जब दहेज पीड़ित बेटी की ढाल बन गए सिंघम अनिरुद्ध सिंह
कैंसर
की
तरह
गहरी
जड़े
जमा
चुकी
दानवरुपी
‘दहेज‘
एक
ऐसा
अभिशाप
है,
जो
आएं
दिन
देश
के
किसी
न
किसी
हिस्से
में
मॉ-बाप,
या
बहन-बेटी
को
निगल
ही
जाती
है।
कुछ
ऐसा
ही
यूपी
के
चंदौली
में
भी
घटित
हो
गया,
जहां
आर्थिक
तंगी
से
जुझ
रही
एक
बेटी
की
मॉ
ने
दहेज
में
चार
लाख
की
डिमांड
पूरी
न
होने
से
आहत
होकर
आत्महत्या
कर
ली।
लेकिन
खुशी
की
बात
है
कानूनी
पचड़े
में
प्रकरण
को
उलझाने
के
बजाय
अपने
उत्कृष्ट
कार्यो
के
लिए
जाना
जाने
वाले
सिंघम
के
नाम
से
ख्यातिलब्ध
अनिरुद्ध
सिंह
आर्थिक
तंगी
व
मॉ
के
गम
में
डूबी
बेटी
की
खुशियों
की
ढाल
बन
गए
और
धूमधाम
से
विवाह
कराकर
23 अप्रैल
की
तिथि
को
हमेशा-हमेशा
के
लिए
इतिहास
को
पन्नो
में
स्वर्णिम
अक्षरों
में
अंकित
करा
दिया
सुरेश गांधी
जी हां, पुलिसिया
क्रुरता से इतर अनिरुद्ध
सिंह एक ऐसे जांबाज
वर्दीधारी है, जिन्होंने अपने कार्यो के जरिए ही
समाज में अपनी अलग जगह बनाई है। या यूं कहे
बड़े से बड़े माफियाओं,
बाहुबलियों या अपराधियों के
लिए वे साक्षात काल
है तो असहायों के
लिए देवता से कम नहीं।
शायद यही वजह है कि यूपी
जैसे बड़े राज्य में अनिरुद्ध सिंह ने सिंघम के
रुप में अपनी जगह बनाई है और उनकी
उपलब्धियों या उत्कृष्ट कार्यो
की सूचि में एक और तगमा
उस वक्त जुड़ गया जब उन्होंने आर्थिक
तंगी में झुलस रही लाचार बेटी की मां के
सभी अरमानों को पूरा करते
हुए शान-ओ-शौकत के
साथ डोली में विदा की। मामला यूपी के चंदौली जिले
के आवाजापुर
-सकलडिहा का है।
कुछ यू है दास्ता
आवाजापुर
गांव के रामू यादव
को एक पुत्र व
दो पुत्रियां हैं। घर की माली
हालत खराब होने के कारण बड़ी
पुत्री के विवाह में
अड़चनें आ रही थीं।
इसी चिंता में पत्नी मितरा देवी ने फंदे से
लटक कर आत्महत्या कर
ली। परिवार पर मानों पहाड़
टूट पड़ा है। पिता रामू ने बताया कि
अपना दर्द किससे कहा जाएं। लेकिन सीओ अनिरुद्ध सिंह उसके लिए भगवान बन गए।
सोशल मीडिया में खूब रही चर्चा
सीओ अनिरुद्ध सिंह की पहल के
बाद चंदौली जिले की पुलिस भी
सोशल मीडिया पर एक्टीव हो
गई। पुलिस की ओर से
ट्वीटर पर लिखा गया
आओ चलें मिलकर बांटते है खुशियां, बेटी
के अरमानों को देते हैं
बुलंदियां। देखते ही देखते यह
स्लोगन सोशल मीडिया में छा गया। लोगों
ने खूब लाइक व सराहना की।
हर किसी ने बारात में
सम्मिलित होने की इच्छा जताई।
खास यह है कि
बड़ी संख्या में लोग वर-वधू को
मंगलाचरण के साथ मिलकर
बधाई भी दी। इसमें
वर-वधू को आशीर्वाद देने
के लिए चंदौली पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल, अपर पुलिस अधीक्षक सुखराम भारती, कई ब्लॉक प्रमुख
और कई थानों के
थानाध्यक्ष सहित सैकड़ों की संख्या में
लोग उपस्थित हुए। पुलिस वाले भी दुल्हा पक्ष
को माला पहनाकर स्वागत किया।
खाकी में नजर आई सारी रस्में
