मिलावट का महापर्व! मिठाई, मेवा, मसाले सब में मिल रही मिलावट
त्योहारों की आहट बाजार में रौनक तो लाती है, लेकिन इस रौनक के पीछे एक स्याह सच्चाई भी छिपी होती है, मिलावटखोरी की एक सुनियोजित साजिश। खासकर रक्षा बंधन जैसे पवित्र पर्व के पूर्व, जब बाजार में खोया, पनीर और मिठाइयों की मांग चरम पर होती है, तभी सक्रिय हो उठते हैं खाद्य अपराध के सौदागर। हालात ऐसे हैं कि बाजार में मिलने वाली लगभग हर चीज :- दूध, पनीर, घी, मेवा और मिठाइयां, शक के घेरे में हैं। या यूं कहे रक्षाबंधन जैसे पर्वो से पहले बाजारों में मिलावटखोरी की बाढ़ आ गयी है. नकली पनीर-खोया-मेवा और मसाले बेचकर सेहत से खिलवाड़ हो रहा है. मतलब साफ है रक्षाबंधन जैसे त्याग, स्नेह और पवित्रता से भरे पर्व की मिठास को यदि मिलावट के ज़हर से संक्रमित कर दिया जाए, तो यह सिर्फ अपराध नहीं, आस्था और जीवन मूल्यों के साथ विश्वासघात है। जरूरी है कि शासन-प्रशासन सख्ती से मिलावटखोरों के विरुद्ध कार्रवाई करे और जनता भी सजग होकर अपने भोजन की शुद्धता सुनिश्चित करें. ऐसे में हमें एकजुट होकर सवाल उठाना होगा, कहां है वो शुद्धता जिसकी गारंटी देने का दावा किया जाता है?, क्या हर छापेमारी के बाद सिर्फ रिपोर्ट ही मिलेगी या कभी सजा भी होगी?
सुरेश गांधी
फिरहाल, त्योहारों की रौनक चारों ओर बिखरी है. रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी और फिर दशहरा, दीपावली। पर इस पवित्र श्रृंखला के बीच मुनाफाखोरों की अपवित्र छाया देश के हर कोने में फैल चुकी है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम, हर राज्य में मिलावटखोर सक्रिय हैं, और प्रशासनिक पकड़ ढीली। यह कोई नई समस्या नहीं है, लेकिन अब इसका पैमाना और दुस्साहस दोनों ही खतरनाक हद तक बढ़ चुके हैं। लोग पूरे दाम देकर आधा जहर खरीद रहे हैं। मिठाई से लेकर मसाले, दूध, दही, तेल, फल, सब्जियां, पेय पदार्थ, हर चीज में मिलावट का जाल बिछ चुका है। नतीजा? बीमारियां, अस्पताल और अफसोस। हालात ये है कि देशभर में जहरीला व्यापार धड़ल्ले से चल रहा है. इससे सिर्फ आम आदम की जेब भी कट रही, बल्कि जान भी जा रही है.
अकेले उत्तर प्रदेश में पिछले एक
सप्ताह में 12 जिलों से 400 क्विंटल नकली खोवा और
पनीर पकड़ा गया। मध्य
प्रदेश में इंदौर, भोपाल,
जबलपुर में बड़े ब्रांडेड
स्टोर्स तक में नकली
घी और मिठाइयां मिलीं।
दिल्ली-एनसीआर में फुटपाथ से
लेकर नामी स्वीट हाउस
तक नकली खोवा व
कलर वाली बर्फी जब्त
की गष्ी, राजस्थान में जोधपुर, अजमेर
और कोटा में नकली
मावे के साथ सिंथेटिक
दूध की फैक्ट्रियां पकड़ी
गईं। बिहार और झारखंड के
सीमावर्ती क्षेत्रों से उत्तर भारत
में नकली सामग्री की
सबसे बड़ी आपूर्ति हो
रही है। ऐसे में
बड़ा सवाल तो यही
है आखिर कब तक
आम नागरिक की थाली में
बीमारी परोसी जाती रहेगी? कब
तक त्योहारों के नाम पर
ज़हर बिकता रहेगा? देश का फूड
सिस्टम बेशक चौकस दिखाने
की कोशिश कर रहा है,
लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि
बाजार मिलावट के अंधेरे से
भर चुका है।
रक्षाबंधन की खुशबू बाजारों में घुल रही है, पर मिठास के इस पर्व को मिलावट का ज़हर फीका करने लगा है। खोया, पनीर, मेवा, मसाले और मिठाइयों में मिलावट इतनी गंभीर हो चुकी है कि अब हर खरीद एक जोखिम बन चुकी है। खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्रवाई और जांच से यह खुलासा हुआ है कि बाजार में मिल रहे अधिकांश नमूनों में फैट की मात्रा शून्य है और हानिकारक रसायनों की मिलावट आम बात हो गई है। त्योहारों की बढ़ती मांग का फायदा उठाकर कुछ व्यापारियों ने नकली पनीर का गोरखधंधा शुरू कर दिया है। प्लास्टिक की ड्रमों में सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है, जिसमें रिफाइंड तेल, यूरिया, डिटर्जेंट और व्हाइटनर मिलाकर नकली पनीर तैयार किया जा रहा है। कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, मेरठ, कुशीनगर, गोरखपुर, महाराजगंज, सहित पूरे यूपी और बिहार, हरियाणा आदि राज्यों में धड़ल्ले से महामिलाट का कारोबार चल रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस नकली पनीर से पेट की बीमारियां, त्वचा संबंधी एलर्जी, उल्टी-दस्त, और किडनी-लिवर को नुकसान पहुंच सकता है। “यह धीमा जहर है जो शरीर को अंदर से खोखला कर देता है.”
