Friday, 20 June 2025

गुंडों के कब्ज़े में टूरिज़्म : पार्किंग से लेकर टैक्सी स्टैंड तक वसूली का तांडव

गुंडों के कब्ज़े में टूरिज़्म : पार्किंग से लेकर टैक्सी स्टैंड तक वसूली का तांडव 

वाराणसी से रुद्रप्रयाग कश्मीर से कन्याकुमारी तक मनमानी वसूली और मारपीट से बदनाम होते तीर्थ पर्यटन स्थल आज की हकीकत बन चुके है. उत्तर भारत के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन नगर, खासकर काशी, प्रयागराज, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग, अयोध्या, बद्रीनाथ जैसे तीर्थों में बीते कुछ वर्षों से एक नया और खतरनाक चलन पनप रहा है, पार्किंग स्थलों और टैक्सी स्टैंडों पर गुंडों का कब्जा। आए दिन पर्यटकों पर हो रहे हमले, लाठी-डंडों से की जा रही मारपीट और खुलेआम वसूली की घटनाएं अब असामान्य नहीं रहीं। सवाल यह है कि क्या प्रशासन आंखें मूंदे रहेगा? जबकि सच तो यह है कि अगर भारत को पर्यटन की वैश्विक राजधानी बनाना है, तो यह जरूरी है कि प्रत्येक पर्यटक को सुरक्षा का भरोसा मिले। अभी जो स्थिति है, वह भय और असहायता का उदाहरण है। सरकार को चाहिए कि वह ज़मीनी स्तर पर कार्रवाई करें, वर्नाअतिथि देवो भवका आदर्श सिर्फ विज्ञापन तक ही सीमित रह जाएगा. प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद बनारस के रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, मॉल, सिनेमा हॉल और टैम्पो स्टैंडों पर पार्किंग किराया वसूली में खुलेआम मनमानी जारी है। यात्रियों से निर्धारित शुल्क से कई गुना अधिक राशि वसूली जा रही है। और जब कोई कारण पूछता है, तो जवाब में गाली-गलौज से लेकर लाठी-डंडे तक चलने लगते हैं 

सुरेश गांधी

भारत का पर्यटन विकास सिर्फ योजनाओं और विज्ञापनों से नहीं होगा। अगर एक पर्यटक सुरक्षित महसूस नहीं करता, तो लाखों की योजना भी बेअसर है। अब समय है कि सरकार, प्रशासन और आम जनता, सब मिलकर इस अघोषित गुंडाराज के खिलाफ एकजुट हों। वरना आने वाले वर्षों में तीर्थ और पर्यटन सिर्फ इतिहास के पन्नों में रह जाएंगे। पार्किंग, टैक्सी स्टैंडों पर मनमानी वसूली, विरोध पर लाठी-डंडे, यानी वाराणसी से रुद्रप्रयाग तक खौफ का राज है.’’ जबकि पर्यटक असहाय, प्रशासन मौन हैं. या यूं कहेअतिथि देवो भवपर लाठी की तलवार लटक रही है। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित तमाम सूबों के मुखियां द्वारा आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, दूसरी ओर उन्हीं शहरों में टूरिस्ट लाठी-डंडों और गुंडागर्दी का शिकार हो रहे हैं। काशी से लेकर रुद्रप्रयाग तक, हरिद्वार से लेकर प्रयागराज तक और जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, हर बड़े धार्मिक शहर में टैक्सी स्टैंड, पार्किंग स्थल और सार्वजनिक मार्गों पर गुंडों का कब्ज़ा बनता जा रहा है। इनका एक ही मकसद है, मनमानी वसूली, और जो विरोध करे उस पर हमला। कहीं ₹30 की जगह ₹300 की वसूली, कहीं यूनियन के नाम पर गुंडागर्दी खुलेआम हो रही हैं। वाराणसी, जो देश और दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है, वहां रेलवे स्टेशन से लेकर अस्सी घाट और संकटमोचन तक, कहीं भी पार्किंग शुल्क मनमर्जी से वसूला जाता है। एक ही गाड़ी से ₹30 की पर्ची के बाद ₹100 फिर ₹200 मांग लिए जाते हैं। विरोध करने पर लफंगे, यूनियन सदस्य या तथाकथित स्वयंभू ठेकेदार हाथापाई तक उतर आते हैं। ऐसा नहीं कि ये घटनाएं कैमरे से बची रहती हैं. अक्सर यह सब सार्वजनिक स्थलों और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में होता है। परंतु कार्रवाई के नाम पर सन्नाटा पसरा रहता है। चारधाम यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले रुद्रप्रयाग में भी कुछ ऐसा ही दृश्य है। टूरिस्ट बसों से जबरनयात्री करवसूला जा रहा है, और देने पर ड्राइवरों से मारपीट की जा रही है। कई मामलों में स्थानीय पुलिस की मौन सहमति साफ झलकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक वाराणसी के कैंट स्टेशन, गोदौलिया, लंका, संकटमोचन और अस्सी क्षेत्र में आए दिन पर्यटक गाड़ियों से जबरन पार्किंग शुल्क वसूला जाता है। कई मामलों में बकायदायूनियनके नाम पर गुंडे खड़े रहते हैं, जो निर्धारित शुल्क की जगह मनचाहा पैसा मांगते हैं। पिछले सप्ताह कर्नाटक से आए एक पर्यटक को सिर्फ अस्सी घाट की पार्किंग के नाम पर ₹200 का शुल्क थमा दिया गया, जब उन्होंने पर्ची मांगी तो दो युवक लाठी लेकर गाड़ी के पास गए। डर के मारे पर्यटक ने पैसा थमाया और चुपचाप आगे बढ़ गया। पुलिस चौकी से मात्र 100 मीटर दूर की यह घटना थी।

