वाराणसी के चिकित्सकों की अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि, लैप्रोस्कोपी पर आधारित शोधपत्र में प्रकाशित, प्रदेश में अग्रणी स्थान
दीनदयाल चिकित्सालय के डॉक्टरों का कमाल, शोधपत्र को अंतरराष्ट्रीय मान्यता
गाल ब्लैडर
की
सर्जरी
में
लैप्रोस्कोपी
को
बताया
बेहतर
विकल्प
लैप्रोस्कोपी अधिक
सुरक्षित
और
सुविधाजनक
सुरेश गांधी
वाराणसी। दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय, वाराणसी के चिकित्सकों ने
चिकित्सा शोध के क्षेत्र
में बड़ा मुकाम हासिल
किया है। अस्पताल के
वरिष्ठ चिकित्सकों डॉ. प्रेम प्रकाश,
डॉ. शिवेश जायसवाल, डॉ. संदीप चौधरी
और डॉ. बृजेश कुमार
का संयुक्त शोधपत्र इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एकेडमिक मेडिसिन
एंड फार्मेसी (JAMP) में प्रकाशित हुआ
है। यह उपलब्धि न
केवल चिकित्सालय के लिए गौरव
का विषय है, बल्कि
उत्तर प्रदेश के शासकीय स्वास्थ्य
तंत्र के लिए भी
एक प्रेरणास्रोत बन गई है।
यह उपलब्धि चिकित्सालय के गौरवशाली इतिहास
में एक मील का
पत्थर मानी जा रही
है।
शोध में गाल ब्लैडर की पथरी के इलाज में पारंपरिक 'ओपन सर्जरी' बनाम 'लैप्रोस्कोपिक सर्जरी' के प्रभावों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया। 260 मरीजों पर आधारित इस अध्ययन में से 160 की सर्जरी लैप्रोस्कोपी विधि से और 100 की ओपन सर्जरी से की गई। लैप्रोस्कोपी से रक्त हानि, दर्द, संक्रमण और भर्ती की अवधि में उल्लेखनीय कमी देखी गई। रोगी की रिकवरी अधिक तेज और जटिलताओं की संभावना न्यूनतम रही। आँकड़ों को स्टूडेंट्स-टी टेस्ट और चाई-स्क्वायर टेस्ट जैसे स्टैटिस्टिकल टूल्स से परखा गया, जिससे निष्कर्षों की वैज्ञानिक प्रामाणिकता प्रमाणित हुई। बता दें, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एकेडमिक मेडिसिन एंड फार्मेसी (JAMP) एक ओपन-एक्सेस, सहकर्मी-समीक्षित पत्रिका है जो चिकित्सा और फार्मेसी के क्षेत्र में वैज्ञानिक लेखों को प्रकाशित करती है। यह पत्रिका बुनियादी और नैदानिक चिकित्सा, और फार्मेसी के सभी पहलुओं को शामिल करती है। JAMP, मूल शोध लेख, समीक्षाएँ, संपादक को पत्र और केस रिपोर्ट प्रकाशित करता है। यह पत्रिका वर्ष में दो बार, जून और दिसंबर में प्रकाशित होती है।
जनहित में बड़ा सुझाव
शोध में यह अनुशंसा की गई है कि सरकारी अस्पतालों में शल्य चिकित्सकों को लैप्रोस्कोपी तकनीक में विशेष प्रशिक्षण दिया जाए। इससे मरीजों को सस्ते, सुरक्षित और कम तकलीफदेह इलाज का लाभ मिल सकेगा। यह बदलाव जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा सुधार साबित हो सकता है।
इस शोध की
अंतरराष्ट्रीय मान्यता से वाराणसी चिकित्सा
जगत में उत्साह है।
चिकित्सालय प्रशासन ने इसे स्थानीय
चिकित्सा प्रतिभा की वैश्विक पहचान
बताया और कहा कि
यह उपलब्धि आने वाले चिकित्सकों
के लिए मार्गदर्शन और
प्रेरणा बनेगी।
शोध में निम्नलिखित बिंदु उजागर हुए
लैप्रोस्कोपी विधि से रक्त
हानि, दर्द, इंफेक्शन का खतरा और
भर्ती अवधि में उल्लेखनीय
कमी देखी गई।
ओपन सर्जरी के
मुकाबले लैप्रोस्कोपी में रोगी की
शीघ्र रिकवरी और सामान्य जीवन
में वापसी का समय कहीं
कम है।
निष्कर्ष में यह सुझाव
भी दिया गया है
कि शल्य चिकित्सकों को
लैप्रोस्कोपी तकनीक में प्रशिक्षित किया
जाना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में
व्यापक सुधार हो सके।
स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता की दिशा में पहल
यह शोध जनहित
में एक महत्त्वपूर्ण संकेत
देता है कि यदि
राज्य के सभी सरकारी
अस्पतालों में लैप्रोस्कोपी जैसी
उन्नत तकनीक को अपनाया जाए
और शल्य चिकित्सकों को
इस विधि में प्रशिक्षित
किया जाए, तो ग्रामीण
व शहरी दोनों क्षेत्रों
के मरीजों को बेहतर लाभ
मिल सकता है। इस उपलब्धि
पर वाराणसी के चिकित्सकीय एवं
शैक्षणिक जगत में हर्ष
व्यक्त किया गया है।
दीनदयाल चिकित्सालय प्रशासन ने इसे “स्वस्थ
भारत के निर्माण में
स्थानीय योगदान” करार दिया है।
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