Thursday, 6 February 2025

‘सकारात्मक ऊर्जा’ और ‘आत्मिक शांति’ के लिए उत्तम है ‘माघी पूर्णिमा’

‘सकारात्मक ऊर्जा और ‘आत्मिक शांति के लिए उत्तम है ‘माघी पूर्णिमा  

पंचांग के अनुसार महीने की आखिरी तिथि के दिन पूर्णिमा होती है. फिलहाल माघ का महीना चल रहा है. माघ महीने की अंतिम तिथि यानी माघी पूर्णिमा संगम या गंगा स्नान के लिए बेहद फलदायी है। खासकर 144 साल बाद समुद्र मथंन वाले ग्रह नक्षत्रों एवं संयोगों की मौजूदगी के चलते इस महाकुंभ में संगम स्नान करने का महत्व और भी बढ़ गया है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिन सूर्य और बुध ग्रह राशि परिर्वतन करेंगे, जिससे कई शुभ योगों का निर्माण होगा। जो लोग महाकुंभ में अभी तक डुबकी नहीं लगा पाए हैं उनके लिए यह पुण्य कमाने का आखिरी मौका है। इस मौके पर संगम स्नान के बाद दान, पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी शाम 6 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी, जो 12 फरवरी शाम 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के मुताबिक माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को ही मनाई जाएगी। इस के साथ ही पूरे दिन कभी भी स्नान करके पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 19 मिनट से 6 बजकर 10 मिनट तक है। गोधूलि मुहूर्त शाम 6 बजकर 7 मिनट तक है। अमृत काल शाम 5 बजकर 55 मिनट से रात को 7 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। सुबह जल्दी उठने वालों के लिए ब्रह्म मुहूर्त शुभ माना जाता है। शाम के समय गोधूलि बेला होती है। अमृत काल, शाम से रात तक का समय भी स्नान के लिए महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस दिन देवतागण भी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आते हैं. इस दिन स्वर्ग से समस्त देवी-देवता तीर्थराज प्रयाग में गंगा स्नान करते हैं. कहते है इस दिन भगवान विष्णु गंगा नदी में वास करते है। इस दिन गंगाजल को छू लेने मात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. इसीलिए इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। माघी पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है

सुरेश गांधी

सनातन में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, इस तिथि पर माता लक्ष्मी का समुद्र मंथन से प्राकट्य हुआ था. इस दिन व्रत करके पूजा पाठ करने और सत्यनारायण कथा सुनने मात्र से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है और धन संपत्ति में अच्छी वृद्धि होती है. इस दिन किए गए अच्छे कार्यों को फल कई गुना बढ़कर मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. पूर्णिमा का दिन प्रकृति की शक्ति का प्रतीक भी है। दरअसल पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से समुद्र में ऊंचे ऊंचे ज्वार आते हैं. इसके अलावा यह दिन सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक शांति प्राप्त करने के लिए उत्तम माना जाना है. इस साल की माघ पूर्णिमा के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं. पहला योग सौभाग्य योग है और दूसरा शोभन योग है. माघ पूर्णिमा को प्रातःकाल से सौभाग्य योग बनेगा, जो सुबह 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से शोभन योग बनेगा, जो पूर्ण रात्रि तक है

