“लादेन“ की तर्ज पर आतंकियों के आकाओं को कुचलना होगा...
पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के पूर्व आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे ने अपनी पोस्ट में लिखा है, ’पिक्चर अभी बाकी है...’ मतलब, कोई भी मुगालते में न रहे, ये सिर्फ आगाज है. जी हां, भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा भारत सरकार को सौंपे गए सीमा पार संचालित 21 आतंकी ठिकानों को सूची में अभी 9 ठिकानों को ही नेस्तनाबूद किया जा सका है। ऐसे में जरुरी है कि पर्दे के पीछे से भारत की ओर से लगातार कूटनीतिक स्ट्राइक के बीच शेष बचे ठिकानों एवं ओसामा बिन लादेन की तर्ज पर आतंकियों के आकाओं को खोज-खोजकर मिट्टी में सुपुर्द-ए-खाक किए जाने में ही भलाई है, वरना ये महिषासुर के रक्तबीज की तरह यूं ही पनपते रहेंगे और भारत को लहुलूहान करने से बाज नहीं आयेंगे. ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या आतंक के आकाओं का खात्मा करने के लिए भारत रहम के बजाय निर्णायक कार्रवाई करेगा? क्या “लादेन की तर्ज पर अब आतंक के सरगनाओं को छुपने नहीं देगा भारत? क्या “आतंकवाद के खिलाफ आखिरी लड़ाई में सिर कुचलने का समय आ गया है?“ क्या “जब तक सरगना ज़िंदा हैं, आतंक जिंदा रहेगा के नारे को मिटाने के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ेगा भारत? क्या “दहशतगर्दो के पनाहगारों को खत्म करते हुए लादेन मॉडल को वैश्विक नीति बनाएगा यूएन? मतलब साफ ह ैअब लादेन की तर्ज पर आतंकियों के आकाओं को खोज-खोज कर मारे जाने की ज़रूरत आन पड़ी है
सुरेश गांधी
आतंकवाद आज के युग की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से एक है। यह सिर्फ एक देश की नहीं, बल्कि समूची मानवता की समस्या बन चुकी है। आतंकवादी हमलों में मारे जाने वाले निर्दोष नागरिकों की चीखें, टूटते परिवार, और भयभीत समाज यह बताने के लिए काफी हैं कि आतंकवाद से सख्ती से निपटना अब केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता बन चुका है। ओसामा बिन लादेन की मौत एक प्रतीक बन गई है। यह संदेश कि चाहे आतंकवादी कितना भी ताक़तवर क्यों न हो, वह न्याय से बच नहीं सकता। अमेरिका ने यह साबित किया कि जब इरादा मजबूत हो, तो दुनिया के किसी कोने में छिपे आतंक के आकाओं तक पहुंचा जा सकता है। यह कार्रवाई न केवल बदला थी, बल्कि एक चेतावनी भी कि आतंक का रास्ता चुनने वालों का अंत निश्चित है।
आज भी दुनिया
के कई हिस्सों में
खासकर पाकिस्तान में ऐसे आतंकी
सरगना सक्रिय हैं जो अपने
नेटवर्क के ज़रिए मासूम
लोगों की जान लेते
हैं, समाज में डर
का माहौल बनाते हैं और राजनीतिक
अस्थिरता फैलाते हैं। ऐसे आतंकियों
के खिलाफ केवल सीमित सैन्य
कार्रवाई या राजनयिक दबाव
पर्याप्त नहीं है। ज़रूरत
है ठोस और लक्षित
कार्रवाई की, ठीक वैसे
ही जैसे लादेन के
खिलाफ की गई थी। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई
सिर्फ सीमा पर लड़ी
जाने वाली जंग नहीं
है, यह विचारों, नीतियों
और संकल्पों की लड़ाई है।
आतंक के आकाओं को
लादेन की तरह खोज-खोज कर समाप्त
करना एक कठोर कदम
ज़रूर है, लेकिन मानवता
की रक्षा के लिए यह
आज की ज़रूरत बन
चुका है। भारतीय सेनाओं ने सिर्फ 25 मिनट
के हवाई हमले में
पाकिस्तान और पाकिस्तान के