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर, देवरिया,
गोरखपुर, महाराजगंज और बिहार के
सीमावर्ती जिलों में नकली पनीर
तैयार कर वाराणसी, लखनऊ,
पटना जैसे बड़े शहरों
के बाजारों में भेजा जा
रहा है। कई मामलों
में पकड़े गए पनीर
के नमूनों में फैट की
मात्रा नगण्य पाई गई, जबकि
भैंस के दूध से
बने शुद्ध पनीर में 40 फीसदी
फैट तक होता है।
यह सीधे-सीधे उपभोक्ता
के साथ धोखा और
अपराध है। केवल पनीर
ही नहीं, बल्कि मेवा, बेसन, खोया और रंग-बिरंगी मिठाइयों में भी मिलावट
की पुष्टि हुई है। रंगीन
मिठाइयों में प्रतिबंधित सिंथेटिक
रंगों का इस्तेमाल हो
रहा है। इनसे कैंसर
और लिवर डिजीज़ जैसी
गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़
जाता है। इतना ही
नहीं खुले बाजारों में
मिलने वाले काजू-बादाम
में ताजगी का रंग चढ़ाया
जा रहा है, जिससे
वह पुराना माल भी नया
दिखे। वहीं हल्दी, मिर्च,
धनिया जैसे मसालों में
मिल रही पिसी हुई
ईंट, सिंथेटिक रंग और चॉक
पाउडर जैसी हानिकारक चीजें।
बाजारों में बिक रही
मिठाइयों में भी प्रतिबंधित
रंगों का इस्तेमाल पाया
गया है। बर्फी, चमचम
और गुलाब जामुन जैसी मिठाइयों में
सिंथेटिक एसेंस और घटिया तेल
का प्रयोग हो रहा है।
कैसे पहचानें नकली पनीर और मिठाई?
1. गंध और बनावट
जांचें
- असली
पनीर
दूध
की
महक
देता
है,
नकली
में
गंध
नहीं
होती
या
रसायनिक
गंध
होती
है।
2. हीट टेस्ट - असली
पनीर
तवे
पर
हल्का
सुनहरा
होगा,
नकली
पिघलेगा
या
ऑयली
दिखेगा।
3. आयोडीन टेस्ट
- उबाले
गए
पनीर
पर
आयोडीन
डालें,
नीला
रंग
स्टार्च
की
मिलावट
बताता
है।
4. अरहर दाल
टेस्ट
- पनीर
पर
अरहर
दाल
पाउडर
डालें,
अगर
रंग
बदले
तो
डिटर्जेंट
की
मौजूदगी
हो
सकती
है।
5. पैकेजिंग पर
नजर
डालें
: एफएसएसएआई
मार्क
देखें
और
“एनालॉग”
या
“इमिटेशन”
जैसे
शब्दों
से
सावधान
रहें।
6. खुले व
अनब्रांडेड
उत्पादों
से
बचें
7. मिठाई खरीदने
से
पहले
उसकी
बनावट,
रंग
और
गंध
जांचें
8. कम दाम के
लालच
में
सेहत
से
समझौता
न
करें
9. घी या दूध
को
गर्म
करें,
झाग
निकले
या
गंध
आए
तो
मिलावट
की
आशंका
10. पानी में
शहद
डालें,
असली
शहद
नीचे
बैठता
है,
नकली
घुल
जाता
है
11. हल्दी में
हाइड्रोक्लोरिक
एसिड
डालें,
अगर
झाग
बना
तो
लेड
की
मिलावट
प्रशासन सक्रिय, परंतु निगरानी कमजोर
खाद्य सुरक्षा विभाग की टीमों ने
पिछले दो दिनों में
छापेमारी की, जहां हजारों
कुंतल से अधिक नकली
खोया, पनीर व मिठाइयां
जब्त की गईं। खाद्य
सुरक्षा अधिकारियों का कहना है
कि “त्योहारों के दौरान मिलावट
की सूचना पर तुरंत कार्रवाई
की जा रही है।
जनता से अपील है
कि किसी भी संदिग्ध
वस्तु की जानकारी हेल्पलाइन
1800112100 पर दें।”
जनता का दर्द : भरोसा टूटा, अब घर की मिठाई पर विश्वास
गृहिणी रेखा मिश्रा कहती
हैं, “अब बाहर से
मिठाई लेना बंद कर
दिया है। घर पर
ही हलवा-खीर बनाना
बेहतर लगता है।” छात्र
शुभम यादव बोले, “सेहत
से खिलवाड़ करने वालों को
फांसी दो, ये सिर्फ
मिलावट नहीं, जन-हत्या है।”
सावधान रहें, सजग रहें!
