‘पुनर्वसु’ और ‘पुष्य नक्षत्र’ के ‘युग्म संयोग’ में आज मनेगा ‘मकर संक्रांति’
बाजारों में लोगों ने तिल, गुड़ और खिचड़ी की जमकर की खरीददारी
सूर्य सुबह
8 बजकर
41 मिनट
मकर
राशि
में
प्रवेश
करेंगे
स्नान का
मुहूर्त
सुबह
6ः46
से
शुरू
होकर
शाम
तक
चलेगा
मकर संक्रांति
का
क्षण
- सुबह
07 बजकर
33 मिनट
तक
है
सुरेश गांधी
वाराणसी। मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर बाजारों में उत्साह का माहौल देखने को मिल। मंगलवार को मनाए जाने वाले इस पर्व के लिए लोगों ने जमकर खरीदारी करते देखे गए। सोमवार को बाजारों में पूरे दिन भारी भीड़ देखी गई, जहां लोग परंपरागत सामग्री जैसे तिल, गुड़ और खिचड़ी की खरीदारी किए। ज्योतिषियों का कहना है कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर 30 साल बाद पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इससे इस पर्व की शुभता और बढ़ जाएगी। लोगों के जीवन में सकारात्मकता आएगी। खास यह है कि इस हदन अक्षय पुण्य फल मिलेगा। इससे लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आ सकता है। ऐसे में सूर्य संग शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा.
बता दें, इस
दिन सूर्य सुबह 8 बजकर 41 मिनट मकर राशि
में प्रवेश करेंगे. इस तरह मकर
संक्रांति का क्षण यही
होगा। साथ ही इस
दिन से सूर्य दक्षिणायन
से उत्तरायण (देवताओं के दिन की
शुरुआत होना) हो जाती है।
इसलिए देश भर में
अलग-अलग नामों से
उत्सव मनाया जाता है। हिंदू
पंचांग के अनुसार, मकर
संक्रांति पुण्य काल का समय
सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर
शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा
और महापुण्य काल का समय
सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर
सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
मकर संक्रांति का क्षण - सुबह
07 बजकर 33 मिनट तक है।
संक्रांति करण - बालव, संक्रांति नक्षत्र - पुनर्वसु है। मकर संक्रांति
पर दान करना बहुत
ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि मकर
राशि के स्वामी शनि
देव हैं जो सूर्य
को अपना शत्रु मानते
हैं. जबकि सूर्य देव
शनि को अपना शत्रु
नहीं मानते हैं.
संक्रांति शब्द का अर्थ
है- मिलन, एक बिंदु से
दूसरे बिंदु तक का मार्ग,
सूर्य या किसी ग्रह
का एक राशि से
दूसरी राशि में प्रवेश
करना, दो युगों या
विचारधाराओं के संघर्ष से
परिवर्तित होते वातावरण से
उत्पन्न स्थितियां। संक्रांत होना ही जीवन
है। परिवर्तन और संधि, इसके
दो महत्वपूर्ण पक्ष हैं, जिन्हें
समझना जरूरी है। जैसे धनु
और मकर। जैसे फल
और फूल। जैसे बचपन
और यौवन। जैसे परंपरा और
आधुनिकता। जैसे शब्द और
वाक्य। एक-दूसरे से
जुड़ना, बदलना और विस्तार या
विनिमय। खिचड़ी का भी यही
भाव है। खिचड़ी यानी
मिश्रण। विश्व के सारे समाजों
और संस्कृतियों का मूलाधार ही
है- मिश्रण।
इस मौके पर
जितना शुभ गंगा स्नान
को माना गया है,
उतना ही शुभ इस
दिन दान को भी
माना गया है। इस
दिन घरों में खिचड़ी
बनाई जाती है, जिसके
कारण इसे ’खिचड़ी का
पर्व’ भी कहा जाता
है. मान्यता है कि इस
दिन गंगा, युमना और सरस्वती के
संगम, प्रयाग मे सभी देवी
देवता अपना स्वरूप बदलकर