कब्जे वाले जम्मू कश्मीर
में 100 किमी अंदर तक
बसे 21 में से नौ
आतंकी शिविरों को तबाह कर
दिया। ताब हुए शिविरों
में बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद
का मरकज सुभान मुख्यालय
भी शामिल रहा। इस आतंकी
ठिकाने को निशाना बनाने
के पीछे प्रमुख कारण
अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर है।
ये वही मौलाना मसूद अजहर है, जिसे साल 1999 में हुए प्लेन हाईजैक में भारत को कांधार जाकर छोड़ना पड़ा था। लेकिन पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने वाले ऑपरेशन सिंदूर ने वह कर दिखाया, जिसका देश इंतजार कर रहा था। इस एयर स्ट्राइक में ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारतीय सेना ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आका मौलाना मसूद अजहर को कड़ी चोट पहुंचाई है। उसके परिजन और 14 करीबी मारे गए हैं। हाल यह है अब वो खुद मौत की भीख मांग रहा है। बता दें, मसूद अजहर का जन्म बहावलपुर में हुआ था. उसके पिता अली बख्श साबिर एक पोल्ट्री फार्म चलाते थे. मसूद का नाम 26/11 के मुंबई हमले में सामने आया था. वह आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना है. इस संगठन ने देश में कई हमले करवाए हैं. वह भारत में पांच साल तक जेल में रहा था. साल 1999 में एक अपहरण के बदले में भारत सरकार ने उसे रिहा कर दिया था. अजहर का नाम भारतीय संसद पर हमले की साजिश में भी आया था.
पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेते हुए इंडियन आर्मी ने पाकिस्तान के पंजाब में स्थित बहावलपुर ट्रेनिंग सेंटर को उड़ा दिया है. बात करें बहावलपुर की तो यह पाकिस्तान का 12वां सबसे बड़ा शहर है। जिस आतंकी ठिकाने को भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत निशाना बनाया वह जैश का हेडक्वार्टर था और जामा मस्जिद सुभान अल्ला में था। इसे उस्मान-ओ-अली कैंपस भी कहा जाता था। जैश का यह हेडक्वार्टर 18 एकड़ में फैला था, जिसके बीच में मस्जिद थी। यहां मदरसे में 600 छात्र रहते थे, जिसमें जिम, स्वीमिंग पूल और अस्तबल भी था।
वैसे तो यह एक धार्मिक केंद्र था, लेकिन यहां से आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता था। साल 2011 से ही यह पूरी तरह से एक आतंकी ट्रेनिंग कैंप के तौर पर काम कर रहा था। जबकि मुरीदके, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है, हाफिज सईद की आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र था, और यहीं से उसने अपने आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देता रहा है। मुरीदके स्थित यह मरकज तैयबा लंबे समय से आतंकवाद की नर्सरी माना जाता है। 2008 के मुंबई हमले में शामिल आतंकी, जैसे अजमल कसाब और डेविड हेडली, यहीं से प्रशिक्षण लेकर गए थे। इस हमले के बाद जो तस्वीरें मुरीदके से आ रही है उसने एक बार फिर पाकिस्तान के झूठ को उजागर कर दिया है। जिस मरकज से हाफिज सईद आतंकी हमलों की साजिशें रचता था, उसे चारों ओर से लोहे की तारों से घेर कर सुरक्षित किया गया था। इस ठिकाने की निगरानी सिर्फ आतंकवादी ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान की पुलिस और रेंजरों के जवान भी कर रहे थे।लश्कर-ए-तैयबा को
पहले ही अंदेशा था
कि भारत कोई कार्रवाई
कर सकता है, इसलिए
