है
कि हल्के-फुल्के बजट में ही
यह लाइटें दीवारों से बात करती
नजर आयेंगी। घर और आंगन
हर जगह खुशियों की
रोशनी जगमगायेंगी। इसमें एंटीक झूमर के साथ
दीपों को इनोवेशन किया
गया है। फूलों और
दीपों के कांबिनेशन को
इंटीरियर में थीम बनाया
गया है। इसमें कई
स्थानों पर प्राकृतिक फूलों
तो कुछ आर्टिफिशियल फ्लावर
का भी उपयोग किया
गया है। सजावटी सामानें
में कांच के बने
आइटम एलइडी कैंडल, इलेक्ट्रिक दीपक, सतरंगी लैंप, तोरण द्वार के
नए डिजाइन आज भी काफी
पसंद किया जा रहा
हैं।
बाजारों में पर्व की रंगत परवान पर
बाजारों में पर्व की रंगत परवान पर है। उजास के पर्व दीपोत्सव की शुरुआत मंगलवार को धनतेरस से होगी। लोगों की चहारदीवारी समेत पूरा शहर रोशनी से पूरी तरह सज धज कर तैयार है। पर्व की खरीदारी को लेकर बाजारों में ग्राहक की भी पहुंच रहे है। शहर के चौक चौराहों पर इसे बेचने के लिए दुकानें भी सजने लगी हैं। मांग बढ़ने से ग्रामीण इलाकों से लेकर शहर तक कुम्हार चाक के सहारे दीप कलश तथा पूजा के दौरान उपयोग में आने वाले मिट्टी के बर्तन को तैयार करने में जुट गए हैं।
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