अनिरुद्ध सिंह ने अपनी मुंहबोली
बहन की शादी में
आयोजन का जब जिम्मा
संभाला तो पूरे आयोजन
के दौरान समारोह खाकी वर्दी के रंग में
रंगा नजर आने लगा। खाकी वर्दीधारियों से समारोह में
अनोखा नजारा सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है।
इसमें वैदिक मंत्रोंचार और मंगलकामनाओं के
बीच सीओ अनिरुद्ध सिंह के साथ मुंहबोली
बहन शिखा का कन्यादान, हवन
कुंड के साथ फेरे
लेते हुए शामिल है। लोग जीवन और मंगल गीतों
की स्वर लहरियों के साथ खाकी
के इस अद्भुत दृश्य
को खूब पसंद कर रहे है।
सीओ अनिरुद्ध सिंह ने आवाजापुर के
विनोद यादव को दिया अपना
वादा पूरा किया। मुफलिसी में जीवन यापन कर रहे विनोद
को यह अंदाजा भी
नही होगा कि खाकी वर्दी
पीछे छुपे हृदय में इतनी संवेदना भी होगी कि
वह बेटी के हाथ पीले
करने का संकल्प पूरा
कर सके।
दुल्हें ने नहीं मांगी दहेज
चतुर्भुजपुर के सौरभ के
स्वजनों ने कुछ मांगा
नहीं। लेकिन सीओ ने दोनों की
गृहस्थी का हर सामान
जुटा रखा था। अपनी सामर्थ्य भर इसमें कई
लोगों ने अपनी-अपनी
भूमिका अदा की। बहरहाल जो विवाह कई
दिनों से क्षेत्र में
कौतूहल व चर्चा का
विषय बना हुआ था। उसे अपनी जागती आंखों से देखने लोग
दूर- दराज से चल के
आए थे। विधायक सुशील सिंह, एसपी अंकुर अग्रवाल, एएसपी सुखराम, ब्लॉक प्रमुख अजय सिंह, अवधेश सिंह व सुड्डू सिंह
सहित जनपद के तमाम अधिकारियों
ने विवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया।
इस अनोखी शादी में दूल्हा बने सौरभ काफी उत्साहित दिखे. उन्होंने अपनी इस शादी को
सुखद पल करार देते
हुए कहा कि पुलिस का
प्रयास सराहनीय है. लोगों को दहेज रहित
शादी के लिए आगे
आना चहिए. ताकि लड़की को मां-बाप
बोझ न समझे. आर्थिक
रूप से अशक्त लोग
भी आराम से बेटियों की
शादी कर सके.
जब रिश्ता टूट गया
पिछले दिनों जनपद के धानापुर के
आवाजापुर निवासी शिखा यादव की शादी तय
हुई थी. लेकिन दहेज की अधिक मांग
के चलते उसका रिश्ता टूट गया. जिसके चलते युवती का पूरा परिवार
सदमे में चला गया था. इस घटना की
जानकारी के बाद सीओ
सकलडीहा अनिरुद्ध सिंह उसके घर पहुंचे और
घटनाक्रम पर अफसोस जताते
हुए शिखा यादव की शादी की
जिम्मा उठाने का वादा किया
था। फिर उन्होंने अपनी बहन के लिए रिश्ता
ढूढ़ंना शुरू किया। गरीब बच्चों की शिक्षा के
लिए काम करने वाले दुर्गेश सिंह ने सुयोग्य लड़के
की तलाश भी पूरी कर
ली। साथ ही बिना दहेज
के शादी के लिए तैयार
हो गए। बैंड बाजे के साथ पहुंची
बारात का स्वागत पुलिस
परिवार ने किया। उसके
पश्चात अनिरुद्ध सिंह ने जयमाला के
लिए अपने बहन को आशीष चुनरी
के तले स्टेज तक भी पहुंचाया
और विवाह संपन्न हुआ। इस दौरान खाने
पीने से लेकर शादी
का पूरा अरेंजमेंट पुलिस की तरफ से
किया। इस दौरान पुलिस
की तरफ से ही खाने
पीने से लेकर शादी
का पूरा अरेंजमेंट किया गया।
