काशी में मॉरीशस पीएम का भव्य स्वागत, गूंजेंगे पूर्वांचल के लोकगीत
मोदी संग
पहली
द्विपक्षीय
वार्ता,
काशी
विश्वनाथ
और
कालभैरव
मंदिर
में
करेंगे
पूजन
एयरपोर्ट से
शहर
तक
सजावट,
बच्चों
संग
नागरिक
करेंगे
स्वागत
भारत-मॉरीशस
की
दोस्ती
का
गवाह
बनेगा
बनारस
जीआई और
ओडीओपी
प्रदर्शनी
में
दिखेगा
पूर्वांचल
का
हुनर
मोदी और
रामगुलाम
की
पहली
द्विपक्षीय
बैठक
राज्यपाल और
मुख्यमंत्री
देंगे
रात्रिभोज
“लोकल टू ग्लोबलः कारीगरों
को
मिलेगा
वैश्विक
मंच”
सुरेश गांधी
वाराणसी। देवों के देव महादेव की नगरी काशी एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की साक्षी बनने जा रही है। 11 सितंबर को मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम वाराणसी पहुंचेंगे। इस दौरे को लेकर प्रशासन से लेकर सांस्कृतिक संस्थाओं तक में उत्साह का माहौल है। शहर को सजाने-संवारने से लेकर पारंपरिक लोकनृत्यों और गीतों की तैयारियां तेज़ कर दी गई हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में यह दौरा भारत और मॉरीशस के रिश्तों को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट पर ही रामगुलाम का औपचारिक स्वागत होगा। स्कूली बच्चे और नागरिक हाथों में भारत और मॉरीशस के ध्वज लेकर उनका अभिनंदन करेंगे। एयरपोर्ट पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी मिलेगा। अफसरों ने एयरपोर्ट से लेकर शहर तक मार्ग का निरीक्षण किया है और प्रमुख चौराहों पर झंडे, फूल और तोरण द्वार सजाए जा रहे हैं।
कजरी-बिरहा की धुनों पर सजेगा सांस्कृतिक समागम
व्यापार से पर्यटन तक, काशी में तय होगी नई राह
इस दौरे का
सबसे अहम पड़ाव प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी और उनके
मॉरीशस समकक्ष की पहली द्विपक्षीय
वार्ता होगी। काशी की धरती
पर होने वाली यह
मुलाकात दोनों देशों के रिश्तों में
नया अध्याय जोड़ेगी। बैठक में व्यापार,
प्रौद्योगिकी, पर्यटन और शिक्षा जैसे
अहम क्षेत्रों में सहयोग की
संभावनाओं पर विस्तार से
चर्चा होगी।
पूर्वांचल के व्यंजनों से होगा अतिथि सत्कार
दौरे के सम्मान
में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन
पटेल और मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ रात्रिभोज का आयोजन करेंगे।
भोज में काशी और
पूर्वांचल के पारंपरिक व्यंजनों
का भी स्वाद परोसा
जाएगा।
विश्वनाथ धाम और गंगा आरती का लेंगे आशीर्वाद
रामगुलाम का काशी प्रवास
धार्मिक आस्था से भी जुड़ा
होगा। वह श्री काशी
विश्वनाथ धाम और बाबा
कालभैरव मंदिर में पूजन-अर्चन
करेंगे। इसके साथ ही
गंगा आरती में शामिल
होकर भारतीय संस्कृति की अद्वितीय आध्यात्मिक
परंपरा का अनुभव करेंगे।
लोकल टू ग्लोबलः कारीगरों को मिलेगा वैश्विक मंच
ताज होटल में
एक विशेष जीआई और ओडीओपी
प्रदर्शनी का आयोजन किया
जाएगा। इसमें बनारसी साड़ी, भदोही का कालीन, मुरादाबाद
का हैंडीक्राफ्ट समेत उत्तर प्रदेश
की शिल्पकला का प्रदर्शन होगा।
काशी की धरती पर कूटनीति और संस्कृति का संगम
भारत और मॉरीशस
का रिश्ता सदियों पुराना है। गंगा-जमुनी
संस्कृति और प्रवासी भारतीयों
के योगदान ने दोनों देशों
को गहराई से जोड़ा है।
मॉरीशस की लगभग 70 फीसदी
आबादी भारतीय मूल की है
और उसमें भी बड़ी संख्या