स्नान के लिए आते
है। इसलिए इस दिन दान,
तप, जप का विशेष
महत्व है। इस दिन
गंगा स्नान करने से सभी
कष्टों का निवारण हो
जाता है। गुड, तिल
आदि का इसमें शामिल
होना इस बात का
संदेश देता है कि
मन के हर बैर
मिटाकर एक-दुसरे से
मीठा बोलो। इसीलिए इस दिन बड़े
के हाथों से तिल-गुड़
का प्रसाद लेना सबसे अहम्
माना जाता है। इस
दिन ब्राहमणों को अनाज, वस्त्र,
उनी कपड़े आदि दान
करने से शारीरिक कष्टों
से मुक्ति मिलती है।
मिलेंगे ये फल
धनु
लग्न सुबह 6ः46 बजे तक
है। इसमें स्नान करने से विद्या
की प्राप्ति और यश की
वृद्धि होगी।
मकर
लग्न सुबह 8ः30 बजे तक
है। इसमें स्नान से निर्णय क्षमता
व आयु की वृद्धि
होगी।
कुंभ
लग्न सुबह 10ः02 बजे तक
है। इसमें स्नान से से निर्णय
क्षमता, आयु में वृद्धि
होगी।
मीन
लग्न दिन में 11ः30
बजे तक है। इसमें
स्नान से आरोग्यता, घर
विद्या व विनय की
प्राप्ति होती है।
मेष
लग्न दोपहर में 1ः07 बजे
तक है। इसमें स्नान
से हड्डियों में ताकत और
घर में मंगल बना
रहता है।
वृषभ
लग्न अपराह्न 3ः03 बजे तक
है। इसमें स्नान से धन की
प्राप्ति, भूमि व भवन
की प्राप्ति होगी।
मिथुन
लग्न शाम 5ः17 बजे
तक है। इसमें स्नान
से बुद्धि एवं वाणी में
प्रखरता व विवेक की
प्राप्ति होगी।
खूब बिक रहा मावे का तिलकुट
शहर से लेकर
देहात तक में मकर
संक्रांति की तैयारियां जोरों
पर है. बाजार में
तिलवा की सौंधी महक
हर किसी को अपनी
ओर आकर्षित कर रही है।
बाजारों में जगह-जगह
लाई, तिलकुट, चूड़ा और मीठा
की दुकानों पर खरीदारी के
लिए ग्राहकों की भीड़ नजर
आ रही है. सुबह
आठ बजे से ही
लोग संक्रांति के लिए गुड़
और चूड़ा खरीद रहे
हैं. काले और सफेद
तिल व तिलकुट के
बिक्री में भी काफी
तेजी आई है. लोगों
में बढ़ती व्यस्तता और
भागदौड़ भरी जिंदगी के
कारण अब घरों में
लाई और तिल का
लड्डू बनाने की परंपरा धीरे-धीरे कम होते
जा रही है जिस
कारण अधिकतर लोग अब इन्ही
दुकानों पर निर्भर हो
गये हैं. ग्रामीण अंचलों
में भी मकर संक्रति
का उत्साह देखने को मिल रहा
है. कहीं चीनी का
तिलकुट तो कहीं मावे
के तिलकुट की डिमांड है.
हर कोई अपने पसंद
के हिसाब से चूड़े की
खरीदारी भी कर रहा
है. लोग चूड़ा के
साथ दही की भी
खरीदारी कर रहें है.
पतंगों से भी पटा बाजार
मकर संक्रांति नजदीक
आते ही हर उम्र
के लोगों में पतंगबाजी का
खुमार चढ़ जाता है.
बाजार भी रंग-बिरंगे
पतंग से सजा नजर
आ रहा है जो,
लोगों को अपनी ओर
लुभाते हैं. लोगों के
बीच आज भी सबसे
अधिक कागज से बनी
पतंग की डिमांड है.
इसके अलावा पन्नी से बने पतंग
की भी खूब बिक्री
हो रही हैं. बच्चों
से लेकर बुजुर्गों के
बीच पतंगबाजी न केवल मनोरंजन
का माध्यम है, बल्कि यह
लोगों को आपस में
जोड़ने का काम करती
है. बाज, बटरफ्लाई, एयरोप्लेन,
कोरिया पतंग, पैराशूट, प्रिंटेड पतंग, कागज और कार्टून
डिजाइन की पतंगों की
सबसे अधिक मांग है.
दूध-दही की भी डिमांड
शहर बाजार के
अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में दूध, दही,
मटर छीमी, फूलगोभी आदि की मांग
बढ़ गयी है. लोग
दूध और दही की
बुकिंग करना शुरू कर
दिये है. मंडी में
दूध के काउंटर पर
बुकिंग करने के लिए
लोग पहुंच रहे है.
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