पहले भी चर्चा में रहे है अनिरुद्ध सिंह
अनिरूद्ध सिंह पहली बार सुर्खियों में नहीं आए हैं। इसके
पहले भी वो कभी
फिल्मों के लेकर चर्चा
में रहे हैं तो कभी माफियाओं
के खिलाफ अभियान चलाने को लेकर। लोग
उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी मानते है।
बीते साल ही उन्हें डिप्टी
एसपी बनाया गया है। अपराध और अपराधियों पर
प्रभावी कार्रवाई के साथ ही
कम्युनिटी पुलिसिंग के लिए डीजीपी
ऑफिस से सिल्वर मेडल
भी मिल चुका है। उनका कहना है कि गरीब
परिवार की बेटी के
भाई के रूप में
अपना फर्ज निभाते हुए उन्हें बहुत खुशी है। अपनी मुंह बोली बहन की शादी में
धूमधाम से करते हुए
कुछ ज्यादा ही खुशी महसूस
हुई। बता दें, अनिरुद्ध सिंह के पिता किसान
हैं. 250 बीघा जमीन आज भी इनके
परिवार में है. इनके परिवार को जालौन जिले
में दूसरे सबसे बड़े जमीदार के रूप में
आज भी जाना जाता
है। अनिरुद्ध के 3 बड़े भाई हैं जो पेशे से
इंजीनियर हैं. वहीं, अनिरुद्ध की 2 बहनें है जिनकी शादी
हो चुकी है जो ससुराल
में रहती हैं. अनिरुद्ध हाई स्कूल और इंटर की
पढ़ाई जालौन के इंटर कॉलेज
से पूरी की। जबकि स्नातक इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की।
2001 में सब इंस्पेक्टर के
पद पर यूपी पुलिस
में भर्ती हुए और और अपनी
कार्यशैली और कर्तव्यनिष्ठा के
द्वारा 2010 में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन
पाकर इंस्पेक्टर बने। 2019 में सीओ (डिप्टीएसपी) बन गए। अपने
खूबसूरत चेहरे और अभिनय के
दम पर समय-समय
पर अनिरुद्ध वेब फिल्मो में काम करते हैं रियल लाइफ और रील लाइफ
दोनों के सामंजस्य को
बनाकर आज भी चलते
रहते हैं. उन्होंने कहा कि अपनी जिंदगी
का सबसे बड़ा सपना पूरा कर लिया। दरअसल
उनका सपना गरीब परिवार की बेटी शिखा
यादव की शादी कराना
था जो शनिवार को
पूरा हो गया। उनके
द्वारा इस नेक काम
को पूरा गांव सराह रहा है साथ ही
खुशी से झूम उठा
है। उन्होंने फोटो को साझा करते
हुए लिखा कि मेरे जीवन
की सबसे अच्छी तस्वीरों में शुमार होगी। अनिरुद्ध सिंह ने शिखा यादव
को मुंहबोली बहन का दर्जा दिया
था। लेकिन उन्होंने मुंहबोली बहन बोलकर छोड़ा ही नहीं बल्कि
अपनों जैसे उसकी शादी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
युवाओं से बिना दहेज शादी करने की अपील
शिखा की शादी की
जिम्मेदारी उठा रहे डिप्टी एसपी अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि
शिखा के परिवार वाले
आर्थिक रूप से काफी अशक्त
है। जिसके चलते उसकी शादी भी टूट गई।
जिसने उन्हें अंदर तक झकझोर के
रख दिया और उसे अपनी
बहन मानकर उसकी शादी का जिम्मा उठा
लिया। जिसके बाद पुलिस विभाग के अन्य साथियों
का भी साथ मिला।
जिसके बाद शनिवार को पूरे धूमधाम
से शिखा की शादी करवाई
गई। जिसमें पुलिसकर्मी पूरी तरह से लड़की के
भाई की भूमिका में
