एक दूजे के हुए दिव्य और धियान : सात जन्मों के बंधन में गूंजी बनारस की शहनाई
जब धियान मिला दिव्यता
से, जन्मा आत्मिक एकत्व
देखते ही
देखते
बारात
की
यह
झलक
सोशल
मीडिया
की
दीवारों
पर
छा
गई
फेसबुक, व्हाट्सएप,
इंस्टाग्राम,
यूट्यूब
पर
वीडियो
और
तस्वीरें
ट्रेंड
करने
लगीं
फॉलोवर्स ने
दूल्हा-दुल्हन
के
उज्ज्वल
भविष्य
की
कामना
की
सुरेश गांधी
वाराणसी। जब प्रेम अपनी
पराकाष्ठा पर पहुंचकर परंपरा
से गले मिलता है,
तब दृश्य सिर्फ विवाह नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव
बन जाता है। रविवार
की शाम ऐसा ही
मनोहारी दृश्य उदयपुर स्थित होटल लॉन में
देखने को मिला, जब
रुपेश ब्रदर्स के डायरेक्टर, हरदिलअजीज
और जन-जन के
साथी रुपेश बरनवाल के सुपुत्र दिव्य
बरनवाल और इंडोनेशिया की
स्नेहमयी धियान ने सात फेरे
लेकर जीवन-यात्रा का
शुभारंभ किया। यह शादी केवल
दो दिलों का मिलन नहीं,
बल्कि दो देशों की
संस्कृति का संगम भी
बनी।
लॉन परिसर में बनारसी आभा से सजा माहौल ऐसा लगता था मानो काशी की आत्मा विवाह-रात्रि को अपनी अनोखी मधुरता दे रही हो। दूल्हा-दुल्हन के चेहरे पर चमकती मुस्कान, परिवार के सदस्यों का उत्साह और मेहमानों की रौनक, सब मिलकर इस समारोह को अविस्मरणीय बना रहे थे। बारात के आगमन के साथ ही उत्सव ने अपना चरम छू लिया। शहनाई की मधुर धुनें और बैंड-बाजे की गूंज जैसे बनारस की सभ्यता, संस्कृति और संगीत परंपरा को जीवंत कर रही थीं।
बैंड की ताल पर
हर कोई थिरकता नजर
आ रहा था। बनारसी
पगड़ी, शेरवानी और पारंपरिक पोशाकों
में सजे युवाओं से
लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी
के चेहरे पर खुशी का
अल्हड़पन साफ झलक रहा
था। देखते ही देखते बारात
की यह झलक सोशल
मीडिया की दीवारों पर
छा गई। फेसबुक, व्हाट्सएप,
इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर वीडियो और
तस्वीरें ट्रेंड करने लगीं और
लाखों, करोड़ों फॉलोवर्स ने दूल्हा-दुल्हन
के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
भव्य थीम पर
सजे मंच पर दिव्य
और धियान ने जब एक-दूसरे के गले में
वरमाला डाली, तो पल मानो
थम-सा गया। वैदिक
मंत्रोच्चार की पवित्रता ने
वातावरण को और भी
आध्यात्मिक बना दिया। अग्नि
के समक्ष सात फेरे लेते
समय दोनों के चेहरे पर
जीवन के सबसे पावन
वचन लिखे जा रहे
थे। यह वो क्षण
था जिसे मो बाइल कैमरों
ने कैद किया और
दिलों ने महसूस किया।
शादी में भदोही, वाराणसी,
दिल्ली, मुंबई से लेकर सात
समुंदर पार के कई
नामचीन मेहमान मौजूद थे। उद्योग जगत,
राजनीति, समाजसेवा और कला-संस्कृति
से जुड़े दिग्गज इस
विवाह समारोह के साक्षी बने।
रुपेश बरनवाल, जो भदोही के
प्रमुख कालीन उद्योगपति और एक्सपोर्टर के
रूप में जाने जाते
हैं, हमेशा से गरीब बुनकरों
और मजदूर परिवारों के बीच त्योहार
मनाने, सहयोग करने और खुशियां
बांटने के लिए प्रसिद्ध
रहे हैं। उनकी विनम्रता
और सामाजिक जुड़ाव ही इस विवाह
समारोह में उमड़ी भीड़
की आत्मीयता का सबसे बड़ा
प्रमाण थे।
सोमवार की शाम इसी
लॉन में आयोजित रिसेप्शन
ने उत्सव को और भी
भव्य बना दिया। रोशनी
से जगमगाते परिसर में मेहमानों ने
नवदंपति को आशीर्वाद दिया।
मंत्री, विधायक, उद्योगपति और समाज के
हर वर्ग से जुड़े
लोग इस खुशी में
शामिल हुए। दिव्य और
धियान का यह शुभ
मिलन न केवल दो
परिवारों का संगम है,
बल्कि संस्कृतियों की अनूठी एकता
का प्रतीक भी है। बाबा
विश्वनाथ की नगरी में
संकल्पित यह बंधन आने
वाले वर्षों में प्रेम, सहयोग
और समृद्धि की नई कहानी
रचे, यही हर किसी
की दिली दुआ रही।





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