रुद्रप्रयाग और हरिद्वार में टूरिस्ट बसों पर दबाव

चारधाम यात्रा के दौरान रुद्रप्रयाग और श्रीनगर गढ़वाल में निजी यूनियन से जुड़े लोग टैक्सी और टूरिस्ट बसों को जबरन रोकते हैं और स्थानीय टैक्स, यूनियन शुल्क और सेवा शुल्क के नाम पर पैसा मांगते हैं। कुछ मामलों में ड्राइवर और परिचालकों के साथ हाथापाई की भी सूचना मिली है। डरे सहमे यात्री स्थानीय प्रशासन से शिकायत नहीं करते, क्योंकि उन्हें डर है कि वापसी में और अधिक दिक्कतें खड़ी कर दी जाएंगी।

गाड़ियों पर हमला, कैमरे में कैद : कार्रवाई गायब

सोशल मीडिया पर वाराणसी और हरिद्वार के कई वीडियो वायरल हो चुके हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि कैसे कुछ युवक गाड़ियों के बोनट पीटते हैं, गालियां देते हैं और कैमरे देखकर मुंह छिपा लेते हैं। कई ड्राइवरों का आरोप है किजो इनसे नहीं जुड़ता, उसकी गाड़ी रोक दी जाती है, सवारी उतार दी जाती है।

प्रशासनिक चुप्पी और मिलिभगत का आरोप

स्थानीय नागरिकों और होटल यूनियन के कुछ सदस्यों का आरोप है कि इस वसूली गैंग को स्थानीय प्रभावशाली नेताओं और कुछ पुलिस कर्मियों की शह हासिल है। इसलिए तमाम शिकायतों के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं होती, उलटे पीड़ित पक्ष को ही समझा-बुझा कर चुप करा दिया जाता है।

पर्यटकों का डर, “हम दुबारा यहां नहीं आएंगे

देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु और सैलानी इन घटनाओं से आहत हैं। वाराणसी घूमने आए एक फ्रांसीसी दंपति ने बताया कियहां का आध्यात्म सुंदर है, लेकिन स्थानीय व्यवहार से हम बहुत डरे हुए हैं। कोई पूछने पर गाली देता है, कोई धमकाता है।उनका कहना था, “हम अपने दोस्तों को अब काशी आने की सलाह देंगे।

क्या कहता है प्रशासन?

वाराणसी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम छापने की शर्त पर बताया किकुछ स्थानों पर अवैध वसूली की सूचनाएं आई हैं, इनकी निगरानी की जा रही है। यदि कोई पर्यटक शिकायत करता है तो तत्काल कार्रवाई होगी।लेकिन सवाल यह है कि क्या शिकायत करने के लिए पर्यटक को लाठी खाना जरूरी है?

मांगें क्या उठ रही हैं?