तैयबा के मरकज की
सुरक्षा आतंकियों ने खुद संभाल
रखी थी। पाकिस्तान में
आतंकवादियों को जिस तरह
शरण और संरक्षण मिलता
है, यहां तक कि
उन्हें पुलिस की सुरक्षा भी
दी जाती है, यह
अब कोई छुपी बात
नहीं है पूरी दुनिया
इस सच्चाई से वाकिफ है।
मुरीदके लश्कर-ए-तैयबा का
मुख्यालय है। जब इस
आतंकी संगठन पर प्रतिबंध लगाया
गया, तो इसके सरगना
हाफिज सईद ने “जमात-उद-दावा” नाम
से एक नया संगठन
खड़ा किया। यह संगठन समाजसेवा
की आड़ में आतंकवाद
की फंडिंग करता रहा और
आतंकियों को प्रशिक्षण देता
रहा। इसका नेटवर्क इतना
फैला हुआ है कि
पूरे पाकिस्तान में इसके लगभग
2500 मदरसे और दफ्तर संचालित
हैं। वर्ष 2008 में पाकिस्तान सरकार
ने इस पर प्रतिबंध
लगा दिया था। इसके
अलावा, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को
ग्रे लिस्ट में डाला। इसके
बावजूद, यह संगठन अलग-अलग नामों से
आतंकी गतिविधियों में संलिप्त रहा
है। इसके अलावा उन
ठिकानों को भी निशाना
बनाया गया जिसके संबंध
भारत में हुए आतंकी
हमलों से जुड़ते हैं।
वे वहीं ठेकाने हैं
जहां लश्कर-ए-तैयबा समेत
कई आतंकी संगठनों के प्रशिक्षण केन्द्र
व लॉन्चिंग पैड हुआ करते
है।
खास यह है
कि इस ऑपरेश सिंदूर
के बहाने भारत ने आतंकवाद
को किसी भी कीमत
पर बर्दाश्त न करने का
संकेत भी दे दिया
है। और सबसे महत्वपूण
बात यह है कि
पहलगाम हमला का बदला
लेने के लिए भारतीय
सेनाओं की समन्वित, संतुलित
और सटीक एयर स्ट्राइक
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान
न सिर्फ सदमें में है, बल्कि
वह इसका कोई जवाब
नहीं ढूंढ पा रहा
है। पाकिस्तान भारत के कूटनीति
में ऐसा फंसा है
कि उसे निकलने का
कोई रास्ता नजर नहीं आ
रहा। यह अलग बात
है कि पाकिस्तानी फौज
के प्रवक्ता एक प्रोपोगंडा के
तहत ऑपरेशन सिंदूर को मस्जिदों पर
हमला बताने में हरसंभव कोशिश
में जुटे है। वह
बताने चाह रहे है
कि जैसे पहलगाम हमले
में गोली मारने से
पहले धर्म पूछा जा
रहा था, चूंकि प्रधानमंत्री
मोदी हिंदू हैं, इसलिए मस्जिदों
को निशाना बनाया जा रहा है।
लेकिन भारत के सैन्य
अफसरो ने वीडियों सहित
कई साक्ष्यों से साफ कर
दिया है कि किस
तरह सिर्फ आतंकी ठिकानों को ही निशाना
बनाया गया है.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री
के मुताबिक, पाकिस्तान और पीओके की
सैन्य कार्रवाई बेहद नपी-तुली,
जिम्मेदारी पूर्ण और उकसावे वाली
नहीं थी. जब भारत
की तरफ से सिंधु
जल संधि रद्द की
गई थी तब भी,
और अब भी पाकिस्तान
की तरफ से एक्ट-ऑफ-वॉर समझाने
की कोशिश की गई, लेकिन,
एयर स्ट्राइक के जरिये भारत
ने पाकिस्तान के साथ साथ
पूरी दुनिया को बताने और
जताने की कोशिश की
है कि पहलगाम जैसे
हमलों के लिए जिम्मेदार
लोगों के साथ कैसे
पेश आया जाता है.
पाकिस्तन के जरिये भारत
ने खासतौर पर चीन को
भी सख्त संदेश देने
की कोशिश की है कि
ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने
पाकिस्तान की सरहद से
100 किमी अंदर तक टार्गेट
को तबाह किया है
और ये भारत के
सैन्य ताकत का सबूत
है. भारत ने मैसेज
दिया है कि वह
आतंक के खिलाफ है
और जरूरत पड़ने पर ठोस
कदम उठाने से नहीं हिचकेगा.
खास बात यह रही
कि भारत ने यह
कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र की गाइडलाइन के
ही हिसाब से की है.
