नगर कीर्तन पहुंचा काशी, गूंजी “सतनाम-वाहेगुरु”
गुरु ग्रंथ
साहिब
को
रुमाला
साहिब
भेंट
कर
प्रदेश
सरकार
ने
किया
स्वागत
सुरेश गांधी
वाराणसी। श्री गुरु तेगबहादुर साहिब जी, भाई मती दास जी, भाई सती दास जी और भाई दियाला जी की 350वीं शहीदी शताब्दी को समर्पित “महान नगर कीर्तन“ शनिवार को उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करते ही श्रद्धा और सम्मान के साथ स्वागत किया गया। यह ऐतिहासिक नगर कीर्तन 21 अगस्त को गुरुद्वारा श्री गुरु तेगबहादुर साहिब जी धोबड़ी साहिब (असम) से प्रारंभ हुआ था। अलग-अलग राज्यों से होता हुआ यह यात्रा अंततः श्री आनंदपुर साहिब (रोपड़, पंजाब) में संपन्न होगी।
प्रदेश सरकार की ओर से
कृषि राज्य मंत्री सरदार बल्देव सिंह औलख ने
श्री गुरु ग्रंथ साहिब
जी को रुमाला साहिब
भेंट कर नतमस्तक स्वागत
किया। उन्होंने कहा कि सिखों
का इतिहास बलिदान और त्याग की
अद्वितीय मिसाल है। धर्म और
देश की रक्षा के
लिए सिख गुरुओं का
योगदान अविस्मरणीय है। इस प्रकार
की धार्मिक यात्राएं समाज को नई
ऊर्जा देती हैं और
युवाओं को अपने धर्म
से जोड़ने का कार्य करती
हैं। वाराणसी में नगर कीर्तन
पहुंचने पर श्रद्धालु संगत
ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। धर्मनगरी काशी ने गुरु
तेगबहादुर साहिब और उनके साथियों
की शहादत को श्रद्धा व
भक्ति से नमन करते
हुए इस ऐतिहासिक नगर
कीर्तन की गरिमा को
और बढ़ाया। इस अवसर पर
उत्तर प्रदेश सिख मिशन एसजीपीसी
के प्रभारी सरदार बृजपाल सिंह और पूर्व
राज्य मंत्री सरदार हरपाल सिंह जग्गी (लखनऊ)
सहित बड़ी संख्या में
सिख संगत और श्रद्धालु
मौजूद रहे।
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