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक महाकुंभ में आयोजित अमृत स्नान ग्रह नक्षत्रों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है. ज्योतिष गणना के हिसाब से जब सूर्य ग्रह मकर राशि में और गुरु ग्रह वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं तब अमृत स्नान (शाही स्नान) मान्यता मानी जाती है. मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी की तिथियों पर गुरु ग्रह वृषभ राशि और सूर्य देव मकर राशि में विराजमान थे. जबकि माघ पूर्णिमा के दिन सूर्य और बुध ग्रह राशि परिर्वतन करेंगे, जिससे कई शुभ योगों का निर्माण होगा। जो लोग महाकुंभ में अभी तक डुबकी नहीं लगा पाए हैं उनके लिए यह पुण्य कमाने का आखिरी मौका है। इस मौके पर संगम स्नान के बाद दान, पूजा और व्रत करने से खास फल देने वाला है। माघ पूर्णिमा के दिन चांद निकलने का समय शाम 5 बजकर 59 मिनट पर है. जो लोग माघ पूर्णिमा व्रत रखेंगे, वे शाम 7 बजकर 22 मिनट से पूर्व अर्घ्य दें. पूर्णिमा पर चंद्रमा को अर्घ्य देने से कुंडली का चंद्र दोष दूर होगा. हालांकि माघ पूर्णिमा वाले दिन 3 मिनट की भद्रा लग रही है. उस दिन भद्रा का समय सुबह में 7 बजकर 2 मिनट से सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक है. इस भद्रा का वास पृथ्वी पर है. इसमें कोई शुभ कार्य करें. वहीं दूसरी तरफ माघ पूर्णिमा के दिन देवगुरु बृहस्पति तो वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे वहीं सूर्यदेव कुंभ राशि में गोचर कर जाएंगे. इसलिए माघी पूर्णिमा के दिन होने वाला स्नान अमृत स्नान की श्रेणी में नहीं आकर सामान्य स्नान के रूप मे माना जाता है. इसी प्रकार महाशिवरात्रि के दिन भी सूर्य ग्रह कुंभ राशि में विराजित रहेंगे तो इस दिन का स्नान भी अमृत स्नान नहीं माना जाएगा. साथ ही माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के स्नान का भी उतना ही अधिक विशेष महत्व है. वहीं 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ ही महाकुंभ का आयोजन का समापन होगा

वैसे भी सनातन में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. यह तिथि हर महीने शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पड़ती है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे के सामने होते हैं, और चंद्रमा अपने पूर्ण प्रकाश में दिखाई देता है. धार्मिक दृष्टि से पूर्णिमा व्रत, पूजा, ध्यान और दान के लिए अत्यधिक शुभ मानी जाती है. जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण है। पूर्णिमा तिथि के वैज्ञानिक महत्व की बात की जाए तो इस दौरान सूर्य और चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल अधिक होता है, जिससे समुद्र में ऊंचे ज्वार बनते हैं. यह दिन आयुर्वेद में भी खास माना गया है. इस समय को मन, शरीर और आत्मा के संतुलन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं. इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है. पूर्णिमा तिथि हर महीने में पड़ती है और हर महीने की पूर्णिमा तिथि बहुत ही खास मानी जाती है. हिंदू धर्म के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की पूजा और अर्घ्य देने से जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है. इससे जीवन में धन-धान्य, शांति और मानसिक संतुलन में वृद्धि होती है. माघ पूर्णिमा के दिन किया गया दान और पुण्य शीघ्र फल देता है. इस दिन गंगा स्नान, गरीबों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

पूर्णिमा व्रत

पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. इससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है. ध्यान और साधना के लिए यह दिन बेहद लाभकारी माना जाता है. यह आत्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का उत्तम समय है. जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करने से पुण्य मिलता है. विशेष रूप से इस दिन गोदान, अन्नदान और जलदान का महत्व है.

इन 3 राशियों पर बरसेगी खुशियां

इस दिन सूर्य और बुध ग्रह परिवर्तन के कारण मेष, वृषभ और मकर राशि के जातकों को विशेष लाभ मिलेगा। करियर, धन, सम्मान और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होगी। दान, स्नान और पूजा-अर्चना से सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य बढ़ेगा।

इन मंत्रों का जप

श्री हरि विष्णु मंत्र

नमोः नारायणाय

नमोः भगवते वासुदेवाय

श्री विष्णवे विद्महे वासुदेवाय धीमहि,

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्

शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्

लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः

मां लक्ष्मी मंत्र

ह््रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः

श्रीं ह््रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद,

श्रीं ह््रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः

कल्पवास का समापन

माघ माह के दौरान प्रयागराज के संगम तट पर कई भक्त एक माह तक कल्पवास करते हैं. इस दिन कल्पवास का समापन होता है और संकल्प के अनुसार दान करके पुण्य लाभ प्राप्त किया जाता है. ऐसे में इसदिन गंगा स्नान संभव ना हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. इससे पिछले जन्मों के भी पाप नष्ट हो जाते हैं. साथ ही सत्यनारायण की भगवान की पूजा और कथा करें. माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करें. इससे जीवन में खूब सुख-समृद्धि आती है. मां लक्ष्मी के सामने घी का अखंड दीपक जलाएं. सुबह स्नान करके पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं. साथ ही शाम को दीपक जलाएं.

पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें फिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करके व्रत का संकल्प लीजिए. इसके बाद पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें. इसके बाद प्रतिमा पर फूलमाला अर्पित करें. फिर मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं. अब आप देसी घी का दीपक जलाकर आरती करे. आरती करते समय विष्णु जी के मंत्रों का जप और चालीसा का पाठ करें. फिर आप विधिपूर्वक व्रत कथा का पाठ करें. अंत में फल और मिठाई का भोग लगाएं.जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति की कामना करें और लोगों में प्रसाद का वितरण करें. विष्णु जी को तुलसी दल जरूर अर्पित करें। दीपक जलाते समय ध्यान रखें कि वह घी का हो। आरती के बाद व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इससे व्रत का पूरा फल मिलता है। भोग लगाने के बाद प्रसाद सभी में बांटें। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से विशेष पुण्य मिलता है। इस पूजा और व्रत से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

कुछ खास उपाय

पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देवता हैं. मान्यता है कि पूर्णिमा पर इनकी पूजा से मनुष्य का समस्त संसार पर आधिपत्य होता है. खासकर संतान के उत्तम स्वास्थ के लिए पूर्णिमा का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है. कहते हैं जो बच्चे अक्सर सर्दी जुकाम, निमोनिया आदि रोगों से ग्रसित रहते हैं उनकी माताओं को सालभर पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए, मान्यता है इससे संतान की सेहत को लाभ मिलता है. माघ पूर्णिमा के दिन कुछ खास काम करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. इस साल माघ पूर्णिमा पर  पुष्य और अश्लेषा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है. साथ ही सर्वार्श सिद्धि योग, आयुष्मान और सौभाग्य योग भी बन रहे हैं. ऐसे में इस साल माघ पूर्णिमा पर कुछ खास उपाय जीवन में भाग्योदय कर सकते हैं.

शास्त्रों के अनुसार इस दिन चन्द्रदेव अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करते हैं। इस दिन वाग्देवी यानि सरस्वती के स्वरुप ललिता महाविद्या की जयंती भी है। इसी दिन महान संत गुरु रविदास का जन्म हुआ था। उन्होंनेमन चंगा तो कठौती में गंगाकहते हुए मन की शुद्धता पर जोर दिया है। होली से एक महीने पूर्व इस पूर्णिमा पर ही होली का डांडा लगाया जाता है इसलिए इसे होलिका डांडा रोपणी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगाजल का स्पर्श करने मात्र से भी मनुष्य को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है। आज के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या घर पर ही मन में गंगा मैया का ध्यान कर स्नान करके के बाद भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा आदि सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप एवं संताप का नाश होता है, मन एवं आत्मा शुद्ध होती है। इस दिन किया गया महास्नान समस्त रोगों का नाश करके दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है। स्नान और दान के वक्त  नमो भगवते वासुदेवाय नमःका मानसिक जप करते रहना चाहिए। यदि आप गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो गंगाजल के छींटे मारकर पुण्य लाभ ले सकते हैं।

दान और पूजा का महत्व

स्नान के बाद पात्र में काले तिल भरकर एवं साथ में शीत निवारक वस्त्र दान करने से  धन और वंश में वृद्धि होती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने से श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा बनी रहती है। सुख-सौभाग्य, धन-संतान की प्राप्ति होती है। विद्या प्राप्ति के लिए इस दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा कर सफ़ेद पुष्प अर्पित करके खीर का भोग लगाना चाहिए। इस दिन पितरों को तर्पण करना बहुत ही फलदायी माना गया है। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है तथा आयु एवं आरोग्य में वृद्धि होती है। माघ पूर्णिमा पर स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा जनित दोषों से मुक्ति मिलती है।

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