भारत ने एक बार
फिर पाकिस्तान को उसकी औकात
बता दी है। देश
की आजादी के बाद यानी
1947 से ही भारत ने
पाकिस्तान की हर हिमाकत
का मुंहतोड़ जवाब दिया है।
यह अलग बात है
कि बार-बार मुंह
की खाने के बाद
भी पड़ोसी अपनी हरकतों से
बाज नहीं आता है।
दरअसल, भारत में पहलगाम
हमले के बाद शुरू
हुई कूटनीतिक स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान
को चारों ओर से घेर
लिया और अमेरिका जैसी
बड़ी ताकतों ही नहीं सऊदी
अरब जैसे प्रमुख इस्लामिक
देशों को विश्वास में
लेने के बाद ही
ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया।
इसके तहत 25 मिनट की एयर
स्ट्राइक में सिर्फ नौ
आतंकी ठिकानों को सटीक निशाना
बनाया गया। मगर सैन्य
ठिकानों को कोई नहीं
छुआ। सूत्र बताते हैं कि इसकी
योजना 4 दिन पहले ही
बन गई थी, जब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वायुसेना
अध्यक्ष अमरप्रीत सिंह को वन-टू-वद मीटिंग
के लिए बुलाया था।
इसी दौरान सैन्य कार्रवाई का नाम ऑपरेशंस
सिंदूर तय हुआ। इसके
बाद चले बैठकों के
दौर में भारतीय खुफिया
एजेंसियों ने सीमा पर
संचालित 21 आतंकी ठिकानों को सूची सरकार
को सौंपी। इनमें से चयनित 9 ठिकानों
को नेस्तनाबूद किया गया। लेकिन
पर्दे के पीछे से
भारत की ओर से
लगातार कूटनीतिक स्ट्राइक की जा रही
थी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर व
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की
अगुवाई में पहलगाम हमलों
के बाद से दुनिया
के देशों को पाकिस्तान में
चल रहे आतंकी ठिकानों
और वहां पनाह ले
रहे आतंकियों के बारे में
अवगत करवाया जा रहा था।
खासतौर पर अमेरिका और
संयुक्त राष्ट्र को पाकिस्तान की
करतूतों से दो चार
करवाते हुए प्रत्यक्ष व
परोक्ष समर्थन हासिल किया गया। इसके
बाद बड़ी चतुराई से
ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया
गया। इसकी झलक एयर
स्ट्राइक के करीब 9 घंटे
बाद बुधवार सुबह हुई विदेश
मंत्रालय व सशस्त्र बलों
की साक्षा प्रेस ब्रीफिंग में भी दिखाई
दी। बता दें, भारत
शुरू से ही पाकिस्तान
को आतंकियों की शरणस्थली बताता
रहा है। इसके प्रमाण
दुनिया के प्रमुख देशों
ने भी देखे हैं।
पहलगाम में हुए आतंकी
हमले ने पूरे देश
को झकझोरा है। पाकिस्तान की
ओर से इस पर
कोई एक्शन होता नहीं देखकर
इसका जवाब आतंकी ठिकानों
को बर्बाद करके ही दिया
गया है। इससे पाकिस्तान
को अन्य देशों का
समर्थन हासिल करना भी मुश्किल
हो रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी हमले
पर गोलमोल प्रतिक्रिया और नसीहत देकर
परोक्ष रुप से भारत
का समर्थन ही किया है।
उन्होंने भारत पाकिस्तान को
बातचीत के रास्ते खुले
रखने और तनाव ना
बढ़ाने की सलाह दी
है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी भारत की
निंदा करने से परहेज
ही किया हैं। उन्होंने
उम्मीद जताई है कि
सब कुछ जल्दी ही
खत्म हो जाएगा। आईएसआई
मुखिया ले.ज. असीम
मलिक को अगस्त 2022 से
खाली पड़े पद पाक
एनएसए का अतिरिक्त प्रभार
मिलने में भी भारतीय
कूटनीति झलकती है। विशेषज्ञ भी
मानते हैं कि पहलगाम
हमले के बाद यूएस
के इशारे पर हुआ। मलिक
के पश्चिमी देशों से अच्छे संबंध
हैं। अमेरिका चाहता था कि भारत-पाक तनाव खत्म
करने में कोई विश्वसनीय
व्यक्ति मददगार बने।
यहां जिक्र करना
जरुरी है कि पहलगाम
हमले के बाद बिहार
के मधुबनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने कहा था,
’पहलगाम के दोषियों को
मिट्टी में मिलाने का
समय आ गया है...
आतंकियों को कल्पना से
भी बड़ी सजा मिलकर
रहेगी... उनकी बची खुची
जमीन भी मिट्टी में
मिला देंगे... और सफल एयर
स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री
मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी
मुर्मू से मिलकर पूरी
जानकारी दी. कैबिनेट साथियों
से मुलाकात में मोदी ने
कहा, ये तो होना
ही था... पूरा देश हमारी
ओर देख रहा था...