उत्तर प्रदेश और बिहार से
जुड़े पूर्वजों की संतानें है।
ऐसे में काशी का
यह दौरा औपचारिकता से
कहीं बढ़कर आत्मीय रिश्ते
का प्रतीक है। हिंद महासागर
क्षेत्र में मॉरीशस भारत
के लिए एक रणनीतिक
साझेदार है। चीन की
बढ़ती सक्रियता और वैश्विक व्यापारिक
प्रतिस्पर्धा के बीच यह
संबंध और अधिक महत्वपूर्ण
हो गए हैं। भारत
ने हमेशा मॉरीशस को विकास, शिक्षा
और तकनीकी सहयोग में प्राथमिकता दी
है। अब जबकि द्विपक्षीय
वार्ता काशी की धरती
पर हो रही है,
तो यह सिर्फ व्यापारिक
सहयोग नहीं बल्कि सांस्कृतिक
पुनर्संपर्क का अवसर भी
है। काशी में आयोजित
यह मुलाकात भारत की उस
नीति का हिस्सा है,
जिसमें “संस्कृति से कूटनीति” और
“लोकल टू ग्लोबल” की
सोच निहित है। काशी में
यह दौरा इस बात
का प्रतीक है कि भारत
अपनी कूटनीति को केवल दिल्ली
या मुंबई तक सीमित नहीं
रखना चाहता, बल्कि अपनी सांस्कृतिक और
आध्यात्मिक राजधानी के माध्यम से
दुनिया को जोड़ना चाहता
है। यह न सिर्फ
भारतीय संस्कृति की गहराई को
दर्शाता है बल्कि प्रधानमंत्री
मोदी की उस सोच
को भी प्रतिबिंबित करता
है जिसमें ‘लोकल टू ग्लोबल’
और ‘संस्कृति से कूटनीति’ को
प्राथमिकता दी गई है।
बिहार के हरिगांव से है रामगुलाम’ का खून का रिश्ता
मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ.
नवीन चंद्र रामगुलाम का पैतृक गांव
बिहार के भोजपुर का
हरिगांव है. उनके आगमन
को लेकर गांव में
भी खुशी का माहौल
है. लोगों का कहना है
कि यह गर्व का
क्षण है. इसको शब्दों
में नहीं बयां किया
जा सकता है. सर
शिवसागर राम गुलाम की
चौथी पीढ़ी के हरिशंकर
महतो का कहना है
कि इससे बड़ी खुशी
की क्या होगी, जब
हमारे गांव के मॉरीशस
प्रधानमंत्री भारत के प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी के संसदीय
क्षेत्र काशी आ रहे
है. मॉरीशस के प्रधानमंत्री का
इस हरिगांव से खून का
रिश्ता है. इस गांव
के लिए और भोजपुर
जिले के लिए बहुत
खुशी की बात है.
बता दें, मॉरीशस के
प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम
के दादा का नाम
मोहित महतो था. वह
18 साल के थे तब
1871 में गिरमिटिया मजदूर के तौर पर
मॉरीशस गए थे. ब्रिटिश
काल में उन्हें ’द
हिन्दुस्तान’ नामक जहाज से
मॉरीशस भेजा गया था.
अंग्रेजों के शासनकाल में
1834 से गिरमिटिया मजदूर की प्रथा की
शुरुआत हुई थी. भारत
से बाहर भेजे जाने
वाले मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर
कहकर बुलाया जाता था. यह
एक तरह से बंधुआ
मजदूरी ही थी. मोहित
महतो की शादी हुई.
उनके घर एक पुत्र
का जन्म हुआ जिसका
नाम शिव सागर रामगुलाम
रखा गया. छोटी उम्र
(13) में ही पिता के
निधन के बाद भी
शिव सागर रामगुलाम नहीं
टूटे. अपनी पढ़ाई को
हथियार बनाया और इंग्लैंड तक
गए. यहां पर उन्हें
कई क्रांतिकारियों से मुलाकात हुई.दरअसल, मॉरीशस अफ्रिका का एक छोटा
सा देश है. इसपर
पहले फ्रांस का कब्जा था,
बाद में ब्रिटिश शासन
पर स्थापित हुआ. शिव सागर
रामगुलाम अपने देश लौटे
और मॉरीशस की आजादी में
अहम भूमिका निभाई. तभी तो मॉरीशस
में उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है.
जो देश के पहले
प्रधानमंत्री भी बने.
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