इस रक्षा बंधन
पर मिठास के साथ मिलावट
न खाएं। खरीदारी सोच-समझकर करें
और जहां शक हो,
वहां शिकायत ज़रूर दर्ज कराएं।
हाल ही में की
गई छापेमारी में यह सामने
आया कि नकली पनीर
बनाने के लिए रिफाइंड
तेल, डिटर्जेंट, स्टार्च, यूरिया, सस्ते मिल्क पाउडर और व्हाइटनर जैसी
हानिकारक चीजों का धड़ल्ले से
प्रयोग हो रहा है।
ये पनीर भले ही
दिखने में असली लगे,
मगर इसके सेवन से
इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है
और किडनी, लीवर, त्वचा व पाचन तंत्र
को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। डॉक्टरों
के अनुसार, नकली पनीर से
निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं
:-
पेट
दर्द
और
उल्टी
त्वचा
पर
एलर्जी
और
फोड़े
किडनी
और
लीवर
को
स्थायी
क्षति
बच्चों
में
मानसिक
और
शारीरिक
विकास
में
बाधा
कैसे हो रही है मिलावट?
दूध में यूरिया,
डिटर्जेंट, शैम्पू और सिंथेटिक केमिकल्स
की मिलावट आम हो चुकी
है। सब्जियों में ऑक्सीटोसिन, जो
पशुओं को गर्म करने
के लिए इस्तेमाल होता
है, उन्हें हरा-भरा दिखाने
के लिए लगाया जा
रहा है। हल्दी में
लेड क्रोमेट, जो पेंट बनाने
में इस्तेमाल होता है, मिला
कर पीली दिखती है।
मसालों में रेत, रंग,
चूना और ईंट का
चूर्ण। घी, तेल में
साबुन का घोल व
सस्ते केमिकल। पनीर और मिठाई
में स्टार्च, सिंथेटिक फ्लेवर और व्हाइटनर।
देशभर में पकड़े गए मिलावटी जाल
813 टन मिलावटी
खाद्य
सामग्री
विभिन्न
राज्यों
में
पकड़ी
जा
चुकी
है
(एफडीए
रिकॉर्ड,
2025)
1,000$ विक्रेताओं पर
वाद
दर्ज,
फिर
भी
कार्रवाई
की
गति
धीमी
जम्मू-कटरा
में
दिल्ली
से
भेजा
गया
800 किलो
नकली
पनीर
पकड़ा
गया,
धार्मिक
स्थलों
को
भी
नहीं
छोड़ा
गया
केरल
में
मिलावट
वाले
नारियल
तेल
का
खुलासा
पश्चिम
बंगाल
में
रंग-बिरंगी
मिठाइयों
में
टारट्राज़ीन
जैसे
खतरनाक
केमिकल्स
सेहत पर कहर : बीमारी से मौत तक
गैस्ट्रो विशेषज्ञ डॉ. आर एस
यादव ये धीमा जहर
है, जो लीवर, किडनी,
आंत और दिमाग पर
गंभीर असर डालता है।
हर बड़े अस्पताल में
त्योहारों के समय पेट
दर्द, उल्टी, दस्त और फूड
प्वाइजनिंग के मरीजों की
संख्या बढ़ जाती है।
देश के हर जिलों
में रोज 50 से 60 लोग मिलावटी पदार्थ
खाने के बाद पहुंच
रहे हैं। फूड प्वाइजनिंग
से जुड़ी मौतों के
मामले भी सामने आ
चुके हैं।
सजा है, लेकिन असर नहीं
भारत में खाद्य
सुरक्षा अधिनियम, 2006 के तहत अगर
मिलावट साबित हो जाए, तो
10 साल तक की सजा
और लाखों का जुर्माना संभव
है। परंतु जमीनी हकीकत यह है कि
: नमूने महीनों जांच के लिए
प्रयोगशालाओं में फंसे रहते
हैं. कोर्ट में मामलों की
गति धीमी है. ज़्यादातर
मामलों में जुर्माना देकर
छुटकारा पा लिया जाता
है.
कौन जिम्मेदार?
प्रशासनिक लापरवाही, फूड इंस्पेक्शन रूटीन
बन चुका है, इरादतन
कार्रवाई कम. नकली माल
का संगठित रैकेट में नकली पनीर,
दूध और मिठाई पूरे
भारत में एक नेटवर्क
के जरिए सप्लाई हो
रहे हैं. जनता की
लापरवाही यह है कि
लोग “सस्ता मिल रहा है“
सोचकर ज़हर खरीदने से
नहीं हिचकिचाते.
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