हमें हमारी सेना पर गर्व
है - और मोदी के
मुंह से ये सुनते
ही कैबिनेट के सदस्यों मेजें
थपथपाकर एयर स्ट्राइक का
स्वागत किया. साथ ही भारत
ने वैश्विक मंच पर कूटनीतिक
प्रयास तेज किए हैं
और दुनिया को स्पष्ट संदेश
दिया है कि आतंकवाद
अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पाकिस्तान के नौ आतंकी
ठिकानों पर करारी चोट
लगी है। आतंकी संगठन
जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा की
रीढ़ तोड़ देने का
प्रयास हुआ है। पाकिस्तान
में खलबली है, क्योंकि उसकी
सरजमीं मे घुसकर भारतीय
सैन्य बलों ने तीसरा
ऑपरेशन किया है। फिर
भी केवल इतना पर्याप्त
नहीं है। हमारे प्रयास
ऐसे हों कि पाकिस्तान
को न केवल कूटनीतिक
स्तर पर अकेला किया
जाए, बल्कि उसे आर्थिक रूप
से भी चोट पहुंचाई
जाए। क्या हम अपनी
अर्थव्यवस्था और बाजार के
आकार का लाभ पाकिस्तान
को हानि पहुंचाने के
लिए उठा सकते हैं?
पाकिस्तानी सेना के सामने
दिक्कत यह है कि
भारत में कोई आतंकी
ठिकाना नहीं है जिसे
निशाना बनाकर वह जवाबी कार्रवाई
का नैतिक आधार बना सके।
तब यही आशंका है
कि वह भारतीय सैन्य
ठिकानों या निर्दोष नागरिकों
को निशाना बनाए। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी
सेना ने हमारे सीमावर्ती
गांवों में आम लोगों
को निशाना बनाया भी है। द्विराष्ट्रवाद
के सिद्धांत के बहाने सांप्रदायिक
जहर उगलकर पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल
आसिम मुनीर ने पहलगाम में
जिहादी हिंसा का नंगा नाच
तो करा दिया, परंतु
अब अपने ही बुने
जाल में खुद फंस
गए। उन्होंने सोचा था कि
पिछली बार की तरह
भारत जंगल में स्थित
किसी ऐसे आतंकी ठिकाने
पर हमला करेगा, जहां
तक मीडिया के कैमरे नहीं
पहुंच सकते और जहां
वह हफ्तों बाद मीडिया का
दौरा करा कर कह
देंगे कि भारतीय हमला
विफल रहा। मुनीर ने
सपने में भी नहीं
सोचा होगा कि भारत
अंतरराष्ट्रीय सीमा से सैकड़ों
किमी दूर पंजाब स्थित
बहावलपुर के बीचोबीच जैश
के आतंकी मुख्यालय पर मिसाइलें दाग
सकता है। पाकिस्तानी फौज
की बची-खुची इज्जत
बचाने के लिए मुनीर
के पास भारत के
विरुद्ध किसी कार्रवाई के
दिखावे के अलावा कोई
चारा नहीं। यह भी बहुत
जोखिम भरा है, क्योंकि
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत
ने स्पष्ट किया है कि
उसने संयम बरतते हुए
पाकिस्तान के किसी सैन्य
अथवा नागरिक ठिकाने को निशाना नहीं
बनाया।
पाकिस्तान
के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और सूचना मंत्री
इसे अपने देश के
नागरिकों, सुरक्षा और संप्रभुता की
दुहाई दे रहे हैं।
शहबाज शरीफ समेत पाकिस्तान
के कुछ हुक्मरान इसका
जवाब देने के संकेत
दे रहे हैं। पाकिस्तान
के प्रधानमंत्री का कहना है
कि उनके देश को
उकसावे के बिना किए
गए भारतीय हमले का निर्णायक
रूप से जवाब देने
का पूर्ण अधिकार है। पूरा देश
अपनी सेना के साथ
एकजुट होकर खड़ा है।
हमारा मनोबल और संकल्प अटूट
और दुआएं तथा शुभकामनाएं बहादुर
सैनिकों, अधिकारियों के साथ हैं।
पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम
नवाज ने आपातकाल की
घोषणा की है। रक्षा
मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत
के हमले को नागरिक
क्षेत्र में किया गया
हमला बताया है। हालांकि, ख्वाजा
तनाव रोकने का भी संकेत
कर रहे हैं। पीपीपी
के नेता बिलावल भुट्टो
ने भी इसे भारत
का कायराना हमला करार दिया
है। पाकिस्तान ने भी करांची
समेत देश के तमाम
हवाई अड्डों को बंद कर
दिया है। पड़ोसी देश
में उच्च स्तर पर
सतर्कता बरती जा रही
है और अंतरराष्ट्रीय समाचार
एजेंसियों के मुताबिक वहां
के लोगों में भारतीय कार्रवाई
को लेकर खासा रोष
है। फिलहाल पाकिस्तान के साथ खुलकर
कोई देश खड़ा नहीं
है. मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति
को देखते हुए चीन भी
खुलकर पाकिस्तान के साथ खड़ा
नहीं हो सकता है.