रहे। उन्होंने इस शादी को
नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी
बताते हुए युवाओं से बिना दहेज
की शादी करने की अपील की।
इसके साथ ही उन्होंने ट्विटर
के जरिए फोटो को शेयर करते
हुए लिखा कि ए तस्वीरें,
मेरे जीवन की सबसे अच्छी
तस्वीरों में शुमार होंगी। जीवन का पन्ना पलटेंगे
तो याद करेंगे ये कुछ लम्हे
जो आज कैमरे में
क़ैद हुए है। ईश्वर सबका भला करें।
अनिरुद्ध सिंह के बड़े कारनामे
अनिरुद्ध को पुलिस की
नौकरी खूब भा रही थी
उनको ना तो पैसे
की चिंता है ना ग्लैमर
की, बस केवल कैसे
समाज से अपराध का
नामोनिशान मिटे और समाज में
शांति स्थापित हो यही चिंता
इनको सताती है. मामला 2007 का है जब
5 लाख के इनामी नक्सली
संजय कोल को एनकाउंटर में
अनिरुद्ध ने मार गिराया
था. उस समय चदौली,
मिर्जापुर और सोनभद्र में
नक्सलवाद चरम पर था. संजय
कोल के मरने के
बाद यूपी में तहलका मच गया और
उसी समय से अनिरुद्ध सिंह
पुलिस महकमे में चर्चित हो गए थे.
ऐसी कई और बड़ी
मुठभेड़ हैं जो चर्चित हैं,
जैसे 2005 में मुख्तार के शूटर झुंना
राय के साथ मुठभेड़.
5 दिसंबर को सपा कार्यकर्ताओं
और पुलिस के बीच जमकर
झड़प हुई थी. इस दौरान मौके
पर मौजूद अनिरुद्ध सिंह के साथ सकलडीहा
के एसपी विधायक प्रभु नारायण यादव ने कथित तौर
पर ना सिर्फ धक्का-मुक्की की, बल्कि उनके सिर में कई बार टक्कर
भी मारी थी. इसी घटना के बाद से
डिप्टी एसपी अनिरुद्ध सिंह चर्चाओं में आ गए.
’रियल हीरो’ से रील हीरो का सफर
अनिरुद्ध सिंह ने पुलिस महकमे
में अपनी पहचान ’सिंघम’ के रूप में
भी बनाई. इसके साथ ही वह ’रियल
हीरो’ से रील हीरो
भी बने. अनिरुद्ध सिंह ने पुलिस नौकरी
के साथ-साथ फिल्मों और वेब सीरीज
में भी काम किया.
अनिरुद्ध के फिल्मों में
काम करने की कहानी भी
कम दिलचस्प नहीं है. दरअसल वाराणसी कैंट में पोस्टिंग के दौरान गंस
ऑफ बनारस नामक फिल्म की शूटिंग चल
रही थी. इस दौरान शूटिंग
देखने आए लोगों की
काफी भीड़ बेकाबू हो गई. इसी
दौरान इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह वहां पहुंचे और भीड़ को
काबू में किया. फिल्मी हीरो जैसे लुक वाले इस पुलिस ऑफिसर
को देखकर वहां मौजूद फिल्म के निर्देशक शेखर
सूरी ने उन्हें पुलिस
ऑफिसर का रोल ऑफर
कर दिया. अनिरुद्ध सिंह को अचानक यकीन
नहीं हुआ कि ऐसा भी
हो सकता है, लेकिन जब फिल्म के
निर्देशक शेखर सूरी ने अनिरुद्ध से
इस फिल्म में पुलिस ऑफिसर का रोल निभाने
को लेकर काफी अनुरोध किया. तो अपने अधिकारियों
से इजाजत लेकर अनिरुद्ध ने इस फिल्म
में पुलिस ऑफिसर की भूमिका निभाई.
इस फिल्म के बाद अनिरुद्ध
सिंह ने साउथ की
एक फिल्म डॉक्टर चक्रवर्ती में भी पुलिस ऑफिसर
का रोल अदा किया. साथ ही साथ उन्होंने
वेब सीरीज ’दी रेडलैंड’ में
भी एक्टिंग की.
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