उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किए गए बरेका के पीआरओ राजेश कुमार एवं डीआईओ सुरेंद्रनाथ पाल
मौका था
राष्ट्रीय
जनसंपर्क
दिवस
के अवसर पर सम्मान समारोह
एवं
संगोष्ठी
का
सुरेश गांधी
वाराणसी। राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस के अवसर पर सोमवार को पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई), वाराणसी चैप्टर के तत्वावधान में सुंदरपुर स्थित धीरेंद्र महिला पीजी कॉलेज में सम्मान समारोह एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर जनसंपर्क क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु बरेका के जन संपर्क अधिकारी राजेश कुमार एवं सहायक निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश सुरेंद्रनाथ पाल को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप
प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।
इस अवसर पर “आर्टिफिशियल
इंटेलिजेंस के युग में
सार्वजनिक संबंधों की भूमिका” विषयक
संगोष्ठी का आयोजन भी
किया गया। मुख्य अतिथि
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेंद्र मेहता ने ऑर्गेनाइज़ेशन में
एआई के उपयोग एवं
नैतिक चुनौतियों पर अपनी अंतर्दृष्टिपूर्ण
टिप्पणियाँ साझा कीं। साथ
ही विशेषज्ञ व्याख्यान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जनसंपर्क विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष
प्रोफेसर अनुराग दवे, सहायक जनसंपर्क
अधिकारी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय,
डॉ. चंद्रशेखर एवं सीओओ, सनबीम
ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इन्स्टिच्यूशन
श्री संदीप मुखर्जी द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समावेशी एवं
प्रभावी उपयोग विषय पर दिया
गया।
स्वागत एवं अभिवादन पब्लिक
रिलेशन्स सोसाइटी ऑफ इंडिया के
सचिव श्री प्रदीप कुमार
उपाध्याय द्वारा किया गया। कार्यक्रम
का समन्वयन धीरेन्द्र महिला पीजी कॉलेज के
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
की विभागाध्यक्ष डॉ. ममता पांडेय
एवं संयुक्त सचिव, पीआरएसआई हर्ष अग्रवाल ने
किया। इस अवसर पर
मुख्य रूप से पत्रिकारिता
एवं जनसंचार विभाग के ऐसोसिएट प्रोफेसर
डॉ. बाला लखेंद्र जी,
मनोहर लाल, ज्ञानेंद्र उपाध्याय
एवं डॉ. अंशुमान राणा
सहित सभी ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत
किए। इस अवसर पर
सचिव प्रदीप कुमार उपाध्याय ने कहा, “पीआरएसआई
पूरे देश में स्थानीय
सहयोगियों के साथ मिलकर
लगातार राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस को सजीव
और सार्थक बना रहा है।
हमारा लक्ष्य है समाज में
पारदर्शिता बढ़ाना और संवाद को
सशक्त करना है। कार्यक्रम
को संपन्न कराने में पब्लिक रिलेशन
सोसाइटी ऑफ इंडिया बनारस
चैप्टर के ज्ञानेन्द्र उपाध्याय,
महेश सेठ, शशांक कुमार
एवं देवव्रत पाठक का महत्वपूर्ण
सहयोग रहा।
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