ट्रंप के चीनी उत्पादों
पर व्यापक टैरिफ लगाने के बाद चीन
की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में नहीं है.
ऐसे में अमेरिकी कार्रवाई
के बाद चीन भारत
के साथ संबंध सुधारने
की कवायद में जुटा हुआ
है. हालंकि पाकिस्तान और चीन की
दोस्ती जगजाहिर है. कई मौके
पर चीन अंतरराष्ट्रीय मंचों
पर पाकिस्तान के साथ खड़ा
दिखा है. सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति के
अलावा चीन पाकिस्तान में
अरबों डॉलर खर्च कर
आर्थिक गलियारे का निर्माण कर
रहा है और बलूचिस्तान
में ग्वादर बंदरगाह का विकास कर
रहा है. लेकिन बलूचिस्तान
में पाक सेना और
चीनी निवेश के खिलाफ बलूच
लिबरेशन आर्मी के विद्रोह के
कारण चीन को भारी
आर्थिक नुकसान का सामना करना
पड़ रहा है.
चीन-पाकिस्तान आर्थिक
गलियारे के समय से
पूरा नहीं होने के
कारण चीन को आर्थिक
नुकसान हो रहा है.
ऐसे में मौजूदा समय
में चीन एक सीमा
के बाहर जाकर पाकिस्तान
को खुलकर समर्थन नहीं कर सकता
है. क्योंकि ऐसा करने से
चीन को भारतीय बाजार
में परेशानी का सामना करना
पड़ सकता है. श्रीलंका
और अफ्रीकी देशों में चीन का
अरबों डॉलर स्थानीय प्रतिरोध
के कारण फंस गया
है. ऐसे में घरेलू
मोर्चे पर आर्थिक संकट
का सामना कर रहे चीन
के लिए भारत के
खिलाफ खुलकर सामने आना मुश्किल है.
हालांकि पाकिस्तान की कोशिश बांग्लादेश
में हुए सत्ता परिवर्तन
के बाद कट्टरपंथियों ताकतों
को मजबूत करने की है.
मौजूदा बांग्लादेश सरकार और पाकिस्तान के
बीच संबंध बेहतर हुए है. इसका
असर पूर्वोत्तर भारत पर पड़
सकता है. पाकिस्तान बांग्लादेश
में आतंकियों को भारत के
खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश
कर सकता है. हालांकि
मौजूदा सरकार के खिलाफ बांग्लादेश
में भी गुस्सा पनप
रहा है. वैश्विक और
क्षेत्रीय स्तर पर भारत
के पास पाकिस्तान के
खिलाफ सख्त कदम उठाने
का विरोध कोई भी देश
नहीं कर रहा है.
भारत के लिए अच्छी
बात है कि अफगानिस्तान
और पाकिस्तान के बीच संबंध
काफी तनावपूर्ण हैं, जबकि अफगान
तालिबान और भारत सरकार
के रिश्ते बेहतर हुए है. खाड़ी
के अधिकांश देश भी भारत
का समर्थन कर रहे हैं.
ऐसे में पाकिस्तान पूरी
तरह अलग-थलग पड़
गया है. हो सकता
है कि आने वाले
समय में पाकिस्तान कई
टुकड़ों में बंट जाए.
सरकार ने पहले कूटनीतिक
और आर्थिक मोर्चे पर भारत को
चोट पहुंचाने का काम किया.
फिर सटीक रणनीति बनाकर
सैन्य कार्रवाई का विकल्प को
चुना और इसके लिए
अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी जुटाने का
काम किया.
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