हर पर्यटन नगर में टूरिस्ट हेल्पलाइन और नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) स्थापित हो।

पार्किंग और टैक्सी स्टैंडों पर ब्ब्ज्ट निगरानी ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था हो।

यूनियन के नाम पर चल रही गुंडा टैक्स प्रणाली को समाप्त किया जाए।

स्थानीय थाना प्रभारी और सर्किल अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाए।

टैम्पों, मॉल और सिनेमा संचालकों पर भी आरोप

सिगरा, लहरतारा और भेलूपुर क्षेत्र के कई मॉल संचालक निगम या प्रशासन द्वारा तय दरों को दरकिनार कर अपनी मर्जी से पार्किंग शुल्क वसूलते हैं। यहां तक कि फिल्म देखने आए दर्शकों से भी ₹50 से ₹100 तक ठगी जाती है, जो टिकट दर से भी ज़्यादा होता है। टैम्पो चालक ₹10 की जगह ₹20 से ₹30 तक वसूलते हैं, मना करने पर यात्री के साथ अभद्रता की जाती है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बार-बार शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती।जो जितना ज़ोर से लाठी चलाता है, वही यहां वसूली करता है”, यह वाक्य अब बनारस के बाजारों में आम हो चुका है।

’’जनता सवाल कर रही है : “काशी में कानून चलेगा या लाठी?“’’

बनारस के ही एक बुजुर्ग नागरिक ने कहा, “यह शहर आस्था का केंद्र है, लेकिन आज हर चौराहा लूट का अड्डा बन गया है।क्या प्रशासन इसे देख रहा है, या फिर सबकुछ आंख मूंदकर चलता रहने दिया जाएगा?

रेलवे स्टेशन, मॉल और बस अड्डों

तक फैला वसूली का साम्राज्य

हर सार्वजनिक स्थल पर सक्रिय हैं वसूली केठेकेदार’, विरोध पर चलते हैं लठ्ठ। सिर्फ धार्मिक स्थलों और घाटों तक ही नहीं, अब गुंडागर्दी और अवैध वसूली का ये सिलसिला शहरों के मॉल, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और अस्पतालों तक जा पहुंचा है। जहाँ भी वाहन खड़ा किया जाए, वहां काली पर्ची लेकर खड़ेसंघ के स्वयंभू कर्मचारीनजर आते हैं, जो मनचाही राशि मांगते हैं। अक्सर जब वाहन चालक पर्ची की वैधता या शुल्क की दर पूछता है, तो जवाब में मिलती है गाली और लठ्ठ की धमकी। वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन, लहरतारा, पांडेयपुर बस स्टैंड, बीएचयू अस्पताल, रोडवेज डिपो और बीएलडब्ल्यू के पास बने पार्किंग स्थल ऐसी जगहों के उदाहरण हैं जहां आए दिन यह वसूली हिंसक रूप लेती जा रही है। मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्सों में भी यही हाल है। कई निजी मॉलों में ठेके पर दी गई पार्किंग व्यवस्था को कुछ बाहरी तत्व हाइजैक कर लेते हैं। प्रबंधन की चुप्पी, और पुलिस की उदासीनता इस वसूली नेटवर्क को और मजबूत बना रही है।

पार्किंग नहीं, जैसे फिरौती का खेल

“₹10 की जगह ₹50 वसूलते हैं, और पर्ची मांगो तो कहते हैं, ’चलो यहां से, ज़्यादा समझदारी मत दिखाओ’.“ यह बयान एक स्थानीय दुकानदार का है, जिसकी दुकान कैंट स्टेशन के पास है।

छवि को नुकसान

भारत विश्व में आध्यात्मिक पर्यटन का एक मजबूत केंद्र बन रहा है, लेकिन इन घटनाओं से अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के बीच देश की छवि धूमिल हो रही है।अतिथि देवो भवसिर्फ नारे तक सीमित रह गया है, जमीनी हकीकत इससे उलट है।

क्या होना चाहिए?

हर बड़े पर्यटन स्थल पर स्थायी पर्यटन पुलिस बल की तैनाती की जाएं। पार्किंग टैक्सी सेवा में लगी यूनियनों का नवीनीकरण सत्यापन किया जाएं। सीसीटीवी निगरानी ऑनलाइन शिकायत पोर्टल लागू हों। गंभीर मामलों में गुंडों पर रासुका जैसी कड़ी धाराओं में केस दर्ज हो।

 

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