बनारस में बिजली कर्मियों का निजीकरण पर बड़ा ऐलान
आंदोलनकारियों ने तीनों विकल्पों को ठुकराया, सीएम योगी से हस्तक्षेप की मांग
कहा, बिजली
का
निजीकरण
किसी
भी
हाल
में
स्वीकार
नहीं
विरोध प्रदर्शन
में
बड़ी
संख्या
में
महिला
कर्मचारी
भी
शामिल
रहीं,
नारेबाजी
में
दिखा
एकजुटता
का
संदेश
संघर्ष समिति
के
केंद्रीय
पदाधिकारी
कर्मचारियों
को
संबोधित
करते
हुए,
निजीकरण
प्रस्तावों
पर
खुलकर
बोले
सुरेश गांधी
वाराणसी. उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर विरोध की आग तेज होती जा रही है। शुक्रवार को तीसरे दिन भी भी बनारस में बिजली कर्मचारियों का निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रहा। इस दौरान आंदोलनकारियों ने ऊर्जा विभाग द्वारा प्रस्तावित तीनों विकल्पों को एक स्वर में नकारते हुए स्पष्ट किया कि वे किसी भी कीमत पर निजीकरण को स्वीकार नहीं करेंगे। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने की अपील की है।
महत्त्वपूर्ण बिंदुः
शांतिपूर्ण आंदोलन को “हड़ताल“ बताकर
कर्मियों को धमकाने का
आरोप।
संविदा कर्मियों की छंटनी और
दमनात्मक पत्रों पर जताई नाराजगी।
मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की दरख्वास
हड़ताल नहीं, शांतिपूर्ण ध्यानाकर्षण आंदोलन
कर्मचारियों ने साफ किया
है कि उनका यह
आंदोलन हड़ताल नहीं बल्कि शांतिपूर्ण
‘ध्यानाकर्षण आंदोलन’ है, जिससे जनता
को किसी प्रकार की
असुविधा न हो। फिर
भी, प्रबंधन इस आंदोलन को
हड़ताल बताकर कर्मियों को धमकाने, ट्रांसफर
करने, संविदा कर्मियों की छंटनी करने
जैसे दमनात्मक कदम उठा रहा
है।
राज्य विद्युत प्राविधिक कर्मचारी संघ के प्रदेश
अध्यक्ष सी.बी. उपाध्याय
ने कहा, “हमें मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ जी पर पूरा
विश्वास है। उनके नेतृत्व
में कर्मचारियों ने 2017 में 41 फीसदी एटीएंडसी हानियों को घटाकर 2024 में
16.5 फीसदी कर दिया है।
इसके बावजूद प्रबंधन गलत आंकड़े पेश
कर निजीकरण को बढ़ावा दे
रहा है।”
संघर्ष समिति की चेतावनी
तीन घंटे का विरोध प्रदर्शन जारी
जूनियर इंजीनियर संगठन के ई. दीपक
गुप्ता ने बताया कि
कर्मचारियों ने आज भी
दोपहर 2 बजे से शाम
5 बजे तक तीन घंटे
का विरोध जारी रखा। सभा
की अध्यक्षता संतोष वर्मा और संचालन अंकुर
पांडेय ने किया। सभा
को ई. मायाशंकर तिवारी,
महेंद्र राय, सी.बी.
उपाध्याय, ई. प्रीति यादव,
मोनिका केशरी, रमाशंकर पाल समेत अनेक
वक्ताओं ने संबोधित किया।
क्या हैं वो तीन निजीकरण विकल्प, जिन्हें कर्मियों ने नकारा
1. फ्रेंचाइज़ी मॉडलः
निजी
कंपनी को विद्युत वितरण
का अधिकार, लेकिन स्वामित्व पावर कॉर्पोरेशन के
पास।
2. पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप)ः
संचालन
में निजी क्षेत्र की
भागीदारी, राजस्व वसूली का अधिकार भी।
3. पूर्ण निजीकरणः
निजी कंपनी को
संचालन, रखरखाव और बिलिंग समेत
पूरा नियंत्रण।
कर्मचारियों का आरोपः
इन विकल्पों में
कर्मचारियों की नौकरी, सेवा
शर्तें और उपभोक्ताओं के
अधिकारों की कोई सुरक्षा
नहीं है।
घटनाक्रम एक नजर में
20 मईः
निजीकरण प्रस्तावों की जानकारी सार्वजनिक
हुई।
21 मईः
संघर्ष समिति का आह्वान, प्रदेशभर
में ध्यानाकर्षण आंदोलन शुरू।
22-23 मईः लगातार
तीसरे दिन तीन घंटे
का शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन।
23 मईः
बनारस में बड़ा प्रदर्शन,
तीनों विकल्पों को अस्वीकार करने
की घोषणा।
आगे
की योजनाः संघर्ष समिति की अगली रणनीति
जल्द घोषित होगी
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